Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
11-11-2020, 01:10 PM,
#51
RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
सतीश दिन भर कोशिश करता रहा था के मम्मी को अकेले में मिल सके मगर उसे मौका नहीं मिला. उसने मम्मी की तरफ देखा सानिया का पांव आज भी किसी धुन में फर्श पर टैपिंग कर रहा था मगर वह नहीं जनता था वो धून ख़ुशी की थी या फिर ग़ुस्से की. अचानक सानिया अपनी दायि टांग निचे फर्श अपर लटका देती है और बायीं तांग ऊपर रख लेती है. सानिया जो मैगज़ीन पढ़ रही थी वो उसकी गोद में खिसक गयी थी और उसकी टांगो की पोजीशन की वजह से उसकी स्कर्ट को ऊपर चढ़ने से रोक रही थी. और उसके बेशकीमती अंगों को बेपरदा होने से बचा रही थी. सानिया अपनी बायीं टांग थोड़ी सी और ऊँची उठाती है और अपनी मैगज़ीन अपनी जांघ पर अपने घुटने के पास रखती है और फिर वो सतीश की और थोड़ा सा झुक कर उसे बोलती है.
“सतीश, इसे देखो जरा”? वो एक तस्वीर की और इशारा करके बोलती है. सतीश अपनी गर्दन मोड कर देखने की कोशिश करता है मगर उसे कुछ दिखाई नहीं देता
“जरा पास आकर देखो? सानिया बोली. सतिशने अपने पांव सोफ़े पर रखे और अपनी कमर हिलाकर अपने कुल्हे मम्मी के नजदीक कर दिये. इतने नजदिक के उसकी बायीं जांघ उनकी दायि जांघ से लगभग टच कर रही थी. सतिशने मैगज़ीन के उस हिस्से को गौर से देखा जिस और वो इशारा कर रही थी.
“देखा!" वो बोली. सतीश समाझ नहीं पा रहा था वो कौन सी चीज़ थी जिस और वो उसका का ध्यान अकर्षित करने की कोशिश कर रही थी. अब वो कुछ शब्दों की एक लाइन की और इशारा कर रही थी न के तस्वीर की और जैसे उसने पहली दफ़ा किया था.

“क्या? सतिशने उसे धीरे से पूछा ताकि डैड का ध्यान भंग न हो जाये.

“इसे” सानिया की आवाज़ बेटे की आवाज़ की तरह ही धीमि हो गयी थी. उसका वो हाथ जो उसके हाथ के नज़्दीक था न के वो जिसमे उसमे मैगज़ीन पकड़ी हुयी थी, वापस उसकी जांघ पर चला गया और फिर वो धीरे से हिली और उसका हाथ हिलने से उसकी स्कर्ट भी हिली जो उसके हाथ के साथ ऊपर को हो गयी. यकायक उसकी सारी ज्ञानइन्द्रिया पूरी तरह जागृत हो उठि.

“ओह्ह्ह” वह और भी सानिया की तरफ झुकते हुए उसकी नंगी हुयी जांघ को देखने की कोशिश करता हुआ बोला जिसे वो मैगज़ीन की ओट में पिताजी की नज़र से बचाये हुये थी. मम्मी अपने हाथ बदल लेती है. अब उसका बाया हाथ उसकी स्कर्ट को ऊपर खींच रहा था. उसके पाजामे में बन रहा टेंट हर बितते पल के साथ बढा होता जा रहा था. सानिया की हरकत सतीश को अत्यंत सेक्सी महसूस हो रही थी हालांकि वह अभी कुछ ज्यादा नहीं देख पा रहा था. मैगज़ीन अभी भी मम्मी की जांघो पर पसरि उसकी खुली और नग्न जांघो को धक् रही थी. स्कर्ट काफी ऊँची जा चुकी थी. सतीश उसके नितम्बो तक को मैगज़ीन के निचे से झाँकते देख सकता था मगर उनकी दोनों टांगो के बिच देखने में असमर्थ था. मगर जितना दिखाई दे रहा था, उससे ही सतीश का लौडा उसके पाजामे में झटके मार रहा था.
“तुमने यह हिस्सा देखा? सानिया ने मैगज़ीन का बेटे की तरफ का हिस्सा अपनी जांघ से उठाते हुए कहा. अब उसकी बेटे की तरफ की जांघ सतीश की नज़र के सामने थी जबके पिताजी की तरफ वाली जांघ पर अभी भी मैगज़ीन रखी हुयी थी. सतिशने झूठ मुठ का दिखावा करते हुए सानिया की तरफ और भी झुक गया और मैगज़ीन के निचे से उसकी नग्न जांघ देखने लगा. उसकी दूधिया, क्रीमी जांघे उसकी काली पेन्टी में से कितनी सेक्सी दिख रही थी. सतीश का लंड उसकी पेन्टी में से झाँक रही उसकी चुत की शेप को देख और भी खड़ा हो गया था.

“तो तुम्हारा क्या कहना है इस बारे सतीश? सानिया ऐसे पूछ रही थी जैसे वो कोई साधारण सी बात कर रही हो. सतीश को कोई जवाब नहीं सूघ रहा था. “हउउउम्मम्मम” वो हलके से बहुत ही सेक्सी अंदाज़ में बेटे को उत्साहित करती है.

“जबरदस्त” आखिरकार उसके मुंह से निकला.”यकीन नहीं होता” वह बोला.

“है ना! मुझे मालूम था तुम ऐसे ही कहोगे” सानिया मुस्कराती है. अचानक वो अपना मुंह घुमाकर उसके सामने हो गयी. अब हम एक दूसरे के आमने सामने थे. मम्मी मैगज़ीन वापस अपनी जांघ पर गिरा देती है और अपनी स्कर्ट वापस अपने घुटनो तक कर देती है.

“मुझे दिखाओ तुम क्या पढ़ रहे हो?

मैने अपनी मैगज़ीन मम्मी के सामने कर दी ताकि वो उसे देख सके. सतीश थोड़ा सा निराश हो गया था मगर वह खुश था के मम्मी की पीठ डैड की तरफ थी और उसकी खुली जांघे मेरी तरफ थी और मेरी जांघो के ऊपर थी.

“मैं तुम्हारी देख लू? सतिशने पुछा.
“हु”, खुद देख लो? मम्मी ने धीरे से जवाब दिया. अब हालात ऐसे थे के सतीश और सानिया आमने सामने थे, चेहरे के सामने चेहरा. वह इतने नजदीक थी के उन्हें अपनी जांघे उठाकर सतीश के जांघो पर रखणी पढ़ी थी. उनके घुटने उसके घुटनो के ऊपर थे और उनकी जांघो में हलकी सी दूरी थी. सानिया ने बेटे की मैगज़ीन पकड़ ली थी और उसकी खुद की मैगज़ीन सतीश के मैगज़ीन के निचे थी. सतिशने अपनी मैगज़ीन के निचे से हाथ बढाकर उसकी मैगजीन पकड़ ली और उसे घुमाकर उसका रुख अपनी और कर लिया. फिर सतिशने सानिया की मैगज़ीन को थोड़ा सा अपनी और खींचा ताकि उसे अपनी मैगज़ीन के निचे से देख सके. सतिशने उसे इतना खींचा के अब वो उसकी और सानिया के दोनों की टांगो के ऊपर थी. सतिशने अपने खाली हाथ से मम्मी की स्कर्ट का सिरा पकड़ा और उसे उसकी जांघो के ऊपर की और खिसकाने लगा.

सानिया की स्कर्ट इतनी ढीली थी के वो उसकी जांघो के मध्य में सीधी उसकी पेन्टी तक ऊपर उठ गयी जबके उसकी टांगो की साइड्स पर उसकी स्कर्ट वैसे ही थी वैसे भी सानिया ने भी उसकी मद्त की थी उसने अपनी बायीं जांघ जो डैड की तरफ थी उस पर अपना हाथ रखकर उसे हल्का सा दाबा हुआ था जिससे स्कर्ट साइड्स से ऊपर नहीं जा सके. अब सतीश मैगज़ीन पढ़ने के बहाने मम्मी की खुली जांघो के बिच सीधे देख सकता था, उसकी काली पेन्टी उसकी नज़र के सामने थी.

सानिया की बैठने की स्थिति कुछ ऐसी थी के उसकी कच्छी में सामने से झाँकता कटाव कुछ ज्यादा स्पष्ट नज़र आ रहा था. सतिशने अपना हाथ आगे बढाया और मम्मी की दायि जांघ को सहलाने लगा, उसके अंदरूनी हिस्से को सहलाते जब सतिशने देखा के मम्मी कोई अप्पत्ति नहीं दिखा रही है तो में उसकी बायीं जांघ को भी सहलाने लगा. सतीश की कमोत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी के अब उसके लिए खुद को सम्भालना बहुत मुश्किल था. सतीश का हाथ मम्मी की पेन्टी की और बढ्ने लगा मगर अचानक से सानिया के हाथ ने बिच में आकर उसे वहीँ रोक दिया. सानिया ने अपना सर ना के अंदाज़ में धीरे से हिलाया.

सतीश ने खुद को मम्मी की जांघे सहलाने तक सिमट रखा तब उसे याद आया के उसके पास भी कुछ ऐसा है जिसमे मम्मी को दिलचस्पी थी. वह पूछ रही थी मगर सतिशने ध्यान नहीं दिया. सतिशने अपना पायजामा अपने लंड के ऊपर से निकाल उसे अपने भारी अंडकोषों के निचे फँसा दिया. अब सतीश का लंड खुली हवा में था. थोड़ा सा आगे को होकर सतिशने अपना लंड मम्मी की जांघ पर चुभोया. सानिया ने मैगज़ीन से नज़र घुमाकर उसके लंड को देखा जो उसकी जांघ पर ठोकर मार रहा था और उसने तुरंत अपने पति पर नज़र डाली और फिर उसकी नज़र वापस उसके लंड पर लौट आयी. सतिशने अपनी मैगज़ीन इस तरह से पकड़ ली के सिर्फ वह और मम्मी देख सकते थे के वह क्या कर रहा है और फिर वह अपनी कमर आगे को कर उसकी जांघ पर लंड को रगड़. मम्मी ने अपना सर मज़बूती से ना के अंदाज़ में हिलाया. "हा" सतिशने सर हिलाते हुए फुसफुसा कर धीमे से कहा. सतीश अपनी कमर लगातार हिला रहा था. सानिया खींज उठि और उसने सर घुमाकर फिरसे अपने पति को देखा. वो अपना हाथ निचे लाती ही ताकि बेटे को रोक सके मगर जल्दबाज़ी में उससे वो ग़लती हो जाती है जिसका एहसास उसे तब होता है जब बहुत देर हो चुकी होती है.

उसके हाथ में सतीश का लंड था

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