Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-27-2020, 03:53 PM,
#25
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
करीम चाचा ने मुझे याद दिलाया कि मैं ने आते वक्त क्या वादा किया था, “बिटिया, तूने मुझ पर मेहरबानी करने का वादा किया था,
याद है ना?”
“हां बाबा हां, मुझे सब याद है, भूली नहीं हूं मैं.
मगर आज नहीं, आज मैं बहुत थकी हुई हूं. कल जो मर्जी कर लीजिएगा.”
मैं बोली. एक घंटे पन्द्रह मिनट के बाद फिर से हम नानाजी के घर के अंदर थे.
घर में सब बड़ी बेकरारी से हमारा इंतजार कर रहे थे. जैसे ही हम घर के अंदर घुसे, सबने सवालों की झड़ी लगा दी.
मैं ने पूरी घटना का संक्षिप्त विवरण दिया और अपनी कामयाबी के बारे में बताया.
सुन कर सबने राहत की सांस ली. फिर हमने साथ में खाना खाया और अपने अपने कमरों में सोने चले गए.
मैं दिनभर में सात लोगों से चुद चुद कर सबसे ज्यादा थकी हुई थी और ऊपर से सरदार की मरम्मत करने में अतिरिक्त ऊर्जा खर्च कर बैठी,
अतः बिस्तर पर पड़ते ही गहरी निद्रा के आगोश में चली गयी

सवेरे करीब 6 बजे मेरी नींद खुली. बाहर से (नौकर हरिया) मेरे पापा की आवाज सुनाई दी,
“बिटिया उठ जाओ, सवेरा हो गया है”.
मैं अलसाई सी उठी, “हां चाचा, उठ गई.” कल दिन भर की भाग दौड़ और चुदाई की थकान से पूरा बदन टूट रहा था.
हब्शी की चुदाई से तो मेरी चूत फूल कर कुतिया की तरह बाहर निकल गई थी.
जोश जोश में कल सरदार की ठुकाई के समय मुझे पता ही नहीं चला,
मगर आज सवेरे महसूस हो रहा था कि हब्शी के लंड से मेरी चूत की क्या दुर्दशा हुई थी.
उस बनमानुष ने मेरी चूचियों का भी बड़ी बेरहमी से मर्दन किया था अतः मेरी चूचियां भी सूज कर लाल हो गई थीं और मीठी मीठी टीस उठ रही थी. सवेरे से लेकर रात तक में सात मर्दों से चुद चुकी थी,
कुल मिलाकर 9 बार, (अपने बाप की तीन चुदाई को मिला कर).
धीरे धीरे मैं पूरी रंडी बनती जा रही थी. मैं आहिस्ता आहिस्ता वासना की गुलाम बनती जा रही थी. मुझे इसका अहसास था किन्तु अब मुझे इसमें मजा आने लगा था.
मेरे साथ जो कुछ घट रहा था इसका मुझे कोई मलाल नहीं था. आज का सवेरा फिर एक नये दिन की शुरुआत थी,
जिसके गर्भ में क्या था यह सिर्फ मेरा भगवान ही जानता था.
मैं आज के दिन को अन्य दिनों की तरह भगवान को समर्पित करते हुए नहा धो कर फ्रेश होकर बाहर आई.
नहाने धोने से कल की थकान में थोड़ी कमी हुई मगर लगता था नींद अब तक पूरी नहीं हुई.
“मालिक, नाश्ता लगा दूं?” हरी चाचा मेरे नानाजी से पूछ रहे थे.
“लगा दो भाई, मैं इन दोनों को भी बुलाता हूं.
अरे रघु, केशू को लेकर नाश्ता करने आ जाओ भाई.” मेरी ओर मुखातिब हो कर बोले, “बिटिया तू ठीक से सोई कि नहीं?”
“मैं ने ठीक से आराम कर लिया नानाजी.” मैं बोली.
“अभी नाश्ता करके हमलोग मार्केटिंग के लिए जाएंगे,
तुम भी साथ चलोगी क्या?.”
नानाजी ने पूछा.
“नहीं मैं नहीं जाऊंगी. यहां आसपास घूमना पसंद करूंगी.” मैं ने कहा.
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी” नानाजी ने कहा.
नाश्ता करते वक्त नानाजी ने बताया ” आज तेरे दादाजी का जन्मदिन है, सो हम आज शाम को यहां पार्टी करेंगे.”
“ओह, हैप्पी बर्थ डे दादाजी” कहते हुए मैं चहक उठी और दादाजी के गले लग कर चूम उठी.
बाकी लोग ईर्ष्या पूर्ण नजरों से दादाजी को देख रहे थे.
“वाह दादाजी,
आज हम सब दादाजी का बर्थ डे धूमधाम से मनाएंगे” मैं ने उत्साह से कहा.
करीम चाचा ने कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए वे उनके साथ बाजार नहीं जा पाएंगे.
“ठीक है करीम कोई बात नहीं, तुम आराम करो,
मैं कार चला लूंगा. हम दो तीन घंटे में वापस आएंगे” कहते हुए नानाजी दादाजी और बड़े दादाजी के साथ बाजार निकल पड़े.
ज्यों ही वे बाजार की ओर निकले,
करीम चाचा मेरी ओर मुखातिब हुए और बोले, ” तो बिटिया रानी, अब क्या इरादा है?”
“क्या मतलब?” मैं चकित हो कर बोली. अभी अभी तो उन्होंने नानाजी को कहा था कि तबियत खराब है.
“क्या मतलब क्या? तू खूब समझ रही है मैं क्या कह रहा हूं. अनजान मत बन. मुझे भी थोड़ा मजा लेने दे बिटिया.
चल बेडरूम में.” बड़े अश्लील ढंग से मुस्कुराते हुए बोला.
मेरे पापा असहाय भाव से हमें देखते रहे.
“तू भी चल ना रघु साथ में, बड़ा मजा आएगा.
आजतक तो दोनों मिलकर खूब मज़ा लूटे हैं. आज भी साथ साथ मज़ा लूटेंगे.
क्या बोलती हो बिटिया?” करीम चाचा ने पापा और मेरी ओर बेहद कामुक भाव से देखते हुए कहा.
पापा ने मेरी ओर असहाय भाव से देखा,
लेकिन शायद वे तो खुद भी यही चाहते थे, तुरंत बोल पड़े, “ठीक है, ठीक है, चलो मैं भी चलता हूं.”
इधर मैं सोच रही थी कि मैं ने भी क्या किस्मत पाई है,
एक बार जो वासना के दलदल में उतरी तो मुझसे मिलने वाला हर मर्द मुझे भोगने के लिए लालायित ही मिलता गया.
उसी कड़ी में अभी अभी वैसा ही योग मेरे सामने था जिससे न ही मैं बच निकल सकती थी न ही बचना चाहती थी,
उल्टे मैं रोमांचित हो रही थी उन दो दो मर्दों की सामुहिक भोग्या बनने की कल्पना
मात्र से. अपने पापा के लंड का स्वाद तो चख ही चुकी थी,
अब करीम चाचा का नया अजनबी लंड मेरी चूत का इंतजार कर रहा था और मैं भी तो रोमांचित हो रही थी,
एक तो करीम चाचा का अजनबी लौड़ा और उस पर अपने पापा के साथ सामुहिक मैथुन.
“कितने चालाक हो करीम चाचा, तबीयत खराब होने का बहाना करके मेरे साथ मौज करने का मौका निकाल ही लिया.
चलिए चलिए जो करना है कर लीजिए.
बिना किए आप मानिएगा थोड़ी.” बोलती हुई उनके साथ बेडरूम में चली गई.
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-27-2020, 03:53 PM

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