Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
02-12-2022, 01:30 PM,
#73
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
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शाम ५:३० बजे
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घर के आँगन में मोहन खाट पर लेटे हुए है. उनके पास बिमला और उमा बैठे हुए है. पास ही उर्मिला भी बैठी हुई है. घरबार की जम के बाते हो रही हैं. उर्मिला का ध्यान किसी और ही बात पर था. मौका देख कर वो कहती है.

उर्मिला : वैसे मामीजी, पिछली बार मैं आई थी तो आपका गाँव नहीं देख पाई थी. सोच रही हूँ इस इस बार जरा घूम कर देख लूँ की आपका गाँव कैसा है.

बिमला : अरे तो इसमें पूछने वाली क्या बात है उर्मिला. शाम को हम चलते है.

उर्मिला : अरे मामीजी आप क्यूँ कष्ट करती हैं? घर के बच्चे किस दिन काम आयेंगे? मैं गोलू से बोल दूंगी. और फिर सोनू भी तो हैं ना? हम तीनो चल देंगे.

मोहन : हाँ भाई ये भी ठीक है. इसी बहाने सोनू भी घूम लेगा. क्यूँ उमा?

उमा : हाँ भैया. दिल तो मेरा भी कर रहा है गाँव घुमने का पर एक बार आप के पैर का प्लास्टर खुल जाये फिर हम सब साथ चलेंगे.

मोहन : हाँ उमा. तब तक बच्चे और उर्मिला आ जाए घूम कर.

उर्मिला : शाम हो रही है मामीजी ... सोच रही हूँ की गोलू के साथ एक चक्कर लगा ही लूँ. ये गोलू वैसे हैं कहा?

उर्मिला एक नज़र यहाँ वहां देख कर आवाज़ लागती है.

उर्मिला : गोलू....अरे ओ गोलू...!!!!

तभी धोती पहने गोलू दौड़ता हुआ वहां आता है. उसके पीछे सोनू भी दौड़ता हुआ आता है. सोनू ने भी आज धोती पहनी है. दोनों को धोती में देख कर सभी जोर से हँसने लगते है.

उमा : ये देखो. दोनों भाइयों को. धोती भी एक जैसी पहनी है.

बिमला : हाँ दीदी....दोनों भाइयों की जोड़ी तो बड़ी अच्छी लग रही है.

उर्मिला : सच में मामीजी...नज़र ना लगे. अच्छा गोलू .... मैं गाँव घुमने का सोच रही थी. तू अपनी भाभी तो दिखायेगा अपना गाँव?

ये कहकर उर्मिला गोलू को देख कर आँख मार देती है. गोलू समझ जाता है. वो भी खुश होता हुआ कहता है.

गोलू : हाँ भाभी...जरुर दिखाऊंगा....कब चलना है?

उर्मिला : चलना तो अभी ही है. पहले तू बता की यहाँ सबसे अच्छी और शांत जगह कौनसी है.

मोहन : यहाँ तो वैसी एक ही जगह है उर्मिला. सरपंच जी का तालाब. सरपंच जी के खेतो से घीरा हुआ है और खेत के बाहार तार की बाड़ लगी है. वहां कोई आता जाता नहीं है.

उर्मिला : (अनजान बनते हुए) फिर हम कैसे जायेंगे मामाजी?

मोहन : चिंता की कोई बात नहीं है बहु. सरपंच जी मेरे बहुत ही अच्छे मित्र है. हमे वहां आने-जाने में कोई रोक नहीं है.

उर्मिला : ये तो बहुत अच्छी बात है मामाजी.

मोहन : गोलू साथ है तो बस काफी है.

उर्मिला : तो गोलू महाराज ..!! चला जाए?

गोलू : हाँ भाभी...चलते है.

उर्मिला फिर से यहाँ-वहां नज़र दौड़ाने लगती है. तभी उसकी नज़र दरवाज़े के पीछे खड़ी कम्मो पर पड़ती है. उर्मिला ने पहले ही उसे समझा रखा था. उर्मिला का इशारा पाते ही कम्मो उच्चलती हुई वहां पहुँच जाती है.

कम्मो : बहुत अच्छा भाभी. आप सब जा रहे हो मुझे अकेला छोड़ कर....

उर्मिला बनते हुए बिमला की तरफ देखने लगती है. बिमला समझ जाती है की उर्मिला क्या पूछना चाहती है.

बिमला : कोई बात नहीं उर्मिला. तुम सब साथ हो तो किस बात का डर? ले जा इसे भी. और तू सुन कम्मो...ज्यादा इधर-उधर मत भागती फिरना. अपनी भाभी के साथ ही रहना.

कम्मो : हाँ माँ...भाभी के साथ ही रहूंगी.

उर्मिला : ठीक है चलिए...आपका गाँव घूम कर आते है.

उर्मिला, गोलू, सोनू और कम्मो घर से निकल कर तालाब की तरफ बढ़ने लगते है. कम्मो सबसे आगे उच्छालती-कूदती चल रही थी. गोलू की नज़र बार-बार कम्मो की बड़ी चूतड़ों पर जा रही थी जिसे उर्मिला देख लेती है. गोलू की तरफ मुस्कुराते हुए देखकर उर्मिला कहती है.

उर्मिला : रास्ते पर ध्यान से गोलू, कहीं पत्थर से पैर टकरा गया तो गिर पड़ेगा.

उर्मिला की बात सुन कर गोलू भी समझ जाता है और मुस्कुराते हुए चलने लगता है. कुछ देर चलने के बाद चारों घने खेतों के पास पहुँच जाते है जो तार की बाड़ से घीरा हुआ है. पास हे कुछ लोग बैलगाड़ी पर कुछ कटी हुई फसल दाल रहे है. पास हे खड़े एक आदमी हाथ में डंडा लिए खड़ा है. जैसे ही उसकी नज़र गोलू पर पड़ती है वो बोल पड़ता है, "कैसे हो गोलू भैया?"

गोलू : अच्छा हुआ केशव भैया...

केशव : और यहाँ कैसे आना हुआ?

गोलू : ये मेरी भाभी उर्मिला और भाई सोनू है. कुछ दिनों के लिए सहर से आये है. बस इन्हें तालाब दिखाने ले आया.

केशव : (उर्मिला और सोनू को देख कर) प्रणाम....!!

उर्मिला और सोनू भी केशव को प्रणाम करते है.

केशव : ये तो आप लोगो ने बहुत अच्छा किया. हमारे सरपंच जी का तालाब तो गाँव की सबसे अच्छी जगह है.

गोलू : हाँ केशव भैया. इसलिए तो इन्हें यहाँ लाया हूँ.

केशव : चलो इन्हें भी दिखा दो. हम तो अब निकल ही रहे है. बस जब आप लोग जाओगे तो बाड़ बंद कर देना. कोई गाय भैंस घुस ना जाए बस.

गोलू : जी केशव भैया...
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