RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
लाजो ने उसे ज़बरदस्ती से बेड पर बिठाया.., फिर जाकर दरवाजा बंद करके उसके पास बैठकर उसके गले में अपनी मरमरी बाहें लपेट दी.., उसके खुश्क होठों पर एक प्यारा सा चुंबन अंकित करके बोली…
खिला लेना.., और खूब जी भर कर खेलना उसके साथ.., लेकिन राजा अभी तो तुम कह रहे थे कि मेरी बहुत याद करते थे.., तो अब बेटी को देख कर उसकी माँ को ही भूल गये..?
भोला ने लपक कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया.., उसे अपनी बाहों में कसते हुए बोला – तुझे में कभी नही भूल पाउन्गा लाजो.., तू मुझे पहली ऐसी औरत मिली है जिसे में चाहकर भी नही भुला पाया..,
मे नही जानता इसे क्या कहते हैं.., प्रेम का नाम तो कई ज़ुबानो से सुना था.., लेकिन अब समझ में आ रहा है कि शायद यही प्रेम है…!
लाजो पलट कर उसके गले में झूलते हुए बोली – हां..मेरे भोले राजा.. यही प्रेम है.., मे भी तुम्हें एक पल के लिए नही भूली हूँ..,
लेकिन यहाँ में अपने मन की बात किससे कहती.., कॉन समझने वाला था यहाँ…!
भोला – अब चाहे जो भी हो जाए.., मे तुझे और अपनी बेटी को कभी अपने से दूर नही होने दूँगा.., हम कहीं और चले जाएँगे.., बहुत जान है मेरे इस शरीर में कहीं भी मेहनत मज़दूरी करके तुम दोनो का पेट भर सकता हूँ…
बस थोड़ी अकल की कमी है.., सो वो तू मुझे देती रहना…!
लाजो तड़प कर भोला से लिपट गयी.., उसकी बातें सुनकर उसे भोला पर बहुत प्यार आ रहा था.., उसी प्यार में सराबोर वो बोली – हां यही सही होगा.., अब मे भी एक पल के लिए तुमसे दूर नही रहना चाहती…!
इतना कहकर उसने भोला को बिस्तर पर लिटा दिया.., और खुद उसके उपर अढ़लेटी होकर प्यार से उसके बदन को सहलाने लगी…!
आग और फूंस का बैर तो हमेशा से ही रहा है.., भले ही सिचुयेशन कैसी भी रही हो.., जब दो जवान बदन एक दूसरे के इतने करीब हों.., तो आग तो लगनी ही थी…!
धीरे-धीरे उन दोनो पर वासना की खुमारी बढ़ने लगी.., देखते ही देखते दोनो के बदन कपड़ों से मुक्त हो गये..,
दो दाहकते प्यासे बदन जब एकाकार हुए तो तभी अलग हुए जब दोनो के दिल की प्यास बुझ नही गयी…,
लाजो को फिरसे पाकर भोला का मन खुशी से झूम उठा.., फिर जब उसने रंगीली से ये सुना कि अब उसे यहीं रहकर उसके बापू का काम-धाम संभालना है तब तो उसकी खुशी का कोई परावार ही नही रहा…!
वो रंगीली के पैरों में गिर पड़ा.., रिश्तों की मर्यादा में बँधी रंगीली झट से पीछे हट गयी.., और बोली…
हाए राम जेठ जी ये आप क्या अनर्थ कर रहे हैं.., मेरे पाँव पड़कर क्यों मेरे सिर पाप चढ़ाना चाहते हैं.., मे आपके छोटे भाई की पत्नी हूँ..,मुझे आपके पैर पड़ने चाहिए…!
भोला की आँखों में आँसू थे.., उन्ही आँसुओं भरी निगाहों से उसकी तरफ देखते हुए बोला – तू देवी है बहू.., तूने इस पागल की जिंदगी में ना जाने कहाँ कहाँ से रंग बटोरकर भर दिए…!
आज मेरा भी मन होने लगा है कि मे भी औरों की तरह जियू.., एक बेटी को उसके बाप से मिलाकर तूने बड़ा उपकार किया है मेरे उपर.., आज से ये भोला तेरी एक ज़ुबान पर अपनी जान नियोछाबर कर देगा…!
अपने आधे अधूरे जेठ को उसकी जिंदगी सौंप कर उसी शाम दोनो माँ-बेटे अपने घर लौट आए.., जहाँ उन दोनो के अलावा और किसी को ये भनक तक नही थी कि भोला को ले जाने का असल माजरा क्या था…!
रास्ते में उसने शंकर को भी समझा दिया कि इस बात की खबर उन दोनो के अलावा और किसी को ना हो…!
शंकर जानता था कि उसकी माँ जो भी करती है उसके पीछे कोई बड़ा कारण होता है.., इसलिए उसने भी आगे इस मामले कोई और बात नही चलाई कि वो ऐसा क्यों चाहती है…!
शंकर नियमित रूप से अपने कॉलेज जाने लगा था.., दोनो भाई बेहन एक साथ ही पढ़ने जाते थे.., रास्ते भर दोनो की बेहन भाई वाली छेड़-छाड़ हमेशा होती ही रहती..
लेकिन शायद सलौनी की छेड़-छाड़ में बेहन वाले प्यार के अलावा भी कुछ और था जो दिनो-दिन उसे शंकर के करीब खींचता जा रहा था..!
जब वो इस विषय पर अपने अंदर ही अंदर विचार करती कि जो वो अपने भाई के सपने देख रही है, रिस्ते के लिहाज से क्या उचित है..?
लेकिन तभी उसकी इस सोच को झटकने के लिए माँ-बेटे के बीच के संबंधों का खुलासा जो उसे सालों से पता था वो काफ़ी था....!
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