RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
मैने झट से साड़ी किसी तरह लपेटी, मेरी गोरी जाँघो पर उनका वीर्य बहा
हुआ था, पर उस ओर ध्यान ना देकर मैने उन्हे रज़ाई मे ढका और जाकर
दरवाजा खोला. दरवाजे पे मेरी जिठानी बेड टी लेकर खड़ी थी. मुझे उस हाल
मे देख के चिढ़ाते हुए वो बोली,
" लगता है सुबह सुबह गुड मॉर्निंग हो गया." उनके हाथ से टी लेते मैं बोली
" दीदी आपके देवर है ही ऐसे कही भी कभी भी"
" अरे बेचारे मेरे देवर को क्यो बदनाम करती हो ये तुम्हारे मस्त है ही
ऐसे" साड़ी के उपर से मेरे कड़े निपल को दबाती वो बोली.
" और फिर तुम्हे मैं चुन के शादी करा के लाई ही इसी लिए थी, इसलिए अब
शिकायत क्या करना,.हाँ राजीव को बोल देना ज़रा जल्दी तैयार हो के तुम्हारे
साथ निकल लेगा, जनवासे का भी इंतेजाम उसे ही पूरा देखना है." यह कह के
वो निकल गयी. अल्पना को भी लेने जाना था, इसलिए वो तो झट से नहा धो के तैयार हो
गये और आज जबरदस्त आफ्टर शेव और लेडी किल्लर परफ्यूम भी लगाया था.
अल्पना घर मे अपने स्कूल ड्रेस मे, नेवी ब्लू स्कर्ट और टॉप मे बहुत सेक्सी लग
रही थी. राजीव ने जैसे ही अल्पना की मा के पैर छूने की कोशिश की उन्होने रोक
दिया और बोली, अरे दामाद से कैसे पैर, और उन्हे उठा दिया. मेरी ओर देख के बोली,
" लगता है बेटी दामाद से बहुत मेहनत कराती है." उनकी निगाह मेरे लो कट
ब्लाउस से सॉफ दिखते रात के निशानों पर थी और मैं उनका मतलब समझ के
शरमा गयी. पर वो बोली, लेकिन दामाद का काम ही है मेहनत करना.
तबतक अल्पना एक बड़े ग्लास मे गरम दूध ले आई और बोली,
" अरे, इसी लिए तो मैं गरमागर्म दूध ले आई कि बेटियों के साथ जो भी मेहनत
करना हो करे"
" अरे नही मैं दूध नही पीता और मैं नाश्ता कर के आया हू" राजीव ने मना किया.
" अरे ससुराल मे तो थोड़ा नखड़ा दिखाएँगे ही ले लो साली दे रही है, पी लो." मैं
बोली और फुसफुसा कर उनसे कहा, साली दे रही है, मना मत करो."
" अरे साली का दूध, किस की हिम्मत है मना करने की. " अल्पी के गदराए
मम्मे की ऑर बेशर्मी से देखते वो बोले.
शरमा कर अल्पी मूड गयी और कहने लगी कि मैं अभी कपड़े चेंज कर के आती हू.
वो बोले अरे नही तुम इसी मे अच्छी लग रही हो.
" और क्या, और दोपहर मे तो तुम लौट ही आओगी हाँ फिर तैयार होके रात मे
रुकने की तैयारी के साथ आना." मैने भी राजीव की बात का साथ दिया. अल्पी की मा की
ओर मैने देखा तो वो हल्के हल्के मुस्करा रही थी. मैने उनसे इजाज़त माँगी,
" मम्मी, आज शादी का काम बहुत है, सारी रस्में होनी है और रात मे देर तक
गाना वाना अगर आप पर्मिट करे तो मैं उसको रात मे रोक लूँ"
" अरे बेटी तुम्हारी छोटी बहन है और फिर शादियों मे तो जान पहचान
बढ़ती है लड़कियाँ सब कुछ सीखती है और आगे से दुबारा मुझ से मत
पूछना, मैं बुरा मान जाउन्गि."
" ग़लती हो गयी मम्मी और हाँ कम्मो कहाँ है?" मुस्करा कर अल्पी की छोटी
बहन के बारे मे मैने पूछा,
" वो स्कूल गयी है दुपहर मे आएगी, वो भी बेताब थी अपने जीजू से मिलने के
लिए.
तब तक अल्पना और राजीव बाहर निकल आए थे. कार का पिछला दरवाजा खोल कर
मैने कहा तुम दोनो आज पीछे बैठो, मैं आज ड्राइव करती हू. और मैं ड्राइव
करने लगी. पीछे देख कर मैने कहा, "अब जीजा साली, अच्छी तरह मुलाकात कर
ले." राजीव ने उसे अपनी ओर खींच लिया. मिरर मे देख कर, मुस्कराते हुए. मैं बोली,
" अल्पी, अपनी दीदी का नाम मत डुबोना,".
हँसते हुए उसने अपने गुलाबी होंठ बढ़ा दिए और बोली,
" नही, एकदम नही" और अपने जीजा की गोद मे बैठ गयी. मैने सारी खिड़कियो के
ब्लॅक टींटेड शीशे, पहले ही चढ़ा दिए थे. 5 मिनिट का रास्ता मैने खूब
चक्कर लगा कर आधे घंटे मे पूरा किया. और मैं रह रह कर शीशे मे देख
रही थी पहले थोड़ी देर बाहर से, फिर उसकी स्कूल ड्रेस के टाइट ब्लाउज के
अंदर हाथ डाल राजीव ने अच्छी तरह उसके किशोर उभारों की, नाप तौल की. अल्पी
भी बढ़ चढ़ कर अपने जीजू का साथ दे रही थी. राजीव का एक हाथ उसके
मम्मे दबाता और दूसरा, स्कर्ट के अंदर जाकर उसकी गोरी गोरी जांघों को
सहलाते हुए पैंटी के अंदर छेड़खानी कर रहा था. जीन्स के अंदर तना उनका
बुर्ज सॉफ सॉफ दिख रहा था. पहले हम जनवासे पहुँचे और वहाँ का काम
देख कर घर. वहाँ गुड्डी इंतेजार कर रही थी कि उसे शॉपिंग ले किए जाना था.
मैं उतर कर घर मे चली गयी और राजीव दोनों को लेकर शॉपिंग के लिए. मैने
अल्पी से कहा,
" शॉपिंग के ले लिए जा रहे है तो अपने जीजू की जेब अच्छी तरह से खाली
करवाना उन्हे बहोत दिनों से इंतजार था छोटी साली का,"
" एकदम दीदी" हँसते हुए अल्पना बोली.
घर मे शादी का पूरा महॉल था, हँसी मज़ाक, गाने शादी के काम सब एक
साथ चल रहे थे. मैं भी उस कमरे मे जा कर बैठ गयी जहाँ मेरी जेठानी,
गुलाबो और बाकी औरते बैठी थी. तभी दुलारी की बुलुंद आवाज़ मे गाली गाने की
आवाज़ सुनाई पड़ी,
" अरे आया बहन चोद आया, अरे नंदोई बंदुआ आया, अपनी बहन, अरे अपनी हेमा चुदाता आया "
मेरी जेठानी ने कहा लगता है जीत और लाली (गुड्डी की सबसे बड़ी बहन और
उसके जीजा) आ गये. और तब तक वो दोनो लोग कमरे मे आ गये. बड़ी ननद लाली के
पैर छू कर जैसे ही मैं नंदोई जी के पैर छूने बढ़ी तो उन्होने मुझे पकड़ के गले लगा लिया, और बोले,
" अरे सलहज से तो गले मिलना चाहिए" गले लगाकर उनका एक हाथ मेरे सेक्सी
बड़े बड़े नितंबों को सहला रहा था. मैं उनका मतलब अच्छी तरह समझ
रही थी. शरारत से मैने अपना आँचल थोड़ा गिरा दिया और अब मेरे गहरे लो कट
ब्लाउज से उन्हे मेरी गोलाइया अच्छी तरह दिख रही थी. यही नही मैने अपने
भारी उभार कस के उनके चौड़े सीने पे दबा दिए. वह क्यो चूकते, साइड से
उन्होने मेरे जोबन हल्के से मसल दिए. मैने भी अपनी जाँघो के बीच उनके
तन्नाटे खुन्टे को हल्के से दबा दिया. मेरी ननद लाली मुझे ध्यान से देख रही
थी. मुझे छेड़ते हुए, मुस्करा के वो बोली.,
" लगे रहो.. लगे रहो"
" नंदोई जी आप को नही लगता है कहीं कुछ सुलग रहा है." उनको और कस के
भींचते मे, मुस्करा के ननद को देखती बोली.
" अरे सॉफ सॉफ क्यों नही कहती कि ननद रानी की झान्टे सुलग रही है" गुलाबो
क्यों चुप रहती?.
" मेरी ओर से खुली छूट है, आख़िर मेरी प्यारी छोटी भाभी है" हंस कर लाली बोली.
" तो ठीक है ननद जी, जब तक आप लोग है मैं आप के सैया के साथ खुल कर
मज़ा लेती हू और आप मेरे सैया यानी अपने भैया के साथ मज़ा ले, दोनों का
स्वाद बदल जाएगा, क्यों नंदोई जी ठीक है ना..?" छेड़ते हुए मैं बोली. अब तक
मेरा आँचल पूरी तरह धलक चुका था और ननदोयि जी अपन पूरे तन्नाए
खूँटे को जाँघो के बीच लगाए हुए थे.
" अरे नही मेरे सैया का भी तुम मज़ा लो और मेरे भैया का भी" घबराकर
ननद जी बोली
" नही ननद जी आप जैसी ताक़त सब मे थोड़े ही होती है और फिर तो मेरे सैया
बेचारे का उपवास हो जाएगा. कर लीजिए ना अदला बदली" मैने उन्हे और
रगड़ा.
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