RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
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तभी सामने से विनय को रामू आता हुआ दिखाई दिया….उसके हाथ मे भी बॅग था…..विनय को देख उसके होंटो पर मुस्कान फेल गयी…..जैसे ही वो विनय के पास पहुचा तो, उसने अपना बॅग नीचे रखा और इधर उधर देखते हुए बोला….”अर्रे विनय बाबू पता है सुबह से आपके घर के सामने से 5 चक्कर लगा चुका हूँ…”
विनय: क्यों……कोई ज़रूरी काम था…..?
रामू: हां वो मेरे पिता जी की तबीयत खराब हो गयी है…..इसीलिए गाओं जा रहा हूँ….कल आपको बताया था ना कि आज शाम को घर पर आना है…..?
विनय: हां कहा था तो….?
रामू: वही बताना चाहता था…..कि आज मैं गाओं जा रहा हूँ…..20 दिन बाद ही आउन्गा…. जब स्कूल शुरू होंगे तब…..आप दोपहर को 12 बजे स्कूल मे चले जाना….मेरी पत्नी अंजू वही होगे…..उससे मिल लेना…..वो तुम्हे बता देगे कि, मैने तुम्हे क्यों बुलाया था…..
विनय: ना ना मैं नही जाता उसके सामने……मुझे तो बहुत डर लगता है तुम्हारी पत्नी से…..
रामू: आप क्यों फिकर कर रहे है….उसको समझा दिया है…..उसने तो आपको बुलाया है….देखना वो आपसे माफी भी माँगेगी….
विनय: नही फिर भी मैं अकेला नही जाउन्गा उसके पास….
रामू: अच्छा एक काम करो…..ये ये पैसे लो….और अभी स्कूल जाओ…जब वो बाहर आए तो, उसे ये पैसे देना और बोलना कि, मेने भेजे है….अगर तुम्हे लगे कि वो अभी भी तुम्हारे साथ ठीक से पेश नही आ रही है तो, फिर दोपहर को मत जाना ठीक है……
विनय: (कुछ देर सोचने के बाद….) पर करना क्या है वहाँ मेने जाकर सॉफ-2 बाताओ….
रामू: (उसके सामने चुदाई का इशारा करते हुए) ये करना है…..साली की चूत में बहुत आग लगी हुई…..साली को ठंडा कर देना….
रामू के मूह से ये बात सुन कर विनय एक दम भौचक्का रह गया…उसे यकीन नही हो रहा था कि, रामू उससे खुद कह रहा है, कि उसकी पत्नी को चोद दे….रामू ने मुस्कुराते हुए विनय के कंधे पर हाथ मारा…..”अच्छा अब मैं निकलता हूँ, ट्रेन का टाइम हो रहा है….जानना ज़रूर.” रामू ने अपना बॅग उठाया और आगे निकल गया…..कुछ पलों के लिए विनय वहाँ से हिल भी नही पाया….उसे समझ मे नही आ रहा था कि, आख़िर ये सब उसके साथ हो क्या रहा है.
अभी विनय चलने ही लगा था कि, रामू ने उसे फिर से आवाज़ लगाई, वो थोड़ी दूरी पर एक मेडिसिन की दुकान पर खड़ा था….शायद कुछ ले रहा था…..विनय धीरे-2 उसकी तरफ बढ़ा, इतने मे रामू भी दुकान से उसकी तरफ आया, और फिर इधर उधर देखते हुए एक छोटा सा पॅकेट उसके हाथ मे पकड़ा दया…..
विनय: ये क्या है….?
रामू: (मुस्कुराते हुए) व्याग्रा है……
विनय: (पॅकेट खोल कर अंदर पड़ी टॅब्लेट्स की तरफ देखते हुए….) इन गोलियों का मैं क्या करूँगा……
रामू: शीई धीरे बोल……सुन ये गोलियाँ बहुत काम की चीज़ है…..देख जब तू दोपहर को स्कूल मे जाएगा तो, जाने से 1 घंटा पहले 1 टॅबलेट खा लेना…..
विनय: क्यों……..?
रामू: अर्रे यार इससे लंड एक दम लोहे के जैसे सख़्त हो जाता है….बड़ी-2 गस्तियो की बस हो जाती है….अगर इसको खा कर किसी के ऊपेर चढ़ जाओगे……तुम्हारा लंड झड़ने के बाद भी नही बैठेगा…..उस साली रांड़ की ऐसे ठुकाइ करना कि, साली तेरे लंड की गुलाम हो जाए…..
विनय: यार इसे खाने से कोई गड़बड़ तो नही होगी……
रामू: नही होती यार मेने खुद खा कर देखी है…..और वो मनीष है ना…..उसने भी एक बार ये गोली खा कर मेरे ऐसे ठुकाइ की थी, कि साला 4 दिन तक तो चल ही नही पाया था…अच्छा अब मैं चलता हूँ….नही तो ट्रेन मिस हो जाएगी…..
रामू जल्दी से रोड की तरफ चला गया….विनय धीरे-2 घर की तरफ जाने लगा…..वो बार बार हाथ मे पकड़े हुए पैसो को देख रहा था……उसे समझ मे नही आ रहा था कि, वो अब क्या करे, रह-2 कर उसके दिमाग़ मे अजीब-2 से ख़याल आ रहे थे….कि, कही उसकी पत्नी मुझे किसी चक्कर मे ही ना फँसा दे…अगर कुछ गड़बड़ हुई तो, घर पर मेरे बारे मे सब क्या सोचेंगे…..एक हाथ मे पैसे, और एक पॉकेट मे व्याग्रा के 10 टॅब्लेट्स, विनय को ऐसा लग रहा था. कि जैसे वो कोई नशे का समान चोरी छिपे कहीं ले जा रहा हो…..
रास्ते मे जाते हुए जब कभी कोई पहचान वाला दिखाई देता तो, विनय डर के मारे सर झुका लेता. पहले तो इन पैसो को ठिकाने लगाना है….घर गया और मामी ने मेरे पास ये पैसे देख लिए तो क्या जवाब दूँगा….वो इसी सोच मे चलता हुआ स्कूल के पास पहुच गया था…. वो मन ही मन सोच रहा था कि, रामू तो स्कूल के बिल्कुल पीछे वाले रूम मे रहता है. अगर गेट बंद हुआ तो बहुत ज़ोर-2 खटकाना पड़ेगा….और अगर किसी ने देख लिया तो क्या जवाब दूँगा कि, बंद स्कूल मे क्या काम है…..
बोल दूँगा कि, रामू ने पैसे भेजे है वही पकड़ाने है……जवाब तो विनय के पास तैयार ही था….पर जैसे ही वो स्कूल के सामने पहुँचा तो ये देख कर उसकी जान मे जान आए, कि रामू की पत्नी अंजू स्कूल के बाहर गली मे खड़ी हुई थी….और सब्जी वाले से सब्जी ले रही थी…..उसने मिक्स लाइट पिंक और वाइट कलर की साड़ी पहनी हुई थी….वो झुंक कर ठेले से सब्जी उठा रही थी……जैसे ही अंजू की नज़र विनय पर पड़ी, तो उसने होंटो पर कामुक मुस्कान लाते हुए विनय की तरफ देखा, तो विनय एक दम से हैरान हो गया…..वो धीरे-2 आगे उसकी तरफ बढ़ रहा था……”जाओ भैया इसमे से कोई भी तरकारी ताज़ी नही है….नही लेने मुझे..” उसने जब विनय को पास आते हुए देखा तो, उसने सब्जी वाले को भागना ही सही समझा….
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