RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
आसपास अब लाशें ही लाशें पड़ी थीं ।
खून में लथपथ लाशें !
कमाण्डर ने राइफल वापस कंधे पर टांग ली ।
खतरा वो अभी भी अपने बिल्कुल सिर पर मंडराता अनुभव कर रहा था ।
वो जानता था, वहीं नजदीक में ही कहीं और भी दुश्मन मौजूद है । जिन्हें उन जंगलियों ने ढोलक पर थाप दे देकर उसकी वहाँ उपस्थिति के बारे में बता दिया है और जो अब उसके लिए किसी भी पल खतरनाक साबित हो सकते थे ।
उसने अपनी रिस्टवाच देखी ।
रात के दो बजे थे ।
दुश्मन को धोखा देने वाली फौजी ट्रेनिंग आज उसके काफी काम आयी थी ।
तभी एक घटना घटी ।
नई घटना ।
उसने हल्की ब्लिप-ब्लिप की आवाज सुनी ।
उस आवाज को सुनते ही कमाण्डर तेजी से फिरकनी की तरह आवाज की दिशा में घूम गया ।
कमाण्डर जानता था कि वह किसी ट्रांसमीटर सैट में से निकलने वाली आवाज थी ।
तुरंत ही उसकी निगाह एक जंगली के हाथ पर जाकर ठहर गयी । उसने अपनी बाई कलाई में एक रिस्टवॉच बांधी हुई थी, जो काफी कीमती रिस्टवॉच थी ।
कमाण्डर को एक जंगली के हाथ में इतनी कीमती रिस्टवॉच देखकर बड़ी हैरानी हुई ।
ब्लिप-ब्लिप की वह आवाज उसी रिस्टवॉच के अंदर से निकल रही थी ।
जरूर वो रिस्टवॉच ट्रांसमीटर सैट भी था ।
कमाण्डर ने उसका ट्रांसमीटर स्विच ऑन किया । फौरन ही उसके अंदर से आवाज निकलने लगी ।
“हैलो ! हैलो ! क्या रिपोर्ट हैं ?” वह बिल्कुल अंजान आवाज थी- “तुम कुछ बोल नहीं रहे हो एडगर, तुम खामोश क्यों हो ?”
“एडगर, रिपोर्ट दो ! तुम्हारे ट्रांसमीटर से ऐसी फ्रीक्वेंसीज निकलकर यहाँ हैडक्वार्टर तक क्यों पहुँच रही हैं, जैसे तुम्हारे आसपास बम फट रहे हों । गोलियां चल रही हों ।”
कमाण्डर ने ट्रांसमीशन स्विच वापस ऑफ कर दिया ।
अगर उसने उस युवक की एक बार भी आवाज सुनी होती, तो वह बिल्कुल उसी की आवाज में ट्रांसमीटर पर बात कर सकता था ।
फिर उसने उस जंगली के चेहरे की तरफ देखा, जिसके हाथ में वो रिस्टवॉच बंधी हुई थी ।
एडगर !
तो उस आदमी का नाम एडगर था ।
कमाण्डर को संदेह हुआ, उस आदमी ने जरूर अपने चेहरे पर मैकअप किया हुआ है । एडगर नाम का कोई आदमी बर्मा का जंगली युवक नहीं हो सकता था । कमाण्डर ने उसके चेहरे को टटोला, तो फौरन एक पतली सी झिल्ली उतरकर कमाण्डर के हाथ में आती चली गयी । जो फेस-मास्क था ।
नीचे से अब युवक का बिल्कुल सफेद मुखड़ा चमकने लगा ।
वह अंग्रेज था और कोई अमरीकन मालूम होता था ।
“ओह, तो यह चक्कर है ।” कमाण्डर होंठों ही होंठों में बुदबुदाया- “जैक क्रेमर ने बर्मा के जंगली आदिवासियों के बीच भी अपने आदमी घुसा रखे हैं, जो उन सीधे-सादे जंगलियों के बीच भी जासूसी का काम करते होंगे ।”
ट्रांसमीटर में से ब्लिप-ब्लिप की आवाज निरंतर निकल रही थीं ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने उस अंग्रेज युवक की हार्ट-बीट चैक की ।
यह देखकर वो चौंका, उसकी हार्ट-बीट चालू थी ।
हालांकि हैंडग्रेनेड के धमाकों के कारण उसका आधे से ज्यादा शरीर क्षतिग्रस्त हो चुका था । कमाण्डर ने एडगर का गाल पकड़कर जोर-जोर से थपथपाया और फिर उसके सिर के बाल पकड़कर जोर से ऊपर की तरफ खींचें ।
“प...पानी !” एडगर धीरे से कुलबुलाया, उसकी बेहोशी टूटी- “प... पानी !”
कमाण्डर ने अपने बैग में से कैन निकाली और थोड़ा सा पानी उसके मुंह में डाला ।
“प... पानी !” वह फिर बुदबुदाया- “पानी ।”
कमाण्डर ने इस बार उसकी आवाज ज्यादा ध्यानपूर्वक सुनी ।
अब उसका काम बन गया था ।
तुरंत उसने कुंगफू लॉक का एक्शन दिखाया । उसने एडगर की गर्दन मे उंगली फंसाकर झटके से नीचे की तरफ खींच दी, उसकी गर्दन की रिब्स टूट गयी । रिब्स टूटते ही वह मर गया ।
ट्रांसमीटर में से ब्लिप-ब्लिप की आवाज अभी भी निकल रही थी ।
कमाण्डर ने पुनः ट्रांसमिशन स्विच ऑन किया, ट्रांसमीशन स्विच ऑन करते ही आवाज आने लगी ।
“एडगर, तुम बोल क्यों नहीं रहे हो ?” दूसरी तरफ से कोई लगातार चिल्ला रहा था ।
“यस सर !” कमाण्डर के मुंह से बिल्कुल उस अंग्रेज युवक जैसी आवाज निकली- “एडगर स्पीकिंग ।”
“तुम इतनी देर से खामोश क्यों हो एडगर ?” दूसरी तरफ से जैक क्रेमर बोल रहा था- “तुम ट्रांसमीटर पर बात क्यों नहीं कर रहे ? ऐसा क्यों लग रहा है, जैसे तुम्हारे आसपास धमाके हो रहे हों ।”
“यहाँ दुश्मन और हमारे बीच जबरदस्त युद्ध ही चल रहा था सर ।” कमाण्डर करण सक्सेना तत्पर लहजे में बोला- “इसीलिए मैं ट्रांसमीटर ऑन नहीं कर सका । लेकिन अब आपके लिए एक खुशखबरी है, हमने दुश्मन को मार डाला । हमारा मिशन सफल रहा ।”
“क्या कह रहे हो तुम !” जैक क्रेमर जोर से चौंका- “क्या सचमुच कमाण्डर करण सक्सेना मारा जा चुका है ?”
“यस सर, कमाण्डर मारा जा चुका है । उसकी लाश इस वक्त मेरी आँखों के सामने ही पड़ी है । हमने उसके शरीर को नुकीले भालों से गोद डाला है ।”
“मैं यकीन नहीं कर पा रहा हूँ ।”
“आप जब खुद यहाँ आकर उसकी लाश अपनी आँखों से देखेंगे सर ।” कमाण्डर करण सक्सेना बोला- “तब आपको यकीन भी आ जायेगा ।”
“तुम इस वक़्त कहाँ हो ?”
“मैं जंगल में उत्तरी छोर के कोई चालीस डिग्री ऐंगिल पर हूँ ।”
“ओके, मैं अभी भी मारकोस को तुम्हारे पास भेजता हूँ ।”
कमाण्डर ने ट्रांसमीशन स्विच ऑन कर दिया ।
एक महत्वपूर्ण काम वो कर चुका था ।
ली मारकोस ।
वह नाम सुनते ही कमाण्डर की आँखों के गिर्द उस समुराई फाइटर का चेहरा कौंध उठा, जो अपने फील्ड का ग्रेंड मास्टर था ।
यानि अब उसकी मुठभेड़ ली मारकोस से होने वाली थी ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने गहरी सांस ली । फिर उसने दूसरा महत्वपूर्ण कार्य अंजाम दिया ।
तुरंत ही उसके हाथ में चमचमाते फल वाला अपना स्प्रिंग ब्लेड नजर आने लगा था । फिर उसके बाद वहाँ जितने भी जंगली लोगों की लाशें पड़ी थीं, उसने उन सब लाशों के ठीक दिल में स्प्रिंग ब्लेड पेवश्त करना शुरू कर दिया ।
अगर थोड़ी बहुत किसी में सांस बाकी भी थी, तो वह भी खत्म हो गयी ।
अब वह सब निश्चित रूप से मर चुके थे ।
फिर कमाण्डर ने उन सबके भाले भी तोड़ डाले और उसके बाद जंगल की अनाम, अंजान राहों पर आगे बढ़ना शुरू किया ।
जहाँ कदम-कदम पर उसके लिए मौत बिछी थी ।
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