RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
12
रामू गेट बंद करके, जैसे ही अपने रूम में पहुँचा तो, उसकी पत्नी अंजू उस पर बरस पड़ी……”क्यों रे तेरी गान्ड मे फिर से कीड़े रेंगने लगे….जो तू उनको शांत करने के लिए इसको बुला लाया था……पूरी दोपहर तू उस छोकरे के साथ पीछे कमरो मे गान्ड मरवाता रहा….फिर भी तेरा दिल नही भरा….जो एक और नया लड़का ढूँढ लाया……
रामू: ओहो अंजू तुम भी ना…..कुछ बोलने से पहले एक बार कुछ सोच समझ तो लिया करो… किसी के सामने कुछ भी बकती है तू भी….साली जब देखो रंडी की तरह मूह से आग उगलती रहती है…अर्रे बोलने से पहले ये तो जान लेती कि, वो कॉन है…..
अंजू: क्यों किसी मिनिस्टर की औलाद है काया….?
रामू: नही मिनिस्टर के औलाद नही है…..पर वो ऐसा लड़का भी नही है समझी…..मेरी तो मति ही मारी ही गयी थी…..जो मेने तेरे बारे मे सोचा….
अंजू: (मूह बनाते हुए) अबे हिजड़े अगर मेरे बारे मे सोचता होता तो, आज तक मैं 5 बच्चों की माँ बन चुकी होती….पर तुझे तो बस तेरी गान्ड मे नये-2 लौन्डो का लंड चाहिए…..(अंजू बर्तन पर बन रही सबाज़ी की तरफ देखते हुए बोली….)
रामू: देखा-2 साली रांड़ का अभी भी मूह बंद नही हो रहा…….अब भगवान ने मुझे ऐसा बनाया है तो इसमे मेरा क्या कसूर…..साली तेरे चक्कर में मेने उसका कोरा लंड आज तक अपनी गान्ड मे नही लिया……
अंजू: (बेलन उठा कर रामू को दिखाते हुए) आबे गान्डू चुप कर…….सब जानती हूँ…..साला नमार्द कही का…तू क्या खाक सोचेगा मेरे बारे मे….
रामू: साली छिनाल तुझसे मिलवाने लाया था मैं उसको……
अंजू: (रामू की बात सुन कर हैरान होते हुए) क्या मुझसे मिलवाने….क्यों…..ओह्ह्ह अच्छा-2 कही वो भी तेरी तरह गान्डू तो नही है…..कि इसीलिए तू मुझे उससे मिलवा कर ये दिखाना चाहता था कि, देख इस दुनाया में मै ही अकेला गान्डू नही हूँ…..
रामू: साली सीधी बात तो तुझे समझ ही नही आती….तू सुन छिनाल रंडी ये ये इतना लंबा लंड है उसका…..साला कसम से जब खड़ा होता है, तो…….(रामू बोलते-2 चुप हो गया….)
अंजू हैरानी से रामू के हाथ की तरफ देख रही थी…..जिससे उसने विनय के लंड की लंबाई को हाथ से बताया था…..”क्या इतना बड़ा….तो साले मादरचोद अब तक तूने उसे छोड़ कैसे दिया…” अंजू ने साड़ी के ऊपेर से ही अपनी चूत को खुजाते हुए कहा….”तेरे लिए छोड़ दिया. साली एक दम कोरा लंड है……एक दम मस्त….तू रात को मुझे तंग करती रहती है…..साली ने लंड के चुप्पे लगा-2 कर मुरझा दिया है…..
अंजू: (शर्मा कर मुस्कुराते हुए) कहाँ अब कहाँ लगाने देते हो तुम…..15 दिन हो गये…. चूत में जाने लायक तो तुम्हारा खड़ा होता ही नही….
रामू: देख अंजू……लड़का एक दम कोरा है….जवान है…..और मुझसे खुला हुआ भी है….हर तरह की बात हम आपस मे कर लेते है….साली तेरी चूत के लंड का इंतज़ाम किया था….और तूने अपनी भयानक आवाज़ सुना कर भगा दिया…
अंजू: क्या सच मे उस लड़के का लंड इतना बड़ा है…..
रामू: कसम मुझे अपनी गान्ड के कीड़ों की…..साली लंड तो मस्त है उसका…..हां पर है कच्चा खिलाड़ी…..मेने अपनी आँखो से देखा है उसका लंड….पकड़ा भी है….बोल क्या कहती है…..
अंजू: अब तुम मुझे स्कूल के बच्चे से चुदवाओगे…..
रामू: साली अब नखरे मत कर…..ऐश करेगी….
अंजू: वो तुम्हारी पत्नी को चोदेगा और तुम्हे बुरा नही लगेगा…..
रामू: देख मैं तुम्हे वो सुख नही दे सकता…..जो एक पति अपनी पत्नी को देता है….पर तुझे वो सुख दिलवा तो सकता ही हूँ…..मुझे क्या ऐतराज होगा….हां पर इसके बदले में मुझे भी कुछ चाहिए…..
अंजू: हां बोल क्या चाहिए….
रामू: देख आज के बाद तू मुझे दोबारा कभी नही रोकेगी…..
अंजू: वो तो बाद की बात है….पहले ये तो देख लूँ कि जितनी तारीफ तू उसके लंड की कर रहा है…..उसमे सच मे इतना दम है भी या नही…..
रामू: है मेरी जान है…..
अंजू: चल अगर तेरे बात सही हुई तो, फिर तुम्हे कभी किसी बात के लिए नही रोकूंगी….
रामू: और मुझ पर गुस्सा भी नही करोगी…..
दूसरी तरफ जब विनय घर पहुँचा तो, शाम के 7 बज चुके थे……उसकी मामी बाहर गेट पर ही खड़ी थी….शायद वो विनय को ही ढूँढ रही थी…..जैसे ही उसने विनय को देखा तो उसने राहत के साँस ली…..”कहाँ चला गया था तू….कब से तुम्हे ढूँढ रही हूँ…..कितना वक़्त हो गया है….”
विनय: वो मामी अपने दोस्त के घर चला गया था….
किरण: दोस्त के घर चला गया था…..और ये तूने अपनी क्या हालत बना रखी है…चल अंदर चल कर हाथ मूह धो ले….ऐसे ही मत घुमा कर……
विनय अंदर चला गया……और जाते ही बाथरूम में घुस गया…..फ्रेश होकर बाहर आया, और वशाली के साथ बैठ कर टीवी देखने लगा…..रात के 9 बजे करीब सब ने खाना खाया और ममता वशाली और विनय के साथ ऊपेर छत पर जाने की तैयारी करने लगी…वशाली विनय और ममता ने अपने-2 बिस्तर उठाए और एक के पीछे एक लाइन से चलते हुए ऊपेर जाने लगे….. सबसे आगे वशाली चढ़ रही थी….उसके पीछे ममता और लास्ट में अपना विनय. ममता जानबूज कर कुछ धीरे धीरे सीढ़ियाँ चढ़ रही थी….वशाली सबसे पहले ऊपेर पहुँची, और अपना बिस्तर रख कर बिछाने लगी….तब तक विनय और ममता भी ऊपेर आ गये और बिस्तर बिछाने लगे….
ममता ने देखा कि वशाली अपना बिस्तरा लगा चुकी है…..”वशाली बेटा एक काम कर तू नीचे से पानी की बॉटल ले आ….नही तो प्यास लगने पर नीचे जाना पड़ेगा रात मे….” ममता ने अपने बिस्तर को जल्दी -2 बिछाते हुए कहा…
वशाली: ठीक मासी जी ले आती हूँ….
और जैसे ही वशाली सीढ़ियों से नीचे उतरी तो ममता तेज़ी से सीडयों की तरफ गयी….और कुछ सीढ़ियाँ नीचे उतर कर, उसने विनय को आवाज़ दी….जब विनय ने ममता की तरफ देखा तो वो कामुकता के साथ मुस्कुराते हुए उसे अपने पास आने का इशारा कर रही थी…..विनय भी तो कब से तड़प रहा था….वो तेज़ी से उठा और सीढ़ियों पर दो कदम नीचे उतर कर ममता के सामने जाकर खड़ा हो गया….ममता ने एक बार फिर से नीचे की तरफ नज़र डाली और फिर एक दम विनय को अपने बाहों में भरते हुए, अपने से चिपका लिया….और उसके गालो और माथे पर चूमते हुए बोली….”ओह्ह्ह मेरे शोना कहाँ था सारा दिन….पता है इतना अच्छा मोका था आज…..दीदी और वशाली शीतल दीदी के घर गये थे….आधे घंटे बाद वापिस आए….पर तू पता नही कहाँ गायब हो गया था….”
विनय: वो मैं तो दोस्त के घर चला गया था….
ममता: चल वो सब छोड़……आज अपनी दोस्त को प्यार कर ले…..कल तो मैं घर जा रही हूँ….
विनय: (चोन्कते हुए) क्या कल घर जा रही हो आप…..?
ममता: हां मम्मी पापा ने बुलाया है…..चल वो सब बाद में बात करेंगे…..
ये कहते हुए ममता ने अपने सुर्ख रसीले होंटो को विनय के होंटो से लगा दया…..जैसे ही विनय के मूह मे ममता के सुर्ख होन्ट का रस घुला, तो उसकी आँखे मस्ती मे बंद होती चली गयी…..आँखे तो ममता की भी बंद होने लगी थी….पर वशाली कभी भी ऊपेर आ सकती थी…विनय ने कुछ ही पॅलो मे ममता के होंटो को अपने होंटो मे दबा-2 कर चूसना शुरू कर दिया…..उसका लंड उसके शॉर्ट मे एक दम तन चुका था…..जिसे ममता अपनी सलवार के ऊपेर से अपनी चूत पर रगड़ ख़ाता हुआ सॉफ महसूस कर पा रही थी…..ममता का दिल तो कर रहा था कि, वो अभी अपनी सलवार उतार कर विनय के लंड को चूत में घुसवा ले, और विनय उसके जबरदस्त चुदाई करे…..
पर समय इसकी इजाज़त नही दे रहा था…..विनय के हाथ खुद ब खुद ही, ममता के कुर्ते के ऊपेर से उसकी चुचियों पर आ चुके थे….और जैसे ही विनय ने ममता की चुचियों को अपने हाथो मे लेकर दबाया तो, ममता के रोम-2 में मस्ती की लहर दौड़ गयी…..पर तभी उसे किसी के सीढ़ियों पर चढ़ने की आवाज़ आए तो, वो एक दम से विनय से अलग हो गयी… “लगता वशाली ऊपेर आ रही है….दोनो वापिस ऊपेर जाकर बिस्तरों पर बैठ गये…
नीचे बिस्तर पर बैठ कर, कुछ देर वो ऐसे ही इधर उधर की बातें करते रहे….अजय अभी तक नही आया था….तीनो रात के 10 बजे तक आपस में बातें करते रहे….फिर धीरे-2 सब को नींद आने लगी….अजय कब आया उन तीनो को पता नही चला….सुबह-2 5 बजे का वक़्त था….आज आसमान मे घने बदल छाए हुए थे….बेहद ठंडी हवा चल रही थी……ऊपेर से कूलर की ठंडी हवा से कूलर के सबसे नज़दीक लेटी वशाली की नींद खुल गयी….
ऊपेर हल्की-2 सर्दी लग रही थी……इसीलिए वो उठ कर नीचे जाने लगी….और जैसे ही उसने नीचे जाने के लिए सीढ़ियों का डोर खोला तो, उसकी आवाज़ सुन कर ममता भी जाग गयी….उसने अपनी अध खुली नींद से भरी आँखो से सीढ़ियों के डोर की तरफ देखा….जहाँ से वशाली नीचे उतर गयी…..उसने थोड़ी देर वेट किया और फिर सीढ़ियों के डोर पर जाकर नीचे देखा. वशाली नीचे जा चुकी थी….उसने जल्दी से सीढ़ियों के डोर को फिर से लॉक किया…..और तेज़ी से विनय के पास आकर नीचे बैठते हुए उसके गालो को थपथपाते हुए जगाना शुरू कर दिया…..
|