Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
01-29-2021, 12:05 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
Update _20

प्यारेलाल ने अपना एक हाथ नीचे किया और सुखजीत की सलवार का नाड़ा खोल दिया। सुखजीत ने अपनी सलवार हाथों में पकड़ ली और उसको नीचे जाने से रोकने लगी। सुखजीत को बहुत शर्म आ रही थी, और साथ ही उसे डर भी लग रहा था की कहीं रीत ना आ जाए।

सुखजीत ने मस्ती में कहा- “प्यारेलाल अभी सलवार नहीं खोलनी ऊपर-ऊपर से कर ले जो करना है..."

पर प्यारेलाल ने उसकी बात का जवाब नहीं दिया, और उसके हाथों से सलवार छुड़वा दी और फिर सुखजीत की सलवार नीचे उसके पैरों में आकर गिर गई। प्यारेलाल ने सुखजीत का कमीज किनारे से पकड़कर ऊपर उठा दिया। उसने नीचे देखा की सुखजीत के चूतरों पर अब सिर्फ एक ब्लैक कलर की पैंटी ही है। उसके गोरे-गोरे मोटे चूतड़ देखकर प्यारेलाल के लण्ड की नसें फूलने लगीं।

सुखजीत के बस से अब सब कुछ बाहर हो रहा था, अब वो अंदर की गर्मी से मरने वाली हो रही थी।

प्यारेलाल ने उसको आगे झुकने को कहते हुए बोला- “आहह... भाभी थोड़ी घोड़ी बन जा प्लीज़्ज़... आज तो लण्ड तेरी चूत में डालने का बहुत मन कर रहा है...”

सुखजीत ने वैसा ही किया और अपने दोनों हाथ सोफे पर रखकर वो प्यारेलाल के आगे घोड़ी बन गई। सुखजीत के घोड़ी बनने से प्यारेलाल के आगे उसकी गाण्ड एकदम फुटबाल की तरह गोल हो गई थी। प्यारेलाल ने झट से सुखजीत की पैंटी को पकड़ा और एक ही झटके में पैंटी को उसकी सलवार के पास पहुंचा दिया।

सुखजीत जैसी मस्त पंजाबन को इस हालत में देखकर किसी भी साधु का भी दिमाग खराब हो सकता था। तो प्यारेलाल तो एक सिंपल सा बंदा था, उसका तो सब कुछ खराब होने लगा।

प्यारेलाल ने सुखजीत के दोनों चूतरों को अपने हाथों में अच्छे से पकड़कर अच्छे से मसल दिया। फिर उसने सुखजीत के चूतरों पर किस भी कर ली। आखीरकार, वो अपना लण्ड पूरा बाहर निकालकर हिलाने लगा।

प्यारेलाल का लण्ड एकदम काला और करीब 8” इंच लंबा और 3” इंच मोटा है। फिर प्यारेलाल अपने लण्ड को पकड़कर सुखजीत के चूतरों पर रगड़ने लगा। सुखजीत को जैसे ही अपने नंगे चूतरों पर प्यारेलाल का लण्ड महसूस हुआ, तभी वो एकदम कांप सी उठी। प्यारेलाल अपने लण्ड को देखकर मन में सोच रहा था की अब मेरा काला लण्ड दूध जैसी गोरी पंजाबन की चूत में जाने वाला है, अब उससे और सबर नहीं होता। उसने अपना लण्ड सुखजीत की चूत पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारकर अपना लण्ड सुखजीत की चूत में डाल दिया।

सुखजीत की चूत में लण्ड अंदर जाते ही सुखजीत के मुंह से आह्ह... की आवाज निकली।

प्यारेलाल ने अपना लण्ड बाहर निकालकर एक और धक्का मारने की सोची, तभी उसे सीढ़ियों से आवाज सुनाई दी। रीत अपने रूम से तैयार होकर नीचे मार्केट जाने के लिए आ रही थी।

जैसे ही ये आवाज सुखजीत के कानों में आती है। तभी सुखजीत एकदम से उठाकर सीधी खड़ी हो जाती है। और फिर सुखजीत प्यारेलाल को पीछे की ओर धक्का दे देती है। जिससे प्यारेलाल का लण्ड सुखजीत की चूत में से एक झटके से निकल जाता है। सुखजीत ने एकदम अपनी सलवार और पैंटी ऊपर करी और अपना नाड़ा बाँध लिया। प्यारेलाल भी अपने लण्ड को अंदर डालकर अपनी पैंट की जिप लगा लेता है और वो बाहर जाने लगता है। अब तक रीत सीढ़ियों से उतर चुकी थी।

रीत की नजर ड्राइंग रूम से निकल रहे प्यारेलाल पर पड़ती है। प्यारेलाल के जाने के बाद रीत की नजर सुखजीत पर पड़ती है, जो ड्राइंग रूम में अपनी चूचियों सेट करती हुई बाहर निकल रही थी। ये देखकर रीत को शक हो जाता है।

सुखजीत अपने सामने रीत को खड़ा देख अपनी कमीज को सेट करना बंद कर देती है और बड़े प्यारे से रीत को कहती है- “बेटा हो गई तैयार मार्केट जाने के लिए?"

रीत सोचकर बोली- “हाँ जी मम्मी हो गई.."

सुखजीत- “ठीक है बेटा, फिर आप हो आओ मार्केट..” कहकर सुखजीत चली जाती है।

रीत सुखजीत को अपने आगे चल रही देखती है, की सुखजीत के चूतरों में उसकी कमीज बुरी तरह से फँसी हुई थी। ये देखकर रीत का शक अब और भी पक्का हो जाता है। फिर रीत ज्योति को फोन करती है।

ज्योति- हेलो मेरी जान क्या हाल है तेरे?

रीत- मैं ठीक हूँ, तू ये बता तू फ्री है अभी?

ज्योति- हाँ क्यों कोई काम है?

रीत- हाँ यार मैंने मार्केट जाना है तेरे साथ थोड़ी शापिंग करनी थी।

ज्योति- ठीक है चल पड़ती हूँ, पहले ये बता तूने आंटी पर नजर रखी या नहीं?

रीत- हाँ रखी है, यार आज तो मुझे शक भी हो गया है।

ज्योति- शक... हाए ऐसा क्या कर दिया तेरी मम्मी ने?

रीत- वो मैं तुझे मिलकर बताऊँगी।

ज्योति- “चल ठीक है, जल्दी आ जा प्लीज़्ज़..."

रीत- मैं 10 मिनट में आती हूँ बस।

फिर रीत अपनी अक्टिवा निकालती है और ज्योति के घर की तरफ चल पड़ती है। रास्ते में सब लोग रीत के मोटे-मोटे चूतड़ों देखते हैं, जो रास्ते में उसकी चूचियों की तरह हिल रहे थे। करीब 10 मिनट में ही रीत ज्योति के घर पहुँच जाती है। ज्योति टाप और मिनी शार्टस डालकर रीत के सामने खड़ी होती है।

क्या मजा आता है, लोगों को अपना नंगा जिश्म दिखाने में?"

रीत ज्योति को देखती ही बोली- "हाए रब्बा... पता दिखाने में?"

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