RE: Maa ki chudai मॉं की मस्ती
आरती ने कहा क्या हुआ क्या मेरे से दिल भर गया तुम्हारा.
रमण-नही मैने ये कब कहा मैं तो आज तुम्हारी चूत के साथ-2 तुम्हारी गान्ड भी मारना चाहता हूँ,वैसे तो तुम्हारी चूत इतनी दिलकश है कि कोई सारी उमर भी चोद्ता रहे तो उसका दिल नही भरेगा,पर थोड़ा सा चेंज करने में ज़्यादा मज़ा आएगा.
रमण की ये बात सुन कर आरती एक बार तो घबरा गयी,वैसे तो उसने अपनी कई सहेलियो से सुन रखा था जो कि अपनी गान्ड मरवाती थी कि जैसा मज़ा चूत मरवाने में आता है उस-से कहीं ज़्यादा मज़ा गान्ड फड़वाने में आता है,और उसका दिल भी कई बार चाहता था कि वो रमण या मनु से कहे कि वो उसकी गान्ड मारें,पर वो बोलती नही थी,दिल के किसी कोने में उसको गान्ड मारने के दर्द का डर लगता था,इसलिए वो चुप रहती थी,पर आज जब रमण ने खुद उसकी गान्ड मारने का प्रस्ताव दिया तो उसकी ये दिली इच्छा उभर कर आ गयी,और वो समझ गयी कि आज उसकी गान्ड का भी उद्घाटन हो ही जाए गा.
पर कहते हैं ना वो औरत ही क्या जो एक बार में ही मान जाए तो वो बोली कि नही मैं अपनी गान्ड तुम्हारे इस गधे जैसे लंड से फड़वाने वाली नही हूँ,तुम बस मेरी चूत ही मारो.
पर आज रमण ने अपने दिल में ये फ़ैसला कर लिया था कि वो आरती की गान्ड को फाड़ कर ही रहेगा,तो वो बोला कि जानेमन तुम ये क्या कह रही हो तुम एक बार ले कर तो देखो अगर तुमको अच्छा नही लगा तो मैं ज़िद नही करूँगा,पर मेरी ये शर्त है कि तुमको मेरे से भी ज़्यादा मज़ा आएगा.
आरती ने कहा कि नही-2 ये नही हो सकता तुम्हारा ये लंड अगर मेरी कुँवारी गान्ड में गया तो ये तो फॅट ही जाएगी.
रमण समझ गया कि आरती ने आज तक अपनी गान्ड नही मरवाई है,और जैसे ही ये विचार उसके दिमाग़ में आया तो उसका लंड और ज़्यादा फन-फ़ना कर तन गया कि आज तो उसको कोरी गान्ड मारने को मिलने वाली है,और वो ये मौका किसी भी हालत में नही छोड़ने वाला था,तो उसने आरती को कहा कि डार्लिंग तुम एक बार ले कर देखो अगर तुम्हे ज़्यादा दर्द हुआ तो मैं नही करूँगा.
ऐसे रमण ने जब कई बार कहा तो आरती ने सोचा कि अब ज़्यादा नखरा नही करना कहिए कहीं ये गान्ड मारने का विचार त्याग ही ना दे तो वो बोली कि ठीक है पर अगर मेरे को ज़्यादा दर्द हुआ तो तुम आगे नही करना और अपना ये निकाल लेना.
रमण ने कहा कि ये मेरा प्रॉमिस है कि मैं तुम्हारे रोकते ही रुक जाउन्गा.(जबकि अंदर ही अंदर वो सोच रहा था कि एक बार तू ले तो ले साली फिर तो जब तक ये अंदर का पूरा दर्शन नही कर आएगा और अपना जाल नही चढ़ा देगा तब तक मैं तुझे छोड़ने वाला नही हूँ)पर बाहर से उसने ऐसा कुछ भी फील नही होने दिया.
फिर रमण ने आरती को उसके बेड पर उल्टा लिटा दिया और उसकी गान्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया ,फिर अपनी एक उंगली उसकी गान्ड में डाली तो आरती की कसी हुई गान्ड में थोड़ा सा दर्द हुआ ,पर साथ ही साथ आरती को आनंद की एक मीठी अनुभूति भी हुई,और उसकी आह निकल गयी.
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