RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
रितिका ने ध्यान ही नही दिया कि कैसे उसका पल्लू इतना नीचे था वो भी एक जवान लड़के के सामने
उसने सफाई की नॉर्मली अपना पल्लू ठीक किया और चली गयी किचन में...
कहीं रितिका ने देख तो नही लिया उससे इस हालत में घूरते हुए...नही नही अगर
देख लिया होता तो बिल्कुल बोलती...या कोई रिएक्ट करती...शायद उसने नोटीस नही किया है....अंकित बड़बड़ा
रहा था
तभी रितिका दूसरी ड्रिंक लेके आई.......रितिका उसकी बगल में आके बैठ गयी और बाते करने लगी..
अंकित की नज़रे अब उसके फेस पर नही..उसके उन चुचों पे जा अटकी थी....उन चुचों पे जिससे उसके
लंड का बुरा हाल हो गया था..सिर्फ़ एक झलक से इसका इतना बुरा हाल था अगर ये पूरी............
रितिका :- अंकित आर्नव आते ही सो गया है और अब उठ ही नही रहा मेने बेकार में तुम्हे
अंकित :- नही नही..कोई नही....उसे सोने दो..अच्छा है...(वो बोल तो रहा था लेकिन उसकी आँखें तो अटकी
पड़ी थी उसके चुचों पे)
रितिका ने ज़रा भी नोटीस नही किया कि अंकित कहाँ देख रहा है..शायद उसे कभी ये नही उम्मीद थी कि
अंकित उस नज़र से कभी देखा...
बड़ी मुश्किल से अंकित के लिए वो पल कटा...और अपने घर आया..पूरे रास्ते पास रितिका के वो साड़ी का पल्लू
गिरने वाला सीन और वो चुचें सामने आ रहे थे...
रात को खाना खाने के बाद वो बेड पे लेट गया आज तो सच में उसकी आँखों से नींद गायब
थी.....और आज अंकिता की वजह से नही..बल्कि रितिका की वजह से...
उसकी आँखों के सामने वो सीन आ गया एक बार फिर...और उसके हाथ खुद ब खुद नीचे चले
गये अपने पाजामे पे...पाजामा नीचे किया...और शुरू हो गया.....
जो भी कुछ हुआ उसकी आँखों के सामने आ गया..रितिका के वो शानदार चुचें जिन्हे पकड़ने
और चोआसने के लिए कोई भी आदमी तड़प जाए......(सोचते सोचते हिलाने लगा)
और फाइनली उसका वो लोड बाहर आ ही गया..
अंकित गहरी गहरी साँसें भरने लगा......
क्या रितिका ने जान बुझ के मुझे वो सब दिखाया और दिखा के कुछ नही बोली...क्या वो
मेरे साथ सेक्स करना कहती है.....क्या ये एक इंडियियेशन है .. पर कैसे पता चलेगा...में कैसे
पूछूँ डाइरेक्ट्ली तो नही पूछ सकता.... फिर करूँ तो क्या करूँ अब तो रितिका की बिना मारे में चैन
से नही रह पाउन्गा... (अंकित अपने आप से बोलने लगा)
आज एक दृश्य ने एक लड़के की नियत एक औरत के प्रति बदल दी.....अब क्या करेगा अंकित रितिका के साथ
क्या कुछ होगा इन दोनो के बीच में...आज का ये दिन एक फोन ने अंकित की किस्मत को बदल दिया...
वो रात तो जैसे तैसे उसने गुज़ार दी......अगले दिन..
कॉलेज में क्लास चल रही थी.....चाहे वो अंकिता पढ़ाए या कोई और आज तो बिल्कुल ध्यान नही था
अंकित का..
उसकी आँखों के सामने कल का ही सीन बार बार घूम रहा था वो ना चाहते हुए भी रितिका के
उन भारी भरकम चुचों को नही भुला पा रहा था सोचते सोचते बार बार उसका लंड अपनी
औकात पे आ जाता...काफ़ी परेशानी हो रही थी उसे....समझ नही पा रहा था कि करे तो क्या
करे.....
कॉलेज का दिन बड़ा फ्रस्टरेटेड रहा उसके लिए.....वो अपने घर आया फ्रेश हुआ.आज घर पे अकेला
था......
बस रिलॅक्स होने के लिए आज इंटरनेट पे पॉर्न देखा..और अपने आप को रिलॅक्स कर लिया.....
नीचे का हिस्सा तो रिलॅक्स हो गया था लेकिन अभी भी उपर का हिस्सा यानी कि उसका दिमाग़ वो रिलॅक्स
नही कर पा रहा था..और बिना लंच करे ही वो सो गया....
हम तेरे बिन अब रह नही सकते तेरे बिना क्या वजूद मेरा...तुझ से जुदा अगर हो जाएँगे तो
खुद से ही हो जाएँगे जुदा.....
(काफ़ी देर तक रिंगटोन बजती रही)
फिर अंकित ने फोन उठाया और बिना देखे किसका फोन है..नींद में..
अंकित :- ह..एलो.....
सो रहे थे क्या??
जब उसके कानो में लड़की की आवाज़ पड़ी तो भाईसहाब ने नाम देखा.....
अंकित :- ओह्ह रितिका हाँ यार सो रहा था..
रितिका :- आज आना नही है..आर्नव वेट कर रहा है?
अंकित :- लेकिन अभी 5 कहाँ बजे हैं...में पहुच जाउन्गा टाइम पे..
रितिका :- लगता है तुम अभी भी नींद में हो....6:30 बज रहे हैं..जनाब
अंकित :- क्याआअ...(बेड से खड़ा होके लाइट ऑन करता है तो टाइम उसके सामने आता है)
व्हाट दा फक..आज इतनी देर तक कैसे सोता रहा...(भाई साहब ने ध्यान ही नही दिया कि फोन चालू
है और गाली बक दी बाद में याद आया) ओह्ह शिट्सस....(धीरे से बोला और फिर फोन को कान पे लगा लिया)
सॉरी....(उसने रितिका को बोला)
रितिका :- अरे सॉरी क्यूँ...लेट हो गये हो जाता है चलो अब आ जाओ...
अंकित :- हाँ बस 15 मिनट में.....ओके
रितिका :- ह्म्म ओके..और हाँ मेने कुछ भी नही सुना....(और हंसते हुए फोन कट कर देती है)
अंकित फोन रखते हुए...अपने आप से...हाँ हाँ तू क्यूँ कुछ भी बुरा मानेगी .. समझ रहा हूँ
धीरे धीरे..(और कुछ सोचने लगता है)
फिर पहुच जाता है थोड़ी देर में रितिका के घर....जब घर पहुचता है तो आर्नव गेट खोलता है
अंकित आर्नव से रितिका के बारे में पूछता है तो वो बोलता है कि रितिका तो अभी बाथरूम में
है फ्रेश होने गयी है.....
फिर अंकित आर्नव को पढ़ाने लगता है..लेकिन इस वक़्त भी भाई साहब का ध्यान तो रितिका पर ही
था..वो तो इमॅजिनेशन में डूबा पड़ा था कि आख़िर नहाते वक़्त रितिका कैसी लग रही होगी...
उसका लंड एक बार फिर खड़ा होने लगा.....(कहाँ पहले रितिका के फेस से अंकित की नज़र नही फिसलती थी
अब फेस को छोड़ कर सब कुछ देखने का मन करता है उसका)
कहानी जारी रहेगी...................................
|