RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
फिर उन्होंने सोचा की जब वो अपने भाई और भाभी के साथ खुल कर अपनी पत्नी को शामिल करके मजा ले सकते हैं तो ये भी मुमकिन है, उनकी नजर जब ऋतू की मोटी गांड पर गयी तो उनका मुरझाया हुआ लंड फिर से अंगडाई लेने लगा.
चाची ने अजय को सारी बात बता दी, की कैसे हम दोनों उनके रूम में देखते हैं, और शायद वोही देख-२ हम दोनों भाई बहन भी एक दुसरे की चुदाई करने लगे हैं.
मेरी एक ऊँगली ऋतू की गांड के छेद में थी और मेरा मुंह उसकी चूत में, वो अपनी गांड को गोल-२ घुमा रही थी और मुंह से सिस्कारियां ले लेकर मेरा लंड चूस रही थी.
चाचू ने जब ऋतू की गोरी, मोटी घुमती गांड देखी तो वो पागल ही हो गए, उन्होंने पहले ऐसा कभी ऋतू के बारे में सोचा नहीं था,
चाची ने बताना चालू रखा, की कैसे वो बाथरूम में गयी और नंगी मुझसे मिली और वापिस उनके रूम में जाकर उन्होंने मेरा लंड चूसा और ऋतू की चूत चाटी, चाचू अश्कार्यचकित से सभी बातों को सुन रहे थे, उनकी नजर ऋतू के नंगे बदन से हट ही नहीं रही थी, और जब चाची ने ये बताया की उन्होंने उन दोनों को अपने रूम में बुलाया है, और खासकर ऋतू ने बोला है की चाचू को भी लेकर आना तो अजय समझ गया की उसकी भतीजी की चूत तो अब चुदी उसके लंड से.... उसने झट से आरती को कहा "तो चलो न देर किस बात की है, चलते हैं उनके रूम में.."
चाची : "अभी....? अभी चलना है क्या"
चाचू " और नहीं तो क्या...देख नहीं रही कैसे दोनों गर्म हुए पड़े हैं."
चाची : "हाँ...! ठीक है, चलते हैं, मुझे वैसे भी आशु के लंड का स्वाद पसंद आया, देखती हूँ की उसे इस्तेमाल करना भी आता है के नहीं."
दोनों धीरे से अपने कमरे से निकले और हमारे रूम में आ गए, हम दोनों एक दुसरे में इतने खो गए थे की हमें उनके अन्दर आने का पता ही नहीं चला, चाचू बेड के सिरे की तरफ जा कर खड़े हो गए, वहां ऋतू का चेहरा था जो मेरा लंड चूसने में लगा हुआ था, उसने जब महसूस किया की कोई वहां खड़ा है तो उसने अपना सर उठा कर देखा और चाचू को पाकर वो सकपका गयी, नजरें घुमाकर जब चाची को देखा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए अपनी आँखों के इशारे से ऋतू को चाचू की तरफ जाने को कहा, वो समझ गयी और अपना हाथ ऊपर करके अपने सगे चाचा का काला लंड अपने हाथों में पकड़ लिया. चाचू के मोटे लंड पर नन्हे हाथ पड़ते ही वो सिहर उठे...आआआअह्ह्ह और उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली.
ऋतू थोडा उठी और अपने होंठो को चाचू के लंड के चारों तरफ लपेट दिया.
मैंने जब महसूस किया की ऋतू ने मेरा लंड चुसना बंद कर दिया है तो मैंने अपना सर उठा कर देखा, और अपने सामने चाची को मुस्कुराते हुए पाया, मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले ही चाची ने अपनी टाँगे घुमाई और मेरे मुंह की सवारी करने लगी, उनकी चूत काफी गीली थी, शायद दुसरे कमरे में चल रही चुदाई की वजह से और हमें देखने की वजह से भी.
आआआआआआआआह्ह्ह ......चाची ने लम्बी सिसकारी ली.
चाची ने भी झुक कर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी. मैंने अपनी जीभ चाची की चूत में काफी गहरायी तक डाल दी, इतना गहरा आज तक मैं नहीं गया था, उनकी चूत ओर चूतों के मुकाबले थोड़ी बड़ी थी, शायद इस वजह से. चाची मेरे ऊपर पड़ी हुई मचल रही थी, उन्होंने मेरा लंड एकदम से छोड़ दिया और घूम कर मेरी तरफ मुंह कर लिया, और अपनी गीली चूत में मेरा लंड सताया और नीचे होती चली गयी...म्मम्मम्मम...आआआआआआह्ह्ह मजा आ गया.....वो बुदबुदाई. और अपने गीले होंठ मेरे ऊपर रख दिए, मेरे हाथों ने अपने आप बड़ कर उनके हिलते हुए स्तनों को जकड लिया, बड़े मोटे चुचे थे चाची के, उनके निप्प्ल्स के चारों तरफ लम्बे-२ बाल थे, मैं जब उनके दानो को चूसकर छोडता तो उनके लम्बे बाल मेरे मुंह में रह जाते, जिनको मैं दांतों से दबा कर काफी देर तक खींचता, वो मेरे इस खेल से सिहर उठी, उन्हें काफी दर्द हो रहा था, पर मजा भी आ रहा था, इसलिए वो बार-२ अपने दाने फिर से मेरे मुंह में भर देती.
उधर, ऋतू के मुंह को काफी देर तक चोदने के बाद चाचू ने उसे घुमाया जिससे ऋतू की गांड हवा में उठ गयी, उन्होंने अपना मोटा लंड ऋतू की चूत पर टिकाया और एक तेज झटका मारा, चाचू का लंड अपनी भतीजी की टाईट चूत में उतरता चला गया..
आआआआआआअयीईईईईईईईइ ........आआआआआआआह्ह्ह....चाचू धीरे..................आआआआआह.
ऋतू अपनी कोहनियों के बल बैठी थी, उसका चेहरा मेरे चेहरे के बिलकुल ऊपर था, चाचू के लंड डालते ही उसकी आँखें फ़ैल गयी और फिर थोड़ी ही देर में उत्तेजना के मारे बंद होती चली गयी, वो थोडा झुकी और मेरे होंठ चूसने लगी, उसकी चूत में उसके चाचू का लंड था, और मेरे लंड के चारों तरफ चाची की चूत लिपटी हुई थी, पुरे कमरे में गर्म सांसों की आवाज आ रही थी,
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