RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
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दोनो पसीने से तरबतर बेड पर लेटे हुए अपनी उखड़ी हुई सांसो पर काबू पाने की कॉसिश कर रहे थे….अंजू को यकीन नही हो रहा था कि,एक **** साल के लड़के ने उसके इतनी जबरदस्त ठुकाइ की है….अंजू को अपनी चूत में मीठा-2 दर्द का अहसास हो रहा था…मानो लंड की रगड़ से उसकी चूत सूज गयी हो….विनय छत पर लगे पंखे को देख रहा था….अंजू किसी तरह खड़ी हुई, और बेड से उतर कर अपने पेटिकॉट को पकड़ा और अपनी चुचियों के ऊपेर बाँध कर बाहर चली गयी…..बाहर आकर वो एक कोने में बने हुए बाथरूम मे घुस गयी….चुचियों पर बँधा होने के कारण उसका पेटिकॉट वैसे ही उसकी जाँघो तक आ रहा था….उसने अपने पेटिकॉट को थोड़ा सा ऊपेर उठाया और मूतने के लिए नीचे बैठ गये…
उसकी चूत से मूत की मोटी और तेज धार बाहर आकर फरश पर गिरने लगी….सीटी की तेज आवाज़ अंदर खड़े विनय तक को सॉफ सुनाई दे रही थी…..जो अपने कपड़े पहन रहा था…आज अंजू की चूत से जब मूत की धार निकल रही थी…..तो उसे अजीब सा मज़ा आ रहा था…आख़िर अंजू के मन की मुराद भी पूरी हो गयी थी….मूतने के बाद जब अंजू रूम में पहुँची तो, देखा विनय कपड़े पहन कर बेड पर बैठा हुआ था…..जैसे ही अंजू अंदर आई तो, विनय खड़ा हो गया…..
विनय: अब मैं जाऊं…..(उसने भोले पन के साथ कहा….)
अंजू: रूको मैं साड़ी पहन लूँ फिर तुम्हे गेट तक छोड़ कर आती हूँ….
अंजू ने जल्दी से साड़ी पहनी और फिर विनय को साथ लेकर स्कूल के मेन गेट तक गयी….गेट खोला और विनय स्कूल से बाहर निकल गया…..”कल आओगे….” अंजू ने विनय को पीछे से आवाज़ लगाते हुए कहा…..अब विनय मना करता भी तो कैसे….चूत खुद लंड को बुला रही थी… विनय ने हां मे सर हिला दिया….अंजू कातिल अदा के साथ मुस्कुराइ….और फिर विनय पलट कर घर की तरफ चल पड़ा….दिल में ख़ुसी से लड्डू फूट रहे थे…आज तो मेने बहुत देर तक फुददी मारी है….विनय ये सोच -2 कर मन ही मन खुश हो रहा था…..पर उसके सर में हल्का -2 दर्द भी हो रहा था….शायद वियाग्रा का असर था….अक्सर इस टॅबलेट को खाने के बाद सर फटने सा लगता है….
ऊपेर से तेज धूप मे सर और भी तप गया….जब तक विनय घर पहुँचा तो, वियाग्रा के असर से उसका सर बहुत दर्द करने लगा था…..गला एक दम सूख चुका था…..जब घर पहुँच कर उसने डोर बेल बजाई तो, गेट किरण ने खोला……”अर्ररे तू जल्दी आ गया…..कह कर गया था कि शाम को आएगा…..” विनय ने गेट के अंदर आते हुए कहा…. “वो मेरा सर दर्द कर रहा है इसी लिए आ गया…..”
किरण: कितनी बार समझाया है तुझे धूप मे मत निकला कर बाहर…..पर तू मेरी सुनता कहाँ है…..मामी हूँ ना माँ नही….इसीलिए तू मेरे बात नही मानता…..
किरण अंजाने में ये सब शब्द बोल गयी थी…..पर अगले ही पल जब उसने विनय के उतरे हुए चेहरे को देखा तो, उसे अपनी ग़लती का अहसास हुआ…हाई ये मेने क्या कह दिया…. किरण ने मन ही मन अपने आप को कोसा….और जल्दी से गेट बंद करके विनय की तरफ मूडी…पहले उसने विनय के माथे पर हाथ लगा कर देखा….धूप में आने के कारण उसका माथा तो ऐसे ही तप रहा था…..”कहीं बुखार तो नही हो गया….” चल अंदर आ….” किरण उसे अपने चिपकाए हुए अपने साथ अपने रूम मे ले गयी…पहले उसने थर्मॉमीटर से विनय का बुखार चेक किया…..थर्मॉमीटर को गोर से देखते हुए बोली….” बुखार तो नही है….ये सब ना तुम्हारे धूप मे घूमने के कारण हुआ है….अब कल से बाहर निकल कर देखना……”
विनय रूम से बाहर जाने लगा तो, किरण ने उससे आवाज़ देकर रोक लिया….”कहाँ जा रहा है अब…? “ विनय पलट कर मामी की तरफ देखा…..वो मैं पानी पीने जा रहा था….बहुत प्यास लगी है..” किरण बेड से खड़ी हुई और बाहर जाते हुए बोली…..”तू लेट यहीं…..मैं लेकर आती हूँ पानी….” किरण किचन मे चली गयी….उसने फ्रिड्ज से पानी की बॉटल निकाली और एक ग्लास उठा कर अपने कमरे की तरफ चल पड़ी…..उधर विनय किरण के बेड पर बैठा हुआ था….और वशाली को देख रहा था…..जो गहरी नींद में सोई हुए थी…..किरण रूम मे आई और ग्लास में पानी डाल कर विनय को दिया….विनय ने पानी पिया और खाली ग्लास अपनी मामी को पकड़ा दिया….
किरण: (ग्लास और बॉटल टेबल पर रखते हुए…..) चल लेट जा…..मैं तेरा सर दबा देती हूँ….
किरण ने बेड पर चढ़ते हुए कहा तो, विनय मामी के बगल मे लेट गया….मामी के दूसरी तरफ वशाली गहरी नींद मे सो रही थी……किरण ने विनय की तरफ करवट बदली. और उसका सर दबाने लगी…..विनय उस समय सीधा पीठ के बल लेटा हुआ था….कुछ देर बाद विनय ने अपनी आँखे बंद कर ली……किरण को लगा कि शायद विनय सो गया है…..उसने एक बार दीवार पर लगी घड़ी पर नज़र डाली तो देखा 2:00 बज रहे थे….गरमी तो बहुत थी….इसीलिए किरण बेड से धीरे से उठी ताकि विनय या वशाली जाग ना जाए….
वो बेड से उठ कर रूम से बाहर चली गयी….विनय आँखे खोल कर ये सब देख रहा था….पर कमरे मे अंधेरा था……इसीलिए मामी नही देख पे थी…..किरण बाथरूम मे घुस गयी…..जल्दी से अपनी साड़ी खोली फिर पेटिकॉट और ब्लाउस और अगले ही पल पेंटी और ब्रा भी खोल कर वही टाँग दी…..और शवर लेने लगी…..शवर लेने के बाद उसने अपने बदन को पोंच्छा और फिर अपने पेटिकॉट को पहना उसके बाद उसने ब्लाउस को पहना और बाथरूम का डोर खोल कर बाहर निकली और अपने रूम की तरफ जाते हुए अपने ब्लाउस के हुक्स को बंद करने लगी….गरमी की वजह से उसने ना तो पेंटी पहनी थी और ना ही ब्रा….साड़ी तो दूर की बात थी…..
इधर विनय मामी के बेड पर लेटा हुआ था…..उसके सर मे अभी भी दर्द था….तभी रूम का डोर खुला और किरण रूम मे अंदर आई और डोर बंद करके, ऊपेर के खुले हुए दो हुक्स को बंद करने लगी…..वियाग्रा का असर तो अभी तक था….जैसे ही विनय की नज़र मामी के खुले हुए ब्लाउस में से झाँक रही गोरे रंग की चुचियों पर पड़ी…..विनय के लंड में झुरजुरी सी दौड़ गयी……घर पर बच्चों के इलावा और कोई नही था…..गेट बंद था….इसीलिए किरण थोड़ा लापरवाही से काम ले रही थी…..उसके मुताबिक तो दोनो बच्चे सो रहे थे…..
खैर किरण ने ब्लाउस के हुक्स बंद किए, और बेड पर चढ़ि, तो विनय ने वशाली की तरफ करवट बदली…..क्योंकि वो जानता था कि, मामी बीच मे लेटने वाली है…..और उसके मन में अब मामी की चुचियों को देखने के इच्छा जाग चुकी थी….जैसे ही किरण उन दोनो के बीच में लेटी, तो विनय ने अपनी आँखे बंद कर ली….किरण की नज़र जैसे ही विनय के भोले भाले मासूम से दिखने वाले चेहरे पर पड़ी, तो उसकी ममता जाग उठी…..उसने भी विनय की तरफ मूह करके करवट ली और लेट गयी…..
किरण ने एक हाथ विनय की पीठ पर रख कर और उसे अपने सीने से लगा लिया….इधर जैसे ही विनय का फेस मामी के तरोताज़ा मम्मो पर ब्लाउस के ऊपेर से टच हुआ, उधर विनय के लंड ने भी जोश मे आकर झटका खाया….”क्या मस्त अहसास था मामी की चुचियों का……किरण की चुचियाँ अंजू की चुचियों से थोड़ी ही छोटी थी…..पर किरण का रंग अंजू के मुकाबले बहुत ज़्यादा गोरा था…और उसकी चुचियाँ दूध की तरह सफेद थी…..यही अहसास विनय को पागल किए जा रहा था….
किरण अपने हाथ की उंगलियों को विनय के सर के बालो में घुमा रही थी….विनय का लंड एक दम तन चुका था….विनय ने सोने का नाटक करते हुए, अपने होंटो को मामी के ब्लाउस के ऊपेर से झाँक रही चुचियों के क्लीवेज में सटा दिया….एक पल के लिए किरण के बदन में भी सिहरन सी दौड़ गयी……पर वो समझ रही थी कि, विनय गहरी नींद मे है. इसीलिए उसने विनय को अपने से अलग करने की कोशिश नही की….हां ये बात भी थी, कि विनय के नरम होंटो का स्पर्श उसे अपनी चुचियों की दरार में एक सुखद अहसास करवा रहा था… विनय चाह कर भी इससे ज़यादा कुछ नही कर सकता था…..इसीलिए अपनी मामी की चुचियों की गर्माहट से संतुष्ट होने लगा….
मामी की उंगलियाँ अभी भी उसके बालो में घूम रही थी…..जिसके चलते हुए उसे अब नींद आने लगी थे…..और फिर विनय धीरे-2 नींद के आगोश में समाता चला गया…करीब 3 घंटे बाद 5 बजे विनय नींद से जागा….सर मे जो दर्द था…..वो अब पहले से कम हो चुका था…..विनय का उठने का ज़रा भी दिल नही कर रहा था….रूम मे अभी भी अंधेरा था…उसकी नज़र बगल मे लेटी हुई मामी पर पड़ी…..नींद में किरण ने करवट बदल कर उसकी तरफ पीठ कर ली थी…..मामी की मोटी गान्ड देख उसे अंजू के साथ किया हुआ चुदाई का खेल फिर से याद आने लगा……
उसने थोड़ा सा उठ कर रूम में नज़र दौड़ाई…..मामी और वशाली अभी भी गहरी नींद में थी….वो मामी की तरफ खिसका और मामी के पास करवट के बल लेटते हुए, अपने शॉर्ट्स के ऊपेर से ही अपने सेमी एरेक्टेड लंड को मामी की गान्ड की दरार में सटा कर चिपक कर लेट गया….जैसे गहरी नींद में सो रहा हो….मामी की मोटी की गान्ड की तपिश ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया था…..कुछ ही पलों मे विनय का लंड फिर से खड़ा हो चुका था… और मामी के पेटिकॉट को उसकी गान्ड की दरार के बीच मे धँसता हुआ उसकी गान्ड के छेद पर दस्तक देने लगा…..
विनय कुछ देर ऐसे ही बिना हीले डुले लेटा रहा….पर इससे आगे कुछ करने की उसकी हिम्मत नही हो रही थी….उसने अपना एक हाथ मामी की कमर पर रखा और उससे बिल्कुल चिपक कर लेट गया… विनय तो जैसे मज़े की दुनिया में उड़ रहा था….पता नही कब तक वो ऐसे ही लेटा रहा. बिना हीले डुले…..इधर किरण की नींद भी टूट गयी थी…..वैसे भी उसके उठने का समय हो गया था….जब उसकी नींद अच्छी तरह से खुली तो, उसे अपने चुतड़ों की दरार मे कुछ सख़्त सी चीज़ चुभती हुई महसूस हुई, तो उसके पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी…..उसने अपनी कमर पर रखे हुए विनय के हाथ के ऊपेर अपना हाथ रखा तो, उसे अहसास हुआ कि, विनय उससे कैसे चिपक कर लेटा हुआ है….
पर ये उसकी गान्ड के छेद पर क्या रगड़ खा रहा है…….अजीब सी बेचैनी ने उसके दिल को घेर लिया……उधर विनय को भी अहसास हो चुका था कि, उसकी मामी जाग गयी है….इसीलिए वो आँखे बंद करके ऐसे लेट गया……जैसे बहुत ही गहरी नींद मे हो……
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