RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
पलंग पे लेटकर अब वो उसके टेनिस बाल साइज के कड़े-कड़े किशोर उभारों का रस खुलकर ले रहा था। कभी वो उसे दबाता कभी सहलाता, जैसे किसी बच्चे को उसका फेवरिट खिलौना मिल जाये। और उसके होंठ भी खुश होकर उसका रसपान कर रहे थे। और गुड्डी… कभी शरमाकर अपनी भारी पलकें झुका लेती, कभी अपने यार के खुश चेहरे को निहारने लगती। उसकी देह की सिहरन, और खड़े निपल बता रहे थे की वो भी उसी तरह रस ले रही है। उसके उरोज जब कसकर उसकी चौड़ी छाती से दबते तो उसका चेहरा खिल उठता और वो भी उसे अपनी बाहों में बांध लेती।
साड़ी तो कब की अलग हो चुकी थी थोड़ी देर में उसके यार की उंगलियां उसके साये के नाड़े पे भी पहुँच गयीं और गुड्डी के ना ना करने के बाद भी उसने उसे खोलकर ही दम लिया। वो अब बेताब था। थोड़ी ही देर में दोनों के सारे कपड़े बिस्तर से नीचे थे। उसका एक हाथ जोबन का रस लेता और दूसरा उसके निचले होंठों का। बार-बार जबरदस्ती करके उसने गुड्डी की टांगें अच्छी तरह फैलवा के ही दम लिया। कुछ ही देर में उसकी उँगली, उसके निचले गुलाबी रसीले होंठों को फैलाकर अंदर घुस चुकी थी और उसकी हथेली उसकी योनि को कस-कसकर रगड़ रही थी।
दूसरी ओर, उसके किशोर निपल और जोबन को उसके होंठ कस-कसकर चूस रहे थे। मस्ती के मारे गुड्डी की आँखें बंद हो रही थीं। थोड़ी देर तक रस लेकर वो उठा और उसकी टांगों के बीच जा बैठा। टेबल से वैसलीन की शीशी उठाकर पहले तो उसने अपने उत्थित शिश्न पे लगाया।
मैं बड़े ध्यान से देख रही थी, 6 इंच से ज्यादा ही लंबा रहा होगा और मोटा भी अच्छा था।
और फिर दो उँगलियों में लपेट के उसकी योनि में काफी सारा वैसलीन लगाने के बाद उसने एक मोटा तकिया उसके नितंबों के नीचे लगाया, उसकी लंबी गोरी टांगें अपने कंधे पे रख लीं और अपना मोटा फूला हुआ लाल सुपाड़ा उसकी चूत पे रगड़ने लगा। थोड़ी ही देर में गुड्डी पूरी तरह से गीली हो रही थी। एक हाथ से उसकी किशोर गुलाबी कसी योनि के भगोष्ठों को फैलाकर, उसकी कमर को दोनों हाथों से कसकर पकड़कर जब उसने एक धक्का लगाया तो उसका सुपाड़ा थोड़ा सा फिसलकर अंदर घुसा।
गुड्डी के चेहरे पे एक दर्द की रेखा उभर आई लेकिन उसने कसकर अपने होंठ भींच लिये। उसने दुबारा पूरी ताकत से धक्का मारा और उसका सुपाड़ा अब उसकी चूत में धंस गया। गुड्डी ने अपने होंठ दांत से काट लिये पर फिर भी उसकी चीख निकल गयी।
तब तक मुझे याद आया की मैंने हैंडीकैम भी तो रख छोड़ा है और इससे बढ़ के क्या मौका हो सकता है अपनी प्यारी ननद की तस्वीर उतारने का। मैंने उसे छेद में लगाकरके चला दिया।
वो कसकर कोशिश कर रहा था, उसका हाथ पकड़कर उसकी कुहनी तक भरी लाल चूड़ियां चुरमुर-चुरमुर कर रहीं थीं। फिर उसने गुड्डी के गुलाबी होंठों को अपने होंठों में लेकर न सिर्फ कसकर भींच लिया बल्की अपनी जुबान भी उसके मुँह में घुसेड़ दी और उसकी दोनों कलाइयां कसकर पकड़ ली।
मैं समझ गयी कि अब असली हमला होने वाला है। उसने खूब करारा, जोरदार धक्का मारा। बेचारी मेरी किशोर ननद… वो बिलबिला रही थी, छटपटा रही थी, कस-कसकर अपने चूतड़ पटक रही थी। पर बिना रुके उसने दो-तीन और करारे जबरदस्त धक्के मारे। मुँह बंद होने पे भी वो गों-गों कर रही थी, पर अगले धक्के में पूरा लण्ड चूत के अंदर था। और उसकी गोरी कलाई की आधी दजर्न से भी ज्यादा चूड़ियां टूट गयीं।
वो रुक गया। थोड़ी देर में उसने उसके मुँह को छोड़ा, और हल्के-हल्के उसके होंठों, गालों, पलकों पे चूमते हुए उसके जोबन सहलाता रहा। धीरे-धीरे जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू किये। अभी भी उसने उसकी गोरी पतली कलाइयां पकड़ रखी थीं। उसके धक्कों की आवाज के साथ अब कमरे में उसके पैरों के पायल में की रुनझुन, चूडियों की चुरमुर गूंज रही थी। गुड्डी के चेहरे पे दर्द की जगह एक सुख ने ले ली थी।
अब वो भी हल्के-हल्के अपने छोटे-छोटे चूतड़ उठा रही थी। उसके महावर लगे पैरों ने कसके उसके यार को भींच लिया था।
फिर क्या था… उसने भी प्यार से कसकर उसकी रसीली चूचियों को मसलना रगड़ना चालू कर दिया और उसके धक्कों की रफ्तार और ताकत भी बढ़ गयी। वो पूरा लण्ड बाहर निकालकर एक बार में ही पूरी ताकत से ठेल देता। जैसे कोई पिस्टन फुल स्पीड से अंदर-बाहर हो रहा हो, उसी तरह से उसका लण्ड भी अंदर-बाहर हो रहा था, सटासट-सटासट, और वो भी अपने चूतड़ उठा-उठा के उसे लील रही थी गपागप-गपागप। इस धका-पेल चुदाई के साथ-साथ उसने हाथों और होंठों से भी, कभी वो कसकर उसके खड़े निपल कसकर चूसता, तो कभी अपनी उँगलियों से उन्हें मसलता। और जब लण्ड आल्मोस्ट बाहर निकला होता तो उसकी चूत के रसीले फूल, पूरी तरह उभरे क्लिट को कसकर मसल देता।
मस्ती से गुड्डी की हालत खराब हो गयी थी। तभी उसने उसकी टांगों को अपने कंधे से उतारकर बिस्तर पे रख दिया। गुड्डी ने अपने आप अपनी टांगें खूब चौड़ी फैला लीं। थोड़ी देर तक वो उसके चूतड़ों को पकड़कर मसलकर चोदता रहा और फिर अचानक उसने अपना लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया और चुदाई रोक दी। पर उसके हाथ कसकर उसके क्लिट और निपल को छेड़ रहे थे।
बेचारी गुड्डी… उसकी हालत खराब थी। वो बेताबी से बोली- “हे करो ना… रुक क्यों गये?”
“क्या करूं? बोलो ना, तुम्हारा क्या करवाने का मन है? खुलकर बोलोगी, तो करुंगा…” उसने छेड़ा।
गुड्डी- “अरे वही जो अब तक कर रहे थे…” और चूतड़ उठाकर और एक बार फिर से अपनी लंबी टांगें उसकी कमर में लपेट के, कसकर अपनी ओर खींचकर। उसने अपना इरादा साफ-साफ जाहिर किया।
“हे मैंने सिखाया था ना तुम्हें पिछली बार कि शरम मत कर। बोल खुल के…” उसकी क्लिट को पिंच करते हुये वो बोला।
गुड्डी- “हे चोदो ना मुझे…” फिर चूतड़ उठाते हुए, हल्के से वो बोली।
“हे ऐसे नहीं, कसकर जोर से मेरी जान…” गाल काटते हुए वो बोला।
गुड्डी- “हे चोद… चोद मेरी प्यासी चूत मेरे जानम, कसकर चोद…” अबकी वो पूरे जोर से बोली और अपने हाथ से उसे कसकर अपनी ओर खींचा।
“हां जान, हां मेरी रानी, अब आयेगा मजा। ले, ले मेरा लण्ड… चोदता हूं, अब कस के। बहुत तड़पाया है तेरी इस चूत ने…” और अबकी उसका चूतड़ पकड़कर इस तरह से कसकर लण्ड पेला की इत्ती चुदवासी होने के बाद भी मेरी ननद बिलबिला गयी। और फिर तो जैसे तूफान आ गया हो। वह कचकचा के उसके रसीले गाल, भरी-भरी चूचियां काटता, बिस्तर पे चूतड़ रगड़-रगड़ के चोदता, कभी बेरहमी से उसकी चूचियां मसलता, कभी गाण्ड। लगातार उसका मोटा मूसल उसकी ओखली में बिना रुके चल रहा था।
और मेरी ननद भी कम नहीं थी। वो भी उसी तरह उसका जवाब दे रही थी, उसके लंबे खूबसूरत नाखून उसके कंधे में गड़ जाते जब वो उसके धक्के के जवाब में कंधे पकड़कर चूतड़ उछालती, अपनी छोटी पर रसीली कड़ी चूचियां उसके चौड़े सीने पे रगड़ती, अपनी कसी गुलाबी चूत में उसका मोटा लण्ड कसकर भींच लेती। बहुत देर तक वो तूफान चलता रहा, बादल गरजते रहे, घुमड़ते रहे, दोनों में कोई पीछे हटने वाला नहीं था। लेकिन जब बारिश शुरू हुई तो लग रहा था कहीं बादल फट गया हो।
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