RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
वो बोला- “अब इससे डरने से काम नहीं चलेगा और तुम क्या सोचती हो कि मैं वहां पहुँच नहीं सकता?” यह कहते हुये वो पलंग की ओर बढ़ा।
कातर हिरनी की तरह वह बिस्तर पे एक कोने में दुबक गयी और उसने तकिया उठाकर एक किनारे कर दिया। तकीये के नीचे वैसलीन की शीशी रखी थी। वैसलीन की शीशी खुले आमंत्रण से भी बढ़कर उसके इरादे को बता रही थी।
पलंग पर पहुँच के उसने उसे दबोच लिया। गुड्डी ने एक चादर उठाकर उसके अंदर छिपने की कोशिश की। पर उसने वहां उसके अंदर घुसकर उसे अपनी बांहों में भर लिया और कस-कसकर चूमने लगा। जैसे ही उसने अपना हाथ टाप के अंदर किया तो वहां ब्रा न पाकर वो खुशी से पागल हो गया। उसका टाप उठाकर उसने कस-कसकर उसके छोटे-छोटे किशोर उभारों को दबाना मसलना शुरू कर दिया। जैसे किसी बच्चे को उसका चिर प्रतीक्षित खिलौना मिल गया हो, वह कभी उसे सहलाता, कभी दबाता, कभी चूमता, कभी अपने होंठ उसकी चूचियों के बीच लेजाकर रगड़ता और उसने थोड़ी ही देर में उसके टाप को हटाकर बाहर फेंक दिया।
“हे मुझे तो टापलेश कर दिया और खुद…” गुड्डी ने भी उसकी बनियान को पकड़कर उतार फेंकी।
अब उसने कसकर एक बार फिर गुड्डी को अपनी बांहो में ले लिया और उसकी चौड़ी छाती कस-कसकर उसके उभारों को दबा रही थी। कभी वो उसे चूम रहा था, कभी उसके उभार दबा, मसल रहा था और कभी उसके होंठ, खड़े उत्तेजित निपल को कस-कसकर चूस रहे थे। फिर उसने एक हाथ गोरी किशोर जंघाओं पे रखकर सहलाना शुरू किया।
शरमाकर गुड्डी ने अपनी जांघों को कसकर भींचने की कोशिश की, पर जब मन ही सरेंडर कर चुका हो तो शरीर की क्या बिसात। और अब तो पैंटी का कवच भी नहीं था। थोड़ी ही देर में उसकी चुन्मुनिया, उसके यार के पंजों में थी।
थोड़ी देर तक प्यार से सहलाने के बाद उसने अपनी एक उँगली से उसके निचले गुलाबी होंठों को थोड़ा सा फैलाया और उँगली अंदर पैबस्त कर दी। पहले धीरे-धीरे, फिर तेजी से वो उसकी किशोर कली को फैला रहा था। इस रगड़ाई मसलाई से अब वो भी नशे में आ गयी। उसके मुँह से कस-कसकर सिसकियां निकल रहीं थीं। उसने गुड्डी का हाथ पकड़कर अपने लिंग पे रखा।
शरमाते, झिझकते गुड्डी ने उसे पकड़ लिया। खूब मोटा और एकदम कड़ा। वैसलीन की शीशी खोलकर उसके यार ने पहले उसकी गुलाबी कसी योनि में लगाया और फिर अपने मोटे लण्ड पे। उसकी गुलाबी सहेली पे लगाकरके उसने पूछा- “आप हमें आदेश करें तो हम प्यार का…”
“धत्त…” शर्माकर गुड्डी बोली और अपनी बड़ी-बड़ी आँखें बंद कर ली।
उसकी गोरी जांघें अच्छी तरह फैलाकर उसने टांगें कंधे पे रखकर उसकी कसी-कसी चूत की पुत्तियों को फैलाया और अपना मोटा सुपाड़ा सटाकर, कसकर एक धक्का मारा। दो तीन धक्कों में उसका सुपाड़ा अंदर था। दर्द के मारे उसकी हालत खराब थी। पहले तो किसी तरह अपने होंठ दांत से काट उसने किसी तरह रोका, पर चीख निकल ही गयी।
(मेरे कहने पे, पिछले तीन दिनों से वो लगातार टाईट अगेन लगा रही थी और उँगली भी बंद कर रखी थी।)
लेकिन वो आधा लण्ड अंदर डालकर ही रुका और फिर प्यार से उसके गाल, जोबन सहलाने लगा। थोड़ी देर में जब दर्द कम हुआ तो उसने पूछा- क्यों?
और गुड्डी हल्के से मुश्कुरा पड़ी।
इतना काफी था। अब तो उसने उसकी पतली कमर पकड़कर धका-पेल चुदाई शुरू कर दी। दर्द तो अभी भी हो रहा था पर जब सुपाड़ा और लण्ड चूत के अंदर रगड़ के घुसता तो अब गुड्डी को भी कसकर मजा आने लगा और वो भी हल्के-हल्के अपने चूतड़ ऊपर उठाने लगी। कभी वो कस-कसकर चोदता, कभी रुक के उसकी चूचियों और क्लिट को रगड़ता और कभी पूरा लण्ड बाहर निकालकर धक्के देता। आधे घंटे से ज्यादा चोदने के बाद कहीं वो झड़ा।
जब उसने अपना लण्ड बाहर निकाला तो वीर्य की सफेद धार निकलकर उसकी गोरी जांघों पे बह गयी। बहुत देर तक वो दोनों ऐसे ही चिपके पड़े रहे। कुछ देर बाद जब वो अलग हुये तो गुड्डी उसके ऊपर चढ़कर लेट गयी। वो घड़ी की ओर देख रहा था। घड़ी में साढ़े तीन बज रहे थे।
गुड्डी ने उसकी पलकों पे चूमकर उसकी आँखें बंद कर दीं। फिर गुड्डी के रसीले होंठ, उसके गालों को हल्के-हल्के चूमने लगे। गुड्डी ने, अपने यार के दोनों हाथ पकड़ रखे थे और हल्के से उसके कानों के लोब चूमकर काट लिये और उसकी जीभ कान में सहलाने लगी। थोड़ी देर में उसके होंठों को कसकर चूमने के बाद, वो कुछ नीचे सरकी और उसके गले पे उसने चुम्बन जड़ दिये। चद्दर कब की सरक चुकी थी। अब सजनी के उभार साजन की छाती को दबा रहे थे।
थोड़ा और नीचे आकर उसने फिर अपनी गुलाबी जुबान से उसके एक निपल को हल्के से छेड़ दिया, (मैंने उसे अच्छी तरह समझा दिया था की मर्द के निपल भी उसी तरह सेन्सिटिव होते हैं जैसे हम औरतों के) जब तक वो बेचारा सम्हले, उसके दोनों होठों के बीच उसका निपल था। वह चूसने के साथ, जीभ से छेड़ भी रही थी। और इत्ते से ही उसे संतोष नहीं था, लाल नेल-पालिश लगे नाखून उसके दूसरे निपल को भी फ्लिक कर रहे थे। बारी-बारी से दोनों निपलों को वो वैसे ही तंग करती रही और जल्दी ही गुड्डी की गोरी जांघों के बीच दबा उसका हथियार फिर जोश में आ गया।
थोड़ा और नीचे सरक कर उसने एक चुम्मी उसके पेट पे सीधे नाभी पे ली और फिर बिना रुके और नीचे आकर उसने उसके लगभग पूरी तरह उत्तेजित लिंग को गीला करके, उसके बेस, काली घुंघराली झांटों पे, छोटी-छोटी कई चुम्मी ले लीं। और फिर, दोनों हाथों को उसके चूतड़ के नीचे लगाकर दो चुम्मी उसके बाल्स पे भी ले ली। अब तो उसकी हालत एकदम खराब हो गयी। और फिर उसे उसी हालत में छोड़कर गुड्डी उसके ऊपर आ गयी। उसकी किशोर जांघों के बीच ठीक उसकी योनि के नीचे, बेचारे का पूरी तरह जोश में खड़ा लण्ड दबा था। वह हल्के-हल्के अपनी जांघों से उसे दबा भी रही थी।
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