RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
किरण ने आग मे और घी डाल कर उसको भड़काया….”अच्छा क्या दिल करता है..जब तू मेरे मम्मो को देखता है….” विनय चुप रहा अब और आगे बोलने की हिम्मत नही हुई…”बोल क्या दिल करता है कि, मामी के मम्मो को चुसू….” किरण ने खुद ही विनय के मन मे छुपी हुई बात को कह दिया…और विनय के पास आकर सोफे के ऊपेर झुकते हुए अपनी चुचियों को उसके चेहरे के करीब ले गई…”बोल विनय तुम्हारा यही दिल करता है ना….कि तुम मेरे मम्मो को चूसो….?” विनय ने अपने सर को उठा कर मामी की आँखो मे देखा….और फिर घबराते हुए हां मे सर हिला दिया… “अच्छा मेरे मम्मे चूस कर तेरे कलेजे को ठंडक मिल जाएगी…बोल…जल्दी बोल…?” किरण ने इस बार विनय की चिन को पकड़ कर उसकी आँखो मे देखा…तो विनय ने फिर से अपने गाले का थूक गटकते हुए हां कह दिया….”हाइए विनय तू कितना बेशरम हो गया है….देख रात को तू मुझे तंग मत करना…अगर वशाली देख लेती तो तेरी क्या हालत करनी थी तेरे मामा ने तू सोच भी नही सकता….”
किरण: देख मे तुम्हे अपने मम्मे चुसवा देती हूँ…पर इससे आगे कुछ करने की कॉसिश भी मत करना….और ना दोबारा मुझे तंग करना…
ये कहते हुए किरण ने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया…और विनय की जाँघो के दोनो तरफ अपने घुटनो को टिकाते हुए सोफे पर बैठ गई…उसने मुस्कराते हुए विनय की तरफ देखा….और फिर अपने ब्लाउज के हुक्स खोलने लगी..विनय ये सब अपनी हैरानी से भरी आँखो से देखते हुए अपने गले का थूक बार-2 गटक रहा था….जैसे जैसे मामी के ब्लाउज के हुक्स खुल रहे थी….वैसे वैसे विनय की आँखो के सामने मामी के ब्लॅक कलर की ब्रा में कसी हुई चुचियाँ सामने आती जा रही थी…विनय की हालत देख कर किरण अंदर ही अंदर ख़ुसी से उछल रही थी....किरण ने अपने ब्लाउज के हुक्स खोल कर अपनी ब्रा के कप्स को नीचे से पकड़ कर ऊपेर उठाया तो, उसकी चुचियाँ उछल कर ब्रा के क़ैद से बाहर आ गई…..
विनय अपनी मामी की कसी हुई गुदाज चुचियों और उसके काले रंग मोटे-2 निपल्स को आँखे फाडे घुरे जा रहा था…”अब जल्दी कर ऐसे क्या देख रहा है….” किरण ने अपनी राइट चुचि को पकड़ कर दबाया तो, उसके चुचि का निपल और नोकदार बन कर सामने की ओर उभर आया…विनय ने फिर से मामी की आँखो मे झाँका तो, किरण ने ऐसे बोला जैसे वो ये सब जल्द से जल्द निपटा लेना चाहती हो….विनय ने अपने काँपते हुए होंठो को खोल कर जैसे ही मामी के निपल्स पर रखा…किरण का बदन बुरी तरह से झंझणा गया….उसने मस्ती से बंद होती आँखो से विनय की तरफ देखा…और फिर जैसे ही विनय ने उसकी चुचि को अपने होंठो मे भर कर चूसा तो, उसकी आँखे बंद हो गई….उसने अपने आप को सिसकने से रोकने के लिए अपने होंठो को अपने दाँतों मे भींच लिया…और विनय के सर को पकड़ कर अपने चुचि पर दबाते हुए मस्ती भरी आवाज़ मे बोली….”सीईईई विनय जल्दी कर ना……मुझे घर का काम भी करना है…”
विनय का लंड उसके शॉर्ट्स मे अब तन चुका था…जो उसकी जाँघो के ऊपेर बैठी मामी की गान्ड की दरार मे घुसने की कॉसिश कर रहा था…किरण भी अपने भान्जे के लंड को अपनी गान्ड की दरार मे चुभते हुए महसूस करके और मचल उठी…” ओह्ह्ह विनय…..” तभी बाहर एक दम से डोर बेल बजी…” किरण और विनय दोनो जल्दी से अलग हुए….और किरण ने अपनी चुचियों को ब्रा के अंदर करते हुए ब्लाउज के हुक्स को बंद करते हुए कहा…”जा देख कर आ कॉन आ गया इस टाइम….” किरण ने झुनझूलाते हुए कहा….विनय गेट की तरफ चला गया…जब उसने जाकर गेट खोल तो, देखा सामने रिंकी मम्मी खड़ी थी….”बेटा किरण कहाँ है….”
साहिल: जी अंदर है….
रिंकी मम्मी अंदर चली गई तो, विनय भी उसके पीछे आ गया…..किरण ने रिंकी की माँ की तरफ देखा तो, किरण मन ही मन उसे गलियाँ देने लगी….” दीदी आप आइए बैठिए….” किरण ने अपने होंठो पर जबरन मुस्कान लाते हुए कहा…रिंकी की मम्मी सोफे पर बैठ गई…किरण ज़रा विनय को मेडिसिन की दुकान पर से ये दवाई तो मंगवा दे….मेरे बच्चे तो आज बाहर गए हुए है घूमने घर पर कोई नही है…” रिंकी मम्मी ने मेडिसिन की स्लिप और पैसे देते हुए किरण को कहा….”जी लाइए….विनय सुन जाकर बाज़ार से आंटी को ये मेडिसिन तो लादे…..” किरण ने विनय को मेडिसिन लाने के लिए कहा तो, विनय स्लिप और पैसे लेकर चला गया….”दीदी क्या लेने आप चाइ या ठंडा….” किरण ने फॉरमॅलिटीस करते हुए कहा….
“नही नही किरण तकलीफ़ करने की कोई ज़रूरत नही…तुम बैठो कहाँ गुम रहती हो आज कर दिखाई ही नही देती…..” रिंकी की माँ ने किरण का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बैठा लिया….”दीदी गुम कहाँ…घर पर मेहमान आए हुए है…इसलिए वक़्त ही नही मिलता बाहर निकलने का….” किरण ने सोफे पर बैठते हुए कहा….”तुम्हे पता भी है आज कल हमारे मोहल्ले मे क्या-2 हो रहा है….?” किरण उसकी बात सुन कर चोन्कते हुए बोली…”क्या हुआ दीदी अपने मोहल्ले मे….”
“तुम्हे नही पता….वो जो नुक्कड़ पर घर है ना सिमरन का….”
किरण: हां दीदी….
“हां वही सिमरन पेट से है….”
किरण: तो क्या हुआ दीदी….पेट से ही तो है….
“हुआ क्यों नही….5 साल से तो उसके बच्चा नही हो रहा था…पिछले 6 महीने से उसके पति का चचेरा भाई यहाँ आया हुआ है….कॉलेज मे पढ़ता है…उसी के साथ उस कलमूहि ने चक्कर चला लिया होगा…पति तो उसका है ही मरियल सा…उससे तो उसकी तसल्ली होती नही होगी…और फँसा लिया अपने देवर को..फिर क्या..हो गई पेट से….दो दिन हो गए…रोज उनके घर इसी बात को लेकर लड़ाई हो रही है…लोग भी थू थू कर रहे है..अर्रे हरामजादी की चूत मे इतनी ही आग लगी थी तो, कॉंडम क्यों नही चढ़वा कर चुदवाती थी……”
किरण रिंकी की माँ की बातें सुन कर बुरी तरह घबरा गई….उसकी शादी को भी 7 साल हो चुके थे….और अब तक उसे कभी पेट नही ठहरा था….कल रात विनय ने उसकी चूत मे अपने लंड का पानी डाल दिया था….किरण के चेहरे का रंग ये सुन कर उड़ गया था….
अभी दोनो बातें ही कर रही थी कि, विनय वापिस आ गया…..और स्लिप और पैसे रिंकी की मम्मी को देते हुए बोला….”आंटी आज सनडे है ना….ईस्सईलिए मेडिसिन की शॉप आज 1 बजे ही बंद हो गई…रिंकी की मम्मी ने पैसे और स्लिप ली…”ओह्ह मे तो भूल ही गई थी कि आज सनडे है….अच्छा किरण अब मैं चलती हूँ….” ये कहते हुए रिंकी मम्मी खड़ी हुई और बाहर चली गई….विनय भी उसके पीछे चला गया. और गेट बंद करके जैसे ही वापिस आया तो, देखा के किरण थोड़ी सी परेशान बैठी हुई थी. पर विनय के ऊपेर तो वासना का भूत सवार हो चुका था…..किरण मन ही मन सोच रही थी कि, आज तो मेडिसिन के शॉप्स भी बंद है, आज कॉंडम भी खरीद कर नही लाए जा सकते….
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