RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
दूसरी तरफ से रामू की आवाज़ आई….
रामू: हेलो अंजू कैसी हो….?
अंजू: आह ठीक हूँ….तुम कब आ रहे हो वापिस सीईईईईईईई…..
रामू: क्या हुआ ठीक तो हो….4 दिन बाद की ट्रेन है….
अंजू: ठीक हूँ….
रामू: क्या कर रही हो….?
अंजू: सवारी कर रही हूँ….
रामू: सवारी ? क्या मे समझा नही….
अंजू: विनय के लंड की सवारी आह बहुत मोटा समान है अह्ह्ह्ह….
रामू: साली छिनाल वहाँ मज़े लूट रही है तू…
अंजू: तो तू भी ढूँढ ले वहाँ क्यों..जो तेरी गान्ड के कीड़ों को शांत कर सके….
रामू: अच्छा ये बता कैसा लगा तुझे विनय का लंड…
अंजू: सीईईईईई जी मत पूछो….सीधा बच्चेदानी पर ठोकर मारता है… हाइए जब चूत मे जाता है तो, ऐसा लगता है कि चूत ने मूतना शुरू कर दिया हो…अहह श्िीीईईईईईईईई उंह……
रामू: कर कर ऐश साली मेने ही ढूँढ कर दिया है….
अंजू: तू साले भडवे वापिस तो आहह…..
रामू: तो क्या करेंगी तू….
अंजू: विनय का लंड चूत मे लेकर तुझसे अपनी गान्ड चदवाउन्गी… और तू कर भी क्या सकता है….अहह विनय…..
रामू: तू पहले अपनी चूत को संभाल देखना कही सच मे मूत ना दे विनय के लंड पर….
अंजू: तू आ तो सही…जब तू यहाँ होगा और मेरी चूत विनय के लंड चुदने के बाद मूतेगी तो तेरे मुँह पर ही मूतुँगी……
रामू: अब तो सच मे दिल कर रहा है..कि वहाँ आकर देखूं कि विनय का लंड तेरी चूत की धज्जियाँ कैसे उड़ाता है….
उसके बाद रामू ने कॉल कट कर दी….अंजू ने अपनी गान्ड को ज़्यादा ऊपेर उठाया तो, विनय का लंड पक की आवाज़ करता हुआ, उसकी चूत से बाहर आ गया…अंजू विनय के ऊपेर से उठ कर डॉगी स्टाइल मे आ गई…इस बार अंजू को कुछ कहने की ज़रूरत नही पड़ी….विनय अंजू के पीछे आया और उसकी साड़ी और पेटिकोट जो उसकी जाँघो पर लटक आई थी…उन दोनो को एक साथ ऊपेर उठाते हुए. उसकी कमर पर रख दिया….फिर अंजू की चूत से निकले पानी से सने हुए अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर सेट करते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा….तो विनय का लंड अंजू की चूत की दीवारो को चीरता हुआ एक ही बार मे पूरा का पूरा घुसता चला गया….
विनय के इस जबरदस्त झटके से अंजू का मुँह एक दम से खुल गया…” अह्ह्ह्ह ओह विनय आह आराम से….” विनय तो अब जोश मे भड़क चुका था…उसने अंजू की कमर को पकड़ते हुए धक्के पे धक्के मारते हुए उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ानी शुरू कर दी…करीब 20 मिनिट की चुदाई के बाद विनय ने अपने लंड का माल अंजू की चूत की गहराइयों मे अडेलना शुरू कर दिया…अंजू दूसरी बार झड कर बेसूध हो गई थी….
उसके बाद विनय और अंजू दोनो उठे और दोनो ने जल्दी-2 कपड़े पहने…अंजू ने अपनी साड़ी और ब्लाउज को ठीक करने के बाद, बेड पर बिखरी हुई बेडशीट को ठीक किया और फिर सब देखा तो ठीक ठाक था….उसके बाद अंजू वहाँ से निकल गई….चुदाई का तूफान ठंडा हो चुका था…20 मिनिट अंजू की जबरदस्त चुदाई के बाद विनय का बदन पसीने से भीगा हुआ था…गरमी तो वैसे ही बहुत ज़्यादा पड़ रही थी… विनय गेट बंद करके बाथरूम की तरफ जाने लगा…बाथरूम मे पहुँच कर उसने नहाने के लिए जैसे ही अपनी टीशर्ट उतारी तो, डोर बेल बजी…विनय ने अपनी टीशर्ट वही टाँग दी….और बाथरूम से बाहर निकल कर बाहर जाकर गेट खोला…तो देखा सामने मामी हाथो मे शॉपिंग बॅग्स लिए खड़ी थी….
किरण: ऐसे क्यों घूम रहा है…शर्ट नही पहनी….?
विनय: वो मे नहाने जा रहा था…
किरण: (अंदर आ हुए….) सुबह ही तो नहाया था….
विनय: (गेट बंद करके कुण्डी लगाते हुए….) वो पसीना आ रहा था..इसीलिए…
विनय ने गेट बंद किया और बाथरूम मे चला गया…किरण ने हाल मे पहुँच कर डाइनिंग टेबल पर शॉपिंग बॅग रखे…और अपने रूम मे गई. किरण को घर आते हुए रास्ते मे पेशाब लगा था. घर ज़यादा दूर नही था….इसलिए वो रुकी नही और घर आ गई थी…..शॉपिंग बॅग रखने के बाद वो अपने रूम से बाहर आई…बाथरूम मे विनय घुसा हुआ था… घर मे सिर्फ़ दो ही बाथरूमस थे…एक ऊपेर और एक नीचे दोनो कामन बाथरूमस थे…वो ऊपेर जाने लगी तो, अचानक से उसके दिमाग़ मे कुछ आया तो, उसके होंठो पर मुस्कान फेल गई….वो कुछ देर सीडीयों के पास खड़ी होकर सोचती रही….और फिर वापिस नीचे वाले बाथरूम की तरफ गई…बाथरूम के डोर के पास पहुँच कर उसने डोर नॉक किया…और विनय को आवाज़ लगाई….
किरण: विनय एक मिनिट डोर खोल…
विनय: क्या हुआ मामी जी….
किरण: तो खोल तो सही…..जल्दी कर….
विनय उस समय अंडरवेर मे शवर के नीचे खड़ा था…. अंडरवेर पहना हुआ था…वो कई बार अंडरवेर मे मामी के सामने जा चुका था…इसीलिए उसने ऐसा कुछ सोचा नही….और बाथरूम का डोर खोल दिया…जैसे ही बाथरूम का डोर खुला तो, किरण बाथरूम के अंदर आ गई…बाथरूम के डोर की दहलीज से थोड़ा आगे आकर उसने डोर बंद किया…विनय थोड़ा सा घबरा गया….”क क क्या हुआ मामी जी….” उसने किरण की तरफ देखते हुए कहा…..”कुछ नही रास्ते मे ही बहुत तेज पेशाब लग गया था…और ज़्यादा देर नही रुक सकती थी….” ये कहते हुए वो अपनी साड़ी को नीचे देखते हुए ऊपेर उठाने लगी….अभी तक उसने विनय के चेहरे की तरफ नही देखा था…
उसने अपनी साड़ी और पेटिकोट अपनी जाँघो तक उठा लिया….मामी की गदराई हुए गोरी जाँघो को देख विनय का दिल जोरो से धड़कने लगा…फिर किरण ने अपने दोनो हाथो को उठी हुई साड़ी और पेटिकोट के अंदर डाला और अपनी पैंटी को पकड़ कर अपनी जाँघो तक सरका दिया….ये देख विनय की आँखे फटी की फटी रह गई….उसे अपनी आँखो पर यकीन नही हो रहा था…हालाकी मामी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट को जाँघो तक उठा रखा था…पर उसे मामी की चूत दिखाई नही दे रही थी…फिर किरण ने नीचे बैठते हुए एक दम से अपनी साड़ी और पेटिकोट को अपनी कमर तक उठा लिया….जैसे ही किरण नीचे बैठी, तो उसकी चूत से मूत की मोटी धार तेज सीटी जैसे आवाज़ करते हुए नीचे फरश पर गिरने लगी….विनय तो वही खड़ा-2 कांप गया….
उसे अपनी आखों पर यकीन नही हो रहा था….मामी की झान्टो से भरी चूत से निकलती हुई मूत की मोटी धार देख विनय का लंड उसके गीले अंडरवेर मे फिर से खड़ा होने लगा…किरण ने कनखियों से विनय की तरफ देखा, जो उसकी जाँघो के बीच बड़ी हैरानी से देख रहा था….विनय का लंड कुछ ही पलों मे अंडरवेर मे तन कर लोहे की रोड की तरह खड़ा होकर झटके खाने लगा…जैसे ही उसकी नज़र मामी की झान्टो से भरी चूत की फांको के बीच से झाँकते हुए चूत के गुलाबी छेद पर पड़ी, तो उसके लंड ने झटका खाते हुए आगे से अंडरवेर को ऊपेर उठा दिया. विनय के लंड मे तनाव आता देख किरण के होंठो पर मुस्कान फेल गई….वो सर नीचे किए हुए कनखियों से विनय को देख रही थी…..
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