RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
वहीं विजय सोफे बे बैठा अपने लंड को रगड़ रहा था. मुझे उसकी
मादक सिसकियाँ सॉफ सुनाई दे रही थी. सोनाली ने उसकी तरफ देखा
और मुस्कुरा दी. सोनाली ने विजय के लंड की ओर देखा तो विजय के
साथ की चुदाई की यादें एक बार फिर उसके दिमाग़ मे ताज़ा हो गयी.
"हम अपने मेहमान को भूल रहे है." में सोनाली को उठाए सोफे के
पास आ गया. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत मे घुसा हुआ था. मैने
उसे घुमाया और नीचे उतार दिया. सोनाली ने विजय की टाँगो के बीच
सोफे का सहारा ले घोड़ी बन गयी.
"भाई तुम्हे पता है, मैने तुम्हारा लंड कभी नही चूसा." कहकर
सोनाली ने विजय के लंड को अपने मुँह मे ले लिया. वो अपना मुँह उपर
नीचे करते हुए उसका लंड चूस रही थी और पीछे से में उसकी
चूत मे अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था.
"हाआअँ बहहाना चूऊस मेरे लुंदड़ड़ को. चूऊस अपने भाई का
लंड चूऊस हाआँ जूओरून से चूवस मेंन्न तुम्हारे मुँह मे
झाड़ना चाहता हूओन ओह और जूओर से चूस"
सोनाली ने विजय के लंड को नीचे से पकड़ा हुआ था अपना मुँह मे पूरा
लंड लेते हुए उसे चूसे जा रही थी. विजय को भी शायद काफ़ी
मज़ा रहा था. उसकी सिसकारियाँ सुनाई दे रही थी.
एक तो उसकी चूत के अंदर बाहर होता मेरा लंड और उपर से सोनाली का
विजय के लंड को चूसना, ये नज़ारा ही मुझे उत्तेजना की चरम सीमा
पर पहुँचने के लिए काफ़ी था.
जिस तरह से सोनाली विजय के लंड को चूस रही थी लगता था कि वो
समय एक बार फिर आ गया था की सोनाली और विजय आपस मे चुदाई का
मज़ा ले. उसी तरह जिस दिन विजय ने अपनी बेहन को पीछे से पकड़
चोद दिया था और सोनाली के पास कोई चारा ही नही था.
सोनाली ने मेरी तरफ देखा जैसे मुझसे इजाज़त माँग रही हो, में
धीरे से मुस्कुरा दिया.
"विजय अपना पानी मेरी चूत मे छोड़ो, में तुम्हारे लंड को अपनी
चूत मे महसूस करना चाहती हूँ." सोनाली ने अपना मुँह उसके लंड से
हटाते हुए कहा.
मैने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और सोनाली उसकी गोद
मे बैठ उसका लंड अपनी चूत मे ले लिया.
ये वो नज़ारा था जिसे में अपनी जिंदगी मे कभी नही भूल सकता
था. विजय ने अपना लंड उसकी चूत तक समा दिया था और सोनाली
उछल उछल कर खुद को उसके लंड पर चोद रही थी, "ओह आआआ
हाां." वो सिसक रही थी. विजय उसके कुल्हों को पकड़ उसे उपर
नीचे होने मे मदद कर रहा था.
में कुर्सी पर बैठ उन्हे देखने लगा, साथ ही अपने लंड को रगड़
रहा था मसल रहा था. मुझे उनकी चुदाई देखने मे बहुत ही मुझे
मज़ा आ रहा था, खास तौर पर जब सोनाली उपर की ओर उठती तो
उसकी चूत का मुँह खूल जाता और जब नीचे बैठती तो ऐसा लगता कि
उसकी चूत विजय के लंड को अपने अंदर जकड़े हुए है.
सोनाली का चेहरा चुदाई के मज़े से चमक रहा था, और वो हर
धक्के का आनंद ले रही थी.
"ओह बहना, कितना तडपा हूँ में तुम्हारी चूत के लिए, सही
मे, वादा करो हम ये भविस्या मे भी करते रहेन्नगे." विजय
सिसक रहा था.
"हाआअँ विजाय में भी तारसी हूँ तूमम्महरे लुंदड़ के लिइए," वो
सिसकी. सोनाली ने मेरी तरफ देखा और में उसके नज़दीक आ गया.
मैने उसके चेहरे को अपने हाथों मे ले लिया और अपनी ज़ुबान उसके मुँह
मे डाल दी. वो मेरी जीब को जोरों से चूसने लगी.
"राज बहुत शुक्रिया," वो मेरे कान मे धीरे से फुसफुसा.
विजय ने अब अपने कूल्हे उठा अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. सोनाली भी जोरों से
उछल रही थी. उसके उछलते मम्मो को मैने जोरो से मसल्ने लगा.
"सोनाली मुझे नही पता था कि तुम्हे चोदने मे इतना मज़ा आएगा,
तुम्हारी चूत इतनी प्यारी है. मुझे मालूम होता तो बाकी सब
चूतो के पीछे पड़ता ही नही." विजय ने कहा. विजय का शरीर
पसीने से भर गया था और चमक रहा था.
"हाआँ विजय कितना प्यारा लंड है तुम्हारा, कितना अच्छा लग रहा है
मुझे. तुम दोनो के लंड इस दुनिया मे सबसे प्यारे लंड है. में
चाहती हूँ कि हम रोज़ आपस मे चुदाई करें." सोनाली ने कहा.
"अब अपनी चूत से मेरा पानी छोड़ो और मेरे लंड को तुम्हारा पानी से
नहला दो." विजय सिसका.
नीचे से कूल्हे उपर उठाते हुए विजय के लंड ने अपना वीर्य छोड़ उसकी
चूत को भर दिया उसकी समय सोनाली की चूत ने भी पानी छोड़
दिया.
विजय ने जब अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया तो मैने सोनाली को
घुमा घोड़ी बना दिया और पीछे से अपना लंड उसकी चूत मे घुसा
दिया.
"हाआअँ राअज चोदो मुज्ज़झे हाां मेरिइइ भर्र्री हु चूऊत
को जोर्र्रों से चोदो ऑश हाआँ." वो चिल्ला पड़ी.
उसकी चूत विजय के वीर्य से भरी हुई थी. जब भी मेरा लंड उसकी
चूत के अंदर बाहर होता तो अजीब संगीत जैसी आवाज़ हो रही थी.
में अपने लंड को बाहर खींचता तो मेरा लंड उन दोनो के वीर्य से
लिसा हुआ होता जो मुझे और उत्तेजित करता. मेने जोरों से धक्के मारते
हुए अपना पानी उसकी चूत मे छोड़ दिया.
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