RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
भोला बड़ी बेसब्री से रंगीली के जबाब का इंतजार कर रहा था, हर रोज़ वो यही सोचता कि शायद आज वो आए और लाजो के बारे में कुछ बताए…!
इस तरह से रोज़ का इंतेजार करते करते एक हफ़्ता गुजर गया, इस बीच में शंकर भी शहर से लौट आया और आते ही उसने अपनी पढ़ाई पर फोकस कर दिया…!
उधर सेठानी को फिरसे लंड का चस्का लगने लगा था.., उस दिन की लाला जी की चुदाई ने उसकी सुखी खेती की सिंचाई करके, बंजर ज़मीन में फिरसे खाद बीज डालकर आशान्वित कर दिया था…!
अब वो भी गाहे बगाहे अपनी गान्ड मटकाते हुए उनके पास पहुँच जाती थी.., लेकिन अब लाला जी की उमर बढ़ती जा रही थी..,
एक दिन काफ़ी कोशिशों के बाद भी उनका घोड़ा सवारी करने की स्थिति में नही पहुँच पाया.., तक हारकर उन्हें मानना ही पड़ा की अब वो इस काम के लायक नही रहे..,
बेचारी सेठानी को अपना मन मसोस कर अपनी गीली चूत लेकर बैरंग ही लौटना पड़ा.., लेकिन औरत की चूत को जब इस उमर में लंड का पानी मिलने लग जाए तो उसकी खुजली और बढ़ने लगती है…!
बोला के पास दोपहर का ही समय ऐसा होता था, जिस समय में उसको घर के काम नही होते थे.., जब काफ़ी दिनो तक रंगीली की तरफ से कोई जबाब नही आया तो वो एक दिन दोपहर को हवेली जा पहुँचा…!
इस वखत में सभी अपने अपने कमरों में आराम कर रहे होते हैं.., वो बेचारा पहले कभी यहाँ तो आया नही था, उसे पता ही नही था कि रंगीली कहाँ रहती है…?
सो चौक में पहुँचकर जब उसे कोई दिखाई नही दिया तो उसने रंगीली को आवाज़ देना शुरू कर दिया…!
सेठानी का कमरा आँगन के ठीक बाजू में था, उनकी एक खिड़की आँगन में ही खुलती थी., जिससे वो नौकरों पर भी नज़र रखती थी…!
भोला की आवाज़ सुनकर उन्होने आँगन में झाँका.., उसे देख कर उन्होने मन ही मन कुछ सोचा, और खिड़की से झाँक कर उसे आवाज़ दी, और अपने पास आने का इशारा किया…!
खिड़की के पास आकर उसने बाहर से ही सेठानी को राम-राम कहा.., उन्होने भी उसका जवाब देकर कहा – राम राम भोला.., ज़रा अंदर तो आ, मुझे कुछ काम है तुझसे..!
चूँकि रंगीली ये उसे बता चुकी थी कि सेठानी को उसके और लाजो के संबंधों के बारे में पता चल गया है.., इसलिए उसने उसे घर से निकाल दिया है..,
जब सेठानी ने उसे अंदर आने को कहा तो वो मन ही मन डरने लगा.., कहीं ये सेठानी मुझे उस बात के लिए सज़ा ना दे.., सो च्छूटते ही बहाने बनाते हुए बोला..
अम्मा को रामू की बहू से कुछ काम था सो उसे बुलाने आया था.., अब चलता हूँ वरना काम के लिए देर होगी…!
सेठानी – अरे तो मे कोन्सि तुझे बाँध के डाल रही हूँ, थोड़ा सा मेरा काम कर्दे फिर चले जाना.., ज़्यादा वखत नही लगेगा.., आजा.. देख थोड़ा सा इस अलमारी को खिसक़वाना है बस…!
सेठानी की बातों से उसे लगा कि वो उससे नाराज़ नही है सो बेधड़क उसके कमरे में चला गया.., सेठानी ने उसे पास पड़ी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया…!
उसके बैठ’ते ही सेठानी ने उठकर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.., और उसके सामने जाकर बोली – मुझे पता है तू मेरी बहू लाजो को चोदता था.., तेरे उसके साथ ग़लत संबंध थे…बोल मे सही कह रही हूँ ना…!
भोला को जिस बात का डर था वही हुआ.., फिर भी वो हिम्मत से काम लेते हुए बोला – मेने तो आपकी बहू को देखा तक नही.., किसी ने ग़लत कहा है आपको…!
सेठानी उसे घुड़कते हुए बोली – ज़्यादा चालू बनने की कोशिश मत कर.. मेने खुद अपनी आँखों से तुम दोनो को चुदाई करते हुए देखा है तेरे घेर में…, इसलिए तो मेने उस छिनाल को घर से बाहर निकाल दिया…!
अब तू बता.., तुझे क्या सज़ा दी जाए.., मे चाहू तो पोलीस में रिपोर्ट देकर तुझे जैल भिजवा सकती हूँ.., बोल जाना है जैल…!
सेठानी की धमकी सुनकर भोला लगभग रो ही पड़ा.., उनके पैरों में गिरकर गिड-गिडाते हुए बोला – नही सेठानी जी.., मे ग़रीब आदमी उपर से कम दिमाग़..,
मे सच कहता हूँ, इसमें मेरी कोई ग़लती नही थी.., वोही मेरे पास आती थी.., मेने तो उसे मना भी किया था…!
भगवान के लिए मेरे उपर तरस खाओ.., मुझे जैल नही जाना है…!
ज़्यादा भोला मत बन.., तू नही चाहता तो वो ज़बरदस्ती तेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत में नही ले सकती थी…, कहीं ना कहीं तूने ही उसे पटाया होगा अपना अजगर जैसा लंड दिखाकर…!
बोला – नही मे सच कह रहा हूँ.., मेने कुछ नही किया मुझे जाने दो…!
सेठानी उसके पास जाकर ज़मीन पर ही बैठ गयी.., उन्होने उसकी लूँगी में अपना हाथ डालकर उसके लंड को हाथ में पकड़ कर बोली – एक शर्त पर तुझे चोद सकती हूँ..!
एक बार अपने अजगर जैसे लंड को मेरी भी चूत में डाल…, बोल चोदेगा मुझे..? जबसे मेने तुझे लाजो को चोदते हुए देखा है, तभी से ही मेरी चूत भी तेरा लंड लेने को तड़प रही है…!
भोला ने उनकी मोटी-मोटी खरबूजे जैसी चुचियों को पकड़ते हुए कहा – उसके बाद छोड़ दोगि मुझे…?
सेठानी उसके लंड को हाथ से मुत्ठियाते हुए बोली – हां.., और आज ही नही.., जब मेरा मन करेगा तुझे बुलवा लिया करूँगी…!
भोला ने खड़े होकर सेठानी को भी खड़ा कर लिया.., और उनकी साड़ी खींचते हुए बोला –
मंजूर है, पर तुम्हें भी लाजो की तरह मेरी सेवा करनी होगी.., वो मुझे अच्छी-अच्छी चीज़ें खाने को दिया करती थी…!
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