RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
बच्चो ने 1 बजे तक पढ़ाई की, अब वक़्त था दोपहर के खाने का…..खाना खा कर फारिग हुए तो, बच्चों ने हुडदन्ग मचा दिया…..किरण चिल्लाई……मरो ऊपेर जाकर यहाँ मत चिल्लाओ….” बच्चे ऊपेर की मज़िल पर जैसे ही जाने लगे तो रिंकी आ गयी…..”अर्रे वशाली कहाँ जा रही है….”
वशाली: ऊपेर खेलने चल ना तू भी साथ…..
रिंकी: (धीरे से वशाली के कान मे कहती है…..) नही तू मेरे साथ चल मेरे घर तुझे एक नयी चीज़ दिखानी है……
वशाली: नही बाद मे चलेंगे…..अभी ऊपेर चल खेलते है…..
रिंकी: समझा कर ना यार बाद मे मोका नही मिलेगा…..अभी घर पर कोई नही है….सब के सामने वो चीज़ तुम्हे नही दिखा सकती…..
ऐसी कॉन से चीज़ है जो सब के सामने देखी नही जा सकती…..वशाली पहले भी कई बार रिंकी से उसके स्कूल की लड़कियों के किस्से सुन चुकी थी…….इसलिए उसके दिल मे हलचल सी होने लगी. जब रिंकी ने कहा कि, वो सब के सामने उस चीज़ को नही दिखा सकती…..”उंह चल फिर जल्दी…” उसके बाद रिंकी जैसे ही वशाली का हाथ पकड़ कर लेजाने लगी तो किरण ने रोक लिया….. “अब तुम दोनो कहाँ जा रही हो इतनी धूप मे…..”
रिंकी: वो आंटी हम हमारे घर जा रहे है…..घर पर कोई नही है ना…..इसलिए इसे भी साथ ले जा रही हूँ…..घर पर ही रहँगे…..
किरण: ठीक है पर धूप में बाहर मत निकलना….
रिंकी: जी आंटी……
उसके बाद दोनो तेज कदमो के साथ घर से बाहर निकली और रिंकी ने अपने घर के बाहर पहुँच कर गेट का लॉक खोला और फिर तेज़ी अंदर दाखिल होकर गेट बंद कर दिया….गेट की कुण्डी लगाई और दोनो सीधा रिंकी के रूम मे जाकर बेड पर लेट गयी…..”अब दिखा ना क्या दिखाना है. मुझे यहाँ सुलाने लाई है क्या…..?”
रिंकी: उफ्फ ओह नानी माँ थोड़ा साँस तो लेने दे दिखाती हूँ…..
रिंकी ने बेड से उतर कर अपने स्टडी टेबल के पास जाते हुए कहा….और फिर नीचे साइड मे रखा हुआ अपना स्कूल बॅग उठा कर टेबल पर रखा और खोल कर उसमे से कुछ निकालने लगी…थोड़ी देर बाद जब वो मूडी तो, उसके हाथ मे एक किताब थी…..
वशाली : तू मुझे ये किताब दिखाने लाई है……
रिंकी: तुझे पता ये कॉन सी किताब है……?
वशाली: नही बताएगी नही तो कैसे पता चलेगा….
रिंकी: (वशाली के पास बेड पर बैठते हुए) मेरे पतोले ये ऐसी वैसी किताब नही है…..ये देख..
रिंकी ने वशाली को जैसे ही वो किताब खोल कर पहला पेज दिखाया तो, वशाली के आँखे खुली के खुली रह गयी……मूह ऐसे खुल गया…..जैसे उसने दुनिया का अठवा अजूबा देख लिया हो. उसमे एक औरत डॉगी स्टाइल में सोफे पर थी…..और उसके पीछे खड़े आदमी का आधे से ज़यादा लंड उस औरत की चूत मे था…..ऐसी तस्वीर वशाली पहली बार देख रही थी….उसने लपक कर रिंकी के हाथ से वो किताब ले ली…..उस किताब में अडल्ट पिक्चर्स के साथ-2 सेक्स स्टोरीस भी थी….
दोनो उन तस्वीरो को पढ़ते हुए, स्टोरीस पढ़ने लगी……कुछ ही देर में दोनो बेहद गरम हो चुकी थी……वशाली और रिंकी की दोनो की चूत में तेज सरसराहट होने लगी थी. दोनो अपनी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर अपनी चूतो को मसल रही थी……”हाए वशाली यार अपना टाइम कब आएगा……यार मैं तो तरस रही हूँ कि, काश मेरा भी कोई बाय्फ्रेंड हो…..तुम्हारा दिल नही करता…..”
वशाली: करता है यार…..पर अब किसी राह चलते को तो अपना बाय्फ्रेंड नही बना सकती ना….पर तू तो सहर जाती है…वहाँ पर तो बहुत से लड़के मिलते होंगे रास्ते में……
रिंकी: कहाँ यार तुम्हे तो पता है…..पापा छोड़ने जाते है…..और वैसे भी हमारा स्कूल सिर्फ़ गर्ल्स के लिए है…..मोका ही नही मिलता…..
वशाली: यार कही 10थ के बाद मम्मी पापा मुझे तेरे वाले स्कूल में अड्मिशन ना दिलवा दें…..और इस स्कूल में तो कोई ढंग का लड़का भी नही है…..
रिंकी: यार एक काम हो सकता है……अगर तू मेरा साथ दे तो…..हम दोनो की ऐश हो जाएगी.
वशाली : (उत्सक होते हुए) बोल ना….?
रिंकी: यार तू मेरी विनय के साथ किसी तरह सेट्टिंग करवा दे बस…..और मैं तेरी अपने भाई (अनूप) के साथ करवा दूँगी……
विनय अनूप और वशाली तीनो एक ही क्लास में पढ़ते थे……”ना बाबा ना ये मुझ से नही होगा…..उस भौंदू कोई अकल तो है नही…..अगर उसने मम्मी को कुछ बता दिया ना….तो समझ मेरी खैर नही….मैं नही करती उससे कोई ऐसी वैसी बात……”
रिंकी: यार तुझे बात करने के लिए कॉन कह रहा है…..तुझे उससे बात करने की ज़रूरत नही… तू बस मेरी थोड़ी सी हेल्प कर दिया कर…..देख अब हम जब तेरे घर जाएगे तो, तुम मेरी हेल्प करना ताकि मैं और विनय एक दूसरे के साथ अकेले हो सके…..बाकी मैं खुद कर लूँगी…..
वशाली: और मेरी सेट्टिंग…..
रिंकी: वो तो मैं ऐसे करवा दूँगी…….(रिंकी ने चुटकी बजाते हुए कहा….)
दोनो कलियों के चेहरे पर तेज मुस्कान फेल गयी….रिंकी ने उस बुक को जल्दी से अपने बॅग मे किताबो के बीच छुपा कर रखा और फिर बॅग बंद करके, नीचे रख दिया….दोनो घर से बाहर निकली गेट लॉक काया और वशाली की तरफ जाने लगी…..घर जाते हुए, दोनो के दिल जोरो से धड़क रहे थे…..जैसे ही दोनो घर में दाखिल हुई तो, किरण शीतल के साथ बरामदे मे फर्श पर चटाई बिछा कर बैठी हुई थी…….”क्यों धूप मे इधर उधर घूम रही हो तुम दोनो एक जगह चैन नही है तुमको…….”
रिंकी: वो आंटी घर पर बैठे बोर होने लगी थी…..इसीलिए यहाँ चले आए…..
वशाली: मम्मी हम दोनो भी ऊपेर जा रहे है खेलने……
ये कहते हुए वशाली ने रिंकी का हाथ पकड़ा और ऊपेर चली गयी…..जब ऊपेर पहुँची तो देखा विनय अपनी मौसी के बच्चो के साथ हाइड & सीक खेल रहा था….”हम दोनो को भी साथ खेलाओ….हमें भी खेलना है….” वशाली ने अपने दोनो हाथ कमर पर रखते हुए विनय से कहा…..”ठीक है तुम दोनो बाद में आए हो….इसीलिए तुम दोनो में से ही किसी एक को हम सब को ढूँढना होगा…..”
वशाली ने किरण की तरफ देखा और फिर कुछ देर सोच कर बोली……”मैं ढूंढूँगी तुम सब को…..”
विनय: ठीक है नीचे जाकर बाहर के गेट के पास 20 तक काउंट करो….हम छिपते है….
वशाली: ठीक है…….
उसके बाद वशाली नीचे चली गयी…..सब इधर उधर भागे छुपने के लिए….विनय पीछे बने हुए रूम की तरफ भगा…..पीछे की तरफ होने के कारण वहाँ बहुत अंधेरा रहता था. रिंकी भी उसके पीछे जाने लगी…..”तुम कहाँ आ रही हो….जाओ कही और जाकर छुपो….” विनय ने रिंकी को अपने पीछे आते हुए देख कर कहा….
रिंकी: मुझे समझ मे नही आ रहा कहाँ छिपु….
विनय रूम मे दाखिल हुआ, वहाँ दीवार के साथ बनी हुई एक लकड़ी की अलमारी थी…..जो खाली थी. उसने अलमारी का डोर खोला…..उसमे एक साइड मे छोटी-2 रॅक्स थी…..तो एक साइड बिना रॅक्स के थी….विनय उस में घुस गया…..”विनय मुझे अंदर आने दो….मुझे भी छिपना है….”
विनय: देख नही रही हो…यहाँ जगह कहाँ है…..
रिंकी: तुम थोड़ा पीछे हटो ना…..
रिंकी ने अलमारी के अंदर आते हुए कहा…और मजबूरन विनय को थोड़ा सा पीछे होना पड़ा…. रिंकी ने किसी तरह अपने लिए जगह बनाई, और अलमारी का डोर बंद कर दिया…..डोर बंद होते ही अंदर एक दम अंधेरा हो गया…..दोनो एक दूसरे से एक दम चिपके हुए खड़े थे….जगह ही कहाँ थी कि, उसमे दो जान एक साथ खड़े हो सके, रिंकी पीछे की तरफ पीठ टिका कर खड़ी थी…और विनय रॅक्स के साइड के साथ पीठ टिका कर खड़ा था…..कुछ देर तो उन्हे उस हालत में अड्जस्ट होने मे लग गयी……इधर रिंकी ने अपना खेल शुरू कर दिया था…..
उसने अपने दोनो हाथ सीधे नीचे लटका रखे थे….और उसके राइट वाला उल्टा हाथ विनय के शॉर्ट्स की ज़िप के ठीक ऊपेर लग रहा था….पहले तो विनय को कुछ महसूस नही हुआ, वो बाहर से आ रही आवाज़ों को सुनने की कॉसिश कर रहा था……इधर रिंकी का दिल जोरो से धड़क रहा था….वो भी इतनी समझदार नही थी….ये सब करते हुए, उसके भी हाथ पैर कांप रहे थे….अचानक से विनय को अपनी लंड पर कुछ दबाव बनता हुआ महसूस हुआ, उसने जब हाथ नीचे लेज कर चेक किया तो, पता चला कि ये दबाव रिंकी के हाथ के कारण है…..
भले ही उस समय वो खेल में मगन था…..पर अपने लंड पर शॉर्ट्स के ऊपेर से रिंकी का हाथ महसूस करके, उसके शॉर्ट्स में हलचल होने लगी…धीरे-2 उसका लंड फूलने लगा…जैसे ही रिंकी को भी इस बात का अहसास हुआ,उसने भी धीरे-2 अंजान बनते हुए, अपने उल्टे हाथ को हिलाते हुए, उसके लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से रगड़ना शुरू कर दिया….कुछ ही पॅलो में उसका लंड एक दम लोहे की रोड की तरह तन कर खड़ा हो चुका था….”अब तक रिंकी समझ चुकी थी, कि वो विनय को जितना भोला और नादान समझती है….असल में उतना भी भोला नही है….
रिंकी: उफ़फ्फ़ कितनी गरमी है यहाँ….विनय थोड़ा पीछे होकर खड़ा हो ना…..
रिंकी जान बुझ कर ये सब कर रही थी….विनय के मोटे लंड को अपने उल्टे हाथ पर महसूस करके, रिंकी भी गरम होने लगी थी…उसकी स्कर्ट के अंदर उसके छोटी सी पेंटी में उसकी चूत में तेज धुनकि सी बजने लगी थी…..इसलिए उसने जगह कम होने का ड्रामा करते हुए, अपनी पीठ घुमा कर उसकी तरफ कर दी…रिंकी के इस कदम ने मानो विनय के ऊपेर कहर ही ढा दिया हो….विनय का लंड जो उसके ढीले शॉर्ट्स में एक दम तन कर सीधा खड़ा था… रिंकी के घूम जाने की वजह से अब सीधा रिंकी के चुतड़ों की दरार में जा धंसा…
दोनो के मूह से एक दम से आहह निकल गयी….दोनो एक दूसरे की हालत को अच्छे से समझ पा रहे थी…..पर दोनो में से कोई कुछ बोल नही रहा था….विनय अभी इस खेल मे नया था…. शायद उसमे दिमाग़ में ये चल रहा था कि, रिंकी को अगर पता चल गया कि, उसकी नूनी खड़ी है और उसके चुतड़ों में धँसी हुई है, तो कही वो बुरा ना मान जाए…और कही वो इसकी शिकायत मामी से ना कर दे….इसीलिए वो पीछे रॅक के साथ एक दम से सट कर खड़ा हो गया….उसने अपने पेट को अंदर की तरफ खेंच कर और जगह बनाने की कॉसिश की, थोड़ी कामयाबी मिली भी, पर रिंकी तो जैसे किसी और ही धुन में मगन थी…..
उसने फिर से अपने गान्ड को पीछे की ओर सरका दिया…..इस बार तो उसको विनय का तना हुआ लंड सीधा अपनी चूत के छेद पर दस्तक देता हुआ महसूस हो रहा था…उसके पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी…..उसकी स्कर्ट लंड के दबाव के कारण पीछे से उसके चुतड़ों की दरार में धँसी हुई थी….उसके हाथ पैर अब और तेज़ी से काँपने लगे थे….काश बीच में ये स्कर्ट ना आती तो, आज मैं भी विनय के लंड को पहली बार अपनी चूत के और करीब महसूस कर पाती….ये सोचते ही उसके दिल ने जोरो से धड़कना शुरू कर दिया….
तभी रूम में किसी के कदमो की अहाट सुन कर रिंकी एक दम से हड़बड़ा गयी….उसका हाथ जो उसने सामने अलमारी की लकड़ी के बोर्ड पर रखा हुआ था….वो फिसल गया…और लकड़ी के बोर्ड में तेज आवाज़ हुई…..और अगले ही पल उस अलमारी का डोर भी खुल गया…सामने वशाली खड़ी थी….”हहा ढूँढ लिया मेने तुम दोनो को भी…..” वशाली ने हँसते हुए कहा…..
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