Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:31 PM,
#62
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
अंदर आकर हम बेड पर बैठ गये। मैं बस अपूर्वा से बात करने के लिए तड़प रहा था। सुबह से मेरे दिमाग में बस अपूर्वा का पक्ष जानने की बात घूम रही थी। अंकल की कही गई बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ना था, अगर अपूर्वा हां कर दे तो। परन्तु उससे बात कैसे हो समझ नहीं आ रहा था। मुझे पूरा विश्वास था कि अपूर्वा कभी भी मुझे धोखा नहीं दे सकती, इसलिए अब मेरी उदासी गायब हो रही थी, क्योंकि अंकल की बातों का अब कोई मायने नहीं रहे थे, मुझे बस अपूर्वा का पक्ष जानना था। बस रह गई थी तो बैचेनी अपूर्वा से बात करने की।
मन से अंकल की बात का असर खत्म होते ही मैं उदासी को छोड़कर बस इसी उधेड़ बुन में लग गया था कि किस तरह से अपूर्वा से बात हो। उदासी खत्म होते ही मुझे अपनी मूर्खता पर हंसी आने लगी। कैसे मैं अंकल की बातों से ही दो दिनों तक इस तरह गुम गया था, कि जैसे मेरी पूरी दुनिया उजड़ गई हो, जबकि अपूर्वा ने तो ऐसा कुछ नहीं कहा था। मुझे गुस्सा भी आ रहा था खुद पर, यदि उदास होने की बजाय मैं अपूर्वा से मिलने की, उससे कॉन्टेक्ट करने की कोशिश करता तो अब तक शायद कुछ तो सफलता हाथ लगती।
मैंने अपूर्वा का नम्बर डायल किया परन्तु पूरी रिंग जाने के बाद भी किसी ने नहीं उठाया, मैंने दो-तीन बार टराई किया, परन्तु सिी ने नहीं उठाया। मैंने टाइम देखा तो साढ़े नौ बज चुके थे।
श्श्शि्शट् यार, ऑफिस के लिए लेट हो गया। उदासी के बादल छंटते ही दिमाग ने फिर से काम करना शुरू कर दिया था। अब पहले से काफी अच्छा लग रहा था, दिल थोड़ा सा हल्का हो गया था, क्योंकि मैं जानता था कि अपूर्वा कभी भी मुझे धोखा नहीं देगी, वो मुझे दिलोजान से चाहती है।
उसकी इसी चाहत ने तो मुझे उसका दिवाना बनाया था, नहीं तो मैं तो जानता भी नहीं था कि मैं उसे प्यार करता हूं, मैं तो इस प्यार को दोस्ती माने बैठा था।
मैं ऑफिस के लिए तैयार होता हूं, कहकर मैं उठा और बाथरूम में घुस गया। जब मैं नहा-धोकर बाहर निकला तो सोनल ने नाश्ता तैयार कर लिया था।
थैंक्स यार, नहीं तो आज भूखा ही रहना पड़ता, कहते हुए मैंने सोनल को बाहों में भरकर उसके होंठों को चूम लिया।
सोनल आश्चर्य से मेरे चेहरे को देखे जा रही थी।
जल्दी से नाश्ता करता हूं, कहते हुए मैं रसोई में गया और एक थाली में परोंठे और अचार ले आया।
मुझमें अचानक आये परिवर्तन से सोनल असमंझस में थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक मुझे क्या हुआ। वो बेड के पास खड़ी हुई बस मुझे घूरे जा रही थी।
क्या हुआ, चलो बैठो, नाश्ता करो, फिर मुझे ऑफिस के लिए भी निकलना है, मैंने बेड पर बैठते हुए कहा।
ऑफिस जाना जरूरी है क्या, सोनल ने बैठते हुए कहा।
मैंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर थोड़ी सी उदासी थी।
क्या हुआ, मैंने परोंठे का कौर उसके मुंह के आगे करते हुए कहा।
मैंने अभी ब्रुश-----उउउउउउउउ, अभी उसने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी, मैंने उसके मुंह खोलते ही परांठा उसके मुंह में घुसा दिया।
मैं आज पूरा दिन तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं, फिर मम्मी और दीदी आ जायेंगी तो इतना मौका नहीं मिलेगा, उसने मुंह का कौर खत्म करते हुए कहा।
मैंने अपना मोबाइल उठाया और बॉस को फोन करके तबीयत खराब होने की कह दी। बॉस ने डॉक्टर से दिखाने के कहकर आराम करने को कहा।
थैंक्स, सोनल ने मुझे अपने हाथ से परांठा खिलाते हुए कहा।
थैंक्स तो मुझे तुम्हारा कहना चाहिए यारा, अगर तुम नहीं होती तो पता नहीं मैं कब तक ऐसे ही बेवकूफों की तरह आंसु बहाता रहता।
मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि अचानक तुम्हारी उदासी कैसे दूर हो गई, मेरा मतलब मैं बहुत खुश हूं तुम्हें इस तरह उदासी रहित देखकर, परन्तु मेरी समझ में नहीं आ रहा कि ऐसा क्या हुआ जो तुम-------।
हम्ममम, अंकल की बात सुनकर मेरा दिमाग काम करना बंद कर गया था, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था ऐसा कैसे हो सकता है, वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं, गम मुझे इस बात से आगे कुछ सोचने ही नहीं दे रहा था, जबकि एक्चुअली ये गम होना ही नहीं चाहिए था, थोड़ा बहुत हो सकता था, परन्तु इतना नहीं होना चाहिए था। अपूर्वा ने थोड़े ही मना किया है, वो तो अंकल ने ही मना किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि अपूर्वा कभी भी मुझे धोखा नहीं दे सकती, वो मुझे बहुत प्यार करती है। और ये बात मेरी समझ में अभी अभी आई है, थैंक्स सोनल, अगर तुम नहीं होती तो शायद ये बात मेरी समझ में नहीं आती, कहकर मैं मुस्करा दिया।
थैंक्स गोड, तुम खुश तो हुए, मेरी तो कल से जान निकली जा रही थी, मैं तुम्हें सहारा तो दे रही थी, परन्तु तुम्हें दुखी देखकर मैं तुमसे ज्यादा दुखी हो गई थी। मैं तुम्हें दुखी नहीं देख सकती, कहते हुए सोनल की आंखों में आंसु आ गये और वो मेरे गले लग गई।
मेरा प्यारा बेबी, जब मेरा सोहना बाबु मेरे पास है तो मैं ज्यादा देर दुखी कैसे रह सकता हूं, मैंने उसके गालों की पप्पी लेते हुए कहा।
मैं दही लेकर आता हूं, ऐसे खाने में मजा नहीं आ रहा, कहते हुए मैं उठने लगा।
हम्मम, तब तक मैं भी फ्रेश हो जाती हूं, फिर आराम से खायेंगे, कहते हुए सोनल भी उठ गई।
मैं पैसे लेकर दही लेने चल दिया और सोनल बाथरूम में घुस गई। वापिस आया तो सोनल अभी बाथरूम में ही थी, शॉवर से पानी गिरने की आवाज आ रही थी।
मैं उसका इंतजार करने लगा और बार-बार अपूर्वा को फोन टराई करता रहा। परन्तु रिंग तो जा रही थी, कोई उठा नहीं रहा था।
थोड़ी देर बाद सोनल अपने बाल सुखाते हुए बाहर आई। उसे देखते ही मेरी आंखें खुली की खुली रह गई। आज कई दिनों बाद मैं सोनल को नग्न देख रहा था। मेरे लिंग ने तुरंत हरकत की और अपना दरवाजा खटखटाया।

कपड़ो को क्या हुआ, मैंने सोनल से पूछा।
वो नीचे गिर गये नहाते समय हाथ लगकर, गीले हो गये हैं, सोनल ने ऐसे ही तौलिये से बाल सुखाते हुए कहा।
मैं उठा और अपनी शॉर्ट और शर्ट उसे पहनने के लिए दी। सोनल कुछ देर तक तो मेरे सामने खड़ी मेरे चेहरे की तरफ देखती रही, फिर उसने मुस्कराते हुए मेरे हाथ से कपड़े लेकर पहन लिए।
वैसे तो उसकी उसकी और मेरी फिटिंग एक जैसी ही थी, परन्तु शर्ट उसे बहुत ही टाइट आई और, आगे से उसकी नाभि तक उठ गई। उसके उभार शर्ट के बटन तोड़ने को उतारू लग रहे थे।
उसने अपने सिर पर तौलिया लपेटा और हम नाश्ता करने लगे।
सॉरी यार, कल से खामखां खुद भी परेशान हो रहा था और तुम्हें भी इतना परेशान कर रखा था।
हम्मम, वो तो है, पर अब सारा बदला लूंगी, सोनल ने मुझे परांठा खिलाते हुए कहा।
स्योर, जैसे चाहो, तुम्हारा तो पूरा का पूरा हक है मुझपर, तुम्हारे जैसी दोस्त पाकर तो मैं खुद को बहुत ही भाग्यशाली समझ बैठा हूं, मैंने उसे परांठा खिलाते हुए कहा।
नाश्ता खत्म करके सोनल ने बर्तन रसोई में रखे और फिर हम बेड पर दीवार से कमर लगाकर एक-दूसरे से सटकर बैठ गये।
सोनल ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगी। ऐसे ही बैठे हुए मैं सोनल के चेहरे को देखता रहा और सोनल मेरे। दोनों मौन थे, बस एक दूसरे को महसूस कर रहे थे।

तभी नीचे की बैल बजी। अब कौन आ सकता है कहते हुए सोनल उठी और बाहर चली गई।
मैं भी उठकर बाहर आ गया और मुंडेर पर से नीचे देखने लगा। मेरे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा, नीचे नवरीत खड़ी थी। तब तक सोनल नीचे पहुंच चुकी थी।
सोनल ने दरवाजा खोला और वो दोनों गले लगी। सोनल नवरीत को लेकर उपर आ गई।
वाट ए प्लीजेंस सरप्राइज, मैंने नवरीत के गले मिलते हुए कहा।
नवरीत पागलों की तरह मुझे देखने लगी।
ऐसे क्या देख रही हो, मैंने उसके गाल पर चिकोटी काटते हुए कहा।
आइइइइइई, दर्द होता है, कहते हुए नवरीत अपने गाल को सहलाने लगी।
क्या कोई स्पेशल बात हुई है, जिसका मुझे नहीं पता हो, क्योंकि सुबह तो तुम बहुत उदास थे, नवरीत ने मेरे गालों को दोनों हाथों में भरते हुए कहा।
हम्मममम, मैंने कहा। अंकल के मना करने के बाद मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था, जिससे मैं कुछ सोच नहीं पाया। तुम्हारे घर से आने के बाद मुझे इस बात का ख्याल आया कि अपूर्वा ने तो मना नहीं किया है, और वो मुझसे बहुत प्यार करती है वो मुझे धोखा नहीं दे सकती, बस फिर क्या था, उदासी अपने आप रफूचक्कर हो गई।
मैं दीदी से बात करवाने के लिए ही आई हूं, नवरीत ने कहा।
सच में, मेरे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा, कहां तो मैं दो दिन से कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था और कहां अब एक साथ सारी प्रॉब्लम अपने आप सॉल्व होती जा रही थी।
हम अंदर आ गये। मैं इतना खुश हुआ था कि मैंने नवरीत को अपनी बाहों में भर लिया और बेतहाशा उसके माथे को चूमने लगा। नवरीत भी मेरी बाहों में सिमटी रही।
अब जल्दी से फोन मिलाओ, मैंने उसे अपनी बाहों की जकड़ने से आजाद करते हुए कहा।
उसके चेहरे के भावों से मुझे ठीक महसूस नहीं हो रहा था। उसने नम्बर डायल किया।
हैल्लो दीदी, लीजिए आप बात कीजिए----- हां मैं उनके रूम पर ही हूं------ कहते हुए नवरीत ने फोन मुझे दे दिया।
हैल्लो अपूर्वा, कैसी हो तुम, मेरी खुशी का ठीकाना नहीं था। मैं बाकी सब कुछ भूल चुका था।
हाय समीर, मुझे माफ कर देना, कहते हुए अपूर्वा की आवाज बीच में ही रूक गई।
क्या बात है अपूर्वा, ऐसा क्यों कह रही हो तुम, उसकी बात और आवाज में रूआंसापन सुनकर मेरा दिल बैठने लगा था।
मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती, प्लीज हो सके तो मुझे माफ कर देना, अपूर्वा की बहुत ही धीमी आवाज आई, जैसे उसके होंठों ने शब्दों को बीच में ही पकड़ लिया हो।
ये तुम क्या कह रही हो अपूर्वा, ऐसा कैसे हो सकता है, मैं तुमसे इतना प्यार करता हूं, और,,, और,,, तुम तो मुझसे भी ज्यादा प्यार करती हो मुझसे।
मुझे पता है कि तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो, परन्तु सच्चाई तो ये है कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती, अपूर्वा की आवाज अबकी बार एकदम स्पष्ट थी।
पर तुमने खुद ही अपने प्यार का इजहार किया था अपूर्वा, तुम--- तुम---- कहते हुए शब्द गले में ही अटक गए।

वो तो बस तुम्हारे मजे लेने के लिए एक नाटक था।
मैं इतना ही सुन पाया, मोबाइल मेरे हाथों से छूट गया और मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया। मैंने खुद को बहुत ही गहरी खाई में गिरते हुए महसूस किया। उसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ मालूम नहीं चला।
जब मुझे होश आया तो मैं मेरे बालाें में किसी का हाथ रखा हुआ महसूस हुआ, थोड़ा थोड़ा होश आने पर पता चला कि मेरा सिर किसी की गोद में है। मैंने आंखें खोलने की कोशिश, परन्तु जैसे ही थोडी सी आंखें खोली, लाइट का तेज चमका लगने के कारण वापिस बंद हो गई। ‘‘वो तो बस तुम्हारे मजे लेने के लिए एक नाटक था’’ होश में आते ही ये शब्द मेरे कानों में गूंजने लगे थे। मेरी आंखों से आंसू बह चले। मैं वैसे ही लेटा रहा और आंसू बहते रहे। अचानक मेरे सिर पर रखा हाथ हिला और मेरे गालों पर छुकर देखने लगा।
समीर, मेरे कानों में एक मधुर सी आवाज पड़ी।
ये तो नवरीत की आवाज थी। मतलब मैं नवरीत की गोद में लेटा हुआ हूं।
हूं, मैंने बस इतना ही कहा।
सोनल, समीर को होश आ गया है, नवरीत ने लगभग चिल्लाते हुए कहा और अपने हाथों से मेरे आंसु पौंछने लगी।
मैंने अपनी आंखों खोलने की कोशिश की और धीरे धीरे रोशनी का अभ्यस्त होते हुए आंखे खोलने में कामयाब हो गया।
तभी बाहर से सोनल ओर उसके साथ एक आदमी और अंदर आते हुए दिखाई दिये। मुझे ऐसा लग रहा था कि वो बहुत दूर से अंदर आ रहे हैं।
ये तो डॉक्टर है, मतलब मैं हॉस्पिटल में हूं, सोचते हुए मैंने इधर उधर सिर घुमा कर देखा, परन्तु ये तो मेरे रूम जैसा ही लग रहा है। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं कहां पर हूं।
अब घबराने की कोई बात नहीं है, और न ही अब हॉस्पिटल जाने की जरूरत है, डॉक्टर ने सोनल की तरफ देखते हुए कहा।
मैंने थोड़ा धयान देकर देखने की कोशिश की तो पता चला कि मैं अपने ही रूम में था।
थैंक्यू डॉक्टर, जैसे ही मम्मी आती है, मैं आपकी फीस पहुंचा दूंगी, सोनल ने डॉक्टर से कहा।
नो प्रॉब्लम बेटा, जब टाइम मिलें तब पहुंचा देना, कहते हुए डॉक्टर चला गया।
सोनल मेरे पास आकर बैठ गई और मेरे माथे पर हाथ रखकर धीरे धीरे सहलाने लगी।
क्या हुआ था मुझे, मैंने सोनल का हाथ पकडते हुए कहा।
तुम फोन पर बात करते हुए अचानक गिर गये थे, सोनल की आंखों में मुझे नमी दिखाई दी।
हैल्लो दीदी, उनको होश आ गया है, मेरे कानों में नवरीत की आवाज पड़ी।
फिर से अपूर्वा का धयान आते ही मेरे दिल में बहुत ही दर्दनाक टीस उठी और मैं कराह उठा।
क्या हुआ, सोनल एकदम तड़प कर मेरी तरफ झुकी और मेरे गालों पर से आंसु पौंछने लगी।
मैंने अपनी आंखें फिर से बंद कर दी। आंसु लगातार बह रहे थे। नवरीत का हाथ मेरे बालों में सहला रहा था। सोनल मेरे उपर इतनी झुक गई थी कि उसके उभार मेरी छाती पर टिक गये थे। मेरे कानों में बार बार अपूर्वा की कही आखिरी बात गूंज रही थी और दिल में दर्द को बढ़ा रही थी। अब दर्द असहनीय होता जा रहा था।
मैं अब चलती हूं, अपना और समीर का धयान रखना, नवरीत ने उठते हुए कहा। तुरंत ही सोनल ने मेरे सिर को अपनी गोद में रख लिया।
तभी मेरे कानों में पहले से भी भयंकर बम सा फूटा, ‘जल्दी ही दीदी की शादी कहीं और हो जायेगी’, नवरीत ने दरवाजे पर से पिछे देखते हुए कहा और बाहर निकल गई।
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