RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
रात के वक्त।
मेहनत तो जरूर करनी पड़ी मगर अपने प्रयास में वे सफल हो गए—सारा काम इच्छित ढंग से निपट गया और इसे उनका नसीब ही कहा जाएगा कि कहीं कोई ऐसी गड़बड़ नहीं हुई, जिसे सही मायने में व्यवधान कहा जा सके।
दस्ताने पहनकर गाड़ी विमल ने चलाई थी।
पिछली सीट पर बैठी नसीम के हाथों में भी दस्ताने थे।
सड़क पर लगे मील के पत्थर को तोड़ते हुए गाड़ी उन्होंने एक इतनी गहरी और छुपी हुई खाई में डाली थी कि पुलिस वहां दुर्गन्ध फैलने से पहले न पहुंच सके—इससे यह फायदा होने जा रहा था कि लाश की बरामदगी पर और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद पुलिस यही समझती कि कार दिन ही में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी।
ऑपरेशन सफलतापूर्वक निपटाकर वे वहां से लौटे।
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"हैलो।" सम्बन्ध स्थापित होते ही विमल ने पूछा—"पुलिस स्टेशन?"
"यस।" दूसरी तरफ से कड़कड़ाती आवाज में कहा गया।
पौने छः बजा रही रिस्टवॉच पर एक नजर डालने के बाद विमल ने कहा— "बुद्धा गार्डन में चांदनी चौक का कुख्यात गुण्डा आइसक्रीम बेच रहा है।"
"फिर?" गुर्राकर कहा— "ये तो अच्छी बात है, अगर कोई गुण्डा बदमाशी छोड़कर आइसक्रीम बेचने लगा है तो आपके पेट में दर्द क्यों हो रहा है?"
"म.....मर्डर के लिए?”
“क्या बक रहे हो!”
"उसका नाम रहटू है, शायद आप परिचित हों—इतना नाटा है कि आइसक्रीम बेचने वालों में आप उसे पहचान लेंगे।"
"किसका मर्डर करना चाहता है वह?"
"ये तो नहीं बता सकता, मगर इतना जान लीजिए कि उसके पास आइसक्रीम के जो कप हैं, उनमें से कम-से-कम एक में जहर मिक्स है, लेबोरेटरी जांच के बाद यह साबित हो जाएगा, दरअसल वह ये कप उसे देने वाला है, जिसका मर्डर करना चाहता है।"
"अ.....आप कौन हैं?"
"एक ऐसा शहरी जिसे अपने कर्त्तव्य का बोध है।" कहने के बाद विमल ने आहिस्ता से रिसीवर हैंगर पर लटका दिया, उसी वक्त दूसरी तरफ से बोलने वाला कदाचित 'हैलो-हैलो' ही चिल्लाए जा रहा था, जब विमल ने माउथपीस से अपना रुमाल हटाकर जेब में ठूंसा और पब्लिक बूथ बाहर आ गया।
बूथ के समीप खड़ा एक पल वह कुछ सोचता रहा, फिर बड़बड़ाया—"नसीम बानो बेवकूफ थी जो विनीता की मौत के साथ यह समझ बैठी कि एक पाई भी हमारे हाथ नहीं लगनी है, इतने नोट तो मैं अब भी हथिया सकता हूं, जिससे इंग्लैण्ड जाकर अपनी अपनी जिन्दगी के बाकी साल शाही अंदाज में जीऊं।"
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सुरेश अथवा मिक्की की मारुति डीलक्स सवा छः बजे एक झटके से बुद्धा गार्डन के मुख्य गेट पर रुकी—पन्द्रह मिनट में बुरी तरह बेचैन हो चुकी नसीम उसकी तरफ लपकी, दरवाजा खोलकर मिक्की उस वक्त बाहर आ रहा था, जब उसके नजदीक पहुंचकर नसीम ने अपने बुर्के का नकाब उलटते हुए नागवारीयुक्त स्वर में कहा— "इतना लेट कैसे हो गए?"
"एक अजीब हादसा हो गया है।" सुरेश ने कहा।
नसीम ने धड़कते दिल से पूछा—"क्या?"
"विनीता कल दोपहर से गायब है।"
"ग.....गायब है?" नसीम ने खूबसूरत एक्टिंग की।
"हां, कल जब मैंने तुमसे फोन पर कहा था कि वह जल्दी में अपनी गाड़ी लेकर कहीं गई है, तभी से गायब है—कल रात तक तो मैंने या घर के किसी नौकर ने उसे आते नहीं देखा। जब रात तक तो लौट आना उसकी दिनचर्या थी—मैं ग्यारह बजे सो गया था, सुबह जब उठा तो काशीराम ने बताया कि वह रात-भर आई ही नहीं, तब मैं कुछ चौंका क्योंकि पूरी रात वह पहले कभी गायब नहीं रही, फिर भी यह सोचकर संतोष कर लिया कि रात ज्यादा पी गई होगी, नशा उतरेगा तो कुछ देर बाद लौट आएगी—मगर सारे दिन इन्तजार करने के बावजूद न वह स्वयं आई और न ही फोन पर कोई सूचना दी तो मेरा माथा ठनका और अब जाकर थाने में उसकी गुमशुदगी की कम्पलेंट लिखाकर आया हूं, उसी चक्कर में पन्द्रह मिनट लेट हो गया।"
"विनीता आखिर गई कहां होगी?"
"कुछ समझ में नहीं आ रहा, खैर.....मनू और इला कहां मिलेंगे?" मिक्की ने पूछा—"सोच रहा हूं कि आज उनसे भी फाइनल बात कर ही लूं।"
"वे अंदर ही कहीं, साढ़े छः बजे मिलेंगे—कह रहे थे कि तुम लोग घूमते रहना, जहां हम उचित समझेंगे, मिल जाएंगे।"
"ठीक है।" कहने के बाद मिक्की ने मारुति ठीक से पार्क की और चाबी जेब में डालकर उसके साथ गार्डन में दाखिल हो गया।
नसीम बानो ने नकाब गिरा लिया था।
आइसक्रीम बेच रहे रहटू के सामने से गुजरते वक्त अलग-अलग दोनों के दिलों ने बड़ी तेजी से धड़कना शुरू कर दिया—मिक्की यह सोचता रहा कि नसीम आइसक्रीम खाने के लिए कहने वाली है—और नसीम यह सोचती रह गई कि यह पेशकश मिक्की करेगा।
वे उसके ठेले के सामने से गुजर गए।
एकाएक मिक्की ने कहा— "आइसक्रीम खाओगी नसीम?"
"आं.....हां।" इंकार करने का मतलब था मिक्की को शक करना।
"आओ।" कहकर वह वापस रहटू की तरफ चल दिया।
नसीम बानो का दिल बुरी तरह पसलियों पर चोट कर रहा था। अब वह सोच-सोचकर मरी जा रही थी कि विमल ने अपना काम सही समय पर किया भी है या नहीं? पुलिस वहां पहुंचेगी भी या नहीं?
वे रहटू के नजदीक पहुंचे।
"क्या खिलाऊं साहब?" रहटू ने पूछा।
"दो पिस्ते वाले कप।"
रहटू ने पिस्ते वाले दो कप निकाले ही थे कि विद्युत गति से आने वाली पुलिस जीप एक झटके से, ब्रेकों की तीव्र चरमराहट के साथ मिक्की और नसीम के नजदीक रुकी।
पलक झपकते ही जीप से कूदने वाले सिपाहियों ने ठेले सहित रहटू को चारों तरफ से घेर लिया।
रहटू और मिक्की अवाक् थे।
जबकि मन-ही-मन एक निश्चिन्तता की सांस लेने के बावजूद नसीम बानो खुद को उन्हीं की तरह अवाक् दर्शा रही थी। पुलिस इंस्पेक्टर ने सुरेश से कहा— "हम रिक्वेस्ट करेंगे सर कि इस बदमाश की आइसक्रीम आप बिल्कुल न खाएं।"
"क.....क्यों, ऐसा क्या हुआ?"
"आइसक्रीम के किसी एक कप में इसने जहर मिला रखा है।"
"ज.....जहर?"
"जी हां।"
"क्या बक रहे हो, इंस्पेक्टर?" रहटू गुर्राया।
"शटअप।" इंस्पेक्टर ने दहाड़कर कहा— "इसे पकड़ लो।"
सिपाहियों ने आदेश मिलते ही उसे दबोच लिया। रहटू के विरोध का उन पर कोई असर नहीं हुआ था—मिक्की और नसीम बानो ठगे से खड़े सबकुछ देखते रहे—वह खेल, नसीम का किया हुआ तो खैर था ही, परन्तु रहटू और मिक्की की खोपड़ियां हवा में चकरा रही थीं।
वे समझ नहीं पा रहे थे कि इतनी बड़ी गड़बड़ हो कैसे गई?
रहटू को जीप में बैठाने के बाद इंस्पेक्टर ने तीन सिपाहियों को उसका ठेला थाने लाने के लिए कहा—जीप जिस तेजी के साथ आई थी, टर्न होकर उसी तेजी के साथ वापस चली गई।
मिक्की सोच तक न सका कि वह रहटू के लिए क्या कर सकता है?
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