Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
09-17-2020, 01:03 PM,
#87
RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
सबेरे अर्चना ने दरवाजा खटखटाया। उठकर उसने दरवाजा खोला। अर्चना ने मुक्त मुस्कान से उसकी ओर देखा। चाहकर भी वह मुस्करा न सका। उसकी उदासी को देखकर अर्चना की मुस्कान भी होठों में समा गयी। उसने देखा, विनीत की आंखों में खुमारी थी। "क्या बात है?"

“जी....?"

"आप रात भर सोये नहीं क्या?"

"नींद न आये तो सोने वाले का क्या दोष ....?" उसने कहा।

“लगता है रात भर विचारों की दुनिया में रहे हैं?"

“जी।” वह केवल इतना ही कह पाया।

अर्चना ने इस विषय में कुछ नहीं पूछा। वह सोफे पर बैठ गयी। विनीत भी खोया-खोया-सा वहीं एक दूसरे सोफे पर बैठ गया। नौकर सवेरे की चाय लेकर उपस्थित हुआ और चला गया। अर्चना ने दो प्याले बनाकर एक उसकी ओर बढ़ा दिया तथा दूसरे को अपने होठों से लगा लिया।

चाय के मध्य अर्चना ने पूछा- प्रीति का घर कहां है?"

"क्यों?"

"यूं ही पूछ रही हूं....."

"पुराने बाजार के पास।"

"मेरा विचार है कि आप रात भर उसी के विषय में सोचते रहे हैं। क्यों न अब देवी जी के दर्शन कर लिये जायें....।" उसने विनीत की ओर देखा।

"आप जा सकती हैं।"

और आप....?"

"मैं उस दुनिया से काफी दूर निकल आया हूं। वहां पहुंचकर मैं फिर से तड़प और घुटन मोल लेना नहीं चाहता।"

“परन्तु यहां तो घुट रहे हैं आप।”

"विचारों की बात है।" विनीत बोला-"आप जानती होंगी कि विचारों पर किसी का कोई अधिकार नहीं होता।"

अर्चना खामोश रही। वास्तविकता यही थी कि विनीत रात भर प्रीति के विषय में ही सोचता रहा था। उसने रात यह फैसला किया था कि वह दिन में प्रीति से अवश्य मिलेगा। अर्चना के कहने पर उसने इस सत्य को नहीं स्वीकारा। महज इसलिये कि वह अर्चना के सामने अपने को छोटा साबित नहीं करना चाहता था।

अर्चना ने फिर खामोशी तोड़ी—"मैंने अंकल को फिर फोन किया था।"

“उत्तर में क्या कहा उन्होंने?" उत्सुकता से विनीत ने पूछा।

"अभी तक कुछ नतीजा नहीं निकला–परन्तु उन्होंने कहा है कि उन्हें सफलता मिल जायेगी। कुछ समय अवश्य लग जायेगा।"

"ओह....."

"मैंने पापा से भी सब कुछ बता दिया है। हां, जानबूझकर आपकी जेल बाली बात उन्हें नहीं बतायी।"

"क्यों....?" हालांकि विनीत भी यही चाहता था, फिर भी उसने पूछा।

“सोचा, सुनकर पता नहीं वे क्या सोचने लगें....।"

“क्या?"

"मैं क्या जानूं....?"

“आपको सब कुछ बता देना चाहिये था।"

"क्यों...?"

"भलाई इसी में थी।"

"परन्तु क्यों....?"

"अर्चना जी।" विनीत ने तुरन्त ही कहा—“यदि सच लाख पर्दो में भी छुपाया जाये, तब भी सच्चाई अधिक समय तक नहीं छिपती। कभी न कभी सत्य सामने आ ही जाता है। आज तो उन्हें पता नहीं है कि मेरी बास्तविकता क्या है। परन्तु कल....जब उन्हें इस बात का पता चलेगा कि मैंने किसी का खून किया था और मैं सजा काट आया हूं, तब वे मेरे विषय में क्या सोचेंगे? यही न कि मैंने उन्हें धोखा दिया है। हो सकता है—बे यह भी सोच बैठे कि उनकी बेटी को गुमराह....."

"ये सब थोथी बातें हैं विनीत साहब।” अर्चना बोली-“बड़े लोगों में इन बातों को कोई महत्व नहीं दिया जाता।"

“जी!"

"और फिर इस बात का पता उन्हें चलेगा भी कैसे?"

विनीत कोई उत्तर न दे सका। चाय समाप्त हो चुकी थी। बाथरूम जाने से पहले उसने कहा—“मैं आज दोपहर का खाना यहां नहीं खा सकूँगा।"

"क्यों?" अर्चना चौंकी।

"मुझे एक मित्र से मिलने जाना है।"

क्या मैं साथ नहीं जा सकती? मैं आपको गाड़ी में छोड़ दूंगी। यदि आप मुझे वहां नहीं ले जाना चाहेंगे तो मत ले जाइये। मैं कहीं बाहर ही खड़ी आपकी प्रतीक्षा करती रहूंगी।"

"क्यों...?"

“आपको साथ लाने के लिये।"
.
"नहीं..... कह नहीं सकता कि मुझे अपने मित्र के पास कितना समय लगेगा।"

सुनकर अर्चना होठों में मुस्कराकर रह गयी, जिसका अर्थ था विनीत की मनोदशा उससे छुपी नहीं रही है। परन्तु विनीत इस मुस्कराहट को न देख सका। अर्चना कमरे से बाहर चली गयी तो वह भी बाथरूम में घुस गया। नहा-धोकर तैयार हुआ। नाश्ते की मेज पर अर्चना ने अपने पापा से उसका परिचय कराया—“पापा, ये हैं मिस्टर विनीत ! ग्रेजुएट हैं। परन्तु नौकरी की समस्या सामने है। परिवार में कोई है नहीं, मैं इन्हें अपने साथ ले आयी हूं।"

"अच्छा किया बेटी।" वे बोले-"मिस्टर विनीत के आ जाने से तुम्हारा मन वहलता रहेगा। क्यों मिस्टर विनीत....?" उन्होंने विनीत की ओर देखा।

“जी....?"

"तुम्हें यहां किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी। तुम्हारी नौकरी का प्रबन्ध मैं स्वयं कर

“जी....धन्यवाद!"

नाश्ता समाप्त हो गया। नाश्ते के बाद अर्चना के पापा तो चले गये। अर्चना ने विनीत से पूछा- तो जा रहे हैं
आप?"

“जी....?"

"अपने मित्र से मिलने।"

"हां...."

"जल्दी लौट आयेंगे न?"

“कोशिश करूंगा।"

"तब फिर ऐसा कीजिये....आपको ड्राइवर छोड़ आयेगा।"

"मैं स्वयं चला जाऊंगा।"
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RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस - by desiaks - 09-17-2020, 01:03 PM

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