RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
कल्लू अरे वो कल्लू किधर है तू ..................
कल्लू--- हां मां क्या हुआ कल्लू अन्दर से आवाज़ लगाता है?
मालती कल्लू के कमरे में आती है .............
मालती----- तूने आज फीर से मेरी चाद्ढी में छेद कीया, तुझे4शर्म नही आती.......।
कल्लू--- मां वो मै ........ वो।
मालती----- कल्लू के करीब आती है--- क्या वो मै वो लगा रखा है ।
कल्लू---- मां तू ना चड्ढी मत पहना कर ।
मालती---- वो हो ......तो क्या नंगी घुमू तेरे सामने ।
कल्लू--- घूम ना मां ......कसम से कितनी मस्त लगेगी तू नंगी ।
मालती--- बेशर्म ......अपनी मा को नंगा करके तुझे शर्म नही आयेगी?
कल्लू--- नही मा ......एक बार हो जा ना नंगी ।
मालती---- तू बहुत बदमाश हो गया है ........ तुझे शर्म नही आती लेकीन मुझें तो आती है।
भला मै तेरे सामने नंगी कैसे ................
कल्लू मालती की सारी का पल्लू पकड़ कर खीचने लगता है....... और फिर मालती के बदन पर लिपटी हुई सारी धीरे धीरे खुलने लगती है ।
मालती----- बेटा ये क्या कर रहा है तू ......ये गलत है मै तेरी मां हू।
हालाकि मालती भी यही चाहती थी ........लेकीन4उसे थोड़ी शर्म भी आ रही थी की जब वो एक दम से नंगी हो जायेगी तो उसका बेटा क्या क्या करेगा उसके साथ ..........................।
.नही बेटा ये गलत है....देख मैं तेरी मां हू।
और मां के साथ ऐसा नही करते बेटा ।
कल्लू अब तक मालती की साडी उसके बदन से अलग कर चुका था ।
मालती अब सिर्फ पेटीकोट और ब्लाऊज़ में खड़ी थी ...... ।
कल्लू--- मां पिछले 1 साल से तेरा गदराया बदन देख देख कर मूठ मार रहा हू.....लेकीन तुझे तो अपने बेटे की कुछ पड़ी ही नही है।
मालती---- मैं समझ रही हूं बेटा, की अब तू जवान हो गया हैं, लेकीन ये सब मां के साथ नही करते बेटा ।
कल्लू मालती के करीब आ कर मालती की कमर में हाथ डालकर जोर से उसे अपनी तरफ़ खींच लेता है।
मालती-- आह ......तू नही मानेगा ना।
कल्लू-- मैं तो मनता हूं, लेकीन ये नही मनता ना मां, क्या करू?
मालती--- कौन नही मनता?
कल्लू मालती का हाथ पकड़ कर अपने टाइट हो गये लंड पर उसका हाथ रख देती है.....।
मालती(चौकते हुए)---- हाय ......राम ये तो एक दम कड़क हो गया हैं ।
कल्लू---- हां ना मां .......यहीं तो बात है।
मालती -- ठीक हैं मै इसे शांत कर देती हूं, लेकीन तू मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा नही करेगा ।
कल्लू--- कैसे शांत करेगी मां तू इसे
मालती--- जो तू अपने हाथो से करता है ......वो मैं कर दूंगी ।
कल्लू---- मां ........मजा नही आयेगा।
मालती---- ओ ....हो, तो मेरा बेटा पुरा मज़ा चहता है।
कल्लू अपनी मां की एक चुची को अपने हथेली में भर लेता हैं और वैसे ही रुक जाता हैं ।
मालती---- ये क्या हैं? तूने मेरी चुची क्यूँ पकड़ रखी हैं ।
कल्लू---- इतनी मस्त चुचियो को भला मसले कौन रह सकता हैं .....मां और फीर कल्लू मालती की चुचियो को जोर जोर से दबाने लगता है ।
मालती---- आह ......नही बेटा ....धीरे....आह धीरे कर...दर्द हो रहा हैं ।
मालती खड़ी खड़ी कल्लू के बाहों में अपनी चुचियो को अपने ही बेटे से मसलवा कर मस्त होती जा रही थी ....।
मालती कल्लू के बाहों में कभी ईधर छटपटाती तो कभी उधर .।
कल्लू--- मां कसम तेरी चुचियो को देख कर मन कर रहा है की खा जाऊँ ।
मालती---- आह ......इतनी जोर जोर से दबा रहा है ......इ, अभी खाने का मन कर रहा हैं ।
कल्लू--- मां जरा अपनी चुचिया तो दिखा ।
मालती (मन में)--- अरे ये चुतिया कैसा मर्द हैं हर चीज पुछ पुछ कर करेगा तो क्या चोदेगा मुझें ।
मालती---- नही बेटा, मुझें शर्म आती हैं । तू खुद देख ले ना ।
कल्लू इतना सुनते ही उसके ब्लऊज को भी निकाल फेंकता है .....।
मालती की दोनो चुचिया सोनू के सामने एकदम से उंची उठी सलामी दे रही थी ।
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