Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-11-2018, 02:11 PM,
#70
RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
तभी रवि के कमरे से कुछ आवाज़ आती है और ऋतु फट से रमण की चुंगल से निकलती है, उसकी साँसे भारी हो चुकी थी, रमण किचन से बाहर निकल कर हाल में जा कर बैठ जाता है.

ऋतु मुश्किल से खुद को संभाल कर चिकन बनाने में लग जाती है. ऋतु की जान आफ़त में आ जाती है जैसे, रवि घर में है, वो कब आया. तो क्या आज बाप बेटे दोनो ने ही उसका लाइव शो देखा था. उउउफफफफफफफ्फ़ ये क्या हो रहा है. पापा तो आज बहुत आगे बढ़ गये. कहीं पापा मुझे...........इस के आगे वो सोच नही पाती, उसकी पैंटी गीली होने लगती है.

इतने में रवि किचन में आता है, ऋतु ने जो ड्रेस पहनी हुई थी, उसे देख कर उसके मुँह से सीटी निकल जाती है.

‘वाउ!!!!!!!! सेक्सी!!!!!’

‘क्या बोला?’ ऋतु पलट कर रवि को झूठी डाँट से बोली.

‘बहुत सेक्सी लग रही है यार, क्या बात है? आज कितनो का कत्ल करेगी?

ऋतु मन ही मन खुश होती है पर उपर से 

‘चुप बदतमीज़, बहन को ऐसे बोलते हैं क्या? जा हाल में जा के बैठ, पापा वहीं बैठे हैं’

‘ओह!’ रवि सर खुजाता हुआ हाल में चला जाता है
जिस्म की प्यास जब बढ़ती है, तो सारी मर्यादाएँ ख़तम हो जाती है, आदमी भूल जाता है रिश्ते नातो को, याद रहता है तो बस यही वो एक आदमी है आर सामने एक लड़की या औरत. उसके पास लंड है और सामने वाली के पास एक चूत. और लंड का तो काम ही है चूत में घुसना. लंड और चूत दोनो ही बस अपने मिलन के बारे में सोचते हैं. दिमाग़ क्या कहता है, वो सब गया भाड़ में.

ऐसा ही कुछ हाल में बैठा हुआ रमण सोच रहा था, वो भूल चुका था कि ऋतु उसकी बेटी है, उसे कोई हक़ नही पहुँचता उसे वासना की दृष्टि से देखने का. उसे रवि की मोजूदगी खल रही थी. और वो एक ख़तरनाक खेल खेलने के लिए आमादा हो जाता है.
जैसे ही रवि हाल में आता है. रमण उसकी तरफ गौर से देखता है और

‘अरे रवि जा मेरी अलमारी से स्कॉच की बॉटल ले आ’

रवि जा कर रमण की अलमारी से बॉटल निकल लता है और रमण के सामने टेबल पर रख देता है.

‘जा किचन से 3 ग्लास, बरफ और सोडा ले आ, और साथ में काजू भी ले आना- जब तक चिकन रेडी होता है, काजू से काम चलाते हैं.’

‘3 ग्लास के बारे में सुन कर रवि के कान खड़े हो जाते हैं. वो कहता कुछ नही बस किचन मे जाताहै और सारा समान इकट्ठा करने लगता है.

ऋतु उस से पूछ लेती है '3 ग्लास क्यूँ ले जा रहा है. कोई और भी आ गया है क्या, पापा के दोस्त?’

‘नही पापा ने 3 ग्लास मँगवाए हैं – तू सम्भल के रहना – पीना नही नज़र बचा कर फेंक देना या मेरे ग्लास में डाल देना’

‘मतलब’

‘मतलब पापा आज हम दोनो को भी अपने साथ पिलाएँगे’

‘क्या?’

‘चिल्ला मत जो कह रहा हूँ वो करना बस’ कह कर रवि बाहर हाल में चला जाता है, वो सारा समान ले कर जो रमण ने मँगवाया था.
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास - by sexstories - 08-11-2018, 02:11 PM

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