Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 09:18 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
मैं झट से उनकी गोद से उठी और कमरे से बाहर चली गई. पीछे से उन्होने आंटी को खींच के गोद मे बिठा लिया और उनके मज़े लेने लगे. आंटी की चूची दबाने लगे ब्लाउस के उपर से. आंटी ने उनके हाथ पे थप्पड़ मारा और गाली दी. बाबूजी फिर किसी ढीढ़ बच्चे की तरह मुस्कुराए. " अर्रे सम्धन जी क्यों इतना टेन्षन लेती हो.......फंक्षन तो हो ही जाएगा......आप चिंता ना करो....मुझे तो चिंता ये है कि फक-शन कैसा होगा..?? हे हे हे ....और तुम्हारी टेन्षन कल रात को निकलवा दूँगा. कल कम्मो भी डाइरेक्ट वहीं पहुँच जाएगी.....कर दी टेन्षन दूर....अब अपने रसीले होंठ से एक चूमा दे दो इस चूत के भूत पे...मेरा जुगाड़ तो तुमने भगा दिया..अब इस्पे रहम करो और थोड़े चूसे लगा दो....'' बाबूजी ने धोती मे से खड़ा लंड निकाल के आंटी के हाथ मे थमा दिया.

''छोड़िए जी....सम्धन हूँ...बीवी नही....अपनी मर्ज़ी से चूज़ लूँगी...आप ने कह दिया और मैने मान लिया.....उउन्न्नह...जाइए...और हां कम्मो को याद करने की फ़ुर्सत नही है अभी मुझे. निगोडी छिनाल....आपने एक बार काम क्या दे दिया उसे बस वो तो गायब ही हो गई. कोई नही....देख लूँगी साली को. आने दो उसे नंगी चूत लेके...जब तक मेरे से चूत चटवाने की भीख नही माँगेनी तब तक मैं भी उसे नही देखने वाली. जाए जहाँ मर्ज़ी हो उसकी.....लंड ले या चूत ....कोई मतलब नही......और हां एक बार और कह देती हूँ. सबको बता देना. कल सुबह 4 बजे सबने उठना है और रेडी होना है. 5.30 बजे यहाँ से निकल लेंगे. एक बार जो स्नान करके स्वच्छ हो गया तो जब तक फंक्षन ख़तम नही होता ना तो कुच्छ खाएगा ना ही किसी तरीके के शारीरिक मज़े मे पड़ेगा. बच्चों का नामकरण हो जाए और पंडित जी चले जाएँ. फिर खाना और फिर जो चाहे करना. ख़ास तौर से आप तीनो लड़को को कह देना. वहाँ वो छिनाल किरण भी होगी जिसका भोग तीनो ने साथ लगाया था. जब तक फंक्षन ख़तम नही होता तब तक नो फक-शन. चलिए अब छोड़िए मुझे. और आप भी जल्दी से रेडी होइए. हलवाई के यहाँ से पूरे 30किलो मिठाई आएगी. रखवा लीजिएगा और हिसाब कर दीजिएगा. मैं 2 घंटे मे आती हूँ.'' और आंटी ने अपना हाथ छुड़ाया और बाबूजी को अपने लहराते लंड के साथ छोड़ के चली गई.

2 घंटे उनके साथ तरह तरह का समान खरीदा. ये सब के दौरान उन्होने सब प्रोग्राम मुझे बता दिया. आजकल मैं उनकी ख़ास हो गई थी. काम के मामले मे सिर्फ़. काम रस के मामले मे तो वो निगोडी कम्मो ही थी. पर मुझे भी शिकायत नही थी. बाकिओं से फ़ुर्सत ही नही मिलती थी कि इनको भी झेलूँ. पर एक बात है....कम्मो का जादू आंटी पे और आंटी का जादू कम्मो पे देख के कभी कभी जलन सी होती थी. दोनो को देख के ऐसा लगता था कभी कभी की साली दोनो प्रेमिकाए ना होके पति पत्नी हो. कभी कम्मो पति जैसे बिहेव करती थी तो कभी आंटी. पूरे दिन मे 3 - 4 बार एक दूसरे से संभोग करती थी. कई बार शाम को जब कम्मो और मैं अपने घर को निकलती थी तो आंटी का उदास चेहरा देख के कम्मो वापिस लौटने को होती थी. 2 - 3 बार तो मुझसे झूठे मेसेज अपने घर दिलवा के रात रुक गई. समझ नही आता था कि ऐसा क्या नशा हो गया है दोनो को एक दूसरे का. और इस बीच 2 दिन पहले बाबूजी ने कम्मो को कोई काम बताया और तब से वो गायब हो गई. आंटी तब से झल्लाई पड़ी हैं. हर बात पे चिल्ला देती हैं. संजय भैया से भी उनका गुज़ारा नही हो रहा. कल मिन्नी भाभी को कहते सुना कि संजय भैया शॉट लगा रहे थे कि आंटी ने रोना शुरू कर दिया. पुच्छा तो कुच्छ बोली नही. बस चुदाई बंद करके सोने चली गई. खैर संजय भैया भी खड़ा लंड लिए तो सोने से रहे. उन्होने खुंदक मे आके पहले राखी भाभी की ली और फिर मिन्नी भाभी की. तब जाके सोए.

शाम के 4 बजे घर पहुँचे तो देखा सब चाइ पी रहे हैं. हलवाई के यहाँ से मिठाई और रात का खाना भी आया हुआ था. आंटी ने जाते ही लेक्चर देना शुरू किया तो बाबूजी ने बड़ी संजीदगी से उन्हे जवाब दिया की सब तैयारी हो गई और सबके बॅग भी पॅक हैं. सुबह बस नहा धो के पंडितजी को लेके निकलना है. उनकी बात सुन के आंटी चुप हो गई. फिर वो थोड़ा तमतमाती हुई अपने कमरे मे चली गई. थोड़ी देर माहौल गंभीर रहा और फिर सखी भाभी ने अपने चुलबुले अंदाज़ मे मज़ाक करना शुरू कर दिया. मुझे किचन मे लगा कि अभी थोड़ी देर मे सब नॉर्मल हो जाएगा और फिरसे सब रति क्रिया मे बिज़ी हो जाएँगे. पर शाम को 8 बज गए और ऐसा कुच्छ नही हुआ. 8 बजे सबने खाना खाया और बाबूजी ने इस बीच कई सारे फोन किए. जिन जिन को न्योता दिया था या काम बताया था सबको उन्होने फोन किया. जो मेरी समझ मे आया उसके हिसाब से गेस्ट लिस्ट कुच्छ ऐसी थी.

- कंचन बुआ और उनके पति.
- कंचन बुआ की लड़की शोभा और उसका पति और उसका परिवार.
- मिन्नी भाभी और राखी भाभी के घरवाले.
- बाबूजी के दोस्त राकेश और उनकी पत्नी.
- कम्मो को उन्होने डाइरेक्ट आने को कह दिया. 

इसके अलावा भी उन्होने 1 - 2 फोन किए पर पता नही किसको और क्यों. मैं दिन भर की थकि हुई खाना खाते ही सो गई. मेरे पिछे से सब कब सोने गए पता ही नही चला. सुबह 4 बजे आंटी किचन मे आई और मुझे जगाया. अगले 15 मिनट मे घर मे खलबली मच गई. सब तरफ से सभी लोग फटाफट रेडी होने मे लग गए. ठीक 5.15 बजे सब समान गाड़ीओ मे रख दिया और सुजीत भैया आंटी और राखी भाभी और बच्चे को लेके पंडितजी को लेने चले गए. थोड़ी देर के बाद हम सब भी वहाँ से निकल पड़े. सुबह के 8 बजे थे जब हम सब रिज़ॉर्ट पहुँचे. पंडित जी पहले से पहुँचे हुए थे और तैयारी कर रह थे. एक मंडप बना हुआ था और उसे थोड़ी दूर ही एक 4 हट्स का कॉंप्लेक्स हम सब लोगों के लिए था. कुल मिला के 8 कमरे थे. हमने समान फटाफट से जमाया और फिर अपने अपने काम मे लग गए. रिज़ॉर्ट के 3 आदमी हमारी मदद मे लगे हुए थे. करीब 9 बजे तक सभी महान आ गए. कुल मिला के करीब 40 - 45 लोग हो गए थे. 9.30 पे पंडितजी ने मुहूरत के हिसाब से पूजा शुरू की और 11 बजे तक हवन ख़तम हो गया. बच्चों के नामकरण बाबूजी ने किए और फिर सबने गिफ्ट्स और पेस दिए. इसके बाद खाना शुरू हुआ और करीब 3 बजे तक अच्छे तरीके से सबको रिटर्न गिफ्ट वागरह देके सब फारिग हो गए.

कंचन बुआ की उमर करीब 46 - 47 की होगी पर दिखने मे वो करीब 40 की लगती थी. कद करीब 5 फ्ट 3 इंच और शरीर थोड़ा भरा हुआ है. उनके कूल्हे काफ़ी अच्छे और सुडोल हैं. चूची शायद 38ब या सी की होंगी और कमर भी 34 - 35 के आस पास. कुल मिला के अपनी उमर के हिसाब से अच्छी अट्रॅक्टिव महिला हैं. बालों मे हल्की सफेदी आ चुकी है पर चेहरे से बुढ़ापा नही लगता.

अवतार फूफा जी एक टिपिकल बॅंक अधिकारी हैं. गंजे और अधेड़ उमर के. करीब 50 साल के हैं. पर एक चीज़ उनकी अच्छी है वो है उनकी हाइट. करीब 6 फ्ट के हैं. पेट थोड़ा बाहर है पर फिर भी पतले लगते हैं. उनको देख के सॉफ पता चलता है कि उन्होने सारी ज़िंदगी पेन पेपर घिसा है. नरम नरम हाथ और लंबी उंगलियाँ. हां उनके चेहरे पे हमेशा मुस्कुराहट रहती है.

शोभा दीदी करीब 23 साल की है. दिखने मे बुआ जैसी है पर कद काठी फूफा जी की है. करीब 5 फ्ट 8 इंच की हाइट है और 36ब - 32 - 38 का फिगर. उनकी फिगर के बारे मे मैं इसलिए श्योर हूँ क्योंकि एक बार मिन्नी भाभी ने मुझे बताया था. शोभा दीदी काफ़ी गोरी है और जब चलती हैं तो दोनो कूल्हे अपने आप मटकते हैं.
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