RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
शाम को राजीव के साथ मेरी जेठानी और गुलाबो भी आई। गुलाबो घर में काम करने वाले रामू की बीबी थी। मजाक करने और गाली गाने में उसका कोई सानी नहीं था। और वह बहू होने के नाते भाभी का ही दर्जा पाती थी इसलिये हम लोगों का साथ देती थी। जल्दी-जल्दी काम खतम करके हम लोग गाने के लिये बैठे। मैं एक बन्नी गा रही थी।
तभी मैंने देखा की गुड्डी के साथ एक बड़ी ही खूबसूरत, गोरी चिट्ठी, शुरू के पेड़ की तरह लम्बी, जोबन उसके तो इत्ते उभरे थे कि उसका कुर्ता फाड़ रहे थे, और चूतड़ भी बस (ट्विंकल खन्ना समझ लीजिये), स्लेटी शलवार-कुर्ते में गजब की लग रही थी।
उसने परिचय कराया- “भाभी, ये मेरी सबसे पक्की सहेली है अल्पना कौर हम उसे अल्पी कहते हैं…”
मैंने उसे गले से लगा लिया। तब तक कनखियों से मैंने देखा की राजीव उसे ललचाई नजरों से देख रहे हैं। मैंने अपने बड़े-बड़े जोबन से उसके उभारों को खूब कसकर दबाते हुये, उसकी पीठ की ओर, अपनी दो उँगली से गोला बनाकर एक उँगली से अंदर-बाहर करके राजीव से इशारे में पूछा- “चोदना है, क्या?”
और उन्होंने कसकर स्वीकारोक्ति में सर हिलाया।
वह दोनों मेरे पास बैठ गयीं और बन्नी गाने में मेरा साथ देने लगीं। इत्ती सेक्सी दो-दो ननदें मेरे पास में बैठी हों और मैं… मैंने दोनों से कहा- “ये गाना तुम लोगों के लिये है…” और चालू हो गयी।
बार-बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाये,
अरे बार-बार, गुड्डी और अल्पी दरवाजे दौड़ी जायें, कहना ना माने रे,
हलवैया का लड़का तो ननदी जी का यार रे, अरे वो तो अल्पी का यार रे,
लड़डू पे लड़डू खिलाये चला जाये, कहना ना माने रे,
अरे वो तो चमचम पे चमचम चुसाये चला जाये, कहना ना माने रे
अरे, दर्जी का लड़का, तो ननदी जी का यार रे, अरे वो तो गुड्डी जी का यार रे,
चोली पे चोली सिलवाये चली जाये, कहना ना माने रे,
अरे बाडी पे बाडी नपवाये चली जायये, कहना ना माने रे,
अरी मेरी सासू जी का लड़का सब ननदों का यार रे,
अरी मेरी अम्मा जी का लड़का सब ननदों का यार रे,
सेजों पे मौज उड़ाये चला जाये, कहना ना माने रे,
अरे गुड्डी और अल्पी टांग उठाये चली जायें, कहना ना माने रे
मैंने फिर ढोलक दूसरे की ओर बढ़ा दी।
“अरे, एक ही गाने का स्टाक था, क्या भाभी…” गुड्डी बोली।
बाहर मैंने देखा तो राजीव मुश्कुरा रहे थे। उनकी ओर देखते हुये मैंने कहा- “सुनाती हूँ, अपने सैयां की बहनों का हाल…” और मैंने फिर ढोलक थाम ली। मेरी जेठानी और गुलाबो भी मेरा साथ दे रहीं थीं। मैंने दूसरा गाना शुरू कर दिया-
ऊँचे चबुतरा पे बैठे हमारे सैयां करें अपनी बहनन का मोल,
अरे ऊँचे चबुतरा पे बैठे राजीव लाला, करें अपनी बहनन का मोल,
मेरी जेठानी ने जोड़ा-
अरे तूती बोलत है, करें अपनी बहनन का मोल, करें अपनी गुड्डी और अल्पी का मोल, अरे तूती बोलत है,
अरे गुड्डी का मांगें पांच रुप्पैया, अरे गुड्डी का मांगें पांच रुप्पैया, अरे अल्पी हमार अनमोल,
अरे तूती बोलत है,
अरे अल्पी के जोबना का मांगें पांच रुप्पैया, अरे बिलिया बड़ी अनमोल,
साफ-साफ बोलो ना, गुलाबो ने जोड़ा-
अरे बुरिया बड़ी अनमोल, तूती बोलत है,
अरे बहिनी बहिनी मत कर भड़ुये, बहिनी तो पेट रखाय
अरे बहिनी बहिनी मत कर गंड़ुये, बहिनी तो पेट रखाय, तूती बोलत है।
दुलारी, जो वहां नाईन थी पर रिश्ते में ननद ही लगती थी, अब गुड्डी और अल्पना के साथ आ गयी और बोली- “हे… तुम लोग क्या मुँह बंद करके बैठी हो, दो ना तगड़ा सा जवाब वरना हम ही देते हैं…”
“अरे मुझे मालूम है ये अपने मुँह में अपने भैया का तगड़ा सा घोंट के बैठी है। अगर हिम्मत है तो सुनाओ, तुमको भी कसकर जवाब मिलेगा…” मैं हँसकर उसको उकसाते हुये बोली।
दुलारी चालू हो गयी-
बिन बादर के बिजली कहां चमकी, बिन बादर,
अरे रीनू भाभी के गाल चमके, अरे नीलू भाभी के गाल चमके,
उनकी चोली के भीतर अनार झलके, अरे गुलाबो के दोनों जोबन झलके,
अरे बिन बादर के बिजली कहां चमकी, बिन बादर,
अरे हमरी भाभी के जांघन के बीच दरार झलके, बिन बादर।
तब तक हमारी सास लोग भी वहां आ गयीं। किसी ने कहा- “अरे जरा अपनी सास लोगों को भी तो सुनाओ…”
और मैं फिर शुरू हो गयी-
मोती झलके लाली बेसरिया में, मोती झलके,
हमरे सैंया की अम्मा ने, बुआ ने, हमारी सास ने, एक किया दो किया, साढ़े तीन किया,
हिंदू मूसलमान किया, कोइरी चमार किया, सारा पाकिस्तान किया,
अरे 900 गुंडे मथुरा के, अरे 900 पंडे बनारस के, मोती झलके
मोती झलके लाली बेसरिया में, मोती झलके,
अरे हमरी ननद रानी ने, गुड्डी साली ने, अल्पी छिनार ने,
एक किया, दो किया, साढ़े तीन किया,
हिंदू मूसलमान किया, कोइरी चमार किया, सारा पाकिस्तान किया,
900 भंड़ुए कालीन गंज के, अरे 900 गदहे अलवल के, (मेरी ननद का मुहल्ला, वहां गधे रहते थे।)
मोती झलके लाली बेसरिया में, मोती झलके।
अब गुलाबो ने मेरे हाथ से ढोलक ले ली और बोली- “अरे गाली तो असली गाली होनी चाहिये, अब मैं सुनाती हूं इन ननद छिनालों को एक…” मैं भी उसका साथ दे रही थी।
अरे खेतों में सरसों फुलाई, अरे पीली-पीली सरसों फुलाई।
अरे हमरी ननदी की, राजीव की बहना की, गुड्डी साली की हुई चुदाई।
अरे हमरी ननदी की, अल्पी छिनरौ की हुई चुदाई।
अरे हमरे सैयां से चुदवाई, हमरे भैया से चुदवाई,
अरे खेतों में सरसों फुलाई, अरे पीली-पीली, सरसों फुलाई।
“क्यों मजा आया, नान वेज गाली का?” मैंने दोनों से पूछा। मैं देख रही थी कि दोनों ननदों की हालत खराब थी।
पर तब भी हिम्मत करके वो बोली- “अरे भाभी, आपने तो नहीं सुनाया…”
“अच्छा सुनना है? चलो…” और अबकी मैं गा रही थी और गुलाबो साथ दे रही थी।
अरे क्या-क्या अमाये, क्या-क्या समाये, हमरी ननदी की बिलिया में,
अरे अल्पी छिनार, अरे गुड्डी छिनार की बिलिया में उनकी बुरिया में,
अरे क्या-क्या अमाये, क्या-क्या समाये, अरे भाभी हमरी बिलिया में, हमरी बुरिया में,
तुम्हरे सैयां समायें, तुम्हरे सैयां के सब साले समायें,
तुम्हरे मैके के सब छैला समायें, हमरी बुरिया में।
तब तक राजीव ने कहा कि चलने की लिये देरी हो रही है। दुलारी ने मेरी तारीफ की और कहा- “भाभी मजा आ गया लेकिन कल खाली असली वाली गाली होगी और नाच भी, आपको भी नचायेंगे…”
गुलाबो बोली- “अरे, आज शुरूआत मजेदार हो गयी, लेकिन कल ननद छिनारों को ऐसी गाली सुनाऊँगी और नचाऊँगी…”
मैंने और जोड़ा- “अरे दुलारी, बल्की इनको भी पेटीकोट खोलकर नचायेंगें, पूरा रात-जगा होगा…” अल्पना से मैंने कहा की कल वह रतजग्गे की तैयारी से आये।
तय यह हुआ कि राजीव मेरे साथ चलकर अल्पना को उसके घर छोड़ देंगे फिर हम लोग लौटकर गुलाबो जेठानी और सासू जी के साथ घर वापस चलेंगे।
गुड्डी भी अल्पना को छोड़ने के लिये, साथ चलने के लिये गाड़ी में आकर बैठ गयी। हम तीनों पीछे बैठे और आगे सिर्फ राजीव ड्राईव कर रहे थे। बार-बार अल्पना को राजीव ललचाई निगाहों से रियर व्यू मिरर में देख रहे थे और अल्प्ना भी उनकी मीठी निगाहों का मतलब समझकर अच्छी तरह मजा ले रही थी।
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