non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
06-11-2020, 04:47 PM,
#62
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम खुश होती हुई बोली "कोई कमी नहीं रहेगी। मैं भी हड़बड़ी का काम नहीं चाहती। तुम मेरी इच्छा का ख्याल रखे, यही कारण है कि तुम्हारे साथ इतना बात भी की, नहीं तो मैं किस टाइप की लड़की हूँ, ये तुम अच्छे से जानते हो। तुमने सब्र रखा है, तो तुम्हे फल भी मीठा ही मिलेगा।" गुड्डू बोला "मैं तुम्हारे दोनों संतरों को निचोड़ खाऊँगा।" पूनम हँस दी और गुड्डू भी।

पूनम कॉल कट कर दी और आज भी फिर से नंगी ही सो गयी। जब तक उसे नींद नहीं आयी, वो यही सोंचती रही की कहाँ और कैसे गुड्डू से चुदेगी। और सिर्फ गुड्डू से चुदेगी या विक्की से भी। भले ही गुड्डू विक्की से चुदवाने का जिक्र इधर से न कर रहा हो, लेकिन पूनम को पूरा यकीन था कि विक्की भी चोदेगा ही, और वो भी दोनों के लण्ड अपनी चुत को खिलाने के लिए रेडी थी। गुड्डू भी खुश था कि उसकी मेहनत रंग ला रही है। अब उसे पूरा यकीन था कि पूनम उससे चुदेगी। वो बहुत सारी चुत चोद चूका था, लेकिन पूनम जैसी माल को खाने की बात ही और थी।

सुबह पूनम जगी तो वो इस प्लान के साथ जगी थी की गुड्डू से कैसे चुदवाना है। उसके मन में कई तरह की बातें चल रही थी। 'गुड्डू के अड्डे पे जाना ठीक रहेगा की नहीं, लेकिन वहाँ नहीं जाऊँगी तो फिर कहाँ करवाऊँगी। किसी होटल में? नाह... वो तो और ज्यादा रिस्की है। लेकिन अड्डे पे गयी तो पता नहीं वो क्या क्या करेगा, फिर मैं वहाँ क्या कर पाऊँगी। नहीं नहीं... अड्डे पे नहीं जाऊँगी। देखती हूँ की कैसे क्या हो सकता है। मुझे चुदवाने की कोई जल्दी नहीं है। लेकिन कोई परेशानी न हो जाये। उन दोनों का क्या है, लड़के हैं, और उनका काम ही यही है। मैं तो बर्बाद हो जाऊँगी न।'

पूनम अपनी सोच में डूबी हुई ही सारे काम कर रही थी। वो सोच ली थी की अब गुड्डू से चुदाई करवा ही लेना है। आज सुबह से ही गुड्डू मैसेज पे मैसेज भेजे जा रहा था। उससे बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा था। वो तो फ़ोन करके पूनम को चोद लेना चाहता था, उसे अपने पास बुलाकर उसके मखमली जिस्म को रगड़ लेना चाहता था। लेकिन अभी वो बस मैसेज ही कर सकता था, तो कर रहा था। पूनम जैसे ही मैसेज टोन सुनती तो फ़ोन अनलॉक कर उसे पढ़ती थी और फिर डिलीट कर दे रही थी। मैसेज ऐसे थे की पूनम के चेहरे पे मुस्कान फ़ैल जा रही थी और उसकी चुत से शहद बाहर आकर उसकी पैंटी को गीला कर रहा था। कुछ मैसेज को वो रखना चाहती थी, लेकिन वो ऐसे थे की उन्हें फ़ोन में रखना मुमकिन नहीं था।

पूनम की माँ जब से अपने भाई के पास से आयी थी, तब से उसे पूनम बदली बदली नज़र आ रही थी। पूनम का ज्यादातर समय मोबाइल के साथ बीत रहा था और वो पूनम को नोटिस कर रही थी। जब पूनम ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गयी थी और नाश्ता कर रही थी तो पूनम की माँ बोली "तू कितना बिजी रहती है फ़ोन में। किसका मैसेज आता रहता है।" पूनम को ये अचानक से माँ से ये पूछे जाने की उम्मीद नहीं थी। पूनम घबरा गयी। बोली "न...नहीं तो... कहाँ किसी का..." पूनम की माँ उसके इस जवाब से संतुष्ट तो नहीं ही हुई, उसे घूर कर देखने लगी। पूनम तुरंत ऐसे एक्टिंग की जैसे उसे अब अपनी माँ की बात समझ में आयी। बोली "अच्छा वो... ये तो कंपनी के मैसेज आते रहते हैं। इनका तो काम ही यही है।" पूनम नाश्ते की थाली देखते हुए बोल रही थी। वो पहली बार अपनी माँ से झूठ बोल रही थी। उसकी हिम्मत नहीं हुई की अपनी माँ की तरफ देख कर ये बात बोल पाए।

पूनम की माँ अपनी हथेली से पूनम की ठुड्डी ऊपर उठायी और उसकी आँखों में देखते हुए बोली "तेरी माँ हूँ। कंपनी के मैसेज पढ़कर किसे हँसी आती है!!!" पूनम फिर से बात घुमाते हुए बोली "अरे अभी तो वो सुषमा का मैसेज आया था। एक चुटकुला भेजी थी।" पूनम की माँ उसे ऐसे देखि जैसे उन्हें पता था कि उनकी बेटी झूठ बोल रही है, लेकिन वो बात को खींचना नहीं चाहती थी। बोली "देख बेटा, कोई ऐसा काम मत कर देना की माँ बाप की पगड़ी उछल जाये।"

"क्या हो गया भाई?" बोलते हुए पूनम के पापा भी नाश्ते की टेबल पे पहुँच गए। पूनम तो पूरी तरह डर गयी की कहीं पापा को पता न चल जाए और वो गुस्सा न हो जाएं। उसे पता था कि उसके पापा कैसे रूढ़िवादी ख्यालों के हैं। पूनम की माँ भी उनके इस तरह अचानक आ जाने से सकपका गयी, क्यों की वो भी ये बात अभी अपने पति की जानकारी में नहीं आने देना चाहती थी।

पूनम के पापा ने फिर से पूछा "क्या हो गया? कौन किसकी पगड़ी उछाल रहा है?" दोनों माँ बेटी थोड़े रिलैक्स हो गए की पापा ने पूरी बात सुनी भी नहीं थी और अभी उनका मूड भी अच्छा था। पूनम तो चैन की साँस ली, लेकिन उसकी ये चैन की साँस कितनी देर तक रहती ये अभी अब उसकी माँ क्या बोलती है, ये उसपे निर्भर कर रहा था।

पूनम की माँ बोली "वो शर्मा जी की बेटी भागकर शादी कर ली थी न, उसी की बात हो रही थी। वही पूनम को बोल रही थी की वो तो अपने माँ बाप की पगड़ी ही उछाल दी न।" पूनम के पापा का मुँह बुरा सा बन गया। बोले "आजकल के बच्चों को अपनी माँ बाप की फिक्र नहीं होती। माँ बाप का चाहे जो हाल हो, समाज में उसकी जो थू थू हो, लेकिन बच्चे को तो बस अपने आप से मतलब है कि हम तो अपने मन की ही करेंगे।" पूनम की माँ बोली "माँ बाप क्या करेंगे। वो तो बस बच्चों को समझा ही सकते हैं न। हर घड़ी तो उसके पीछे नहीं लगे रहेंगे। बेटा हो या बेटी हो, पढ़ने बाहर जायेंगे ही, काम करने बाहर जायेंगे ही। पूनम ही बाहर जाती है या पंकज ही बाहर में रह रहा है, तो ये लोग क्या करते हैं बाहर में, ये तो यही लोग जानेंगे न।" पूनम की तो साँस अटक गयी।

पूनम के पापा ने एक लंबा साँस लिया और बोले "हाँ... सही बात है। कौन क्या करेगा कौन जानता है। इसलिए तो मैं चाहता हुँ की बच्चों की जल्दी शादी हो जाये की हम निश्चिन्त हों।" पूनम को लगा की आज उसका बुरा दिन है। बोली "ये कौन सी बात करने लगे आपलोग।" पूनम के पापा ने पूनम के कंधे पे हाथ रखा और आँखों में आंसू भरकर बोले "बेटा, तुम ऐसा कुछ मत कर देना जिससे हमारी पगड़ी उछल जाये।" पूनम की भी ऑंखें भर आयी।
बोली "कैसी बात कर रहे पापा आप!" पूनम के पापा आगे कुछ नहीं बोले। पूनम की माँ तुरंत ही उनके सामने नाश्ते की थाली रखी और माहौल को हल्का करती हुई बोली "हमारे बच्चे ऐसे नहीं हैं। मुझे भरोसा है अपनी बेटी पर, और बेटे पर भी।" पूनम बस इतना ही बोल पायी "मैं ऐसा कुछ नहीं करुँगी।" पूनम के पापा बोले "भरोसा तो मुझे भी है। तभी तो इसे नौकरी करने दिया।"

पूनम ऑफिस के लिए निकल पड़ी। अभी गुड्डू रोड पे ही था और पूनम को देखकर अच्छे से मुस्कुरा रहा था। उसे उम्मीद थी की उसके भेजे नॉनवेज चुटकुलों ने सुबह सुबह ही पूनम की पैंटी को गीला कर दिया होगा और वो उसे देखकर शर्माती हुई मुस्कुराएगी। लेकिन अभी पूनम का ध्यान गुड्डू पे नहीं था। उसके दिमाग में उसके मम्मी पापा की बातें गूँज रही थी।

'मैं तो भरोसा तोड़ ही दी हूँ उनलोगों का। अमित के साथ प्यार की, उसके साथ वो सब भी की जो नहीं करना चाहिए था। और अब गुड्डू के साथ ये सब कर रही हूँ। छी..., मैं तो घटिया लड़की हूँ। पापा ने जब काम करने का परमिशन दिया था, तभी बोले थे की कुछ भी ऐसा काम मत करना की लोगों को बोलने का मौका मिले। और मैं तो क्या क्या नहीं कर ली। अमित नहीं छोड़ा होता तो उसके साथ तो पता नहीं क्या क्या करवाती रहती। और अभी तो उससे भी ख़राब कर रही हूँ की गुड्डू के साथ क्या क्या कर रही हूँ और क्या क्या करवाने के बारे में सोच रही हूँ। अमित के साथ तो फिर भी प्यार करती थी, शादी करने का प्लान था उसके साथ, वो करता या नहीं करता ये अलग बात है। लेकिन गुड्डू के साथ तो बस जिस्म के मस्ती से मतलब है।" पूनम परेशान हो गयी थी। उसके पापा की बातों ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था।
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RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार - by hotaks - 06-11-2020, 04:47 PM

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