RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
विनय का लंड जब ढीला हुआ तो, उसका लंड किरण की चूत से बाहर आ गया…विनय अपने घुटनो के बल बैठ कर अपने ढीले पढ़ते हुए लंड पर चढ़े हुए कॉंडम को देखने लगा….किरण जल्दी से उठ कर बैठ गई….उसने विनय को जल्दी से पुराना न्यूज़ पेपर लाने को कहा….जो सामने टेबल पर ही पड़ा था…..विनय ने जल्दी न्यूज़ पेपर उठा कर किरण को दिया तो, किरण ने न्यूसपेपर को उसके लंड के नीचे करते हुए, एक हाथ से उसके कॉंडम को उतार कर न्यूज़ पेपर मे रख कर उसे फोल्ड कर दिया…और न्यूज़ पेपर नीचे फर्श पर रखते हुए बोली…..”जा विनय इसे ऊपेर छत पर जाकर पीछे जो खाली प्लॉट है वहाँ फेंक दे….” विनय ने जल्दी से अपना शॉर्ट्स पहना और न्यूसपेपर को उठा कर ऊपेर चला गया…किरण ने एक कपड़े से अपनी चूत को सॉफ किया….और अपनी साड़ी नीचे करके रूम से बाहर निकल कर बाथरूम मे चली गई….
जब विनय नीचे आया तो, किरण भी बाथरूम से बाहर आ चुकी थी…जब विनय सीढ़ियाँ नीचे उतर कर उसकी तरफ आ रहा था….तब वो विनय के शॉर्ट्स के अंदर उसके तने हुए हिलते लंड को देख कर हैरान रह गई…उसे अपनी आँखो पर यकीन नही हो रहा था…और दिमाग़ भी ये मानने के लिए तैयार नही हो रहा था…वो मन ही मन सोच रही थी कि, अभी-2 विनय ने उसे चोदा है….और थोड़ी देर पहले ही झड़ने के बावजूद भी उसका लंड इतनी जल्दी दोबारा कैसे खड़ा हो सकता है….किरण की नज़र उसके शॉर्ट्स मे बने तंबू पर अटकी हुई थी…जिसे देख उसकी चूत मे फिर से तेज सरसराहट होने लगी थी….एक लंबे अरसे के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ा था…और अपने भान्जे के लंड से संतुष्ट होकर जो स्वाद किरण ले चुकी थी…. वही स्वाद फिर से लेने के लिए उसकी चूत मे चीख पुकार मची हुई थी….
किरण का दिल तो कर रहा था कि, वो अभी वही फर्श पर लेट जाए…और विनय के लंड को अपनी चूत मे लेकर उससे फिर अपनी चूत मे हो रही खुजली को मिटा ले….पर प्रेगञेन्ट होने का डर उसके जेहन मे बैठ चुका था….और ना ही अब उसके पास और कोई कॉंडम था….दूसरी तरफ मामी की चूत की गरमी को अपनी लंड पर महसूस करने के बाद विनय भी फिर से मामी की चूत को चोदने के लिए बेताब हुआ जा रहा था. किरण सोफे पर जाकर बैठ गई….विनय भी उसके पास आकर बैठ गया…किरण जानती थी कि, विनय क्यों उसके पीछे घूम रहा है….किरण ने टाइम देखा तो 2 बज रहे थे… “खाना खाओगे भूक तो नही लगी…” किरण ने विनय के बालो मे हाथ फेरते हुए कहा…तो विनय ने ना मे सर हिला दिया…”नही अभी भूख नही है….”
अभी विनय आगे कुछ कहने की हिम्मत ही जुटा रहा था कि, डोर बेल बजी…किरण विनय को गेट पर जाकर देखने को कहा….विनय ने जाकर गेट खोला तो, देखा सामने शीतल खड़ी थी….उसके साथ उसके बच्चे भी थी….शीतल ने विनय को प्यार दिया और फिर अंदर आ गई….”आओ दीदी बैठो…” किरण ने मुस्कराते हुए कहा, तो शीतल उसके साथ सोफे पर बैठ गई…..”आज अभी को टीका लगवाने जा रही हूँ….” इसीलिए सोचा कि पिंकी को तुम्हारे यहाँ छोड़ जाती हूँ बाहर धूप बहुत है….”
किरण: अच्छा क्या दीदी वैसे आज तो सनडे है फिर आप अभी को टीका कहाँ लगवाने जा रही है….?
शीतल: वो ये स्कूल के पास डिसपॅन्सरी है ना…वही जा रही हूँ….सरकारी डिसपॅन्सरी है…सिर्फ़ सनडे को ही खुलती है….
किरण: ओह्ह अच्छा…(तभी अचानक से किरण के दिमाग़ के घोड़े दौड़े….) दीदी मे भी चलूं आपके साथ…
शीतल: हां चल…
किरण: विनय पिंकी का ख़याल रखना….हम थोड़ी देर मे आते है….
उसके बाद किरण शीतल और अभी के साथ डिसपॅन्सरी के लिए चली गई….जब दोनो वहाँ पहुँची, तो वहाँ आगे लाइन मे दो तीन ही लोग थे….शीतल अभी को लेकर लाइन मे लग गई…किरण वही बेंच पर बैठ गई…तभी उसका ध्यान उस काउंटर पर पड़ा जहा पर लोग डॉक्टर से मिलने के बाद मेडिसिन ले रहे थे…..जब शीतल का नंबर आया और शीतल अभी को लेकर अंदर गई, तो किरण जल्दी से खड़ी हुई, और मेडिसिन वाले काउंटर पर जाकर खड़ी हो गई…तब उसके आगे सिर्फ़ एक ही औरत खड़ी थी…जब वो औरत दवाई लेकर चली गई तो, अंदर खड़ी नर्स ने किरण के तरफ देखते हुए कहा.. “लाइए स्लिप दीजिए….”
किरण: जी वो स्लिप तो नही है….दरअसल मुझे कॉंडम चाहिए थे…..
नर्स: मेडम कॉंडम तो नही है हमारे पास….हां गर्भ निरोधक टॅब्लेट्स है. वो चाहिए तो दे देती हूँ…..
किरण: जी उससे कोई नुकसान तो नही होगा….?
नर्स: नही मेडम कोई नुकसान नही होगा….
किरण: ठीक तो फिर टॅब्लेट्स ही दे दीजिए….
नर्स ने उसे 20 टॅब्लेट्स दे दी…..और ये भी बता दिया के कब खाना खा… “जी कितने पैसे हुए…” किरण ने अपना पर्स खोलते हुए कहा….”आप यहाँ पहली बार आई है….” उस नर्स ने मुस्कुराते हुए कहा….”जी…”
नर्स: ये सरकारी डिसपॅन्सरी है…यहाँ पर ये दवाए फ्री दी जाती है….
किरण: ओह्ह थॅंक्स….
किरण ने जल्दी से उन टॅब्लेट्स को अपने पर्स मे रखा और और फिर से बेंच पर आकर बैठ गई…थोड़ी देर बाद शीतल अभी को लेकर बाहर आई…”चल किरण….लग गया इसको टीका…” और फिर किरण खड़ी हुई और उसके साथ घर की तरफ चल पड़े…रास्ते मे शीतल ने भी उसे वही बात बताई….जो दो घंटे पहले रिंकी के मम्मी बता कर गई थी….बाते करते -2 दोनो घर पहुँच गई……शीतल अंदर आते ही सोफे पर पसर गई…..”विनय बेटा…”
विनय: जी मासी जी…..
शीतल: जा बेटा हम सब के लिए पानी तो ले आ….बाहर बहुत गरमी है….
विनय: जी अभी लाता हूँ….
ये कह कर विनय किचन मे गया….और पानी के बॉटल और तीन ग्लास ले आया… विनय ने सब को पानी पिलाया….और फिर ग्लास और बॉटल किचन मे रख कर वापिस आ गया… “मामी खाना दे दो….” विनय ने डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए कहा…तो किरण उठ कर विनय के लिए खाना लेने चली गई….अभी उठ कर विनय के पास गया…” भैया मुझे वीडियो गेम लगा दो ना…” उसने विनय का हाथ पकड़ कर खेंचते हुए कहा तो, विनय वहाँ से उठ कर टीवी के पास गया…और अभी को वीडियो गेम लगा कर दी… फिर जब किरण वापिस आई तो, उसने खाना टेबल पर रखते हुए विनय की तरफ गुस्से से घूर कर देखा….दरअसल वो विनय पर इस लिए गुस्सा हो रही थी कि, उसने अभी को वीडियो गेम स्टार्ट करके दी थी…और अभी अब वहाँ से जल्दी हिलने वाला नही था….
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