RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
रास्ते में चक्रॉड से हटकर एक मैदान सा था जहाँ भोला अपने जानवरों को चरा रहा था.., रास्ते पर रंगीली को आते देख उसने उसे आवाज़ देकर रोका…!
भोला – अरी रामुआ की बहू…तनिक सुनियो तो…!
अपने जेठ की आवाज़ सुनकर उसके पैर ठिठक गये.., भोला अपने कंधों पर गर्दन के पीछे से दोनो ओर को लाठी निकालकर.., उसके पीछे से अपने दोनो हाथ उसपर टिका कर लूँगी और एक कपड़े की बनियान पहने उसकी तरफ आने लगा…!
रंगीली ने एक तरफ का घूँघट खींचकर अपने दाँतों तले दबा लिया, ये एक तरह का परदा था अपने जेठ के सम्मान में…!
टिर्छि नज़र डालकर घूँघट की आड़ से ही उसने अपनी तरफ आ रहे भोला को देखा.., बिना अंडरवेर के लूँगी के अंदर उसका फिलहाल सोया हुआ अजगर इधर से उधर डोलता दिखाई दे रहा था…!
रंगीली ने मन ही मन कहा – हाए दैयाअ…अभी तो इनका सोया हुआ ही है.. तब झूले सा झूल रहा है…लाजो भी बेचारी क्या करे.., इस मूसल को लेने के लिए उसने ये कदम उठा लिया तो कोई बुराई भी नही थी…!
पास आकर वो उसके चार कदम दूर खड़ा हो गया.., एक भरपूर नज़र उसने उपर से नीचे तक रंगीली पर डाली.., जिसे उसने लगभग अपनी ओढनी से ढक रखा था..!
लेकिन सुंदरता कपड़ों के अंदर से भी दिखाई दे ही जाती है…!
भोला अपने छोटे भाई की पत्नी पर एक भरपूर नज़र डालते हुए बोला – अरी बहू.. तुझे तो पता ही होगा.., वो लाला की बहू लाजो कहाँ गयी.., कई दिनो से दिखाई नही दे रही…!
रंगीली ने ओढनी की आड़ में मुस्कुराते हुए बोली – मे क्या जानू.., वैसे आप उसके बेरी में क्यों पूच्छ रहे हैं..? क्या काम पड़ गया उससे..?
भोला – बस ऐसे ही.., एक दो बार उसे मुनिया के साथ देखा था.., बड़ी भली औरत लगी मुझे वो.., अब कई दिनो से नही दिखी सो पूछ लिया…, वैसे तू कुछ ग़लत मत समझना…!
रंगीली – मे भला क्यों ग़लत समझने लगी.., उससे कुछ बात-चीत भी हुई क्या आपकी..?
भोला – हां.., तभी तो मुझे भली सी लगी वो.., वरना मे कैसे जानता कि वो कॉन है…, मुझे लगता है उसके साथ कुछ अनहोनी तो ना भयि….?
रंगीली भोला के भोलेपन का फ़ाया लेकर उसके मुँह से ही बात खुलवाना चाह रही थी.., सीधे सीधे वो पूच्छ नही सकती थी.., और कहीं ना कहीं भोला भी अपने छोटे भाई की पत्नी से खुलकर बोल नही सकता था..,
भले ही वो आधा पागल ही सही लेकिन रिश्तों की मर्यादा जानता था…!
रंगीली – वो खुद आपके पास आती थी या….?
भोला – हां, वो बाद में अक्सर मेरे पास आती थी.., बड़ी भली लुगाई थी.., कई बार मेरे लिए जलेबी, हलवा, राबड़ी तक लाती थी…!
रंगीली – अच्छा..! क्यों वो आपके लिए ये सब चीज़ें लाती थी..? लेकिन क्यों..? कुछ काम करवाती थी आपसे…?
भोला का अर्ध विकसित दिमाग़ रंगीली की लच्छेदार बातों में उलझता जा रहा था.., वो अपने अंदर की बातें एक के बाद एक बताता जा रहा था..!
अब तुझे कैसे बताउ बहू.. वो बड़ी प्यासी लुगाई थी.., मेरे सामने आकर रोने गिडगिडाने लगी.., मे भी तो आख़िर में मर्द हूँ.., नही देख सका उसका दर्द और मेने उसे चो……!
आगे के शब्द बोलने से पहले ही उसके दिमाग़ में ये बात आ गयी कि वो किसके सामने बात कर रहा है सो उसने अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया…!
रंगीली – जानते हैं.., दो दिन पहले सेठानी ने आप दोनो को रंगे हाथों पकड़ लिया.., आपको तो कुछ नही कहा.., लेकिन उस बेचारी को घर से निकाल दिया…!
भोला – क्या..? घर से निकाल दिया..? अब कहाँ गयी वो..?
रंगीली – मुझे क्या खबर कहाँ गयी..,? गयी होगी अपने मायके, और कहाँ जा सकती है…!
ये सुनकर भोला को गुस्सा चढ़ गया…मे उस साली सेठानी की गान्ड फाड़ डालूँगा.., भेन की लौडी ने इतनी अच्छी लुगाई को घर से निकाल दिया…!
फिर वो रंगीली से चापलूसी भरे स्वर में बोला – तू जानती है रंगीली बहू उसका मायका कहाँ है..?
रंगीली – क्यों.. आप क्या करेंगे उसके मायके के बारे में जानकर…?
भोला – अरे एक बार उससे मिल तो लेता.., मेरी वजह से उस बेचारी के साथ ये अनर्थ हो गया..,
रंगीली – आप तो नही गये थे उसके पास, वोही तो आती थी.., फिर आपकी इसमें क्या ग़लती है.., हां कुछ और बजह हो तो अलग बात है…!
भोला – अब तुझे क्या बताऊ बहू.., तू मेरे छोटे भाई की जोरू है..फिर भी बता रहा हूँ.., मुझे भी वो बहुत अच्छी लगने लगी थी.., अब देखना.. दो ही दिन हुए हैं और मुझे उसकी याद सताने लगी…!
रंगीली – आप उससे मिलने गये और फिर पकड़े गये तो.., उस बेचारी के लिए वहाँ से भी निकाल दिया तो…? कहाँ जाएगी वो…? ये भी तो सोचो…!
भोला – तू जो भी कह रही है.., अपनी जगह सब सही है.., पर अब अपने इस जी का क्या करूँ.., रह-रह कर उससे मिलने के लिए तड़पने लगता है…!
रंगीली – हाईए रामम्म….जेठ जी.. आप तो उसके लिए मजनूं हो रहे हो.., अच्छा ठीक है.., मे कुछ सोचती हूँ इस बारे में..,
तब तक ध्यान रखना.., जो बातें हम दोनो के बीच हुई हैं.., वो किसी से ना कहना.., अपने घर पे भी नही…!
भोला लपक कर बोला – नही कहूँगा बहू.., किसी से भी नही कहूँगा..बता कब बताएगी तू उसके बारे में..?
रंगीली – धीरज रखो.., जल्दी ही कुछ करती हूँ.., अब मे चलती हूँ.., बहुत देर हो गयी खड़े-खड़े.., कोई कुछ ग़लत ना सोचे हमारे बारे में…!
इतना कह कर रंगीली ने अपने कदम हवेली की ओर बढ़ा दिए.., खुशी में झूमता हुआ भोला अपने जानवरों की तरफ चल दिया….!
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