RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
करण के पास कुछ भी कहने को नही था. उसे खुद सब कुछ गोल मोल लग रहा था. उसे समझ मे नही आ रहा था कि रात उसके साथ क्या हुआ, आज वो सुबह अपने आप होटेल के रूम तक कैसे पहुच गया और निशा यहाँ जयपुर तक कैसे आ गयी.
निशा अपने आँसू पोछते हुए करण के शर्ट का कॉलर पकड़ते हुए बोली,” एक बात बताओ करण , कि मेरे प्यार मे क्या कमी रह गयी थी जो तुमने मुझे आज इतना बड़ा धोका दिया....उस रंडी के जिस्म मे ऐसी क्या बात थी जो तुम्हे अपनी बीवी के जिस्म को छोड़ कर उसके पास चले गये...”
करण कुछ बोल ना सका. उसने अपनी गर्दन नीचे झुका ली. करण की खामोशी को निशा की नज़रो मे उसे और ज़्यादा गिरा दिया.
“मैं सब कुछ सह सकती थी....पर अपने पति को किसी और औरत के साथ नही देख सकती....क्या नही किया मैने तुम्हारे लिए....तुम्हारे लिए अपना जिस्म सौंप दिया तुम्हे....अपना करियर अपने माँ बाप सब कुछ छोड़ कर तुम्हारे पास आ गयी...और बदले मे मुझे मिला क्या...यह धोका...तुमने सिर्फ़ मेरे जिस्म को अपनी वासना शांत करने मे इस्तामाल किया है.”
करण का सर शर्म से झुका रहा.
निशा की आँखे फिर भर आई, वो करण को कॉलर से पकड़ कर झंझोरते हुए बोली, “क्यू....आख़िर क्यू किया ऐसा तुमने करण....बोलो तुम्हे कैसा लगेगा जब मैं किसी गैर मर्द के साथ उसका बिस्तर गरम करू..”
करण निशा के मूह से ऐसी बातें सुनकर अंदर से टूट गया. उसकी आँखे रो पड़ी और वो वही निशा के कदमो मे गिर गया, "निशा मुझे माफ़ कर दो.."
निशा एक पत्थर की मूरत बन खड़ी थी. “करण....मुझे तुमसे तलाक़ चाहिए....” निशा अपने आँसू पोछते हुए बोली.
तलाक़ शब्द करण के कानो मे गूँज उठा. उसका घर बनने से पहले ही बिखर चुका था. जिसे उसने अपनी जान से भी ज़्यादा चाहा आज वो खुद उसे अलग होने की बात कर रही थी. करण को लगा मानो उसका आधा अंश उसे टूट कर अलग हो गया हो.
उसने निशा से कुछ ना कहा और अपने कमरे की तरफ लौट चला. निशा ने भी उसे पलट कर एक बार भी नही देखा और वहाँ से चली गयी.
करण एक लूटे हुए इंसान की तरह वापस कमरे मे आया तो मोहिनी इस बार अर्जुन के लौडे पर कूद कूद कर उसका लॉडा अपनी चूत मे ले रही थी. करण को बहुत गुस्सा आया उसने मोहिनी का हाथ पकड़ कर खीचते हुए कहा, “साली तुझे रंडीबाजी करने के लिए हम ही मिले थे क्या....देख तूने मेरा घर उजाड़ दिया...मेरी नयी नयी शादी हुई थी...तूने सब बर्बाद कर दिया...”
“मैने क्या किया साहब...मैं तो एक ग़रीब विधवा हू....कल रात आप दोनो भाइयो ने ही ज़बरदस्ती मेरा बलात्कार किया था....क्या आप भूल गये...” मोहिनी मासूम बनते हुए बोली.
“क्या बलात्कार...???” करण ने अपने मन मे सोचा. मोहिनी की चुचियो से निकाले दूध पीने के बाद दोनो की यादश्त कमज़ोर हो गयी थी.
“आप कहो तो मैं चुप चाप पोलीस मे जाकर आप दोनो के खिलाफ रपट लिखवा देती हू....”
“नही ऐसा मत करना....हम पता नही यहा क्यू आए थे हमे कुछ याद नही आ रहा....तुम्हे जो चाहिए वो बोलो मैं तुम्हे दूँगा पर पोलीस मे कंप्लेंट मत लिखवाना...” दूध के असर से दोनो रामपुरा जाना ही भूल गये थे.
“ठीक है अगर मुझे यह देदो तो मैं रपट नही लिख्वाउन्गि...” मोहिनी करण के लौडे को ज़िप से बाहर निकालते हुए बोली.
करण ने एक ज़ोरदार थप्पड़ मोहिनी के गालो पर रसीद दिया. “जा चली जा यहाँ से....और दोबारा कभी इधर मत आना...”
मोहिनी को इससे कोई फ़र्क नही पड़ा. उसका काम तो हो गया था. उसकी चुचियो का दूध पीकर करण और अर्जुन दोनो अपनी बहन काजल के बारे मे भूल गये थे.
“जाती हू साहब...मारते क्यू हो...अगर मेरी चूत से मान भर गया हो बोल दो दूसरी की इंतज़ाम करवा दूँगी...” और आँख मारते हुए वो कमरे से निकल गयी.
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