RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
खैर मेरी हालत ये थी की स्कूल जाना किसी जहन्नुम जाने से कम नही था,लेकिन जाना तो होता था,एक प्रॉब्लम ये भी थी की मेरी छोटी बहन निशा मेरे ही क्लास में थी और वो एक बम्ब थी ,लड़के उसके पीछे लार टपकाते और वो उन्हें अपने इशारों पर चलाती,पूरे पापा पर गई थी ,वही उसका एक ऑब्सेशन था मुझे सबके सामने बेइज्जत करने का ,वो कोई मौका नही छोड़ती थी ..
तो कहने की जरूरत नही की स्कूल में मेरा कोई दोस्त भी नही था,बस दो लोग थे,एक था चंदू,रामु काका का बेटा वो भी मेरे ही क्लास में था और मुझसे इसलिए बात कर लिया करता था क्योकि वो मेरे बाप के पैसे में इस अच्छे स्कूल में पढ़ रहा था और दूसरा उसे जब पैसे की जरूरत होती तो मुझसे ही लिया करता था..
चंदू था तो महा कमीना,उसका काला चहरा और काला बदन ,जो की कसरती था और ऊंचा डीलडौल के कारण वो भयानक सा लगता था,असल में उससे बाकी लड़को की फटती भी थी ,जिसके कारण मुझे चिढ़ाने वाले या सताने वाले थोड़ा डरते थे,यंहा तक की निशा के आशिक जो उसे खुश करने के लिए मेरी मारने पर तुले रहते थे उनसे चंदू ही मुझे बचाता था लेकिन हमेशा नही ,लेकिन फिर भी चंदू मेरा दोस्त कम दुश्मन ही था,क्योकि वो जितना मुझे देता उससे ज्यादा मुझसे लेने की फिराक में रहता था,और सभी से तो मुझे बचा लेता लेकिन उससे मुझे कौन बचाता,मेरे सामने ही वो निशा को खा जाने वाली नजर से देखता था,निशा के सामने हमेशा मेरा मजाक उड़ाता ताकि वो दोनों मुझपर हँस सके ,और निशा कमीनी भी उसके सामने मुझे अक्सर कहती थी..
“मर्द तो तू ही चंदू,वरना यंहा तो चूतिये लूजर को भी भाई बोलना पड़ता है,”
बदले में चंदू हँसते हुए उसके जिस्म को घूरता और निशा उसे भी मुस्कुराकर उसे देखती ,कभी कभी तो लगता था की चंदू निशा की लेता होगा लेकिन अभी तक मुझे कोई प्रूफ नही मिला था …
साला चंदू मेरी भोली भाली मा को देखकर मेरे सामने ही अपना लौड़ा मसल देता था,जबकि मेरी माँ उसे अपने बेटे जैसे प्यार देती थी,ये देखकर मेरा सर बस नीचे हो जाता,क्योकि लड़ना मुझे आता नही था,मैं सीधा नही था चोदू था,डरपोक था ,फट्टू था जो मुझे मेरे बाप ने बनाया था…….
ऐसे स्कूल में एक और थी जिसे मैं सच्चे अर्थों में दोस्त कह सकता था वो थी रश्मि...रश्मि हाय मेरे स्कूल की सबसे फटाका माल कही जाती थी ,सारे स्कूल के लड़के उससे बात करने को तराशते ,यंहा तक की निशा भी उसके सामने कुछ नही थी ,लेकिन वो लड़को में सिर्फ मुझसे ही बात किया करती थी ,वो ही एक थी जो मेरे लिये किसी से भी लड़ जाती भीड़ जाती,यंहा तक की निशा और चंदू से भी ,किसी टीचर से भी ,वो शेरनी थी जो मेरी रक्षा करती थी लेकिन इस बात का मुझे दुख ही था,वो मेरे साथ ही इसलिए रहती थी की लोग मुझे परेशान किया करते थे और कोई मुझसे सीधे मुह बात नही किया करता था,रश्मि बेहद ही संदुर लड़की थी तन से भी और मन से भी ,उसने मुझे बहुत स्नेह दिया था,कहने की जरूरत नही की एक लूजर की तरह मैं उसे प्यार करता था लेकिन वो मुझे प्यार नही करती थी बल्कि मुझपर तरस खाती थी,और ये बात मुझे अच्छे से पता थी ,और उसी तरस वो कारण था जिसके कारण लड़के मेरे जान के दुश्मन बने हुए थे और निशा मुझसे इतना चिढ़ती थी ,रश्मि ही वो लड़की थी जिसके सामने निशा की भी नही चलती थी ,वही चंदू भी सालों से उसे पटाने की कोशिस कर रहा था लेकिन रश्मि अगर किसी से सीधे मुह बात करती थी वो था मैं उसके दया का पात्र...जो भी था मुझे उसका साथ अच्छा लगता था कम से कम वो ही एक कारण थी जिससे मुझे स्कूल जाने की हिम्मत मिल जाती ..
और चंदू मुझसे कहा करता
“इस रंडी को तो मैं एक दिन पटक कर चोदूंगा ,साली बहुत नखरे मरती है “
उसकी बात सुनकर मेरा……...मेरा सर फिर से नीचे हो जाता ….
तो दोस्तो ये थी मेरी झंड जिंदगी ,ये ऐसी ही रहती अगर मेरा बाप पूरे परिवार के साथ केदारनाथ जाने का प्लान नही बनाता,उन्हें एक बिजनेस डील करनी थी और अपनी प्रिंसेस(मेरी बहने) की रिक्वेस्ट पर वो पूरे परिवार को साथ ले जाने के लिए राजी हो गए ,और साथ थे सना (अब्दुल की बेटी), चंदू और टॉमी ……
|