RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
सोनू इतना तो जानता था की, उसकी मा बहुत खुबसुरत है। वो तो बस उसके मुह से 'पांव दुखने की बात' पर नीकल गया की तेरी उमर हो चुकी है।
सोनू -- वैसे मेरी बुडढी मां कयामत लगती है।
सुनीता ये सुनकर शरमा जाती है, और बोली।
सुनीता-- बाते बनाने में आगे है, तू वैसे बहुत भोला बनता है। अपनी मां को कयामत बोलता है. शरम नही आती तूझे जरा सा भी।
सोनू-- अपनी मां से कैसी शरम, जो बात है तुझमे वो बात बोल दी मैने।
सुनीता-- मैं तुझे कहां से कयामत लगती हू भला।
सोनू-- बताऊं,
सुनीता-- बता जरा।
सोनू-- तू सुन पायेगी क्या मां॥
सुनीता(शरमाते हुए)-- नही रहने दे बेशरम।
सोनू-- जब तू शरमाती है, तो आधा से ज्यादा कत्ल तो ऐसे ही हो जाता है। अगर तू मेरी मां नही होती तो।
सुनीता-- मां नही होती तो क्या?
सोनू-- फीर तो मेरे मजे थे।
सुनीता ये सुन कर बुरी तरह शरमा जाती है, और सोनू के गाल पर थपकी लगाती हुए.....बेशरम.......मैं तेरी मां हू।
सोनू-- वही तो रोना है।
सुनीता-- अच्छा मतलब मैं तेरी मां हू तो तुझे अच्छा नही लगता।
सोनू-- अरे नही मां तू मेरी मां है, ये मेरा सौभाग्य है, और वैसे भी दुनीया में खुबसुरत औरतो की कमी थोड़ी है, जो मैं अपनी मां पर ही बुरी नज़र डालूगां॥
सुनीता ये सुनकर उसे साफ हो गया था की उसके बेटे की नज़र में मै सीर्फ उसकी मां हू और कुछ नही, लेकीन उसे एक बात अंदर ही अंदर खाये जा रही थी जो सोनू ने बोला ' की दुनीया में औरतो की कमी थोड़ी है, जो वो अपने मां पर ही'
पता नही क्यूं आज सुनीता को उन सारी औरतो से नफरत सी हो रही थी।
सोनू खाना खा चूका था। और हाथ मुह धो के वापस आ कर खाट पर बैठ गया।
सुनीता-- उस दीन भोला बनने की नाटक क्यूं कर रहा था?
सोनू--कीस दीन मां?
सुनीता-- जीस दीन भैंस ले के जाने का था, पता तेरे उपर सब हसं रहे थे की तू अनाड़ी है।
सोनू-- लगता है मेरी प्यारी मां को रास नही आया की कोइ मुझे अनाड़ी बोले।
सुनीता-- हा तो...दुनीया की कोइ मां नही सह सकती की कोइ भी उसके बेटे को अनाड़ी बोले।
सोनू-- वैसे कौन बोल रहा था अनाड़ी?
सुनीता-- तेरी चाचीयां और फातीमा।
सोनू-- और तू?
सुनीता-- हां तो तेरी हरकते वैसी ही थी, तो मुझे भी वैसा ही लगा।
सोनू-- तू बोले अनाड़ी मुझे कोइ फर्क नही मां॥
सुनीता-- क्यूं मेरे बोलने पर फर्क क्यूं नही होता तूझे?
सोनू-- क्यूकीं मैं तुझे साबीत नही कर सकता ना मां॥
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