MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:55 PM,
#87
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
77

मेरा एक हाथ मेरे गाल पर था और मैं अभी भी उसके बेड के पास उसी तरह से बैठा हुआ था. जबकि कीर्ति की नींद खुल चुकी थी और वो मुझे गुस्से से घूर रही थी.

मुझे समझ आ गया था कि, कीर्ति को मेरा किस करना पसंद नही आया था. मैं अपनी जगह पर खड़ा हुआ और कीर्ति से कहा.

मैं बोला “सॉरी, मुझसे ग़लती हो गयी. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था. मैं नही जानता था कि, तुझे मेरा किस करना इतना बुरा लगेगा.”

अपनी बात पूरी करने के बाद, मैं उदास मन से, उसके पास से जाने को हुआ. तभी कीर्ति ने मेरा हाथ पकड़ लिया. वो उठ कर बैठ चुकी थी. मैने उस से कहा.

मैं बोला “मैं नहाने जा रहा हूँ. तू भी तैयार हो जा. नीचे नाश्ते पर सब हमारा इंतजार कर रहे है..

कीर्ति बोली “मुझसे नाराज़ हो क्या.”

मैं बोला “नही तो, मैं भला तुझसे क्यो नाराज़ रहने लगा.”

कीर्ति बोली “क्योकि मैने अभी तुम्हे थप्पड़ जो मारा है.”

मैं बोला “मैने ग़लती की तो, तूने मुझे थप्पड़ मारा. फिर इसमे नाराज़ होने की क्या बात है.”

कीर्ति बोली “तुम्हारा सोचना सही है. ये थप्पड़ मैने तुम्हे तुम्हारी ग़लती के लिए ही मारा है. लेकिन जिस ग़लती की तुम बात कर रहे हो. यदि उस ग़लती की वजह से मुझे थप्पड़ मारना होता तो, ये थप्पड़ मैं तुम्हे तभी मार चुकी होती. जब तुमने मुझे किस करना सुरू किया था. क्योकि तुम्हारे बालों मे हाथ फेरते ही मैं जाग चुकी थी.”

कीर्ति की ये बात सुन कर मेरे चेहरे की उदासी हट गयी थी. मैने ये सोच कर राहत की साँस ली की, उसे मेरा किस करना बुरा नही लगा था. उसके थप्पड़ मारने की वजह कुछ और ही थी.

मैं पलट कर उसके पास आया और फिर वापस उसके सामने उसी तरह से बैठ गया. मैने उसके दोनो हाथो को अपने हाथों मे लिया और पुछा.

मैं बोला “फिर तूने मुझे इतनी ज़ोर से थप्पड़, मेरी किस ग़लती के लिए मारा है.”

कीर्ति बोली “उस ग़लती के लिए, जो तुमने अपने जनम दिन मे, मुंबई मे की थी.”

मैं बोला “वो शराब पीने वाली हरकत.”

कीर्ति बोली “नही, वो मरने जाने वाली हरकत.”

मैं बोला “वो तो पुरानी बात हो गयी थी. फिर उसके लिए अभी थप्पड़ मारने की क्या ज़रूरत थी.”

कीर्ति बोली “तुम्हारे लिए ये बात पुरानी हो गयी होगी. लेकिन मेरे लिए ये बात पुरानी नही हुई है. मुझे रह रह कर ये बात परेशान कर रही है की, यदि उस समय तुम्हे कुछ हो गया होता तो, मेरा क्या होता. इस सब के लिए, मैं अपने आपको अभी तक माफ़ नही कर पाई हूँ.”

मैं बोला “सॉरी, लेकिन इसमे तेरी भी तो ग़लती है. फिर ये सज़ा सिर्फ़ मुझे क्यो मिली.”

कीर्ति बोली “मैं अपनी सज़ा, अपने आपको दे चुकी हूँ.”

ये कहते हुए उसने अपनी बाईं (लेफ्ट) हथेली मेरे सामने कर दी. जिसमे ब्लेड से काटे जाने के निशान अब भी ताज़ा थे. उसकी हथेली के जख्म देखते ही, मेरा दिल दहल गया.

मेरी आँखें आँसुओं से भर गयी और अंजाने मे ही मेरा हाथ कीर्ति पर उठ गया. मेरा थप्पड़ पड़ने के बाद भी, वो मुस्कुरा रही थी. मैं कभी उसके चेहरे को देखता तो, कभी उसको देखता.

लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब सी शांति थी और मेरे दिल मे एक अजीब सा दर्द था. मैं बेहताशा उसके हाथों को चूमने लगा और उस से कहा.

मैं बोला “मैं तुझे बहुत दुख देता हूँ ना.”

कीर्ति भी मेरे पास ही नीचे आकर बैठ गयी और मेरे हाथो को चूमते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली “मुझे तुम्हारा दिया हर दर्द कबुल है. मैं तुम्हारा हर दर्द हंसते हंसते सह सकती हूँ. लेकिन यदि तुम्हे कोई आँच भी आए तो, मैं सह नही पाती हूँ. मुझे माफ़ कर दो. मैने वेवजह तुम पर हाथ उठाया. मगर मैं क्या करती. मैं उस बात को भुला नही पा रही थी. जिसकी वजह से मेरा सब कुछ लूट जाने वाला था.”

मैं बोला “सॉरी, अब आगे से ऐसा कुछ नही होगा.”

कीर्ति बोली “तुम हमेशा ऐसा ही कहते हो. लेकिन बार बार वही करते हो. जिस से मुझे तकलीफ़ होती है.”

मैं बोला “लेकिन तूने भी तो वही किया है. जिस से मुझे तकलीफ़ होती है.”

कीर्ति बोली “मैने जो किया सिर्फ़ अपने आपको सज़ा देने के लिए किया है. यदि तुम मेरी जान को नुकसान पहुचाओगे तो, मैं तुम्हारी जान को भी नुकसान पहुचाउन्गी. मैं तुमसे ये पहले ही बोल चुकी हूँ.”

मैं बोला “ठीक है आज के बाद से हम दोनो ही एक दूसरे की जान को नुकसान नही पहुचाएगे.”

कीर्ति बोली “ऐसे नही, तुम मेरी कसम खाकर बोलो कि, तुम चाहे मेरे बारे मे कुछ भी सुन लो. लेकिन तब तक कोई ऐसा कदम नही उठाओगे. जब तक ये साबित ना हो जाए कि, तुमने जो सुना है वो सही है.”

कीर्ति की इस बात पर मैने उसे छेड़ते हुए कहा.

मैं बोला “यानि की साबित होने के बाद मैं कुछ भी कर सकता हूँ.”

कीर्ति बोली “ज़्यादा मज़ाक मत करो. भगवान भी चाहेगा. तब भी मैं तुम्हे छोड़ कर नही जा सकती. मौत भी मुझे तुमसे दूर नही कर सकती. अब तुम सीधे से मेरी कसम खाते हो या फिर मैं कुछ और करूँ.”

मैं बोला “ख़ाता हूँ बाबा. मैं तेरी कसम खाकर बोलता हूँ कि, अब चाहे कैसी भी बात क्यो ना हो. मैं कभी बिना सोचे समझे और सच्चाई का पता किए बिना ऐसा कोई भी कदम नही उठाउंगा. जिसके उठाने से तुझे तकलीफ़ हो.”

कीर्ति बोली “ये हुई ना कोई बात. अब मैं सच मे बहुत खुश हूँ.”

मैं बोला “तू भी तो कसम खा. तू भी तो आए दिन ये हाथ काट कर मुझे तकलीफ़ देती रहती है.”

कीर्ति बोली “ओके मैं भी कसम खाती हूँ कि, जब तक तुम मेरी जान को कोई तकलीफ़ नही पहुचाओगे. तब तक मैं भी तुम्हारी जान को कोई तकलीफ़ नही पहुचाउन्गी.”

मैं बोला “ये तूने कैसी कसम खाई है. मेरे तो कुछ समझ मे ही नही आया.”

कीर्ति बोली “अब ज़्यादा समझने की कोसिस मत करो. कही ऐसा ना हो कि, तुम यहाँ बैठे समझते रह जाओ और अमि निमी आ धम्के.”

मैं बोला “अरे हाँ, ये तो मैं भूल ही गया. मैं उन दोनो को बाइक सॉफ करने का काम देकर आया हूँ. अब तक तो वो बाइक सॉफ कर भी चुकी होगी. तू ऐसा कर जल्दी से तैयार हो जा. फिर हम बाहर कहीं चल कर बात करते है.”

कीर्ति बोली “ठीक है. मैं तुम्हे तैयार होकर नीचे ही मिलती हूँ. तुम जल्दी से तैयार होकर नीचे ही आ जाना. लेकिन किसी पर ये जाहिर मत करना कि, तुम मुझसे मिल चुके हो.”

मैं बोला “ओके लेकिन तुम तैयार होने मे ज़्यादा टाइम मत लगाना.”

कीर्ति बोली “टाइम मुझे नही लगेगा. टाइम तुम्हे लगेगा, क्योकि अमि निमी अपना काम ख़तम करके सीधे तुम्हारे कमरे मे ही धावा बोलेगी.”

मैं बोला “बात तेरी सही है. वो आएँ उस से पहले ही मुझे तैयार हो जाना चाहिए. मैं चलता हूँ.”

ये कह कर मैं अपने कमरे मे आ गया. अब 10 बज चुका था. मैं सीधे फ्रेश होने चला गया. मैं नहा कर बाहर आया. तब तक अमि निमी बाइक सॉफ कर के, मेरे कमरे मे आ चुकी थी.

कीर्ति की बात सही ही निकली थी. अमि निमी ने आते ही मेरे उपर, एक के बाद एक सवालों की बौछार करना सुरू कर दिया. जिस वजह से मुझे तैयार होने मे ज़्यादा समय लग गया.

तैयार होने के बाद 10:45 बजे मई अमि निमी के साथ नीचे आ गया. नीचे छोटी माँ और आंटी के साथ कीर्ति भी, नाश्ते पर मेरा इंतजार कर रहे थी.

मैने नाश्ता करते हुए कीर्ति से कहा.

मैं बोला “आज तुम बहुत देर तक सोती रही. क्या आज तुम्हारे स्कूल की छुट्टी है.”

कीर्ति बोली “छुट्टी नही है. आज मुझे एक प्रॉजेक्ट के सिलसिले मे, मेरी सहेली तुलिका से मिलना है.”

मैं बोला “क्या तुम्हारी ये कोई नयी सहेली है. मैने तो इसके बारे मे पहले कभी नही सुना. तुम्हे इस से मिलने कहाँ जाना है.”

कीर्ति बोली “नही ये भी मेरी पुरानी सहेली है. बस कभी इसका हमारे घर आना जाना नही है. जिस वजह से अभी उस से कोई नही मिला है. वो एमजी रोड के आस पास कहीं रहती है. उसने कहा है कि, मैं वहाँ पहुच कर उसे कॉल कर लूँ.”

मैं बोला “अरे मुझे भी तो वही एमजी रोड तक जाना है. तुम कहो तो मैं तुम्हे वहाँ छोड़ देता हूँ.”

कीर्ति बोली “नो थॅंक्स, मैं चली जाउन्गी. क्योकि तुम्हे वहाँ काम से जाना है और मुझे वहाँ से वापस लौटने मे शाम हो सकती है. तुम तो अपना काम करके वापस आ जाओगे. लेकिन फिर मुझे आने मे परेशानी हो जाएगी.”

मैं बोला “ये बात तो तुम्हारी ठीक है. लेकिन यदि तुम वहाँ से 4 बजे तक फ्री होती हो तो मैं वापसी मे भी तुम्हे लेते हुए आ सकता हूँ. क्योकि मुझे शायद अपना काम निपटाते निपटाते 4 बज जाएगा.”

कीर्ति बोली “यदि तुम 4 बजे मुझे वहाँ से वापस लेकर आ सकते हो. तब मुझे तुम्हारे साथ चलने मे कोई परेसानी नही है.”

मैं बोला “ठीक है तो, फिर तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. क्योकि मैं तो अभी यहाँ से निकलुगा.”

कीर्ति बोली “मैं तैयार हूँ. बस मुझे कपड़े बदलना है. तुम जब तक अपना नाश्ता ख़तम करोगे. तब तक मैं तैयार भी होकर आ जाउन्गी.”

ये कहते हुए कीर्ति उठ कर चली गयी. 10 मिनट बाद वो ब्लू जींस और वाइट टॉप पहने मेरे सामने खड़ी थी. मेरा नाश्ता करना हो चुका था.

मैने छोटी माँ और आंटी से शाम तक वापस लौटने का जताया. फिर मैं और कीर्ति बाहर आ गये. मैं अपनी बाइक निकालने लगा. तभी अमि और निमी हमारे पास आई और अमि कहने लगी.

अमि बोली “भैया ये ग़लत बात है.”

मैं बोला “क्यों, क्या हुआ.”

अमि बोली “आप अभी तो आए है और आते ही काम से जा रहे है. फिर शाम को आएगे तो, आते ही जाने की तैयारी करने लगेगे. हम लोगों को तो आपके साथ बिताने के लिए समय ही नही मिला.”

मैं बोला “अरे मैं यहाँ काम से वापस आया हूँ. यदि मुझे काम नही होता तो, मैं यहाँ आता ही क्यो. अब तू ही बता मैं जिस काम से यहाँ आया हूँ. उसे नही करूगा तो, फिर मेरे यहाँ आने का क्या मतलब हुआ.”

अमि बोली “लेकिन भैया, हमें आपका इस तरह से आना ज़रा भी अच्छा नही लग रहा है.”

मैं बोला “अच्छा तू ही बता कि, अब मैं क्या करूँ. तू कहेगी तो, मैं अपना काम नही करता, या फिर तुम दोनो को भी अपने साथ ले चलता हूँ.”

मेरी इस बात पर निमी जो अब तक मेरी और अमि की बात सुन रही थी. उसने कहा.

निमी बोली “भैया आप अपना काम कर लो. हम आपके साथ वहाँ जाकर क्या करेगे. आप ऐसा करना कि लौटते समय हम लोगों के लिए चॉक्लेट लेते आना. हम उसी से काम चला लेगे.”

उसकी बात सुनते ही अमि ने कहा.

अमि बोली “चटोरी कहीं की, जब देखो खाने की ही पड़ी रहती है. मैं यहाँ भैया के साथ टाइम बिताने की बात कर रही हूँ और तुझे चॉक्लेट खाने की पड़ी है.”

कीर्ति अभी तक चुप चाप सब बातें सुन रही थी. उसने देखा कि अमि का मूड कुछ ज़्यादा ही खराब हो गया है. तब उसने समझाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अरे इसमे इतना दुखी होने की क्या बात है. तुझे तो खुश होना चाहिए कि, चाहे काम के बहाने से ही सही, लेकिन तुझे अपने भैया से मिलने का मौका तो मिल गया. तुझे इनके साथ समय ही बिताना है तो, तू भी इनके साथ चली जा.”

लेकिन अमि पर उसकी इस बात का कोई असर नही पड़ा. उसका मासूम सा चेहरा उदास हो गया. उसका इस तरह से उदास होना, मुझसे भी नही देखा गया. मैने उस से कहा.

मैं बोला “तू इस तरह अपना चेहरा मत उतार और तू भी मेरे साथ चल. इस तरह मेरा काम भी हो जाएगा और तुझे मेरे साथ बिताने के लिए समय भी मिल जाएगा.”

अमि बोली “क्या सच मे मैं आप के साथ चल सकती हूँ.”

मैं बोला “हाँ, तू सच मे मेरे साथ चल सकती है. अब देर मत कर और जाकर जल्दी से तैयार हो जा.”

मेरी बात सुनकर अमि के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. वो खुशी खुशी तैयार होने चली गयी. सारी बात पलटते देख, निमी ने भी अपना पाला बदलते हुए कहा.

निमी बोली “ये नही हो सकता.”

मैं बोला “क्या नही हो सकता.”

निमी बोली “मैं तो आपका साथ दे रही थी और आप मुझे ही छोड़ कर जा रहे है.”

मैं बोला “क्या तुझे चलने के लिए अलग से जताना होगा. तुझे चलना है तो, तू भी जाकर तैयार हो जा.”

मेरी बात सुनते ही निमी भी भागते हुए अंदर चली गयी. अब कीर्ति मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. मैं उसकी इस मुस्कुराहट का मतलब समझता था. मैने धीरे से उस से कहा.

मैं बोला “मैं क्या करता. मुझसे अमि का उतरा हुआ चेहरा नही देखा गया.”

कीर्ति बोली “वो तो मैं पहले से ही जानती थी कि, ऐसा ही कुछ होगा. लेकिन अब मेरे मिलने का क्या होगा.”

मैं बोला “अब मैं क्या बोलू. तू ही कोई ऐसा रास्ता निकाल. जिससे दोनो का दिल भी ना टूटे और हमारा काम भी हो जाए.”

कीर्ति बोली “ठीक है, अब तुम चुप रहना. बाकी मैं संभाल लुगी.”

मैं बोला “ओके.”

इसके बाद हम दोनो, अमि निमी के तैयार होकर लौटने का वेट करने लगे. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, कीर्ति के दिमाग़ मे इस वक्त क्या चल रहा है और वो अमि निमी के तैयार होकर आने पर, क्या करने वाली है.

मैने अपनी दोनो बहनों को तैयार होने तो भेज दिया था. लेकिन अब इस बात कर डर भी लग रहा था कि, उनके तैयार होकर आने पर, कीर्ति उन को साथ ले चलने से मना ना कर दे. यदि कीर्ति ऐसा कुछ करती है तो, अमि निमी के साथ साथ मेरे दिल को भी बहुत चोट पहुचना तय था.

क्योकि यदि कीर्ति मेरी जान थी तो, अमि निमी मुझे जान से प्यारी थी. मेरे लिए अमि निमी और कीर्ति मे से, किसी एक का साथ छोड़ पाना या किसी एक का साथ दे पाना बहुत मुस्किल था. मैं एक अजीब सी कशमकश मे घिर गया था.

फिर वो पल भी आ गया. जब मेरी इस बेचेनी का अंत होना था. अमि निमी दोनो तैयार होकर हमारे सामने आकर खड़ी हो गयी. दोनो मुस्कुरा कर मुझे देख रही थी. मगर कीर्ति के चुप करा देने की वजह से, मैं उन से कुछ नही बोला.

मैं नही जानता था कि, अब क्या होने वाला है. लेकिन एक अजीब सा डर मुझे सताए जा रहा था. ऐसा लग रहा था कि, जैसे अभी का अभी, मेरा सब कुछ ख़तम होने वाला है. मेरी बेचेनी हद से ज़्यादा बढ़ गयी थी.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:55 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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