RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
"मैं आपसे कुछ बात कहना चाहती हूं।" रश्मि की आवाज सुनते ही युवक ने न केवल अपनी आंखें खोल दीं , बल्कि हड़बड़ाकर वह खड़ा भी हो गया। भौंचक्की-सी अवस्था में उसने अपने कमरे के दरवाजे पर खड़ी रश्मि को देखा और बोला— “ क....हिए।"
रश्मि ध्यान से युवक के चेहरे पर मौजूद दाढ़ी-मूंछ , चश्मे और परिवर्तित हेयर स्टाइल को देख रही थी—साथ ही देख रही थी अपनी मौजूदगी के कारण युवक के चेहरे पर उभर आए 'नर्वसनेस ' के भाव—युवक शायद इसीलिए कुछ ज्यादा ही बौखलाया हुआ था , क्योंकि इस एक महीने में रश्मि ने उस कमरे में पहली बार ही कदम रखा था, जो कमरा उसे रहने के लिए मिला था।
विशेष स्कूल गया हुआ था।
युवक को नहीं मालूम था कि मांजी कहां हैं ?
अपने पलंग पर आंखें बन्द किए , जिस्म को ढीला छोड़े लेटा वह किन्हीं विचारों में गुम था , जब रश्मि के वाक्य से छिन्न-भिन्न हो गए।
युवक को डर हुआ कि कहीं फिर उसका जुनून न उभर जाए , इसीलिए जल्दी से बोला—"क...कहिए रश्मि जी , क्या बात करना चाहती थीं आप? ''
"धीरे-धीरे करके मैं आपकी चेंज होने वाली शक्ल के बारे में जानना चाहती हूं।"
"म...मैं समझा नहीं।"
"य...यह दाढ़ी-मूंछ , चश्मा आदि...।"
"ओह , क्या यह सब कुछ आपको पसंद नहीं है ?”
"सवाल मेरी पसन्द-नापसन्द का नहीं है , यह आपका व्यक्तिगत मामला है कि आप कैसे रहना चाहते हैं , दाढी-मूंछ में या क्लीन शेव।" बहुत ही ठोस और सपाट स्वर में कहा रश्मि ने— "मैँ केवल इस परिवर्तन का कारण जानना चाहती हूं।"
युवक के पास जवाब पहले से तैयार था , फिर भी उसने किसी तरह की जल्दबाजी नहीं की—सबसे पहले अपने बिखेरे हुए आत्मविश्वास को समेटा , फिर ध्यान से उसने रश्मि को देखा।
गोरी-चिट्टीं और मासूम रश्मि ने अपने तांबे के-से रंग के घने और लम्बे बालों को मस्तक के आसपास से समेटकर बहुत ही सख्ती के साथ सिर के पृष्ठ-भाग में एक जूड़ा बना रखा था। वह धीमे से बोला— “कारण सुनने में शायद आपको अच्छा नहीं लगेगा।"
“क्या मतलब ?”
"मैं चाहता हूं कि भले ही कुछ दिनों के लिए सही , मगर सारी दुनिया मुझे सर्वेश समझे।"
रश्मि की आंखों के चारों तरफ की खाल सिकुड़ गई— "क्यों ?”
"ताकि वे हत्यारे चौंक पड़ें —जिन्होंने सर्वेश का मर्डर किया था।"
"क्या कहना चाहते हो ?" रश्मि गुर्रा-सी उठी।
"अगर सच्चाई पूछें तो वह यह है कि मैं सिर्फ उन हत्यारों के लिए सर्वेश दिखना चाहता हूं—मुझे देखकर वे चौकें , सोचें कि जिस सर्वेश को उन्होंने मार डाला था , वह जीवित कैसे घूम रहा है ?”
"इससे क्या होगा ?"
“वे किसी भी तरह इस रहस्य को जानना चाहेंगे , मुझसे सम्बन्ध स्थापित करेंगे या ज्यादा-से-ज्यादा मुझे सर्वेश ही समझकर कातिलाना हमला करेंगे—और यही मैं चाहता हूं।"
“ऐसा क्यों चाहते हैं आप?”
"ताकि मासूम वीशू को यतीम करने वालों से बदला ले सकूं, आपकी मांग में सिन्दूर की जगह खाक उड़ाने वालों का मुंह नोच सकूं।"
"ख...खामोश। " अचानक ही रश्मि हलक फाड़कर चिल्ला उठी।
कांप गया युवक , घबराकर उसने रश्मि की तरफ देखा और रश्मि की तरफ देखते ही उसके होश उड़ गए—रश्मि का मुखड़ा भारी उत्तेजना के कारण तमतमा रहा था , आंखों से चिंगारियां बरस रही थीं जैसे , दांत पीसती हुई वह बोली—“मेरे सर्वेश की हत्या के मामले में तुम कुछ सोचोगे भी नहीं। "
"क.....क्यों ?"
"क्योंकि उनके हत्यारों की बोटियां मुझे नोंचनी हैं—खून में डूबी उनकी लाश पर हाथ रखकर बदला लेने की कसम खाई है मैंने—उनके एक भी हत्यारे को मैं जिन्दा नहीं छोड़ूंगी—उनका खून पीने के बाद मरने का वादा मैंने अपने पति से किया है। "
"अ...आप भला उन दरिन्दों से बदला कैसे ले सकेंगी ?"
"इससे तुम्हें कोई मतलब नहीं , मैं जानती हूं कि मुझे क्या करना है—अगर किसी अन्य के द्वारा उन हत्यारों की मौत पर मुझे शांति मिलती तो जाने कब की मैं पुलिस को उन कुत्तों का नाम बता चुकी होती।"
“क...क्या आप उन्हें जानती हैं ?" युवक चौंक पड़ा था।
"ब...बेशक। "
"क...कौन हैं वे ?" युवक एकाएक ही व्यग्र हो उठा।
"कोई भी हों , तुमसे मतलब। ”
"प.....प्लीज रश्मि जी , मेरी बात …। "
रश्मि की गुर्राहट जहर में बुझी-सी महसूस हुई—"एक बार पहले भी कह चुकी हूं मिस्टर—और फिर कहती हूं कि इस बारे में आप सोचेंगे भी नहीं—उनके हत्यारों से बदला लेने का ख्याल तक दिमाग में लाने का आपको कोई हक नहीं है। "
इस बार युवक भी चीख पड़ा—"मुझे हक क्यों नहीं है ?"
“क.....क्या मतलब?" रश्मि ने दांत पीसे।
"ये कौन-सा कानून है कि आप जब , चाहें जिस बात के लिए मुझे कह दें कि—मुझे कोई हक नहीं है—मैं पूछता हूं मुझे हक क्यों नहीं है—क्या मैं वीशू से प्यार नहीं करता—क्या मांजी का पागलपन मुझे झिंझोड़ नहीं डालता है—क्या एक मासूम की मांग में उड़ती खाक किसी इंसान को पागल नहीं बना देती है ?"
हैरत से आंखें फाड़े रश्मि युवक को देखती रह गई।
जाने किस जोश में भरा युवक कहता ही चला गया —“ मुझे पूरा हक है रश्मिजी , अगर सच्चाई पूछें तो सर्वेश के हत्यारों से बदला लेने का आपसे ज्यादा हक मुझे है-क्योंकि सर्वेश के नाम और उसके परिचय ने मुझे शरण दी है—म...मैं जिसे यह नहीं मालूम कि मैं कौन हूं—मैं दर-दर भटक रहा था—दुनिया में कहीं मेरी कोई मंजिल नहीं थी—तब मुझे इस घर में , इस छोटी-सी दीवार में शरण मिली—शरण ही नहीं , यहां मुझे बेटे का स्नेह मिला है—मां की ममता गरज-गरजकर बरसी है मुझ पर और आप—आप कहती हैं कि इस घर की नींव रखने वाले के प्रति मेरा कोई हक ही नहीं है—मैं आपका पति न सही , सर्वेश न सही , मगर वीशू का पापा जरूर हूं—मांजी का बेटा जरूर हूं और अगर मैं यह हूं तो
सर्वेश मेरा भाई जरूर रहा होगा—और क्या। चबा जाऊंगा उन्हें जिन्होंने मेरे भाई को मारा है—वीशू को यतीम करने वालों की बोटी-बोरी नोंच डालूंगा मैं—एक बूढ़ी मां से उसका जवान बेटा छीनने की सजा उन्हें भोगनी ही होगी—इस घर , चारदीवारी के लिए मुझे सब कुछ करने का हक है।"
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