RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
वेटर उसे देहली के बाहरी इलाके में स्थित एक गन्दी-सी बस्ती में ले गया , और फिर टीन के बने एक फाटक जैसे विशाल दरवाजे के सामने ठिठका। यह दरवाजा किसी गोदाम के दरवाजे जैसा था , जिसकी तरफ इशारा करके वेटर ने कहा— "आप इसके अन्दर चले आइए।"
"क्या डॉली मुझे यहां मिलेगी ?"
"जी हां।"
"म...मगर यह अजीब जगह है , डॉली भला यहां क्या कर रही है ?"
"डॉली मेमसाब ने कहा था कि शायद रंगा-बिल्ला को उन पर शक हो गया है—उन्हीं के डर से वे यहां छुपी हुई हैं।"
"क्या तुम अन्दर नहीं चलोगे ?”
"नहीं।" अजीब-से स्वर में कहने के बाद वेटर एक क्षण के लिए भी वहां रुका नहीं। अगला सवाल पूछने के लिए युवक का मुंह खुला-का-खुला रह गया , क्योंकि गजब की तेजी के साथ वेटर मुड़ा और लम्बे-लम्बे कदमों के साथ उससे दूर होता चला गया।
ठगा-सा युवक वहीं खड़ा रहा।
मस्तिष्क में सैकडों विचार चकरा रहे थे। स्वयं को उलझन-सी में घिरा महसूस कर रहा था वह—सारा वातावरण रहस्यमय-सा लगा।
वेटर एक मोड़ पर घूमकर दृष्टि से ओझल हो गया। युवक यह सोचता हुआ दरवाजे की तरफ घूमा कि जब उसने एक खतरनाक काम अपने हाथ में लिया है तो इस किस्म के वातावरण से तो गुजरना ही होगा। दाएं हाथ पर पट्टी बंधी हुई थी—बाएं हाथ से जेब में पड़े रिवॉल्वर को थपथपाया और किसी भी खतरे से जूझने के लिए तैयार होकर उसने गोदाम के दरवाजे पर लगी सांकल जोर से बजा दी।
आवाज दूर-दूर तक गूंज गई , मगर वहां कोई व्यक्ति नजर नहीं आया।
अन्दर से उभरने वाली किसी भारी सांकल के हटने की आवाज सुनकर वह सतर्क हो गया। बायां हाथ जेब के अन्दर डालकर रिवॉल्वर की मूठ पर कस लिया।
दरवाजा खुला। डॉली पर नजर पड़ते ही वह कुछ आश्वस्त हुआ।
युवक ने महसूस किया कि डॉली इस वक्त बुरी तरह आतंकित है। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं , आंखों में हर तरफ ‘खौफ-ही-खौफ ' नजर आ रहा था।
"क्या बात है, डॉली? तुम इस कदर डरी हुई क्यों हो ?"
"आओ।" उसके सवाल पर कोई ध्यान न देती हुई डॉली ने शुष्क स्वर में कहा तथा टीन के दोनों विशाल किवाड़ों के बीच पैदा हुए रास्ते से हट गई—अन्दर कदम रखते हुए युवक ने डॉली के लहजे में कम्पन महसूस किया।
रुई की गांठों से भरा वह एक बहुत विशाल हॉल था।
युवक ने तेजी से निरीक्षण किया। हर तरफ एक अजीब-सी खामोशी छाई हुई थी। यह खामोशी युवक को वैसी ही महसूस हुई जैसी अक्सर किसी बड़े तूफान के जाने से पहले छा जाया करती है।
वह डॉली की तरफ घूमा।
भारी सांकल चढ़ाने के बाद डॉली स्वयं उसकी तरफ घूमी थी—नजरें मिलीं तो युवक को पुन: अहसास हुआ कि डॉली खुद को सूली पर खड़ी महसूस कर रही है।
उसने पूछा— "क्या बात है डॉली?"
"क...क्या तुम्हें वेटर ने नहीं बताया ?" लहजा बुरी तरह कांप रहा था।
"रंगा-बिल्ला को तुम पर कैसे शक हो गया ?"
वही आतंकित स्वर—“म......मैं इस वक्त भी उनकी कैद में हूं।"
"क......क्या मतलब ?" युवक चीख-सा पड़ा।
"म.......मैं एक-एक शब्द वही बोल रही हूं जो बोलने के लिए उन्होंने कहा है।"
युवक उछल पड़ा , रोंगटे खड़े हो गए उसके , चीखा— "क......कहां हैं वे ?"
"इ...इसी गोदाम में।"
"क...क्या मत... ?"
युवक का वाक्य पूरा नहीं हो सका। दाईं तरफ बिजली-सी कौंधी।
डॉली के कण्ठ से एक हृदयविदारक चीख निकलकर सारे गोदाम में गूंज गई।
और अगले ही पल युवक ने डॉली की छाती में गड़ा एक चाकू देखा। चालू की सिर्फ मूठ चमक रही थी और उसी से अनुमान लगाया जा सकता था कि चाकू काफी लम्बा है—उसका समूचा फल डॉली की छाती में पैवस्त था।
चेहरे पर असीम वेदना के भाव लिए कटे वृक्ष-सी वह गिरी।
यह सब कुछ एक ही क्षण में हो गया था। इतनी तेजी से कि युवक कुछ समझ नहीं सका—फिर भी बौखलाकर उसने अपनी जेब से रिवॉल्वर निकाल लिया और इससे पहले कि दाईं तरफ फायर करता , स्वयं उसी के कण्ठ से एक चीख उबल पड़ी।
लोहे की कोई मोटी चैन उसकी रिवॉल्वर वाली कलाई पर पड़ी थी।
मुंह से एक चीख निकली और हाथ से रिवॉल्वर निकलकर जाने कहां जा गिरा। दर्द से बिलबिलाते हुए उसने आक्रमणकारी की तरफ देखा तो जिस्म में झुरझुरी-सी दौड़ गई।
यह बिल्ला था , काला भुजंग।
चेहरे पर इस वक्त खूंखार भाव लिए वह दाएं हाथ में दबी मोटरसाइकिल की चेन को बड़े ही खतरनाक अंदाज में अपनी बाईं कलाई पर लपेट रहा था। अपनी लाल-सुर्ख आंखों से युवक को घूरते हुए वह गुर्राया—"मुझ नाचीज को बिल्ला कहते हैं।"
दाईं तरफ से 'धम्म ' की आवाज उभरी।
हड़बड़ाकर युवक ने उधर देखा।
रुई की गांठों के ढेर के ऊपर से जो अभी-अभी फर्श पर कूदा था , वह रंगा था। रुई जैसा ही सफेद , परन्तु आंखें उसकी भी अंगारों जैसी थीं , किसी भी मायने में वह बिल्ला से कम खतरनाक नजर नहीं आता था। उसके हाथ में वैसा ही दूसरा चाकू था जैसा डॉली की छाती में पैवस्त था। युवक की तरफ देखते हुए उसने कहा—"गलती से मेरा नाम रंगा है।"
"एक रंगा-बिल्ला फांसी पर झूल गए—दूसरे हम हैं।" यह बात बिल्ला ने कही थी।
जब युवक ने दोनों तरफ से उन्हें अपनी तरफ बढ़ते देखा तो युवक के तिरपन कांप गए—मौत की लहर बिजली के समान उसके जिस्म में कौंध गई—इस क्षण उसे महसूस हुआ कि रंगा-बिल्ला से टकराने का निर्णय निहायत ही मूर्खतापूर्ण था।
इस गोदाम में कदम रखकर उसने अपने जीवन की सबसे भयंकर और अंतिम भूल की है। उन दोनों से बचने के लिए सहमा-सा वह पीछे की तरफ हटा , साथ ही अपने रिवाल्वर की तलाश में फर्श पर नजर दौड़ाई थी।
नजर डॉली की लाश पर पड़ी।
युवक के होश फाख्ता हो गए। उसे लगा कि कुछ देर बाद वह स्वयं भी उसी अवस्था में पहुंचने वाला है। अपनी उंगलियों में चाकू को नचाते हुए रंगा ने कहा—"क्यों बेटे , अब डर क्यों रहे हो—डॉली से सुना था कि तुम्हें हमारी तलाश है।"
“म....मुझे?...न....नहीं तो! " आतंकित युवक बड़ी मुश्किल से कह सका।
"पिछली बार तो तुम बच गए थे , मगर इस बार नहीं बच सकोगे।"
" 'म...मैं सर्वेश नहीं हूँ।"
रंगा गुर्राया— “ फिर सर्वेश बने क्यों घूम रहे हो ?"
"क....कौन हो तुम?" बिल्ला ने पूछा।
"म....मुझे नहीं पता है। ”
"रंगा-बिल्ला के सवाल को टालता है, हरामजादे।" कहने के साथ ही रंगा ने अपने हाथ में दबा चाकू उस पर खींच मारा—बिजली की-सी तेजी के साथ बौखलाकर युवक नीचे बैठ गया। जो चाकू उसके सीने पर लगना चाहिए था , वह सर्र.....र्र....र्र....की आवाज के साथ उसके ऊपर से गुजरकर पीछे रुई की एक गांठ में धंस गया।
रंगा के चाकू का वार पहली बार ही खाली गया था। कदाचित् इसीलिए रंगा-बिल्ला ने हैरतअंगेज दृष्टि से एक दूसरे की तरफ देखा।
युवक अभी भी डरा हुआ-सा बोला— “म...मैं सच कह रहा हूं। मैं नहीं जानता कि मैं कौन हूं ?"
दूसरी बार उसका यह वाक्य सुनकर रंगा-बिल्ला के तन-बदन में आग लग गई—बिल्ला ने खींचकर चेन का वार किया और युवक हवा में दो गज उछलकर दूर जा पड़ा।
सांय की आवाज पैदा करती हुई चेन उसके नीचे से निकल गई।
मुंह से पंक्चर हुए टायर की-सी आवाज निकालते हुए रंगा ने जम्प लगाई तो युवक के बाएं हाथ का घूंसा कुछ ऐसे भीषण ढंग से उसके चेहरे पर पड़ा कि एक लम्बी डकार निकालता हुआ वह पीछे जा गिरा।
बिल्ला ने एक बार फिर चेन का वार किया।
इस बार युवक स्वयं को बचा नहीं सका और चेन उसकी पसलियों पर पड़ी , मुंह से चीख निकल गई , परन्तु इस चीख के साथ ही उसने बाएं हाथ से अपने पेट और पीठ पर लिपटी चेन का अग्रिम सिरा पकड़कर इतना जोरदार झटका दिया कि बिल्ला के हाथ से न केवल चेन छूट गई , बल्कि झोंक से वह रुई की एक गांठ से जा टकराया।
इस बीच संभल गए रंगा ने युवक पर जम्प लगाई , परन्तु युवक ने घुमाकर चेन का वार जो उस पर किया तो दर्द के कारण तड़पकर रह गया रंगा।
इसके बाद—चेन युवक के हाथ में थी।
सामने थे रंगा-बिल्ला।
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