MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:22 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मगर वहाँ से बाहर आ जाने के बाद भी, अंकल के आँसू, मेरी आँखों के सामने घूम रहे थे और मुझे एक बाप के प्यार की कमी का अहसास करा रहे थे. जो प्यार मुझे कभी नसीब नही हुआ था.

इस ख़याल के चलते, मेरे कदम खुद ब खुद वेटिंग लाउंज की जगह, लिफ्ट की तरफ बढ़ गये. मैं नीचे आ गया और समुद्र किनारे, एकांत मे जाकर, एक चट्टान पर बैठ गया.

आज एक के बाद एक हो रहे हादसों को देख कर, मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मेरे बुरे समय की शुरुआत हो रही हो. रात से ही पापा, रिया, प्रिया, कीर्ति, मेहुल, निक्की यहाँ तक की अमि तक की बातों से मेरे दिल को जाने अंजाने मे चोट पहुच रही थी. ये ही सब सोचते सोचते मेरा दिल बहुत ज़्यादा बेचेन हो उठा था.

एकांत मे आकर मेरी बेचेनी ऑर भी ज़्यादा बढ़ गयी थी और इस बेचेनी के आलम मे मेरी आँखों मे सिर्फ़ छोटी माँ का चेहरा घूम रहा था. मुझे लग रहा था कि, मैं कैसे भी कर के उनके पास पहुच जाउ और उनके गले से लग कर, अपना मन हल्का कर लूँ.

मैने भारी मन से अपना मोबाइल निकाला और छोटी माँ को कॉल लगा दिया. मगर उन्हों ने कॉल नही उठाया. मैने दो तीन बार और कोशिश की मगर नतीजा वही का वही रहा.

छोटी माँ के कॉल ना उठाने से, मेरे दिल का अधूरापन ऑर भी बढ़ गया. मेरा अकेलापन मुझे काटने लगा. मुझे लगने लगा कि छोटी माँ को भी मेरी कोई फिकर नही है और ये बात सोचते ही मेरी आँखों मे नमी च्छा गयी.

मगर तभी छोटी माँ का कॉल भी आने लगा. मैने उदास मन से कॉल उठाया और छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “आपको मुझसे बात करने का टाइम मिल गया.”

मगर छोटी माँ मेरे इस वक्त के हालत से अंजान थी. उन्हों ने बड़े ही सीधे शब्दों मे कहा.

छोटी माँ बोली “अरे मुझे घर के और भी काम रहते है. काम छोड़ कर आने मे कुछ वक्त तो लगता ही है.”

लेकिन अपनी माँ को अपने पास पाकर, मेरे सब्र का बाँध टूट चुका. ना जाने क्यो, मेरी आँखों की नमी, आँसुओं मे बादल गयी. मैने रोते हुए छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “हाँ हाँ, मैं मरूं या जियु. उस से आपको क्या. आप तो बस अपने काम मे बिज़ी रहो.”

मुझे इस तरह रोता देख छोटी माँ को झटका लगा. उन्हे समझ नही आया कि, मैं ऐसा क्यो कह रहा हूँ. फिर भी उन्हों ने मुझे अपनी सफाई देते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “तू ये कैसी बात कर रहा है. मेरे पास कब तेरे लिए समय नही रहा. रोज तो तुझसे बात करती हूँ ना. फिर तू आज अचानक ऐसा क्यो बोल रहा है.”

मगर मेरे उपर छोटी माँ के सफाई देने का कोई असर नही पड़ा. मैने फिर अपनी बात को दोहराते हुए कहा.

मैं बोला “जब मैं आपको कॉल करता हूँ, तब आप मुझसे बात करती हो. आपको खुद से, कभी मेरी याद नही आती. आपको भला मेरी याद क्यो आएगी. मैं तो आपका सौतेला बेटा हूँ ना.”

ये बोल कर मैं किसी छोटे बच्चे की तरह रोने लगा. मेरे रोने से छोटी माँ को ये अहसास तो करा दिया था कि, मुझे कुछ हुआ है. इसलिए उन्हों ने मुझे संभालने की कोसिस करते हुए, बड़े प्यार से कहा.

छोटी माँ बोली “ये अचानक तुझे क्या हो गया है. मेरा बहादुर बेटा, बच्चों की तरह क्यो रो रहा है. मैं तेरे साथ हूँ ना. फिर तुझे किस बात की चिंता है.”

मगर मेरे रोने की वजह तो छोटी माँ का साथ ना मिल पाना थी और उन की इस बात ने मेरे जले पर नमक का काम किया. मैने रोते हुए कहा.

मैं बोला “कहाँ हो आप मेरे साथ. आपके पास मेरे लिए वक्त ही कहाँ है. आप तो अपने काम मे बिज़ी हो.”

छोटी माँ बोली “मैं किसी काम मे बिज़ी नही थी. तेरे पापा से तेरा हाल चाल ही पता कर रही थी.”

पापा का नाम सुनते ही मेरा गुस्सा भड़क गया. मैने आग बाबूला होते हुए कहा.

मैं बोला “मेरे सामने उस कमिने का नाम मत लो. पहले उसने मेरी माँ को मुझसे छीना और अब आपको भी मुझसे दूर कर रहा है. पता नही, मैं किसके लिए जिंदा हूँ. मुझे तो मेरी माँ के साथ ही मर जाना चाहिए था.”

ये बोल कर मैं फिर से सुबकने लगा. लेकिन मेरी इस बात ने छोटी माँ के सीने मे, वो तीर चुबा दिया था. जो शायद दुनिया की किसी भी माँ के सीने को चीर कर रख देता. आख़िर था तो वो एक माँ का ही कलेजा. वो कब तक भला मेरी बातों के तीर को सह पाता.

छोटी माँ का कलेजा छल्नी हो गया और उनके भी सब्र का बाँध टूट गया. उनकी आँखें भी आँसुओं से भीग गयी और उन के दिल मे छुपा दर्द बाहर आने लगा. वो तिलमिलाते हुए कह रही थी.

छोटी माँ बोली “हाँ तू सच कहता है. मैं तेरी सौतेली माँ ही हूँ. तेरे जीने मरने से मुझे कोई फरक नही पड़ता है. मगर एक बात कान खोल कर सुन ले. तुझे कुछ होने से पहले मैं अपने आपको ख़तम कर दुगी और उस से पहले तेरी छोटी बहनो को जहर देकर मार दुगी. क्योकि तेरे बिना ना तो तेरी बहने रह सकती है और ना ही मैं रह सकती हू.”

“इतने सालों से अपने पति की सारी ज़्यादतियाँ, जिस बेटे का मूह देख कर सह रही थी. आज उसने ही मुझे सौतेला कर दिया. मेरा तो नसीब ही खराब है. पति का सुख तो कभी मिला नही और आज बेटे ने भी माँ मानने से इनकार कर दिया. मर तो मुझे जाना चाहिए.”

ये कह कह कर छोटी माँ बिलख बिलख कर रोने लगी. उनका रोना देख कर, मेरा रोना और भी बढ़ गया. अब छोटी माँ भी रो रही थी और मैं भी रो रहा था. मैं रोते हुए उनको चुप होने को बोल रहा था. मगर वो रोए जा रही थी और उनका रोना देख कर मैं भी रोए जा रहा था.

दोनो तरफ से आँसुओं की गंगा जमुना बह रही थी और फिर उनको चुप करने की चाह मे, मेरे मूह से अचानक वो निकल गया. जिसे सुनकर छ्होटी माँ का रोना खुद ब खुद रुक गया.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 02:22 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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