RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
“रास्ता साफ है दिलजले, लपक लो।” विजय के कहते ही विकास ने खिड़की की चौखट पर पैर रखकर हाथ बाहर निकाला और अगले ही पल रेनवाटर पाइप पर झूल गया और फिर बन्दर की तरह तेजी से नीचे उतरता चला गया—उसके बाद विक्रम और विक्रम के बाद विजय के हुक्म पर अशरफ!
विजय खिड़की के बीचोबीच खड़ा था और खिड़की पार करके अशरफ अभी पाइप पर झूला ही था कि गड़बड़ हो गई—सामने वाली इमारत की दूसरी मंजिल की बालकनी में एक बच्चा नजर आया—उसी तरफ देखता हुआ विजय बौखलाया-सा हड़बड़ाया—“जल्दी...जल्दी करो झानझरोखे।”
“क्या बात है?” पाइप पर झूल रहे अनजान अशरफ ने चकराकर पूछा।
बालकनी में खड़ा बच्चा इसी तरफ देख रहा था, दृष्टि उसी पर टिकाए विजय दांत भींचकर गुर्राया—“अबे जल्दी कर बेवकूफ, उतर जा, पीछे वह...।”
और विजय ने अपना वाक्य अधूरा ही छोड़ दिया।
बड़ी ही मोहक मुस्कान के साथ मुस्कराता हुआ बच्चा 'हैलो' के अन्दाज में विजय को हाथ हिला रहा था, विजय के तिरपन कांप गए—बौखलाकर उसने भी अटपटी-सी मुस्कान के साथ हाथ हिलाते हुए बहुत धीमे से कहा—“हैलो बेटे।”
पाइप पर झूल रहे अशरफ ने विजय को ऐसा करते देखा तो उसने भी गर्दन पर घुमाकर उस तरफ देखा और उस नौ-दस साल के बच्चे ने अशरफ को भी हाथ हिलाकर 'हैलो' किया।
अशरफ के हाथ से पाइप छूटते-छूटते बचा।
पाइप पर लटका सारा जिस्म सूखे पत्ते की तरह कांप गया, हाथ-पांव फूल गए उसके।
“अबे उतर जा बेवकूफ, अब क्या यहीं चिपका रहेगा?” अजीब-सी मुस्कराहट में विजय दांत भींचकर गुर्राया, मगर अगले ही पल होंठों पर मुस्कान बिखेरकर उसे हाथ हिलाना पड़ा, क्योंकि बच्चा उन्हें यहां देखकर बहुत खुश नजर आ रहा था और बार-बार हैलो के अन्दाज में हाथ हिला रहा था—बड़बड़ाया-सा अशरफ पाइप के सहारे नीचे उतरता ही चला गया।
विजय ने पाइप को पकड़ने के लिए अभी हाथ खिड़की के बाहर निकाला ही था कि उसे बच्चे के पीछे हल्की-सी परछाईं का आभास हुआ—जबरदस्त फुर्ती के साथ विजय न केवल कमरे के अन्दर सरक गया, बल्कि खिड़की भी बंद कर दी उसने, शीशे में से झांककर उसने बालकनी की तरफ देखा।
नाइट गाउन पहने एक महिला बच्चे से कुछ बात कर रही थी— उस वक्त विजय के माथे पर पसीना उभर आया, जब उसने बच्चे को इस तरफ इशारा करके कुछ कहते देखा, बच्चे के होंठ हिल रहे थे—महिला ने खिड़की की तरफ देखा।
विजय को वह गुस्से में नजर आई—विजय का दिल इस वक्त बड़ी तेजी से धड़क रहा ता, अचानक ही महिला ने बच्चे के गाल पर एक जोर का चांटा मारा और जाने क्या-क्या बड़बड़ाने लगी।
बच्चा रोने लगा।
कलाई पकड़कर महिला उसे जबरदस्ती खींचकर अन्दर ले गई—अब बालकनी बिल्कुल खाली पड़ी थी—विजय फुर्ती से खिड़की खोलकर पाइप पर झूल गया, खिड़की को बन्द करके वह बन्दर की तरह उतरता चला गया—मगर वह दस वर्षीय बच्चा अभी भी उसकी आंखों के सामन चकरा रहा था।
गोरा रंग, सेब-से लाल गाल, भूरी आंखों और छोटे-छोटे सुनहरे बालों वाले उस बच्चे ने नीला नेकर और फुल बाजू वाला लाल रंग का स्वेटर पहन रखा था—बहुत खूबसूरत बच्चा था वह और इसी मोहक मुस्कान के साथ बालकनी में खड़ा विजय को अभी तक हैलो के अन्दाज में हाथ हिलाता हुआ महसूस हो रहा था।
पतली गली को तेजी के साथ पार करते विजय के माथे पर पसीना झिलमिला रहा था।
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