RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
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किरण का दिल उस समय जोरो से धड़कने लगा…….जब उसके दिमाग़ में आया कि कहीं ये विनय का लंड तो नही….”नही नही विनय तो अभी….और इसका इतना बड़ा कैसे…..” किरण ने जल्दी से अपनी कमर पर रखे विनय के हाथ को हटाया और थोड़ा सा आगे खिसक कर उठ कर बैठ गयी…. उसने एक गहरी साँस ली, और फिर सो रहे विनय की तरफ देखा…..देखने से तो लग रहा था. जैसे विनय अभी भी गहरी नींद में है….तभी जैसे ही उसके नज़र विनय के फूले शॉर्ट्स पर पड़ी, तो उसकी आँखे हैरानी से ऐसे फैल गयी….मानो जैसे उसने दुनिया का 8वाँ अजूबा देख लिया हो…..विनय का लंड तन कर उसके शॉर्ट्स को आगे से किसी टेंट की तरह उठाए हुए था…..
किरण कभी विनय के चेहरे को देखती तो, कभी विनय के शॉर्ट्स में फूले हुए उभार को. उसको अपनी आँखो पर यकीन नही हो रहा था….फिर एक दम से उसके होंटो पर मुस्कान फेल गयी….उसने मन ही मन सोचा कि, अब मेरा विनय बच्चा नही रहा….जवानी की दहलीज पर उसने पहला कदम रख दिया है…. हालाकी किरण इस बात से अंज़ान थी की, ये बच्चा जवानी की कितनी सीढ़ियाँ चढ़ चुका है….
किरण धीरे से बेड उठी, लाइट ऑन की और फिर रूम से बाहर निकल कर बाथरूम की तरफ जाने लगी…..जब वो बाथरूम की तरफ जा रही थी…..तब भी उसे अपने चुतड़ों के बीच विनय का लंड जैसे चुभता हुआ महसूस हो रहा था….अजीब सी सिहरन उसके बदन को बार -2 जिंझोड़ रही थी…..किरण ने किसी तरह अपने दिमाग़ को घर के कामो के बारे में सोचने के लिए लगाना शुरू किया…..बाथरूम में जाकर उसने ब्रा और पेंटी पहनी फिर साड़ी पहन कर बाहर आई, और किचन में जाकर चाइ बनाने लगी……चाइ का बर्तन गॅस पर रख कर वो फिर से अपने रूम में आई और विनय और वशाली को आवाज़ देकर उठाने लगी…..
विनय तो पहले ही उठा हुआ था….मामी की आवाज़ सुन कर ऐसे आँखे मलते हुए उठ कर बैठा. जैसे अभी गहरी नींद से जागा हो…..वशाली भी उठ गयी….फिर दोनो फ्रेश हुए और चाइ पी….रात ऐसे ही कट गयी….मामा रोज की तरफ उस रात भी लेट आए थे….अगली सुबह विनय का मन बड़ा बेचैन था….वो अंजू के पास जाने के लिए अंदर ही अंदर तड़प रहा था….पर जाए तो कैसे…..मामी ने सख्ती से घर से बाहर निकलने से मना जो कर दिया था. उस दिन विनय ने कई बहाने बनाए…पर किरण ने उसे बाहर नही जाने दया……दो दिन बीत गये. दूसरी तरफ अंजू भी बेचैन थी….वो जानती थी कि, विनय का घर पास में ही है.
पर वो चाहते हुए भी उसके घर तो नही जा सकती थी…..जाती भी तो कैसे…..किस काम से जाती….इधर यहाँ विनय का लंड चूत ना मिलने के कारण सीना ताने खड़ा होकर विनय को तंग करता तो, उधर अंजू की चूत में जब टीस उठती तो, वो पागल सी हो जाती, कभी अपनी उंगलियों को अपनी चूत मे लेती तो कभी कोई बैंगन उठा कर उसे अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगती….पर जो खुजली लंड के मिटाने से मिटनी थी…..वहाँ बैंगन क्या करता….तीसरे दिन की शाम को अंजू से जब सबर ना हुआ तो, वो स्कूल से निकल कर विनय के घर की तरफ चल पड़ी.
इस उम्मीद से कि, शायद उसे विनय बाहर गली मे खेलता हुआ मिल जाए, तो कोई बात बने. शाम के 6 बज रहे थे….जब वो विनय की गली मे जा रही थी….उसने बाहर खेल रहे एक लड़के से विनय के घर का पता पूछा तो, उसने इशारे से उसके घर का बता दिया…अंजू ने जैसे ही उस घर की तरफ देखा तो, बाहर गेट पर किरण खड़ी थी….जो रिंकी की मम्मी से बात कर रही थी…..पर विनय बाहर नही था….वो धीरे-2 चलते हुए, जैसे ही विनय के घर के करीब आई तो, किरण और रिंकी मम्मी के बातें उसके कानो में पड़ी….
रिंकी की मम्मी किरण को अपनी नयी नौकरानी के बारे में बता रही थी….. कि उसे अब बहुत आराम हो गया है….भाई अब नौकरानी रखी थी, तो शैखी तो दिखानी थी….मिडेल क्लास के लोगो के मोहल्ले में घर पर नौकरानी रखना हर किसी के बस की तो बात नही…. “किरण मैं तो कहती हूँ…तू भी घर के काम काज के लिए अपने लिए नौकरानी रख ले….” रिंकी की मम्मी ने अपनी शोखी झाड़ते हुए कहा….
किरण: हां सोच तो मैं भी यही रही हूँ…..पर कोई ढंग की मिले तो रखूं….. ये (अजय) भी कह रहे थे कि, नौकरानी रख लो….अगले महीने मे मेरे छोटे भाई की शादी भी है. वो यही आकर शादी करने वाले है, तो काम तो आगे-2 बढ़ना ही है….
ये बात जैसे ही अंजू के कानो से टकराई तो, उसका दिमाग़ ठनका….वो थोड़ा सा हिककते हुए, किरण के पास गयी…..जब किरण ने अंजू को देखा….तो थोड़ा सा सवालियों नज़रों से उसे देखने लगी….क्योंकि किरण ने अंजू को पहले कभी नही देखा था….. “नमस्ते बेहन जी. “ अंजू ने किरण के पास खड़े होते हुए कहा…..”नमस्ते जी कहिए…..”
अंजू: वो मैं यहाँ से गुजर रही थी….तो आपकी बात सुनी…..आप घर के काम काज के लिए किसी को ढूँढ रहे है ना….?
किरण: जी……
अंजू: अगर आप मुझे रख लें तो बड़ा अहसान होगा मुझ पर…..
किरण: हां पर तुम हो कॉन….कहाँ रहती हो…..?
अंजू: जी ये जो स्कूल है ना….
किरण: हां…..
अंजू: जी मैं वहीं रहती हूँ…..मेरे पति वहाँ पर पीयान है…..
किरण: ओह्ह्ह अच्छा….
किरण ने सोचा क़ि, ये औरत अंज़ान नही है….उसका पति सरकारी स्कूल मे पीयान का जॉब कर रहा है….इसलिए किसी चोरी चाकरी का ख़तरा भी नही है…..अगर इसे काम पर रख लेती हूँ तो कोई बुराई नही….. “अच्छा ठीक है…..तुम कल आना…..आज मैं अपने पति से बात कर लेती हूँ. उसके बाद तुम्हे बता दूँगी…”
अंजू: जी अच्छी बात है….
उसके बाद अंजू वापिस चली गयी…..उस रात भी विनय का मामा अजय रात को देर से आया. तब तक विनय अपने रूम में सो चुका था..और वशाली किरण के रूम में….किरण ने अजय को खाना लगा कर दिया, और खुद भी साथ खाने के लिए बैठ गयी….”जी सुनिए मुझे आप से कुछ बात करनी थी….” किरण ने खाना खाते हुए कहा…तो अजय ने भी खाने के नीवाले को निगलते हुए कहा…”हां कहो क्या बात है…..”
किरण: जी आप कह रहे थे ना….कि घर पर काम करने के लिए किसी औरत को रख लूँ.
अजय: हां कहा तो था…..
किरण: आज एक औरत आई थी….काम के लिए पूछ रही थी…..वो विनय और वशाली का स्कूल है ना….उसी स्कूल के पीयान की पत्नी है…..आप क्या कहते है…उसे काम पर रख लूँ….
अजय: पैसो की बात करी तुमने उससे….?
किरण: नही अभी तक तो नही की…..
अजय: ठीक है…पहले पैसो की बात कर लेना….अगर 3000 तक माने तो ही रखना नही तो मना कर देना उसे……
किरण: जी ठीक है……
उसके बाद दोनो ने खाना खाया….और फिर दोनो अपने रूम में आकर लेट गये….. आज किरण का बहुत मूड हो रहा था….अजय ने उसे कोई महीना भर पहले चोदा था….और उस समय भी किरण की प्यास पूरी तरह से नही बुझ पाई थी…..आज जब शाम को उसने विनय के लंड को अपने चुतड़ों की दरार में महसूस किया था, तो तभी से उसकी चूत ने रिसना शुरू कर दिया था. हालाकी उसके दिमाग़ में विनय के लिए कोई ऐसी फीलिंग नही थी….पर चूत तो लंड के स्पर्श से पिघल जाती है….फिर चूत ये नही देखती क़ि, वो लंड किसका है….अब लगाए कोई और बुझाए कोई….ये कैसा इंसाफ़ हुआ…..रूम के अंदर आते ही, बेड पर लेटी किरण ने अजय से चिपकाना शुरू कर दिया…तो अजय भी उसके मन को ताड़ गया…..पर विस्की के नशे के कारण उसकी आँखे बंद हुई जा रही थी….
पर किरण भी कहाँ मानने वाली थी…….जैसे तैसे उकसा कर उसने अजय को अपने ऊपेर चढ़ा ही लिया…फिर क्या था…मामा की बेजान चुदाई कब शुरू हुई और कब ख़तम पता भी नही चला….किरण बेचारी तो तड़प कर रह गयी……अगली सुबह विनय जब उठा तो सुबह के 8 बज रहे थे….फ्रेश होकर उसने मामा मामी और वशाली के साथ ब्रेकफास्ट किया और फिर मामा जी घर से निकल गये अपने शॉप पर जाने के लिए…..आज मामी का मूड कुछ ठीक नही था….इसीलिए वशाली जब भी थोड़ी से शैतानी करती तो, उससे डाँट देती….गुस्सा तो मामी को मामा के लंड पर था….पर निकाल वो रही थी वशाली पर….
मामी के द्वारा वशाली को फटकारते हुए देख विनय भी चुप सा होकर अपने रूम में बैठ गया…पता नही अब कहीं उसकी बारी ना आजाए…..पर विनय तो आज अंजू के पास जाने के लिए कोई जुगत सोच रहा था…..आख़िर बेचारा बाहर जाए तो जाए कैसे….वैसे भी मामी का मूड आज ठीक नही था……अब एक सच्ची आवाज़ लंड से निकले और चूत ना सुने….ऐसा हो सकता है क्या. करीब 10 बजे अंजू ने विनय के घर के बाहर पहुँच कर डोर बेल बजाई, तो किरण ने डोर खोला…सामने अंजू खड़ी थी…उसने अंजू को अंदर बुलाया….और हाल में कुर्सी पर बैठा कर खुद उसके सामने बैठ गये…..
अंजू: तो आपने अपने पति से बात की…..?
किरण: हां की……अच्छा ये बताओ कि, महीने के कितने पैसे लोगे….
अंजू: जी आप जो ठीक समझें दे दीजिएगा …..
उधर जब विनय के कानो से अंजू की आवाज़ टकराई तो, विनय एक दम से चोंक उठा…मन ही मन सोचने लगा कि, आवाज़ तो अंजू की लगती है…पर वो उनके घर पर क्या कर रही है… अपने शक को यकीन में बदलने के लिए वो अपने रूम से बाहर आया और हाल में पहुँच कर देखा तो अंजू उसकी मामी के सामने बैठी हुई थी….अंजू ने एक पल के लिए विनय को देखा और फिर किरण से बात करने लगी…..इधर विनय हाल में खड़ा ना हुआ, और किचन मैं जाकर पानी पीने के बहाने उनकी बातें सुनने लगा….
किरण: फिर कुछ तो सोचा ही होगा तुमने बताओ कितने पैसे लोगी एक महीने के काम के….
अंजू: जी आप खुद ही बता दीजिए….मैने पहले कभी और कहीं काम नही किया है तो इस लिए मुझे पता नही है….
किरण : (कुछ देर सोचने के बाद….) 2000 रुपये दूँगी चलेगा….
अंजू: जी ठीक है….
किरण: पहले काम सुन लो….फिर बाद मैं सोचना कि ठीक है कि नही….
अंजू: जी कहिए….
किरण: पूरे घर की सफाई करनी होगी…..ऊपेर वाली मंज़िल पर अगर हफ्ते में एक बार भी करोगी तो चलेगा….पर नीचे 4 कमरे ये हाल और कीचीं ये सब रोज सॉफ करने होंगे…
अंजू: जी…..
किरण: कपड़े भी दो तीन बाद धुलते है हमारे घर….वो भी धोने पड़ेंगे….और हन बर्तन सॉफ करना भी तुम्हारा काम है….दोपहर 2 बजे तक काम ख़तम करके चली जाया करना….
अंजू: जी ठीक है…..ये सब मैं कर लूँगी…..
किरना: वैसे कुछ ज़्यादा काम नही है….कपड़े धोने के लिए मशीन है……और वैसे भी खाना तो मैं ही पकाउन्गी…..और फिर मैं भी तो साथ में काम कर दिया करूँगी….
अंजू: ठीक है दीदी जी….फिर कब से आउ मैं…..
किरण: कल से आ जाओ….
अंजू: जी ठीक है फिर मैं चलती हूँ…..कल सुबह आ जाउन्गी…..
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