RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
इस बात को और पक्का कर रही थी वीना की वो बात जब उसने मुझे अपने ब्लाउस के हुक्स नही खोलने दिए थी….शायद शरम के मारे…कि उसके मम्मों से दूध निकलता देख कर मे कैसे रिक्ट करूँगा…..शायद यही वजह थी कि, उसने मुझे अपना ब्लाउस नही खोलने दिया था….मे वापिस अपने रूम मे आ गया….ये सोच कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया कि, उसकी चुचियों के निपल्स से अभी भी दूध बाहर आता है….खैर उस दिन कुछ ख़ास होने के संभावना नही थी….वो दिन भी गुजर गया….अगले दिन मे वीना के चोदने और उसके मम्मों को दबा -2 कर उनमे से दूध बाहर निकालने के लिए बहुत उतावला हो रहा था…..
उस दिन जब वीना अजय को स्कूल छोड़ कर वापिस आई तो, उसके चेहरे पर परेशानी सॉफ झलक रही थी…..जब वो छत पर आई तो मैने उसे इशारे से अपने पास आने को कहा…तो वो मेरे पास आ गयी…
..”वो आज अनु घर पर है…..” उसने थोड़ा सा उदास से लहजे मे कहा…..
मे: कोई बात नही इसमे परेशान होने वाली कॉन से बात है…….वैसे बात क्या है…
वीना: कुछ नही…..
मे: देखो अगर तुम मुझसे छुपाना चाहती हो तो छुपा लो….पर तुम्हे शायद नही पता कि, मे तुम्हे उदास नही देख सकता….प्लीज़ बताओ ना क्या बात है….
वीना: वो आज अजय के स्कूल गयी थी….
मे: तो ?
वीना: वहाँ बड़ी मेडम जी बोल रही थी कि, दो महीने से अजय की फीस जमा नही हुई है…अगर इस बार भी फीस जमा नही करवाई तो वो अजय को स्कूल से बाहर निकाल देंगे….
मे: तो तुमने उसकी फीस जमा क्यों नही करवाई….?
वीना: आप तो इनको जानते ही हो….वो मेरे हाथ मे पैसे रखते ही कितने है…. दो वक़्त की रोटी भी मुस्किल हो गयी थी….अगर आप पैसे ना देते तो दुकानदार ने उधार भी बंद कर देना था….मे बहुत मुस्किल से घर चला रही हूँ…
मे: तो इसमे कॉन सी बड़ी बात है…….मे तुम्हे पैसे देता हूँ….कितने पैसे चाहिए तुम्हे….
वीना: जी इस महीने के मिला कर 800 रुपये है उसकी फीस के….
मे: तुम रूको मे पैसे लेकर आता हूँ…..
वीना: नही रहने दीजिए…..जिसकी ये ज़िमेदारी है वो तो खुद कुछ करता नही है… हम क्यों आप पर बोझ बने…..
मे: अब तुम ज़यादा बातें ना बनाओ…..रूको मे अभी पैसे लेकर आता हूँ…..
मे अंदर गया और अपना पर्स खोल कर देखा तो उसमे उस समाए सिर्फ़ 1500 रुपये थे.. मैने पैसे निकाले और बाहर आकर वीना को दे दिए…..
वीना: देखिए ना आप भी क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे मे….कि कल और आज ये पैसे…..(वीना ने इन तीन वर्ड्स मे बहुत बड़ी बात कह दी थी….)
मे: देखो मे इतना गिरा हुआ इंसान नही हूँ…..मजबूरी और तंगी हर इंसान के ऊपर आती है….आज तुम लोगो पर है तो कल मेरे ऊपर भी आ सकती है….फिर तुम मेरी मदद कर देना…..(मैने मुस्कुराते हुए कहा….)
वीना: अच्छा मे फीस जमा करा कर आती हूँ……
उसके बाद वीना नीचे चली गयी…..और मे अपने रूम मे आ गया…तभी पापा का फोन आया….वो मुझे बुला रहे थे क्योंकि मामा जी की बेटी की शादी थी…इसलिए उन्होने ने मुझे कुछ दिन अपने पास रहने को भी कहा…..तो दोस्तो मैने एटीम से पैसे निकलवाए….जल्दबाज़ी मे पॅकिंग की….वीना को शाम को ही बता दिया था कि, शादी मे जा रहा हूँ…खैर मे अपने मम्मी पापा के पास पहुँच गया….मे वहाँ पर 7-8 दिन रुका था….जो थोड़ा बहुत काम विक्रांत मुझे मेल करता…मे उसे वहाँ से ही रात को पूरा करके मेल कर देता….
इन 7 दिनो मे मेरे पीछे वहाँ क्या हुआ…इसका मुझे अंदाज़ा नही था…मे नही जानता था कि, इन 7 दिनो मे वीना के परिवार के साथ क्या क्या हुआ….मे उस दिन सुबह 11 बजे घर पहुँचा…फ्रेश होने के बाद मैने चेंज किया…और बाहर आया तो मेरी नज़र अपनी छत पर बैठी वीना के ऊपर पड़ी…जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर अजीब सी उमंग जाग उठी…उसने मेरी तरफ देखा और फिर खड़ी होकर सीडीयों के डोर के पास जाकर खड़ी हो गयी…फिर इधर उधर देखते हुए मुझे अपने पास आने का इशारा किया…
मेने भी इधर उधर देखा और दीवार फाँद कर उसके पास जा पहुँचा….जैसे ही मे उसके पास पहुँचा तो वो एक दम से सूबकते हुए मुझसे लिपट गयी….”कहाँ चले गये थी आप….” उसने सुबक्ते हुए कहा….
.उसको ऐसे रोते देख कर मुझे बहुत हैरानी हो रही थी….कि आख़िर वो रो क्यों रही है…मैने उसके फेस को हाथो मे पकड़ा और उसकी आँखो और गालो से आँसू सॉफ करते हुए बोला…”क्या हुआ रो क्यों रही हो…”
वीना मेरी तरफ देख कर फिर से सूबकने लगी….
मे: पागल हो गयी हो क्या….ऐसे रो क्यों रही हो….मुझे बताओ तो सही….
वीना: मुझे माफ़ कर दीजिए….आप को देख कर मे अपने आप को रोक नही पे….
मे: पर बताओ तो सही हुआ क्या है…..?
वीना: बताती हूँ आप पहले नीचे चलिए….
मे: अच्छा चलो नीचे चल कर बात करते है……
मे उसके साथ नीचे आ गया…उसने मुझे बैठाया और पानी पिलाया…..उसके बाद वो मेरे सामने चारपाई पर बैठ गयी….”हां अब बोलो क्या बात है….” उसने मेरी तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देखा और फिर रुआंसी आवाज़ मे बोली…..
वीना: उस दिन जब आप चले गये थे…..अजय की फीस जमा करवाने के बाद जो पैसे बचे थे….वो मैने घर पर रखे हुए थी….पर पता नही कहाँ से इनको वो पैसे मिल गये…और उन्होने वो सारे पैसे शराब मे उड़ा दिए…..
मे: बस इतनी से बात…तुम क्यों परेशान हो रही हो…..मैने तुमसे हिसाब पूछा है क्या या फिर तुम से पैसे माँगे है….
वीना: नही वो बात नही है…..
मे: तो फिर क्या बात है….?
वीना : उसके बाद अगले दिन ही अजय बीमार पड़ गया….बहुत तेज बुखार हुआ था उसको. डॉक्टर ने कहा कि, इसे हॉस्पिटल मे अड्मिट करवा दो….डेंगू हुआ था…पर मेरे पास इतने पैसे भी नही थे कि, मे उसे हॉस्पिटल मे भरती करवा सकती….मे इतनी मजबूर थी कि, दिल कर रहा था कि, जहर खा कर मर जाउ….
मे: तो फिर क्या हुआ…..अजय कहाँ है…ठीक तो है ना वो…..
वीना: हां ठीक है….अभी हॉस्पिटल से छुट्टी नही मिली है….
मे: फिर तुम यहाँ क्या कर रही हो….तुम्हे तो उसके पास होना चाहिए था….
वीना: हां होना तो वही चाहिए था….पर मे भी कैसी मजबूर औरत हूँ….मे अपने बीमार बच्चे के पास होने की बजाय…..(ये कहते हुए उसने फिर से रोना शुरू कर दिया…..)
मे: देखो वीना पहने आप को सम्भालो…और मुझे खुल के बताओ कि प्राब्लम क्या है….
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