RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
“बढ़ाता हूँ- अ...अभी बढ़ाता हूँ ।”
उसके बाद राज ने सचमुच ऑटो की स्पीड बढ़ा दी ।
फौरन ऑटो बुलेट को पछाड़कर सडक पर भागी ।
“अ...आह...आह ।”
यही वो पल था, जब उस अजनबी के मुँह से पहली बार कराह निकली ।
राज ने पीछे मुड़कर देखा, उस समय वह अजनबी अपना सीना भींचे किसी दर्द को दबाने की कोशिश कर रहा था ।
राज ने स्पीड और तेज कर दी ।
एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर होने के नाते उसे यूं तो सभी रास्तों की जानकारी बड़े अच्छे ढंग से थी, लेकिन कहाँ बुलेट और कहाँ उसकी ऑटो ?
खरगोश और कछुए जैसी उस दौड़ में जो बात राज के लिये सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हुई, वह था कनॉट प्लेस में बिछा सड़कों का जाल ।
राज अपनी ऑटो रिक्शा को स्टेट्समैन तथा सुपर बाजार की पेंचदार गलियों में घुमाता हुआ जल्द ही फ्लाइंग स्क्वॉयड की मोटरसाइकिल को धोखा देने में कामयाब हो गया ।
☐☐☐
दस मिनट बाद ही ऑटो रिक्शा दरियागंज के इलाके में दौड़ रही थी ।
“श...शाबाश !” अजनबी उसकी सफलता से खुश हुआ- “श...शाबास ।”
राज ने फिर पीछे मुड़कर देखा ।
अजनबी अब सीट पर अधलेटा-सा हो गया था और उसने अपना सिर पीछे टिका लिया था ।
राज को उसकी हालत ठीक न दिखाई दी ।
जरूर वह कोई खतरनाक अपराधी था ।
“एक सवाल पूछूं ?” राज थोड़ी हिम्मत करके बोला ।
“प...पूछो ।”
“तुम्हारे पीछे पुलिस क्यों लगी थी ?”
“प...पुलिस !”
“हाँ ।”
“त..तुम अभी यह बात नहीं समझोगे ।” अजनबी पुनः पीड़ा से कराहता हुआ बोला- “य...यह एक लम्बी कहानी है ।”
“तुम कराह क्यों रहे हो ?”
“म...मुझे गोली लगी है ।”
“गोली ।”
बम सा फट गया राज के दिमाग में, उसके कण्ठ से चीख-सी खारिज हुई ।
हाथ ऑटो रिक्शा के हैंडल पर बुरी तरह कांपें, जिसके कारण पूरी ऑटो को भूकम्प जैसा झटका लगा ।
“ल...लेकिन किसने मारी तुम्हें गोली- प...पुलिस ने ?”
अजनबी कुछ न बोला ।
ऑटो रिक्शा अभी भी तूफानी गति से सड़क पर दौड़ी जा रही थी ।
“त...तुम्हें जाना कहाँ है ?”
अजनबी फिर चुप ।
वह कराहता हुआ सीट पर कुछ और पसर गया ।
“जवाब क्यों नहीं देते ?”
“त...तुम कहाँ रहते हो ?”
“म...मैं !” राज सकपकाया- “ल...लेकिन तुम्हें इससे क्या मतलब है ?”
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