RE: Tadpati Bhabhi Ko Choda
परमजीत : केवल पैसे ही चाहिए? केला नही चाहिए।
भाभी : केला से एलर्जी है। मैं ऐरे गैरे केले नहीं खाती। मुझे तो बस पैसे दे दो आप।
परमजीत : अरे मैं ऐरा गैरा कहा। चलो छोडो आप दूध ही पिला देना।
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भाभी :पहले आओ तो सही।
परमजीत दरवाजे पर खड़ा था। बोला “दरवाज़ा खोलने में अब और देर न कर हश्र बरपा करने में मेरी नज़र तेरे दीदार को तरसती हैं।”
“बड़े शायराना लग रहे हो आप”
भाभी तुरंत दरवाजे की तरफ बढ़ती हुई बोली।
आज भाभी को देख के मेरा भी मन डोल रहा था। दरवाज़ा खोल कर परमजीत को अंदर ड्राइंग रूम में बैठाई और बोलीं “मैं आपके लिए कुछ लेकर आतीं हूँ।
परमजीत बोला “अरे रुकिए तो सही अभी ये बताइये आपके देवर कहाँ गए है?”
भाभी बोलीं “ वो तो अपने दोस्त के पास गए हैं।”
परमजीत बोला “सही है तब तो आज फुर्सत से दूध पिऊंगा।”
भाभी बहुत खुश नज़र आ रही थी। वह अंदर जाकर एक गिलास दूध ले आयीं और देते हुवे बोलीं “शांत कर लीजिए अपनी ख्वाइश।”
परमजीत बोला “ मेरा तो कोई और दूध पीने का इरादा है लेकिन अब आप ले आइ है तो अपने हाथों से पिला दीजिये आप अपने हाथों से पिलाने वाली थीं न।”
भाभी बड़ी ही सेक्सी अदाओं से उसके तरफ देखते हुवे बगल में रखे सोफे पर बैठने वाली ही थी की परमजीत ने खिंच कर अपने गोद में बिठा लिया।
भाभी मुस्कुरा दीं। परमजीत ने उन्हें अपनी बाँहो में कस कें पकड़ लिया। अब मुझे यकीं हो गया कि आज भाभी की बुर में परमजीत का लण्ड जायेगा जरुर।
भाभी इतराते हुवे बोली “आप बहुत ख़राब हो कोई दोस्त की बीवी के साथ ऐसा करता है क्या?”
परमजीत- दोस्त की बीवी की जवानी में सुखार आ जाए, ये एक दोस्त देख भी तो नही सकता।
इतना कहने के बाद परमजीत ने भाभी की चूचियों को दबोच लिया और मसल दिया।
भाभी उचकते हुवे उठने का प्रयाश करते हुवे बोलीं “अरे कोई भरोसा नही है मेरे देवर जी का, कभी भी आ सकते है।”
मुझे एक अजीब सी जलन हो रही थी। पता नही क्यों ख़राब भी लग रहा था और अच्छा भी। मैंने भाभी को टेक्स्ट किया “आने में थोड़ी देर हो जायेगी” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मेसेज की जैसे ही घंटी बजी, परमजीत ने मोबाइल उठा कर मेसेज पढ़ लिया। भाभी को दिखाते हुवे बोला “लग रहा है कि भगवान भी चाहते हैं कि मैं आपके सूखे पड़े कुवें को अपने हैंडपंप के पानी से सराबोर कर दू।”
भाभी बोलीं देखती हूं कि पानी बाहर भी निकालते हो या सिर्फ गिला करके छोड़ देते हो।
मोबाइल कुर्सी पर रखते हुवे भाभी के ब्लाउज के हुक को खोल दिया। विश्वास नही हो रहा था कि भाभी ब्रा नही पहनी थी। उसने जैसे हि ब्लाउज खिंचा भाभी अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को ढक ली।
परमजीत बड़ी ही नज़ाकत से भाभी की साड़ी को खोल कर उन्हें बाहों में भर लिया और उनको सोफे पर लेटा कर पेटीकोट भी उतार दिया।
भाभी का बदन संगमरमर सा चमक रहा था। गठीली मांसल और गोल चूचियां जैसे किसी ने ऊपर से एक पेप्सी के बोतलनुमा शरीर पर चिपका दी हो। मेरे लण्ड और मुह दोनों से लार चुने लगा था।
आज मुझे लग रहा था कि भैया बाहर कमाने क्यूँ नही जा रहे थे। ऐसी माल को छोड़ के भला कौन जाना चाहेगा।
खैर परमजीत जो अपने सारे कपडे खोल चूका था सिवाय अंडरवियर के, भाभी की होठों पे होठ रख के चूसने लगा। और उनकी चूचियों को दबा रहा था। पैर से पैर रगड़ रहा था। फलस्वरूप भाभीजी अब शर्म का पर्दा गिरा कर पूरी तरह से परमजीत के उपर हावी हो गयी। पागलो की तरह से परमजीत को मसल और चुम रहीं थी मनो ऐसा हो जैसे बस ये आखिरी मौका हो।
दोनों एक दूसरे को काट चूसे जा रहे थे। इसी बीच परमजीत ने अपना अंडरवियर भी उतार दिया। उसका लगभग साढ़े पांच इंच का लण्ड बाहर था। भाभी उसे लेकर मसलने लगी। कुछ ही देर परमजीत भाभी के दोनों पैरों के बीच मुह लेजाकर उनकी सुर्ख ओखल्नुमा बुर पर अपने होठ रख दिए और उससे रिस रही लावा नुमा गर्म नमी को चाटने लगा।
उसकी जीभ भाभी के फुले हुवे बुर को जितना चाट रहे थे भाभी उतनी ही लाल और उनकी चूचियां उतनी ही टाइट होती जा रही थी। भाभी उसके सर को अपने हाथों से दबा कर अपने बुर का मुख-विहार करा रहीं थीं। शायद ही परमजीत का ऐसे किसी लड़की या औरत से पाला पड़ा हो।
लगभग 5 मिनिट चूत चटाई के बाद परमजीत को सोफे पर पीठ के बल लिटा कर उसके ऊपर सवार हो गईं और अपने बुर को उसके लण्ड पर रख रगड़ने लगी।
कुछ ही देर में भाभी आनंदविभोर हो उठी थी। कितने दिनों बाद आज सूखे बुर के दीवार गीले होने वाले थे। कुछ महीने पहले तक तो 2 साल के लिए समझौता ही कर चुकी थी की बुर के अंदर कोई हलचल भी होनी हैं। लेकिन कहते हैं न ऊपर वाला जब भी देता, देता छप्पर फाड़ के। उन्हें अंदाज़ा भी नही था कि आज एक नहीं बल्कि दो लण्ड से चुदने वालीं थी।
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