Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 01:19 PM,
#84
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
मैं: “तुमने अच्छे से हैंडल किया पर मुझमे इतनी हिम्मत नहीं कि सबके सामने अपने कपडे खोल सकू.”

पायल: “तुम्हे एक छूट देते हैं, तुम अपने सीने पे एक कपडा ढक कर रखना.”

मैं: “उससे क्या होगा? मेरे सीने को तो कोई छुएगा ही ना?”

पायल: “छूट दे दी फिर भी मंजूर नहीं. तुम दरअसल डरती हो कि तुम चेलेंज हार जाओगी.”

मैं: “नहीं ऐसी बात नहीं हैं. मैं अंदर से बहुत मजबूत हूँ. मुझे एक बार बस अशोक से पूछना हैं.”

पायल: “चलो एक बार फिर से सभी की हामी पूछ लेते हैं. सबसे पहले प्रतिमा, तुम्हे चेलेंज लेना हैं तो सबसे पहले तुम बताओ. अशोक से हम बाद में पूछ लेंगे. अगर उसने ना बोला तो वैसे भी अपने आप पूरा ना हो ही जायेगा.”

मैं अब एक संकट में फंस गयी. मैं ये निर्णय पति पर छोड़ना चाहती थी ताकि मुझ पर दोष ना आये.

मैं: “मैं कभी हार नहीं मानती, सिर्फ इस कारण से मेरी तरफ से हां हैं”

पायल: “अशोक तुम बताओ, हां या ना?”

अशोक: “मैंने अभी अभी तुम्हारे साथ किया हैं तो अब अपने पर आयी हैं तो कैसे मना बोल दूँ. मेरी तरफ से प्रतिमा को इजाजत हैं ”

डीपू: “मैं मसाज देने को तैयार हूँ.”

पायल: “मैं तो पहले से तैयार हूँ. चलो शुरू करते हैं. अशोक तुम टाइमर सम्भालो.”

मैं अब बिस्तर पर लेट गयी और डीपू मेरी कमर के पास बैठा था. मेरे सर के दोनों तरफ पायल और अशोक थे.

पायल को मैंने कपडा लाने को कहा जिससे मैं अपना सीना ढक सकू. वो एक पतली सफ़ेद पारदर्शी चुनरी ले आयी. मुझे उसकी नीयत समझ आ गयी पर डूबते को तिनके का सहारा.

पायल ने वो चुनरी मेरे सीने पर ओढ़ा दी. उसमें से मेरा गुलाबी स्लीप शर्ट आसानी से दिख रहा था. वो चुनरी ज्यादा कुछ छिपा नहीं पाएगी ये मुझे पता था.

मेरे हाथ पैर कांप रहे थे. मैंने अपने दोनों हाथ अपने पेट पर रख अपने शर्ट को दबा रखा था, ताकि डीपू शर्ट को सिर्फ ऊपर से ही खोले, पुरा न खोले.

पायल ने मेरा हाथ पकड़ लिया, दुसरा हाथ अशोक को पकड़ने को कहा. उन दोनों ने मेरे हाथ को मेरे कान के नजदीक ला बिस्तर पर दबा दिया. डीपू का हाथ मेरी शर्ट की तरफ बढ़ा और नीचे से एक बटन खोला.

पहले बटन के बाद दूसरे बटन के लिए उसको चुनरी में हाथ डालना पड़ा. आगे क्या होने वाला था ये सोच डर के मारे मेरा पेट धक् धक् करने लगा. चौथा बटन खुलते ही मेरे मम्मे बीच से थोड़े दिखने लगे.

डीपू ने अब मेरे शर्ट के खुले दोनों हिस्सों को दूर करते हुए साइड में कर दिया. मेरी सांस तो जैसे रुक ही गयी. उन दोनों ने मेरा हाथ अब छोड़ दिया क्यों कि शर्ट खुल चूका था.

डीपू ने अपने हाथों पर तेल लगाया. पति टाइमर के साथ तैयार थे और तीन.. दो.. एक.. गो के साथ टाइमर चला दिया.

अब डीपू ने अपने दोनों हाथ सीधे रखते हुए चुनरी में घुसा कर हलके से मेरे मम्मो पर रख दबा दिया और हाथ ऊपर नीचे मज़ाक करने लगा.

उसको पता था कितना जोर लगाना हैं और कितना रगड़ना हैं. मेरी थोड़ी देर में ही सिसकियाँ छूटने लगी.

इतनी उत्तेजना के मारे तो मेरे सीने और पेट पर रोंगटे खड़े हो गए थे और चूंचीया खड़ी हो गयी थी. मम्मे फूल कर बड़े हो गए थे जो कि डीपू के हाथ में पुरे नहीं आ पा रहे थे. वो अब ऊपर नीचे, दाए बाए से हाथ लाते हुए मम्मो को दबोच रहा था.

इस हलचल से चुनरी भी थोड़ी हिल चुकी थी. मैं जितना हो सके अपने मुँह को बंद रखे आवाज दबा रही थी. फिर भी रह रह कर मेरे संघर्ष की आहें निकल रही थी.

पांच मिनट तक वो ऐसे ही मेरे मम्मो का मान मर्दन करता रहा. मैं जैसे तैसे सब सहन कर रही थी, पर रह रह कर मेरी सिसकिया जरूर निकल रही थी.

शायद पति के साथ होने से मैं डर के मारे उतना आनंद नहीं उठा पा रही थी. ये मेरे लिए अच्छा भी था. ज्यादा मजे लेती तो पति मेरे बारे में क्या सोचते.

पायल : “डीपू क्या कर रहे हो, मर्द बनो. कम से कम अशोक ने किया उतना अच्छा तो करो.”

डीपू की मर्दानगी को चोट पहुंची और उसने मेरे मम्मे ओर भी ताकत से दबोच लिए जैसे आम को निचोड़ कर जूस निकाल रहा हो.

उसके आघात को कम करने के लिए मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कलाइयां पकड़ ली. पायल ने अशोक को बोला और दोनों ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर कान के पास ला दबा दिया.

मैं अब तड़पने लगी और तड़प कर चीखने लगी. पायल को मेरी चीखें सुन मजा आने लगा और वो डीपू को उत्साहित करने लगी.

पायल ने अब एक ओर बदमाशी की और अपने दूसरे हाथ से मेरे सीने पर रखी चुनरी निकाल फेंकी.

अब वो लोग मेरे मम्मो को निचुड़ते हुए साफ़ साफ़ देख पा रहे थे.

डीपू अब मेरी जांघो पर आकर बैठ गया. उसका कड़क लंड मेरी चूत को चुभ रहा था.

वो जानबूझ कर आगे पीछे हो, कपड़ो सहित मेरी चूत को ज्यादा चोद रहा था, जब कि उसको सिर्फ मेरे मम्मे दबाने थे. उससे बचने के लिए मैंने नाटक किया.

मैं: “डीपू धीरे करो, आउच मुझे बहुत दर्द हो रहा हैं. तुम बहुत जोर से दबा रहे हो. आई, उफ्फ माँ ”

डर के मारे डीपू ने अपनी पकड़ ढीली कर दी नीचे से लंड रगड़ना भी भूल गया.

पति ने बताया कि अब सिर्फ दो मिनट बचे हैं.
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र - by desiaks - 12-27-2021, 01:19 PM

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