Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
12-07-2020, 12:17 PM,
#60
RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
#55

कहने को तो कोई कुछ भी कह सकता है, कहने वाले कहाँ कुछ सोचते है, पर दर्द को वही समझता है जिस पर वो बीतता है ,मेघा सच ही कहा करती थी की इस जंगल ने न जाने अपने अंदर क्या क्या छुपाया हुआ है , ये मजार भी उदाहरण थी, ये वो पल थे जब भूत ने अपनी आहट से वर्तमान और भविष्य से सवाल पूछ लिए थे .

मुझे हर हाल में अपने सवालो का जवाब चाहिए था , पर वो जवाब थे कहाँ , हर एक सिरा जो मुझे मिला था अधुरा था , इतनी बड़ी दुनिया में ऐसा कोई नहीं जो मुझे मेरे सवालो के जवाब दे सके, अगले दिन मुझे अगर किसी से मिलना था तो वो थी प्रज्ञा ,मैंने उसे फ़ोन किया

प्रज्ञा- कबीर,

मैं- मिलना है बेहद जरुरी है , अभी के अभी

प्रज्ञा- क्या हुआ ऐसा

मैं- मिलोगी तो सब बताऊंगा

प्रज्ञा- फ़िलहाल तो मैं मंदिर पर पहुचने वाली हूँ तुम बताओ किधर हो

मैं- टूटे चबूतरे पर आ जाओ

प्रज्ञा- पहुचती हु

मैं उसका इंतज़ार करने लगा. थोड़ी देर बाद मुझे उसकी गाडी आते दिखी, सबसे पहले उसने मुझे बाँहों में भर लिया

“ओह, कबीर, ” बोली वो

मैं- इसके बारे में कुछ जानती हो

मैंने मजार की तरफ इशारा करते हुए कहा

प्रज्ञा- ये ऐसे कैसे, मेरा मतलब

मैं- टूटे चबूतरे ने ढका हुआ था इसे

प्रज्ञा- पर क्यों

मैं- मुझे मालूम होता तो तुमसे थोड़ी न पूछता

प्रज्ञा- तुम न जाने किन किन चक्करों में पड़े हो,

मैं- प्रज्ञा, मेरा इसके बारे में जानना बहुत जरुरी है , ये समझ लो मेरी जान दांव पर लगी है

प्रज्ञा- किसकी मजाल जो मेरे होते हुए तुम्हारी जान का दांव खेले , अब तुमने कहा है तो मालूमात करनी ही होगी ,

मैं- आभार तुम्हारा

प्रज्ञा- तुम तो जानते ही हो की मंदिर का दुबारा निर्माण करवा रहे है ,

मैं- बताया था तुमने

प्रज्ञा- एक समस्या है

मैं- मैंने कहा था न की मैं मदद करूँगा

प्रज्ञा- वो बात नहीं है कबीर, बात कुछ और है

मैं- बताओ

प्रज्ञा- मैंने सारा मलबा हटवा दिया है , पर माता की मूर्ति सरक नहीं है अपने स्थान से

मैं- क्या कहा

वो- सही सुना तुमने, वो मूर्ति को बहुत से मजदूर मिलकर भी नहीं सरका पा रहे है ,

मैं- आजकल बहुत अजीब घटनाये हो रही है . खैर, तुम्हारी इजाजत हो तो मैं देखू चल कर

प्रज्ञा- दिन में तो नहीं , हाँ रात को

मैं- ठीक है

बातो बातो में मैंने महसूस किया की प्रज्ञा के चेहरे पर वैसी रोनक नहीं है , कुछ बुझी सी लगी वो मुझे

मैं- सब ठीक है न,

प्रज्ञा- हाँ बिलकुल

मैं- झूठ बोल रही हो न

वो- नहीं

मैं- फिर कहो जरा

प्रज्ञा- क्या कहूँ तुम्हे कुछ समझ ही नहीं आ रहा ,

मैं- हम दोनों एक दुसरे से जुड़े है , तुम्हारे मन की व्यथा समझता हु ,

प्रज्ञा- राणाजी के जीवन में कोई दूसरी स्त्री है कबीर,

ये एक और बम था ,

मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा

प्रज्ञा- हाँ कबीर, हाँ , शहर की एक बड़ी हस्ती है, पहले तो मुझे लगता तह की बिजनेस के चक्कर में पर पिछले कुछ समय से राणाजी का सारा समय उसके साथ ही व्यतीत होता है , मेरी छोड़ो गाँव की परवाह भी नहीं करते आजकल, गाँव में हालत ठीक नहीं है जब उन्हें यहाँ होना चाहिए तब भी वो शहर में ही है,

मैं- समझता हु

प्रज्ञा- वो बात नहीं है , मुझे उनकी रंग रेलियो से दिक्कत नहीं है, हमारे समाज में ये जैसे अब आम सी बात हो गयी है और फिर मैं खुद चाह कर भी उन्हें रोक नहीं सकती , क्योंकि मैं भी तो नेक नहीं हु न,

यही तो खूबी थी उसमे, अपनी कमियों को भी स्वीकार करती थी वो

मैं- तो क्या दिक्कत है

प्रज्ञा- हाल ही में उन्होंने कुछ खरीदारी की है , कुछ बड़ी खरीदारी

मैं- क्या

वो- सोना, उन्होंने कई करोडो का सोना खरीदा है

मेरे लिए भी ये एक हैरानी वाली खबर थी

मैं- सोना, इतना सारा

प्रज्ञा- माना की निवेश के लिए ठीक है , पर इतना सारा सोना किसलिए

मैं- ठाकुरों को हमेशा से दो ही चीजों का शौक रहा है औरते और शराब , पर ये हमारे वाले है की इनकी रूचि सोने में है , तुम मेरे साथ चलो तुम्हे कुछ दिखाता हु ,

प्रज्ञा- किधर

मैं- आओ तो सही

गाड़ी मैंने चलाई और उसे हमारे गुप्त स्थान पर ले आया. प्रज्ञा की आँखे फटी रह गयी उस जगह को देख कर

प्रज्ञा- क्या क्या छुपा है इस जंगल में

मैं- अभी तुमने देखा ही क्या है आओ मेरे साथ

मैं उसे कमरे में लाया और वो संदूक दिखाए, सोने से भरे

प्रज्ञा के मुह से बोल न फूटे

मैं- कितने किलो होगा , यहाँ तो केवल दो संदूक है मुझे तो सोने के भंडार का मालूम है

प्रज्ञा- पर इतने सोने का यहाँ होने का मतलब क्या है

मैं- तुम विचार करो

प्रज्ञा- लूट का हिस्सा हो सकता है

मैं- हाँ भी नहीं भी , किसी ने मुझे बताया था की तंत्र में सोने का प्रयोग होता है और जिस तरह से हमारे साथ ये अजीबो गरीब घटनाये हो रही है मुझे नहीं लगता ये लूट का हिस्सा होगा.

प्रज्ञा- मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा

मैं- एक सम्भावना ये भी है की राणाजी ने भी किसी विशेष प्रयोजन के लिए ही सोना ख़रीदा हो

प्रज्ञा- पर क्या, कभी जिक्र नहीं किया ऐसा कुछ

मैं- कुछ बाते छुपाई भी जाती है .और यहाँ तो सब कुछ ही छुपा है वैसे मैं चाहता हु इसमें से थोडा तुम ले लो, मंदिर के लिए मेरा योगदान

प्रज्ञा- पर ये तुम्हारा नहीं है ,

मैं- फिर क्या हुआ

प्रज्ञा- आओ चले यहाँ से

प्रज्ञा ने मुझे वापिस वही पर छोड़ा इस वादे के साथ की वो मालूमात करेगी , और रात को हम मिलने वाले थे माँ तारा के खंडित मंदिर में
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश - by desiaks - 12-07-2020, 12:17 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,654,979 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 562,616 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,299,232 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 982,520 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,741,945 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,153,903 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,078,286 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,494,331 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,171,881 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 299,705 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)