RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
साड़ी और पेटिकोट के बीच से किरण की जाँघो का अन्द्रुनि भाग काफ़ी अंदर तक दिखाई दे रहा था…विनय बार-2 चोर नज़रों से उसकी जाँघो के बीच मे छुपी हुई चूत को देखने की कॉसिश कर रहा था….इस बात का अहसास किरण को भी हो गया था…वो मंद-2 मुस्कराते हुए बीच-2 मे विनय के फेस पर आई हुए बेसबरी को देख रही थी….किरण ने आटा गूँथा और फिर खड़ी होकर परात को किचन मे रखने चली गई…किरण किचन से निकल कर शवर लेने के लिए बाथरूम मे चली गई…विनय उठ कर अपने रूम मे चला गया….किरण शवर लेने के बाद अपने रूम मे आई, और अपने अगले कदमो के बारे मे सोचने लगी…तभी उसके दिमाग़ मे कुछ आया.
दूसरी तरफ विनय के दिमाग़ मे अभी भी कसमस जारी थी….उसे समझ मे नही आ रहा था कि, मामी ये सब उसके साथ जान बुझ कर रही है या फिर ये सब उसके दिमाग़ का वहम है…तभी किरण ने उसे आवाज़ देकर अपने रूम मे आने के लिए कहा… विनय अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आया…और उठ कर बाहर गया…और किरण के रूम मे चला गया….जैसे ही विनय किरण के रूम मे दाखिल हुआ…विनय के पाँव वही रुक गए….मामी उसकी तरफ पीठ किए हुए खड़ी थी….किरण के बदन पर रेड कलर का पेटिकोट और रेड कलर की ब्रा थी…अपनी मामी को वो पहली बार इस तरह ब्रा मे खड़ी देख रहा था….उसके लंड को मानो जैसे करेंट लगा हो….विनय का लंड एक दम से उछलते हुए खड़ा हो गया…किरण ने फेस घुमा कर पीछे खड़े विनय की तरफ देखा, “विनय ज़रा मेरी ब्रा का हुक्स तो लगा दे….मुझसे बंद नही हो रहा…”
ये कहते हुए किरण ने अपना फेस आगे की तरफ कर लिया…अपनी मामी की नंगे पीठ और कमर देख कर विनय का लंड उसके शॉर्ट्स में जबरदस्त झटके पे झटके मार रहा था. वो काँपते हुए कदमो से किरण की तरफ बढ़ा….और किरण के पीछे जाकर खड़ा हो गया. उसके हाथ पैर बुरी तरह से कांप रहे थे….”विनय…” किरण ने विनय को आवाज़ दी… तो विनय जैसे सपनो की दुनिया से बाहर आया हो…विनय ऐसे बोखला गया…”जी जी मामी….” उसने अपनी मामी की नंगी पीठ और कमर की तरफ देखते हुए कहा…. “ब्रा के हुक बंद कर दे जल्दी….” किरण ने आगे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा… तो विनय ने अपने काँप रहे हाथो को उठाया…और धीरे-2 किरण के ब्रा के स्ट्रॅप्स को पकड़ कर हुक लगाने के लिए जैसे ही खेंचा तो, किरण के मुँह से आहह निकल गई.
मामी के मुँह से आह सुनते ही, विनय की हालत और पतली हो गई….उसने जल्दी-2 किरण के ब्रा का हुक लगाया…और मूड कर जैसे ही वापिस जाने लगा तो, किरण ने उसे आवाज़ देकर रोक लिया…उसने अपनी साड़ी के पल्लू से रेड कलर की ब्रा मे कसी हुई चुचियों को ढकते हुए, विनय की तरफ पलट कर देखा…..और मुस्कराते हुए बोली. “विनय मेरा एक काम करेगा…?” किरण ने विनय की तरफ बढ़ते हुए कहा… तो विनय के माथे पर पसीना उभर आया…उसके होंठ सूखने लगी….”जी जी कहिए मामी….” विनय ने अपने गाले का थूक गटकते हुए कहा….
किरण: वो जो मिनी आंटी है ना रिंकी के घर के बगल मे रहती है…..?
विनय: जी….
किरण: उसके पास इस साड़ी का ब्लाउज ले जा…..और कह देना कि मामी ने इसे थोड़ा टाइट करने के लिए कहा है…बहुत ढीला है….(किरण ने सोफे पर बैठते हुए कहा….)
विनय: कहाँ है ब्लाउज…..?
किरण: वो वहाँ बेड पर पड़ा है…
किरण ने अपनी एक बाजू को उठा कर कोहनी से मोड़ कर सोफे की पुष्ट को पकड़ते हुए कहा….किरण के ऐसा करने से विनय की नज़रो के सामने मामी की एक साइड सॉफ नज़र आ रही थी….मामी के आर्मपिट और कसी हुई रेड कलर की ब्रा को देख कर विनय का लंड बुरी तरह से अकड़ गया….
विनय बेड की तरफ बढ़ा….और वहाँ पड़े हुए रेड कलर के ब्लाउज को उठा कर जैसे ही वापिस मुड़ा, तो मामी ने अपनी जवानी की कातिल अदाओं से जैसे विनय के दिल पर छुरी चला दी हो….किरण सोफे की पुष्ट के साथ अब झुक कर लगभग अध लेटी हुई हालत मे बैठी हुई थी….उसकी साड़ी का पल्लू सरक कर उसकी जाँघो पर आ चुका था…किरण के गोरे-2 रंग की मोटी चुचियाँ उसकी रेड कलर के ब्रा मे से बाहर आने को तड़प रही थी….विनय के लंड मे ये सब देख कर तेज सरसराहट होने लगी थी….
विनय जल्दी से किरण के रूम से बाहर चला गया….विनय के जाते ही, किरण ने अपनी चुचियों को फिर से पल्लू को ढक लिया….और सोफे पर बैठे -2 मुस्कराने लगी…करीब 20 मिनट बाद विनय घर वापिस आया…और गेट लॉक करके सीधा मामी के रूम मे चला गया….और ब्लाउज अपनी मामी को दे दिया….किरण खड़ी हुई, और उसकी तरफ पीठ करके ब्लाउज पहनने लगी…ब्लाउज पहनने के बाद वो विनय की तरफ मूडी….और फिर प्यार से उसका गाल सहलाते हुए बोली…”थॅंक्स विनय…..”
विनय बहुत ज़्यादा कन्फ्यूज़्ड हो गया था…..उसे भले ही इस बात का अंदाज़ा हो गया था कि, मामी उसे लाइन दे रही है….पर फिर भी वो खुद कुछ करने से कतरा रहा था…”अब ठीक है….ये ब्लाउज अब बिल्कुल मेरी फिटिंग का हो गया है….विनय तुम्हे पता है…मे ये साड़ी शादी के दिन पहनने वाली हूँ….इसलिए आज पहन कर देख लिया. नही तो शादी के दिन पता चलता तो उस समय क्या करती…अच्छा अब मे चेंज करके आती हूँ….” ये कह कर किरण रूम से बाहर चली गई….विनय वही बैठ गया. किरण बाथरूम के पास जाकर खड़ी हो…और कुछ देर उसने वही खड़े होकर अपने रूम की तरफ देखा….जब विनय बाहर नही आया तो, वो जल्दी से बाथरूम मे घुस गई….और अपनी साड़ी ब्लओज पेटिकोट ब्रा पैंटी सब कुछ उतार कर ब्लॅक कलर की ब्रा और डार्क ब्लू कलर की प्रिंटेड पैंटी पहन ली….किरण की पैंटी उसके चुतड़ों के हिसाब से थोड़ी छोटी थी…
वो अपने उतारे हुए कपड़ों को पकड़ कर वैसे ही बाहर आ गई….और अपने रूम के डोर के पास पहुँच कर उसने अंदर झाँका तो, देखा कि, विनय बेड पर लेटा हुआ है. वो कुछ देर वही रुकी….और फिर ऐसे रूम मे दाखिल हुई, जैसे उसे लग रहा हो कि, उसके रूम मे और कोई ना हो…जैसे ही किरण रूम के अंदर आई, विनय अपनी मामी को सिर्फ़ ब्रा और पैंटी मे देख कर एक दम से चोंक गया…उसकी आँखे खुली की खुली रह गई….तभी किरण ने विनय की तरफ देखा और ऐसे रिएक्ट किया….जैसे वो विनय को देख कर घबरा गई हो….”ओह्ह्ह्ह विनय तुम हो….तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी…मेने सोचा कि तुम अपने रूम चले गए होगे….” किरण ने होंठो पर कातिल मुस्कान लाते हुए कहा….तो विनय बेड से नीचे उतरने लगा….
किरण: नही-2 लेटे रहो….वो तो मे डर गई थी…तुम ही तो हो….और अपने शोना से क्या शरमाना…(किरण ने विनय की नज़रों का पीछे करते हुए कहा…)
विनय की नज़रें मामी की पैंटी के ऊपेर से बाहर झाँक रही उसकी काली घनी झान्टो पर अटकी हुई थी….उसका लंड शॉर्ट्स मे रह-2 कर झटके खा रहा था…मामी ने तो आज उसके लंड पर बहुत ज़्यादा अत्याचार कर दिया था….तभी विनय ने मामी के चेहरे की तरफ देखा, तो उसे पता चला कि, मामी ने उसको उसकी झान्टो की तरफ घुरते हुए देख लिया है…अब गड़बड़ हो गई है…विनय ने अपना सर झुका लिया…. “ये पैंटी छोटी हो गई है…ठीक से फिट भी नही आ रही….
किरण ने अलमारी खोली और अपने कपड़े लेकर बाथरूम मे चली गई….थोड़ी देर बाद डोर बेल बजी तो किरण ने बाथरूम से आवाज़ देते हुए, विनय को गेट खोलने के लिए कहा…जब विनय ने गेट खोला तो, देखा के सामने शीतल अपने बच्चों को लेकर खड़ी थी….शीतल अंदर आ गई तो विनय ने गेट बंद कर दिया…शीतल और किरण दोनो हॉल मे बैठ कर बातें करने लगी….विनय भी वही बैठा हुआ था….तभी विनय की नज़र टेबल पर पड़ी मेडिसिन की एक बॉटल पर पड़ी….”मामी ये किसकी दवाई है..?” विनय ने मेडिसिन की बॉटल किरण को दिखाते हुए कहा…
किरण: ये तो पापा की दवाई है….जा उनके रूम मे रख आ…उनकी नींद की गोलियाँ है….(ये कह कर किरण वशाली को खाना देने के लिए रूम मे चली गई….)
विनय बॉटल लेकर ऊपेर चला गया…वो टॅब्लेट्स की बॉटल को जैसे ऊपेर जाकर टेबल पर रखने लगा तो, अचानक से उसके दिमाग़ मे कुछ आया…उसने जल्दी से घबराते हुए उस बॉटल से दो टॅब्लेट्स निकाल ली….और उसे पॉकेट मे डाल कर नीचे आ गया…नीचे आने के बाद वो सीधा अपने रूम मे चला गया…उसने अपने रूम मे वियाग्रा की टॅब्लेट्स छुपा कर रखी थी….जो उसको रामू ने खरीद कर दी थी. विनय ने उसमे एक टॅबलेट निकाली और बाकी की सभी टॅब्लेट्स वही छुपा कर रख दी…विनय जैसे ही बाहर आया तो, किरण अपने रूम से निकल रही थी…”विनय तुम्हारे लिए भी खाना लगा दूं…” किरण ने मुस्कराते हुए कहा…..
विनय: जी मामी लगा दीजिए…
किरण किचन मे अपने लिए और विनय के लिए खाना लेने चली गई…खाना खाने के बाद वो काफ़ी देर वहाँ बैठे किरण से बातें करती रही…और फिर शीतल और किरण दोनो वही चटाई पर ही सो गई….शीतल के बच्चे और विनय सब विनय के रूम मे जाकर सो गए….शाम के 6 बजे डोर बेल बजी तो, किरण नींद से उठी… उसने बाहर जाकर गेट खोला तो देखा कि सभी शॉपिंग करके वापिस आ चुके थे…आज विनय और किरण दोनो ही काफ़ी देर तक सोते रहे थे….इसलिए आज वो बहुत ज़्यादा फ्रेश महसूस कर रहे थे….रात को खाना खाने बाद सब लोग धीरे-2 अपने कमरो मे जाने लगे…किरण ने विनय और वशाली के लिए दूध ग्लास मे निकाला वशाली को आवाज़ दी…कि वो आकर अपने लिए और विनय के लिए दूध ले जाए….
वशाली: मम्मी मैं बाथरूम मे जा रही हूँ….प्लीज़ आप विनय को बोल दो ना…
विनय तो जैसे इसी मोके की तलाश मे बैठा हुआ था….वो जल्दी से किचन मे गया….”मुझे दे दो मामी जी….मैं ले जाता हूँ….” किरण ने दोनो ग्लास विनय को पकड़ाए और विनय दूध के दोनो ग्लास बाहर लेकर आ गया….फिर वो सीधा किरण के रूम मे गया…और दोनो ग्लास टेबल पर रख दिए…ममता और किरण दोनो किचन मे बिज़ी थी….बाकी के सभी लोग अपने -2 रूम्स मे जा चुके थे… विनय ने जल्दी से अपनी पेंट की पॉकेट से एक पूडिया निकाली….जिसमे उसने उन दोनो टॅब्लेट्स को पीस कर पाउडर बना रखा था…उसने उस पाउडर को एक ग्लास मे डाल कर जल्दी से मिक्स किया और फिर पेंट की पॉकेट से वियाग्रा की टॅबलेट निकाली और दूध के साथ उसे निगल गया.
उसके बाद विनय बेड पर बैठ कर आराम से दूध पीने लगा….दूध ठंडा था… थोड़ी देर बाद वशाली अंदर आई, तो उसने दूध का ग्लास उठाया और एक ही साँस मे पूरा का पूरा ग्लास ख़तम विनय की तरफ देखा…”तुमने दूध पी लिया हो तो लाओ मे ग्लास मम्मी को दे आती हूँ….” विनय ने भी ग्लास खाली किया और वशाली को पकड़ा दिया….वशाली ग्लास लेकर किचन मे चली गई….और फिर ग्लास किरण को देने के बाद वापिस आई और बेड पर लेट गई….
10 मिनट मे ही नींद की गोलयों ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था…और अगले 5 ही मिनट मे वशाली सपनो की दुनिया मे पहुँच चुकी थी…10 मिनट और बीते तो, किरण रूम मे आई…विनय अपनी आँखे बंद किए हुए ऐसे लेटा हुआ था. जैसे कि वो गहरी नींद मे सो रहा हो…पर किरण जानती थी कि, विनय जाग रहा है…क्योंकि वो दोनो दोपहर को काफ़ी देर तक सोते रहे थे….और इतनी जल्दी नींद आना मुस्किल था….किरण ने रूम मे आने के बाद….अपनी साड़ी उतारी और ब्लाउज और पेटिकोट उतार कर अलमारी मे रख दिया..और एक पतला सा साड़ी पेटिकोट और ब्लाउज निकाल कर पहन लिया…किरण ने लाइट ऑफ की और 0 वॉट का बल्ब जला कर बेड पर चढ़ गई…. …
किरण विनय के पास आकर लेट गई….उसने विनय के सर को हिलाते हुए धीरे-2 से आवाज़ दी…”विनय सो गए क्या….?” तो विनय ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया…किरण ने करवट बदली और पीठ के बल सीधी होकर लेट गई….किरण ने वशाली की तरफ देखा..जो उनकी तरफ पीठ करके सो रही थी…किरण मन ही मन सोच रही थी कि, कितना अच्छा होता अगर वशाली इस रूम मे ना होती….तो आज रात तो वो ज़रूर अपनी चूत की प्यास को बुझा ही लेती…किरण वैशाली की माजूदगी से सतर्क थी…इसीलिए किरण अपने अंदर छुपी हुई वासना की आग को दबाए हुए थी…उसने वशाली की तरफ मुँह करके करवट बदली और सोने की कॉसिश करने लगी…वो नही चाहती थी कि, वो कुछ ऐसा करे कि, उसकी चूत की आग फिर से सुलगने लग जाए…और उसे तड़पते हुए सोना पड़े….
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