RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
उसने 'मुगल महल ' में कदम रखा। देखते-ही-देखते चार गुण्डों ने उसे घेर लिया। युवक को यह समझने में देर नहीं लगी कि अब वह कैद है।
चार में से एक ने उसे अपने पीछे चले आने का संकेत किया—विवश युवक चुपचाप पीछे चल दिया—शेष तीनों उसे तीन तरफ से घेरे हुए थे , उनके हाथ जेब में थे और युवक समझ सकता था कि उनकी जेब में रिवॉल्वर पड़े हैं।
कई गैलरियों में से गुजरते हुए वे उसे कमरा नम्बर पांच-सौ-पांच के सामने ले गए , कमरे का दरवाजा बन्द था।
एक ने विशेष अन्दाज में दस्तक दी।
यहां सन्नाटा था , अत: शेष तीनों भी उसके नजदीक आ गए—दरवाजा सरसराकर स्वयं ही खुल गया—एक साथ तीनों रिवॉल्वरों की नालें उसके जिस्म से चिपक गईं।
दो पसलियों से , एक पीठ पर।
उसे कवर किए वे अन्दर दाखिल हो गए—दरवाजा स्वयं ही बंद।
युवक समझ गया कि गैंग का चीफ अपने बिल में बैठा शायद किसी टी oवी o स्क्रीन पर उन्हें देख रहा था और ये दरवाजे आदि कुछ बटनों के माध्यम से उसकी उंगलियों के इशारे पर ही खुल और बन्द हो रहे थे।
सरसराकर कमरे के बीच का फर्श एक तरफ हट गया।
अब वहां नीचे उतरने के लिए खूबसूरत टायलदार चिकनी सीढ़ियां नजर आने लगीं—रिवॉल्वरों के साए में युवक उन पर उतरता चला गया—घुमावदार सीढ़ियां तय करके वे एक गैलरी में पहुंचे।
हल्की सरसराहट के साथ रास्ता बन्द हो गया।
तहखाने की उस गैलरी में लाइट का समुचित प्रकाश था।
फिर वे उस हॉल में पहुंच गए , जिसका दृश्य पाठक पहले भी कई बार पढ़ चुके हैं। दीवारों के सहारे सशस्त्र गार्ड खड़े थे। हरी वर्दी—लाल बैल्ट—लाल कैप वाले गार्ड।
युवक को मंच के काफी नजदीक ले जाकर खड़ा कर दिया गया।
अचानक ही मंच की छत पर लगा बल्ब लपलपाया और मंच पर नजर आया चमकीले लिबास वाला नकाबपोश—युवक के जेहन में बड़ी तेजी से वह हाथ चकरा उठा , जिसे उसने न्यादर अली पर फायर करते देखा था।
"त...तुम ?" युवक के मुंह से अनायास ही निकल पड़ा।
“हां , हम।" मंच से बॉस की आवाज उभरी— “ बहुत तूफान उठा रखा है तुमने।"
"क्या तुम वही हो जिसने न्यादर अली का मर्डर किया है ?”
"बूढ़े का मरना जरूरी हो गया था , क्योंकि उसे 'शाही कोबरा ' समझकर तुमने बहुत-से रहस्य बता दिए थे—ऐसे कि हमारा यह हैडक्वार्टर ही खतरे में पड़ जाता।"
"तो 'शाही कोबरा ' तुम हो ?"
" 'शाही कोबरा ' तुम जैसे कुत्तों से बात नहीं किया करते—मैं उनका छोटा-सा खादिम हूं और तुम जैसे लोगों से मैं ही निपट लेता हूं।"
"मैं 'शाही कोबरा ' से बात करना चाहता हूं।"
“ ऐसे खूबसूरत ख्वाब देखने छोड़कर तुम जरा ऊपर देखो बेटे।" बॉस के इस वाक्य के तुरन्त बाद हॉल में विशेष की आवाज गूंजी—"पापा...पापा...।"
युवक ने एक झटके से ऊपर देखा।
हॉल की छत करीब तीस फुट ऊपर थी और वहां उल्टा झूल रहा विशेष उसे नजर आया। युवक के समूचे जिस्म में अजीब-सा तनाव उत्पन्न हो गया।
दो पतले तार हॉल के इस सिरे से उस सिरे तक छत के समानान्तर बंधे हुए थे। उन लोहे के तारों में लोहे का एक-एक छल्ला पड़ा था और इन छल्लों से दो रस्सी के छोटे टुकड़ों द्वारा विशेष के पैर सम्बद्ध थे।
उल्टा लटका हुआ था वह। तारों पर छल्ले फिसल रहे थे।
युवक का चेहरा लाल-सुर्ख हो गया। मुट्ठियां और दांत भिंच गए—गुस्से की अधिकता के कारण अभी वह बुरी तरह कांप ही रहा था कि बॉस की आवाज गूंजी—"हमारे एक इशारे पर वह सिर के बल फर्श पर जा गिरेगा और फिर उसके सिर के अंजाम की कल्पना तुम कर सकते हो।"
“मुझे बचाओ, पापा।" विशेष की आवाज ने युवक की रगें फड़का दीं—वह एकदम मंच की तरफ देखकर गुर्राया—"म...मैंने खुद को तुम्हारे हवाले कर दिया है , वीशू को छोड़ दो।"
"अभी कहां बेटे—तमाशा तो अब शुरू हुआ है।" व्यंग्यात्मक लहजे में कहने के बाद बॉस ने किसी को पुकारा—"गुल्लू।"
"यस बॉस।" पंक्ति से दो कदम आगे निकलकर जो कद्दावर व्यक्ति आया , उसकी बाईं आंख पर हरे रंग की एक 'आई-कैप ' थी।
"इस हरामजादे की जेब में शायद एक रिवॉल्वर है—उसे निकाल लो।"
गुल्लू युवक की तरफ बढ़ा। उसके नजदीक पहुंचने के बीच बॉस ने चेतावनी दी— “अगर तुमने हरकत की तो बच्चा नीचे जा गिरेगा।"
युवक अपने स्थान पर खड़ा कांपता रहा।
विशेष की चीखें हॉल में लगातार गूंज रही थी—युवक कुछ भी न कर सका और गुल्लू ने ना केवल उसकी जेब से रिवॉल्वर निकाल लिया , बल्कि पूरी तलाशी ले डाली।
बॉस ने पुकारा— “रूपेश!"
"यस बॉस।"
"तुम्हारा शिकार सामने है।"
युवक की दृष्टि रूपेश पर जम गई। रूपेश की आंखों में लहू नाच रहा था—उसके जले हुए चेहरे पर भयानकता को देखकर एक बार को तो युवक भी सिहर उठा—युवक तक पहुंचने से पहले ही रूपेश ने गुल्लू से युवक की जेब से निकला रिवॉल्वर ले लिया।
हॉल में बॉस की आवाज गूंजी— "हमसे पहले तुम रूपेश के मुजरिम हो , अब रूपेश जो चाहेगा , तुम्हें सजा देगा।"
युवक के बहुत नजदीक आकर रूपेश गुर्राया—"उस बच्चे से शायद तू उतना ही प्यार करता है , जितना मैं माला से करता था।"
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