MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:51 PM,
#80
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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घड़ी की बढ़ती हुई सुइयों के साथ साथ, मेरे दिल की धड़कनो की रफ़्तार भी तेज होती जा रही थी. मेरे लिए एक एक पल, एक एक साल की तरह गुजर रहा था. बाहर से मैं खामोश ज़रूर था. मगर मन ही मन, कीर्ति से हज़ारों बात किए जा रहा था और उसे मेसेज भेजने के लिए कह रहा था.

आज तक मैने सुना था कि दिल से दिल को राह होती है. प्यार करने वाले एक दूसरे के दिल की बात दिल से सुन लेते है. बस ये वक्त उसी बात को आज़माने का था और मैं उसी बात को आजमा भी रहा था. बहुत जल्दी ही मुझे इस बात के सच होने का सबूत भी मिल गया.

कीर्ति ने मेरे दिल की आवाज़ सुन ली थी. उसने अपनी सोने का नाटक करने की, ज़िद को तोड़ते हुए, हमारे प्यार की इज़्ज़त रख ली थी. उसने मुझे मेसेज किया था.

कीर्ति का मेसेज
"
भूल जाने का तुम्हे, हमारा कोई इरादा नही है.
तुम्हारे सिवा हम ने, किसी से किया वादा नही है.
निकाले भी तो कैसे निकाले, अपने दिल से तुम्हे.
जब इस दिल मे बाहर जाने का, कोई दरवाज़ा नही है."

कीर्ति का मेसेज देखते ही मेरी आँखों मे खुशी के आँसू आ गये. मैने मोबाइल निक्की को पकड़ा दिया और अपने चेहरे को अपने घुटनो पर टिका दिया. मैं मन ही मन उसे इस मेसेज को करने के लिए थॅंक्स करने लगा और हज़ारों बार उसे आइ लव यू बोलने लगा. मैने भगवान को भी मेरे प्यार की इज़्ज़त रखने के लिए थॅंक्स कहा.

मुझे इस तरह अपने घुटनों पर झुका देख प्रिया इसका मतलब समझ नही पाई. उसने मेरे कंधे पर हाथ रख कर, मुझसे पुछा.

प्रिया बोली "क्या हुआ तुम्हे. क्या उसने कोई ग़लत मेसेज कर दिया."

मैने सर झुकाए झुकाए अपने आँसुओं को पोन्छा और फिर सर उपर उठाते हुए प्रिया से कहा.

मैं बोला "नही ऐसा कुछ नही है. मेरी आँख मे कुछ चला गया था. अब ठीक है.

लेकिन निक्की मेरी हालत को समझ गयी थी. उसने मुस्कुराते हुए प्रिया से कहा.

निक्की बोली "नही उसने कुछ बुरा नही कहा. उसने एक प्यार भरा मेसेज भेजा है."

ये कह कर निक्की ने प्रिया को मेसेज पढ़ कर सुनाया और फिर एक मेसेज टाइप कर के मुझे थमा दिया.

निक्की का मेसेज
"
जिंदगी मे ये कैसी मजबूरी है.
ना जाने क्यो तेरे मेरे बीच ये दूरी है.
सोचता हूँ कभी दिल से भुला दूं तुझको.
पर क्या करूँ तेरी मुस्कान ही मेरी कमज़ोरी है."

मैने मेसेज देखा और निक्की से कहा.

मैं बोला "अब मेसेज करने की क्या ज़रूरत है. उसने मेसेज किया है तो, अब वो कॉल भी उठा लेगी. मैं सीधे उस से बात ही कर लेता हूँ.

निक्की बोली "आप दोनो की बातें तो हमेशा होती रहती है. अभी आप उसे कॉल करोगे तो वो कॉल भी उठा लेगी. लेकिन फिर वो नही हो पाएगा, जो मैं करना चाहती हूँ. आप थोड़ी देर मुझे, उस से मेसेज मे बात करने दीजिए."

निक्की की बात सुन कर मैने मेसेज कीर्ति को सेंड किया और मोबाइल वापस निक्की को पकड़ा दिया. लेकिन अभी भी निक्की की हरकत मेरे लिए एक पहेली ही बनी हुई थी. जब कीर्ति जाग रही है और उसने मुझे मेसेज भी किया है तो, फिर निक्की ने मुझे उस से बात क्यो नही करने दी. मैं यही सब सोचता रह गया. तब तक निक्की एक मेसेज और टाइप कर चुकी थी.

कीर्ति का मेसेज
"कदमो की दूरी से दिलो के फ़ासले नही बढ़ते,
दूर होने से एहसास नही मरते,
कुछ कदमो का फासला ही सही हमारे बीच,
लेकिन ऐसा कोई पल नही जब हम तुमको याद नही करते."

निक्की ने कीर्ति का मेसेज पढ़ कर सुनाया और फिर वो मेसेज टाइप करने लगी.

निक्की का मेसेज
"उठाएगें हम जब भी हाथ दुआ को.
रब से तुम्हारे लिए ही फरियाद करेगे.
तुम हो जाओ चाहे हम से हंस कर जुदा.
हम रोकर ही सही पर तुम्हे याद करेगे."

मेसेज टाइप हो जाने के बाद उसने हमे मेसेज पढ़ कर सुनाया और फिर उसे कीर्ति को सेंड कर दिया. थोड़ी ही देर बाद फिर कीर्ति का जबाब आ गया.

कीर्ति का मेसेज
"आओ और मुझे टूट कर बिखरता देखो.
मेरी रंगों मे जहर जुदाई का उतरता देखो.
किस किस अदा से तुम्हे माँगा है खुदा से.
आओ कभी मुझे सजदों मे सिसकता देखो."

निक्की ने कीर्ति का मेसेज पढ़ कर सुनाया तो, अब मुझसे नही रहा गया. मैने निक्की से कहा.

मैं बोला "अब बस भी कीजिए. क्या आपको उसके मेसेज मे, उसका दर्द समझ मे नही आ रहा है."

निक्की बोली "मुझे सब समझ मे आ रहा है. बस 2 मेसेज और करने दीजिए."

ये कह कर निक्की ने एक मेसेज और टाइप किया.

निक्की का मेसेज
"
मेरी कोई खता है तो, खता साबित करो.
जो मैं बुरा हूँ तो, मुझे बुरा साबित करो.
मैं जा रहा हूँ दूर, तुम जैसी बेवफा से.
यदि मैं बेवफा हूँ तो, तुम अपनी वफ़ा साबित करो."

निक्की ने टाइप किया हुआ मेसेज हमें पढ़ कर सुनाया और उसे सेंड कर दिया. लेकिन अब कीर्ति का कोई मेसेज नही आया. तब मैने निक्की से कहा.

मैं बोला "आपने अपने मन का कर के देख लिया. मुझे लगता है कि, उसे इस बात का बहुत ज़्यादा बुरा लग गया है. इसलिए उसने इस बात का जबाब नही दिया."

निक्की बोली "उसे बुरा ज़रूर लगा है. लेकिन वो इसका जबाब ज़रूर देगी."

निक्की का कहना सही निकला. कुछ देर बाद कीर्ति का मेसेज आ गया.

कीर्ति का मेसेज
"तुम जाओ हम से दूर तो एक काम कर जाना.
कुछ पल अपने हमारे नाम कर जाना.
अगर आ जाए मौत हमे तुम्हारे आने से पहले.
तो आ कर मेरे जनाज़े का एहतराम कर जाना.
ना रोना इस क़दर कि तकलीफ़ हो हमे.
मौत को भी मकक समझ कर अंजान बन जाना.
मैं तो एक दिन सो जाऊंगी सदा के लिए.
फिर मुझे बेवफा कह कर बदनाम कर जाना.
जो गुज़रो मेरी कबर से तो नज़रें ना फेरना.
अजनबी ही बन के मुझे दुआ सलाम कर जाना."

निक्की ने हमें मेसेज पढ़ कर सुनाया और फिर एक मेसेज टाइप करने लगी.

निक्की का मेसेज
"
हम मरकर भी दिखा देगे तुम्हारे लिए.
क्या तुम्हे फिर भी ना हम पर प्यार आएगा.
जब जलाया जाएगा हमें तुम्हारे सामने.
क्या तब भी तुम्हारा दिल आँसू रोक पाएगा."

निक्की ने टाइप किया हुआ मेसेज हमें पढ़ कर सुनाया. लेकिन मैने उसे मेसेज सेंड करने से रोकते हुए कहा.

मैं बोला "ये मेसेज पढ़ कर वो टूट जाएगी. उसे आप कुछ भी कहती रहिए वो यू ही हँस के जबाब देती रहेगी. मगर मेरे मरने की बात वो नही सह सकेगी. ये मेसेज रहने दीजिए."

निक्की बोली "मैं भी यही चाहती हूँ कि, उसका दर्द बाहर निकले. ताकि कम से कम प्रिया को उसके प्यार का अहसास हो. मैं दावे के साथ कहती हूँ. इस मसेज के जबाब मे उसका कॉल आएगा."

इतना बोल कर निक्की ने बिना मेरी कोई बात सुने मेसेज सेंड कर दिया. उसका कहना सही ही निकला. अभी मेसेज गया ही था कि, नये वाले मोबाइल पर कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने कॉल उठाते ही कीर्ति भड़क भड़क पड़ी. वो उस समय रोते हुए कह रही थी.

कीर्ति बोली "मैने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा. ये तुम मुझसे किस बात का बदला ले रहे हो. आख़िर मेरी ग़लती क्या है. मैं तुम्हें अपनी जान से ज़्यादा प्यार करती हूँ. क्या यही मेरी ग़लती है.".

कीर्ति का आँसुओं और गुस्से से भरा ये रूप देख कर, मेरी तो बोलती ही बंद हो गयी. मुझसे उसकी इस बात का कोई जबाब देते ना बना. जब मैं चुप रहा तो वो फिर बोली.

कीर्ति बोली "चुप क्यो हो. कुछ बोलते क्यो नही. यदि ये मेरी ग़लती है तो, तुम मुझे अपने हाथ से जहर दे दो. मैं मर जाउ फिर तुम्हे जो करना है. तुम करते रहना."

लेकिन अभी भी मुझसे कुछ कहते नही बन रहा था. निक्की ने मेरी ऐसी हालत देखी तो उसने पास पड़ी नोट बुक मे कुछ लिखा और वो कीर्ति से बोलने को कहा. मैने वही कीर्ति से कह दिया.

मैं बोला "तुम रो क्यों रही हो. तुम्हे तो खुश होना चाहिए. मेरे जैसे बुद्धू से तुम्हारा पिच्छा छूट गया. अब तुम्हे मुझको और नही झेलना पड़ेगा. तुम तो मेरे जाने से बहुत खुश थी. मेरे कॉल करने और मेसेज करने से भी तुम्हारी नींद नही खुल रही थी, तो अब क्यो जाग गयी और ये क्यो आँसू बहा रही हो."

मेरी बात सुनकर कीर्ति का गुस्सा शांत हो गया मगर उसके आँसू अभी भी बह रहे थे. उसने शायद ये समझा कि मैं उसकी बात को लेकर उस से नाराज़ हूँ. वो मुझे समझाते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली "जान, तुम्हारी कसम खाकर कहती हूँ. तुम्हारे जाने से मेरी जान निकल रही थी. मैं अपने आँसू नही रोक पा रही थी. इसलिए चाह कर भी तुम्हारा कॉल नही उठा सकी और ना ही तुम्हारे मेसेज का रिप्लाइ कर सकी. लेकिन इसमे मेरी ग़लती क्या है. तुम ही तो कह रहे थे कि तुम्हे प्रिया से प्यार हो गया है. इसके बाद मेरे पास बोलने को कुछ बचा ही नही था."

मैं बोला "मैने कहा और तुमने मान लिया. ये भी पुछ्ने की ज़रूरत नही समझी कि मैने तुम्हारे साथ धोका क्यो किया."

अब कीर्ति के आँसू थम गये थे. उसने कहा.

कीर्ति बोली "इसमे धोका कैसा जान. धोका तो तब होता, जब तुम्हारे दिल मे प्रिया के लिए प्यार होता और तुम ज़बरदस्ती मेरे साथ जुड़े रहते. तब ना तो तुम खुद खुश रह पाते और ना ही मुझे खुश रख पाते."

मैं बोला "मुझे तेरी इतनी बड़ी बड़ी बात समझ मे नही आती. मैं सिर्फ़ इतना जानता हूँ कि तुझे मेरे जाने से कभी कोई फरक नही पड़ता है. तू जब देखो तब मुझे हंसते हंसते अपने से दूर कर देती है. लेकिन अब मैं तेरे उपर बोझ नही बनना चाहता. जब तुझे मेरे जाने से कोई फ़र्क नही पड़ता तो, अब मैं भी तेरे साथ रहना नही चाहता हूँ. तू अब फोन रख, मुझे सोना है."

कीर्ति बोली "ये कैसी बात कर रहे हो जान. तुमने खुद ही मुझे नींद से जगा कर प्रिया की बात बताई और अब खुद ही इस बात को लेकर मुझ पर गुस्सा कर रहे हो. गुस्सा तो मुझे होना चाहिए कि, जब ऐसा कुछ नही था तो, फिर मुझे बेमतलब इतना रुलाया क्यों. जब देखो तब मुझे बेवजह रुलाते रहते हो."

मैं बोला "मुझे कुछ नही सुनना. अब तू फोन रख, मुझे नींद आ रही है. मुझे सोना है."

कीर्ट बोली "नही, अब मैं ना तो फोन रखुगी और ना ही तुम्हे सोने नही दुगी. अब मैं तुम्हारी कोई बात नही मानूँगी. अब मैं वो ही करूगी. जो मेरा दिल करेगा."

मैं बोला "अपनी मीठी मीठी बात अपने पास रख. मुझे सोना है और अब मैं फोन रख रहा हूँ."

कीर्ति बोली "तुम फोन रख कर देखो. मैं भी देखती हूँ, तुम कैसे फोन रखते हो. यदि तुमने फोन रखा तो मुझसे बुरा कोई नही होगा."

मैं बोला "तुझसे बुरा कोई है भी नही. देख रात के 3 बाज रहे है. मुझे सच मे सोना है. यदि अभी भी नही सोया तो सुबह मेरी नींद नही खुल पाएगी. अब इसके बाद भी तू मुझे सोने नही देना चाहती है तो, मैं नही सोता हूँ."

कीर्ति बोली "ओके एक शर्त पर मैं फोन रखुगी कि, तुम सुबह उठते ही सबसे पहले मुझे कॉल करोगे."

मैं बोला "मुझे मंजूर है. अब फोन रख."

कीर्ति बोली "अरे ऐसे कैसे रखूं. पहले मेरी किसी तो दो."

मैं बोला "ओके ये ले तेरी किसी. मुऊऊऊहह."

कीर्ति बोली "आइ लव यू जान. मुऊऊुुउऊहह."

इसके बाद कीर्ति ने फोन रख दिया. उसके फोन रखने के बाद निक्की ने कहा.

निक्की बोली "देखिए अब सब ठीक हो गया है. दोबारा कुछ भी हो पर उस लड़की का दिल मत दुखाना. वो लड़की सच मे आपसे सच्चा प्यार करती है."

मैं बोला "मैं जानता हूँ लेकिन जिसके लिए ये सब कुछ किया. वो तो कुछ बोल ही नही रही है."

ये कह कर मैं प्रिया की तरफ देखने लगा. मेरे साथ साथ निक्की भी अब उसे ही देख रही थी. प्रिया थोड़ी देर चुप रही और फिर अपनी खामोशी तोड़ते हुए कहने लगी.

प्रिया बोली "ओके मैं भी मानती हूँ कि, वो तुमसे सच्चा प्यार करती है. लेकिन इसका मतलब ये हरगिज़ नही है कि, मेरा प्यार तुम्हारे लिए ख़तम हो गया या कम हो गया है. तुम मेरा पहला प्यार हो और मैं चाह कर भी तुम्हे नही भुला सकती. मगर अब मैं तुम दोनो के प्यार के बीच मे नही आउगि."

निक्की बोली "गुड, ये हुई ना कुछ बात. ओके तो अब मैं चलती हूँ. मुझे भी सुबह जल्दी उठना है. क्या तू नही चल रही."

प्रिया बोली "तू चल, मैं अभी आती हूँ."

निक्की बोली "ओके गुड नाइट. अब फिर से कुछ लफडा मत करना."

प्रिया बोली "नही अब कोई लफडा नही होगा. गुड नाइट."

फिर निक्की चली गयी लेकिन मुझे प्रिया के रुकने की वजह समझ मे नही आ रही थी. वो कुछ देर रुकने के बाद बोली.

प्रिया बोली "मैं सच मे तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ. मैं तुम्हे कभी भुला नही पाउन्गी. मुझे समझ मे नही आ रहा कि मैं क्या करूँ."

ये कहते हुए वो रोने लगी. वो मेरे पास ही बैठी थी. मैने उसे अपने गले लगाया तो मुझसे लिपट कर रोने लगी. मैने उसके आँसू पोन्छे और उस से कहा.

मैं बोला "क्या मैने तुमसे कहा है कि, मैं तुमसे प्यार नही करता. मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ और बहुत ज़्यादा प्यार करता हूँ. तभी तो मैने तुमको समझाने के लिए उसका लड़की का दिल तक दुखा दिया. लेकिन हमारा प्यार दोस्ती से आगे नही जा सकता. मैं हमेशा तुम्हारा दोस्त बनकर रहूँगा.

लेकिन प्रिया पर मेरी बात का कोई असर नही पड़ रहा था. वो अपने आँसू रोकने की कोशिश कर रही थी. मगर रोक नही पा रही थी. मैं भी चाहता था कि, वो दिल खोल कर रो ले. ताकि उसके दिल का बोझ हल्का हो जाए. मैं इस बात को अच्छे से समझता था कि, जिसे वो अपना पहला प्यार समझ रही है. वो प्यार नही सिर्फ़ एक आकर्षण है.

इस दौर से मैं भी गुजर चुका था. जब मैं शिल्पा के लिए अपने आकर्षण को अपना पहला प्यार समझता था. लेकिन जब मुझे कीर्ति से प्यार हुआ. तब मुझे समझ मे आया कि प्यार क्या चीज़ होती है और जिसे मैं अपना पहला प्यार समझ रहा था. वो सिर्फ़ मेरा आकर्षण था. मेरा प्यार तो कीर्ति थी.

जब प्रिया के आँसू कुछ कम हुए तब मैने उसका मन हल्का करने के लिए उस से कहा.

मैं बोला "प्रिया एक बात बोलू."

प्रिया बोली "क्या."

मैं बोला "अभी इस कमरे मे हम दोनो अकेले है. तुमने कहा था कि जब मैं तुम्हारे साथ अकेले रहुगा. तब तुम मुझे बताओगी कि गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड अकेले कमरे मे क्या करते है. अब हम दोनो अकेले है, अब तुम्हारा क्या इरादा है."

मेरी बात सुनकर प्रिया हँसे बिना ना रह सकी. उसने मेरे सीने मे मुक्का मारते हुए कहा.

प्रिया बोली "तुम बहुत शैतान हो. मुझे नही सीखना कुछ. जाकर अपनी गर्लफ्रेंड से सीखो. वही तुम्हे सब सिखाएगी."

मैं बोला "तुम भी तो मेरी गर्लफ्रेंड हो. तुम ही सिखा दो ना."

प्रिया बोली "मेरे साथ ज़्यादा मस्ती करने की कोशिश मत करो. यदि फिर से मेरा इरादा बदल गया ना, तो फिर मुझे समझते रह जाओगे."

मैं बोला "ओके मस्ती नही करता. लेकिन ये बताओ तुम इतने छोटे कपड़े क्यो पहनती हो. जिस से तुम्हारा पूरा शरीर नज़र आता है."

प्रिया बोली "मैं तो बचपन से ही ऐसे कपड़े पहनती हूँ. मुझे सलवार सूट पहनना पसंद नही है."

मैं बोला "मैने तो तुम्हे अभी तक फ्रॉक और स्कर्ट टॉप के अलावा किसी और ड्रेस मे देखा ही नही है. वो भी तुम बहुत छोटे पहनती हो."

प्रिया बोली "मुझे ये ही अच्छे लगते है. मैं जीन्स भी कम ही पहनती हूँ."

मैं बोला "लेकिन अब तुम बड़ी हो गयी हो. तुम्हे यदि ये कपड़े ही पसंद है तो, तुम ये ही पहनो मगर थोड़े बड़े पहनो."

प्रिया बोली "क्या तुम्हे मेरा ये कपड़े पहना पसंद नही है."

मैं बोला "मेरी पसंद नापसंद की बात नही है. मैं बस ये चाहता हूँ कि, तुम जैसी भोली भाली लड़की को, कोई लड़का सिर्फ़ इसलिए पसंद ना करे, क्योकि तुम सेक्सी दिखती हो. बल्कि इस लिए पसंद करे, क्योकि तुम्हारे अंदर एक सुंदर सा प्यार भरा मन है."

प्रिया बोली "अब कोई मुझे पसंद करे या ना करे मुझे कोई फरक नही पड़ता. फिर भी तुम्हारी बात मैं ज़रूर मानूँगी और आगे से ऐसे छोटे कपड़े नही पहनूँगी."

मैं बोला "ये हुई ना कोई बात. अब ज़रा रूको मैं तुम्हारा बर्थ'डे गिफ्ट तो देख लूँ कि तुमने मुझे गिफ्ट मे क्या दिया है."

ये कहते हुए मैं उसके पास से उठा और उसका गिफ्ट नीचे गिरा हुआ गिफ्ट उठाने लगा. अपने गिफ्ट को नीचे पड़ा देख प्रिया ने कहा.

प्रिया बोली "मैने तुम्हे इतने प्यार से गिफ्ट दिया और तुमने मेरा गिफ्ट नीचे फेक दिया."

मैं बोला "जैसा तुम सोच रही हो, ऐसी बात नही है. वो देखो सारे गिफ्ट वही रखे है. सिर्फ़ तुम्हारा गिफ्ट ही नीचे पड़ा है. हुआ ये था कि, मैं जब गिफ्ट देखने बैठा तो, सब से पहले मेरा मन तुम्हारे गिफ्ट को देखने का किया. मैं तुम्हारा गिफ्ट खोल ही रहा था. तभी अचानक मेहुल का कॉल आ गया और गिफ्ट मेरे हाथ से छूट कर नीचे गिर गया. मैं मेहुल से बात करता रहा और फिर जैसे ही उस से बात ख़तम हुई, तुम आ गयी."

मेरी बात सुनकर प्रिया की नाराज़गी कुछ कम हुई और मैं उसका गिफ्ट खोलने लगा. मैने उसका जिफ खोल कर देखा तो, उसे देखते ही मैं अपने आँसू ना रोक पाया. मेरी आँखों से झर झर आँसू गिरने लगे.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:51 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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