RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“तुमने गलत सुना है। यह ठीक है मनोहर उसके पीछे पड़ा हुआ था लेकिन मीना आँख उठा कर भी उसकी ओर नहीं देखती थी। वह मनोहर से डरती थी। पिछली गर्मियों में एक रात वह यहाँ आई। उसे ऐसी कोई चीज चाहिए थी...।”
अचानक बवेजा खामोश हो गया।
-“कैसी चीज चाहिए थी?” राज ने टोका।
-“जिससे अपनी हिफाजत कर सके। मनोहर उसे परेशान कर रहा था। उसकी बेहूदा हरकतों ने मीना का बाहर निकलना दूभर कर दिया था। मैंने कहा मनोहर को नौकरी से निकालकर शहर से बाहर करा दूँगा। लेकिन किसी की रोजी रोटी पर लात मारने वाली बात मीना को पसंद नहीं आई। वह बहुत ही नरमदिल लड़की है, किसी का अहित नहीं चाहती। इसलिए मैंने उसे वही चीज दे दी जो वह माँग रही थीं।”
-“गन”
-“हाँ। चौंतीस कैलीबर की मेरी पुरानी रिवाल्वर थी। लेकिन अगर तुम समझते हो कि मीना ने उस रिवाल्वर से मनोहर को शूट किया था, तो गलत समझ रहे हो। मीना को गन सिर्फ इसलिए चाहिए थी, ताकि वह मनोहर से खुद को बचा सके। इससे ज्यादा अहमियत उसके लिए मनोहर की नहीं थी।”
-“लेकिन सैनी की है?”
बवेजा ने सर झुका लिया।
-“यह मैं नहीं जानता।”
-“क्या सैनी और मीना साथ-साथ रहते रहे हैं?”
-“ऐसा ही लगता है।” बवेजा के स्वर में कड़वाहट थी- “पिछले साल मैंने सुना था उसके फ्लैट का किराया सैनी ही दे रहा था।”
-“किसकी बातें कर रहे हो?” दरवाजे से आ पहुँची रंजना ने पूछा।
बवेजा ने कनखियों से उसे देखा।
-“सैनी की। मीना और सैनी की।”
रंजना तेजी से अंदर आई।
-“यह झूठ है। इस तरह का झूठ बोलते हुए आपको खुद पर शर्म आनी चाहिए। इस शहर के लोग किसी के बारे में कुछ भी कह सकते हैं। कहते रहते हैं।”
-“मुझे भी शर्म आती है लेकिन अपने आप पर नहीं। मैं इसमें कर ही क्या सकता था। मीना को रोक सकने का कोई तरीका मेरे पास नहीं था।”
-“यह सब बकवास है।” रंजना तीव्र स्वर में बोली- “किसी शादीशुदा आदमी से रिश्ता कायम करने वाली लड़की मीना नहीं है।”
-“यह सिर्फ तुम कहती हो।” बवेजा बोला- “मैंने कुछ और ही सुना है।”
-“अपनी गंदी जुबान को बंद रखो।” रंजना गुर्राई- “आपकी तमाम हरकतों के बावजूद मीना एक अच्छी लड़की है। मैं जानती हूँ, उसे खराब करने की कोशिश खुद आपने शुरू की थी...।”
बवेजा की गर्दन की नसें तन गईं। चेहरा गुस्से से तमतमाने लगा।
-“तुम अपनी जबान पर काबू रखो।”
दोनों नफरत से एक-दूसरे को घूर रहे थे।
बवेजा किसी भी क्षण हाथ उठाने के लिए तैयार था। सहमी खड़ी रंजना ने अपनी एक बांह अपने बचाव के लिए उठा रखी थी। उसके ऊपर उठे हाथ में एक फोटो थी।
बवेजा ने फोटो उससे छीन लिया।
-“यह तुम्हें कहाँ मिली?”
-“आपकी ड्रेसिंग टेबल में रखा था।”
-“तुम मेरे कमरे से दूर ही रहा करो।”
-“आइंदा ध्यान रखूंगी। मुझे भी उसकी बदबू पसंद नहीं है।” बवेजा फोटो को गौर से देखने लगा।
-“मुझे भी दिखाइए।” राज ने कहा।
उसने बेमन से फोटो दे दी।
फोटो में समुद्रतट पर एक लड़की चट्टान पर बैठी हंस रही थी- टूपीस बिकनी पहने। उसने अपनी लंबी सुडौल टाँगे यूँ पकड़ी हुई थीं मानों उनसे बेहद प्यार था। उसके नैन-नक्श रंजना से मिलते थे। इस फर्क के साथ की वह रंजना से ज्यादा खूबसूरत थी। लेकिन उस युवती से जरा भी वह नहीं मिलती थी जिसे राज ने सैनी के साथ देखा था।
-“यह मीना की फोटो है?”
-“हाँ।” रंजना ने जवाब दिया।
-“उसकी उम्र कितनी है?”
-“मुझसे सात साल छोटी है और मैं....वह पच्चीस की है।”
-“फोटो हाल की ही है?”
-“कौशल ने पिछली गर्मियों में बीच पर खींची थी।” कहकर रंजना ने सर्द निगाहों से अपने पिता को घूरा- “मैं नहीं जानती थी आपके पास भी इसका एक प्रिंट है।”
|