Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
09-17-2020, 01:06 PM,
#99
RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
विनीत धीरे से हंसा-"तब फिर तुम उनसे क्या सिफारिश कर दोगी? मैं समझता हूं....एस.पी. साहब स्वयं उनसे कह देंगे।"

"ओह...."

मुझे जाना ही पड़ेगा अर्चना। तुम्हारे पापा भी इस बात को सहन न करेंगे कि एक खूनी उनके घर में रहे।"

"परन्तु तुम तो सजा भोग चुके हो।"

"हां, यह समझो कि कानून की दृष्टि में।” विनीत ने कहा-“कानून मुझे सजा दे चुका है। परन्तु समाज....दुनिया के लोग....कौन मुझे अच्छा समझ सकता है?"

“पापा वैसे नहीं हैं।"

"हो सकता है, परन्तु समय के साथ हर इन्सान के विचार बदल जाते हैं।"

अर्चना निरुत्तर सी हो गयी। विनीत के तर्क ने उसे जैसे मूक बना दिया था। वह विनीत को रोकना चाहती थी....उसके लिये कुछ भी करने को तत्पर थी। उसका मन इस बात को स्वीकार कर चुका था कि विनीत एक देवता है। यह दूसरी बात है कि वह पत्थर था....पत्थर का देवता था। किसी विवशता ने उसे ऐसा बनाया था। वह नहीं चाहती थी कि विनीत यहां से चला जाये। उसे ऐसा लगा था कि जैसे वह उसके बिना जिंदा नहीं रह सकेगी। अनायास ही उसकी पलकें भारी हो गयीं। खामोशी के बाद वह बोली-"विनीत!"

"कहो...."

"ईश्वर के लिये ऐसी बात मत कहो। मैंने अपने जीवन में पहली बार प्यार किया है। कई बार प्रेम के विषय में सोचा भी। परन्तु न जाने क्यों तुमसे पहले मुझे इस शब्द से नफरत थी। लेकिन तुम्हें देखते ही मेरा मन छटपटा उठा....और मैं तुम्हें पाने के लिये बेचैन हो उठी। विनीत, मैं जानती हूं कि मैं प्रीति नहीं बन सकती। हां, इतना अवश्य है कि मैं तुम्हारे लिये बड़ी से बड़ी कुर्बानी दे सकती हूं। तुम्हारे लिये चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े, मैं तुम्हें कुछ भी न होने दूंगी।"

उसकी बातों को सुनकर विनीत किसी गहरे विचार में डूब गया। एक बार उसके मन में भी आया कि वह अर्चना की मूर्खता पर खुलकर हंसे। इसलिये कि वह उसको प्यार नहीं करता था....न ही कर सकता था। फिर भी उसने कहा-"अर्चना, इसके साथ दूसरी बात यह है कि मैं अपनी वहनों के बिना नहीं रह सकता। मुझे किसी भी प्रकार उनसे मिलना ही पड़ेगा।"

“यानि तुम उन दोनों को कानून के हवाले कर दोगे....."

"नहीं...."

“फिर उनके साथ रहोगे?"

"शायद नहीं।"

"तब क्या करोगे?"

"फिलहाल कुछ भी नहीं कह सकता।"

"मूर्खतापूर्ण बात मत सोचो विनीत ।" अर्चना बोली-"कानून के हाथ बहुत लम्बे होते हैं। आज तक कोई अपराधी उसकी पकड़ से नहीं बचा। सुधा और अनीता ने दो खून किये हैं, कानून उन्हें कभी भी माफ नहीं कर सकता। मेरा विचार है, तुम्हें उन दोनों को ही अपने दिमाग से निकाल देना चाहिये। इसके बाद अंकल को मैं समझा दूंगी।"

“नहीं अर्चना।"

"क्यों?"

"कह नहीं सकता क्यों, परन्तु उनको भुला देना मेरे वश की बात नहीं है।"

"और मुझे....?" कहकर अर्चना ने उसकी ओर देखा।
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RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस - by desiaks - 09-17-2020, 01:06 PM

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