Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
03-24-2020, 09:07 AM,
#48
RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"बहुत घनी कोशिश करे था। खंदक खावे था वो म्हारे से । नफरत करे था । म्हारी मेहरबानियों का भी कोई मोल नां डाला सुसरे ने । मैंने वा का भला किया, वा म्हारे को बर्बाद करना चावे था।"

"आपने क्या भला किया उसका ?"

"मैंने ही वा को या जुगाड़ करके दिया हो की वा दिल्ली मां अपनों पांव जमा सको । वा बंबई से कड़का हुई के हियां
आवा रहा । बोल्यो बंबई में उसके साथ व्योपार में घना धोखा हुई गयो । वा का मैनेजर वा की इतनी रकम खायो गयो कि वा को दिवालिया घोषित होना पड़ सकयो । मैंने वा को सस्ती लीज की जमीन दियो, धंधा शुरू करने को रोकड़ा
दियो । ससुरा अहसान तो को नां मान्यों । ऊपर सां म्हारा सत्यानाश करू यूँ ।"

"अजीब तरीका है यह अहसान चुकाने का ।"

"देखो तो !"

"सेठ जी, चावला के कत्ल का उद्देश्य तो आपके पास बहुत तगड़ा है । ऊपर से कत्ल के वक्त की आपके पास कोई | एलीबाई भी नहीं ।"

"एली भाई ?" - वह सकपकाया ।

"एलीबाई ! शहादत ! गवाही !"

"मां रीगल मां बैट्ठा होड़ ।"

"लेकिन इस बात को आप साबित नहीं कर सकते ।"

"वो तो बरोबर है।"

"आपने कत्ल किया है चावला का ?"

"नां, जी । म्हारे सां तो मक्खी न मारी जावे । और फिर ऐसा इरादा होता तां मन्ने इतने साल इंतजार थोड़े ही न किया होता !"

"आपके ख्याल से चावला का कत्ल किसने किया होगा ?"

"म्हारे को क्या मालूम जी ? वैसे कत्ल करने वाले को कोई मैडल-वैडल देना हो तो हम दे देंगे । सोने का । हीरे
जड़वा के ।"

मैं हंसा ।
उसने बड़ी शालीनता से हंसी में मेरा साथ दिया।

"बंबई में चावला का क्या बिजनेस था ?"

फाइनान्स का थी। कोई चिट फंड कंपनी चलावे था वा वहां ।"

"मैंने तो सुना है कि चावला बहुत कांइयां आदमी था। दुनिया-जहान को धोखा देने में समर्थ आदमी बिजनेस में - खुद कैसे धोखा खा गया बंबई में ?"

"म्हारे को के खबर ?"

"उसने कभी जिक्र नहीं किया ?"

"म्हारी तो अब सल्लों से ईब वा से मेल-मुलाकात नां है।"

"सुना है आप उसका बिजनेस खरीदना चाहते हैं ?"

"हां । म्हारे से तो वा की बेवा को अच्छा रोकड़ा हासिल हो जावेगा । नीलामी लगेगी तो क्या पल्ले पड़ेगा ?"

"नीलामी लगेगी ?"

"जरूर लगेगी। एक तो तीस दिन मां वा जगह खाल्ली की जानी जरूरी है। दूसरे एस्टेट ड्यूटी भरने के लिए बेवा के पास रोकड़ा और किधर से आवेगा ?"

"यह आपको किसने बयाया कि चावला साहब के बिजनेस की खरीद के मामले में आपका वास्ता उसकी विधवा से पड़ेगा ?"

"और किससे पड़ेगा ? एक ही तो वारिस है सुसरे का ।"

"वह सुसरा काले चोर को अपना वारिस बना सकता था।"
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